India-Nepal Relationship History to Present in Hindi नेपाल-भारत में सम्बन्ध -भारत-नेपाल सम्बन्ध वर्तमान स्थिति

India-Nepal Relations: भारत-नेपाल संबंध इतिहास से वर्तमान तक

भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध भारत-नेपाल सम्बन्ध राजनीति विज्ञान

India-Nepal Relationship नेपाल तथा भारत में सम्बन्ध -भारत के निकट निकटतम पड़ोसी देश नेपाल श्रीलंका चीन बांग्लादेश तथा पाकिस्तान आदि है। भारत के इन देशों के साथ बहुत से सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक तथा राजनीतिक संबंध रहे हैं।

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इस अध्याय में हम भारत के नेपाल के साथ संबंधों का अध्ययन करेंगे । भारत-नेपाल संबंध इतिहास से वर्तमान तक –

Table of Contents विषय सूची

नेपाल तथा भारत में घनिष्ठ सम्बन्ध ( Close relations between Nepal and India )

नेपाल एक छोटा सा पहाड़ी देश है जो चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है। नेपाल विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जो हिंदू राज्य कहलाता है। भारत में भी अधिकांश लोग हिंदू धर्म को मानते हैं। अतः दोनों देशों के आपसी संबंध बहुत पुराने तथा घनिष्ट है।

भारत तथा नेपाल के बीच में 1950 की संधि ( 1950 treaty between India and Nepal )

भारत तथा नेपाल के बीच में 1950 की संधि -शताब्दियों से भारत और नेपाल के बीच राजनीतिक ,धार्मिक ,सांस्कृतिक तथा आर्थिक संबंध बने हुए हैं। सन 1950 में दोनों देशों के बीच कुछ सन्धियाँ हुईं, जिनके अनुसार भारत ने नेपाल की बहुत सी सिंचाई योजनाओं ,हवाई अड्डों व बिजली घरों के निर्माण में सहयोग प्रदान किया। प्राय: भारत और नेपाल के नेता दोनों देशों की राजकीय यात्राएं करते रहते हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध भी बहुत घनिष्ठ रहे हैं।

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दोनों देशों की 1950 से 1960 तक कि अवधि ( The period of both countries from 1950 to 1960 )

सन 1950 से 1960 तक की अवधि में दोनों देशों के संबंध घनिष्ठ रहे हैं। कश्मीर के मामले पर नेपाल ने भारत का समर्थन किया। भारत ने नेपाल को आवागमन के साधनों के विकास और सिंचाई योजनाओं के लिए काफी आर्थिक सहायता दी। नेपाल की सरकार ने स्वयं भी इस तथ्य को स्वीकार किया था कि इस काल में नेपाल को जो विदेशी सहायता प्राप्त हुई थी उसमें अमेरिका तथा सोवियत संघ के बाद भारत का स्थान था।

1960 में दोनों देशों के बीच तनाव उत्पन्न हुआ ( Tensions arose between the two countries in 1960 )

1960 में दोनों देशों के बीच तनाव उत्पन्न हुआ – सन 1960 में दोनों देशों के बीच कुछ तनाव उत्पन्न हुआ। उस वर्ष नेपाल की सरकार ने संसद को भंग करके अनेक राजनीतिक नेताओं को बंदी बना लिया। भारत ने इसका विरोध किया और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा नेपाल में लोकतंत्र समाप्त हो गया है।

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सन 1975 से 1977 के बीच दोनों देशों की यात्राएं ( Tours of both the countries between 1975 and 1977 )

सन 1975 में नेपाल के नरेश ने भारत की यात्रा की और सन 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई ने नेपाल की यात्रा की इससे दोनों देशों के संबंधों में सुधार हुआ।

सन 1983 से 1989 के बीच दोनों देशों की यात्राएं ( Visits to both countries between 1983 and 1989 )

सन 1983 में नेपाल के प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा की और सन 1986 में भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह नेपाल गए। उन्होंने नेपाल को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। परंतु नेपाल के असहयोगी व्यवहार के कारण भारत-नेपाल व्यापार एवं माल आवागमन संधि के 23 मार्च , 1989 को समाप्त होने तथा संधि के नवीनीकरण न होने के कारण दोनों देशों के संबंध कुछ बिगड़ गए, परंतु अब नेपाल में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित हो जाने के कारण दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की काफी आशा बंधी है।

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सन 1991 में दोनों देशों के बीच समझौते हुए ( In 1991, agreements were signed between the two countries )

दिसंबर 1991 में नेपाल के प्रधानमंत्री श्री गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व में नेपाल के मंत्रियों तथा अन्य उच्चाधिकारियों का एक शिष्टमंडल भारत आया और दोनों देशों के बीच पांच समझौते हुए। श्री कोइराला ने यह घोषणा की कि दोनों देशों के बीच इतनी गहरी मित्रता है कि कोई भी इसे बिगाड़ नहीं सकता। इन समझौतों के कारण दोनों देशों के आपसी संबंधों में बहुत सुधार हुआ।

1992 में भारतीय प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा ( Visit of Indian Prime Minister to Nepal in 1992 )

अक्टूबर 1992 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरसिम्हा राव ने नेपाल की यात्रा की। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने आपसी सहयोग तथा व्यापार को बढ़ावा देने पर बल दिया। इससे दोनों देशों के आपसी संबंधों में और सुधार हुआ।

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1995 में नेपाली प्रधानमंत्री की भारत यात्रा ( Visit of Nepalese Prime Minister to India in 1995 )

10 अप्रैल ,1995 को नेपाल के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन अधिकारी भारत की यात्रा पर आए। उन्होंने भारत तथा नेपाल के बीच सन 1950 में हुई मित्रता की संधि पर पुनर्विचार करने तथा उसमें कुछ परिवर्तन करने की बात कही । उन्होंने भारतीय नेताओं को इस बात का विश्वास दिलाया कि वह किसी भी स्थिति में पाकिस्तानी तथा कश्मीरी आतंकवादियों को नेपाल की भूमि से भारत के विरुद्ध कुछ नहीं करने देंगे।

उन्होंने भारतीय उद्योगपतियों को नेपाल में उद्योग लगाने के लिए आमंत्रित किया। भारत के साथ उन्होंने ‘खुला व्यापार ‘ ( Free Trade ) की नीति का भी समर्थन किया।

नेपाल के प्रधानमंत्री ने भारत तथा नेपाल के बीच लोगों के आने-जाने पर कुछ पाबंदी लगाने की बात की। उनका कहना था कि नेपाल जैसा छोटा देश, जिसकी कुल आबादी 2 करोड़ है , भारत जैसे विशाल देश के अधिक लोगों को नेपाल में आने की आज्ञा नहीं दे सकता । इस कारण उन्होंने दोनों देशों के बीच आने जाने के लिए लोगों के लिए पासपोर्ट आदि लेने की बात की ।

नेपाल के प्रधानमंत्री ने भारत को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाने का भी समर्थन किया। नेपाल के प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान भारत ने नेपाल को कई रियायतें देने का निर्णय लिया।

भारत में नेपाल द्वारा अपने माल को बाहर भेजने के लिए कांडला तथा मुंबई की बंदरगाहों को भी खोलने का निर्णय लिया। दोनों देशों ने 1995-96 में कई परियोजनाएं आरंभ करने का भी निर्णय लिया। दोनों देशों द्वारा 1992 में भारत के प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा के बाद आरंभ की गई परियोजनाओं की उन्नति के बारे में संतोष प्रकट किया गया।

दोनों देशों के बीच मतभेद का मुख्य कारण जल के स्रोत, मुख्य रूप से, टनकपुर हाइडल परियोजना है। इस संबंध में दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपनी बातचीत चालू रखने का निर्णय लिया।

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1996 में नेपाली प्रधानमंत्री की भारत यात्रा ( Visit of Nepalese Prime Minister to India in 1996 )

12 फरवरी 1996 को नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत की 1 सप्ताह की यात्रा पर नई दिल्ली आए। इस अवसर पर दोनों देशों के बीच कई आर्थिक समझौते हुए और नेपाल ने भारत को यह आश्वासन दिया कि वह अपने देश को भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र नहीं बनने देगा।

इससे कुछ समय पहले 26 जनवरी 1996 को भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा पर गए थे। 29 जनवरी को दोनों देशों के बीच महाकाली नदी बेसिन विकास परियोजना ‘ निर्माण संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते की मुख्य शर्ते निम्नलिखित थी –

निर्माण संबंधी समझौतों की मुख्य शर्ते ( Main terms of construction agreements )

1 . महाकाली नदी को सीमा नदी माना गया। इस नदी के पानी का दोनों देशों द्वारा बराबर बराबर प्रयोग किया जाएगा।

2 . शारदा तथा टनकपुर बैराज एवं पंचेश्वर बहु-उद्देशीय परियोजना सहित महाकाली नदी का समन्वित विकास किया जाएगा जिससे बिजली क्षमता बढ़े।

3 . परियोजना की लागत दोनों देशों द्वारा उस अनुपात में वहन की जाएगी जिस अनुपात में उन्हें इस नदी का पानी मिलेगा।

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1997 में भारतीय प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा ( Visit of Indian Prime Minister to Nepal in 1997 )

भारत के प्रधानमंत्री श्री इंद्र कुमार गुजराल 5 जून 1997 को नेपाल की यात्रा पर गए। इस यात्रा के दौरान भारत तथा नेपाल ने आपस में विद्युत समझौता करके आपसी संबंधों को एक नया मोड़ दिया। इस समझौते के अनुसार नेपाल में जल विद्युत परियोजनाओं के विकास में अब निजी क्षेत्र की भी भागीदारी हो सकेगी। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच नागरिक उद्यान के समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए जिसके अनुसार यह निर्णय लिया गया कि दोनों देश अपने विमानों में 50% अतिरिक्त सीटें बढ़ाएंगे।

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच नागरिक उड्डयन ( Civil Aviation ) के समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए जिसके अनुसार यह निर्णय लिया गया कि दोनों देश अपने विमानों में 50% अतिरिक्त सीटें बढ़ाएंगे।

पारगमन सन्धि 1999 ( Pargawon Pact ,1999 )

पारगमन सन्धि -5 जनवरी 1999 को भारत के वाणिज्य मंत्री रामकृष्ण हेगड़े ने भारत और नेपाल के मध्य 7 और वर्षों के लिए पारगमन संधि पर काठमांडू नेपाल में हस्ताक्षर किए। इस संधि के अनुसार नेपाल दोनों देशों की सीमा पर 15 स्थानों से निर्बाध रूप से भारतीय बंदरगाहों तक पहुंच सकता है।

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जनवरी 1999 ,नेपाल नरेश की भारत यात्रा ( January 1999 Visit of Nepal King to India )

भारत के निमंत्रण पर नेपाल नरेश महाराजा वीरेंद्र विक्रम शाह भारत के गणतंत्र की 50 वीं वर्षगांठ पर मुख्य अतिथि के रूप में 25 जनवरी 1999 को भारत आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने व्यापार एवं भारत में निवेश बढ़ाने के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

सन 2000 ,नेपाली प्रधानमंत्री की भारत यात्रा ( 31 July 2000 visit of Nepalese Prime Minister to India )

31 जुलाई सन 2000 को नेपाल के प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला चार दिवसीय यात्रा पर भारत आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य मुख्य विषयों पर सहयोग हेतु सहमति हुई , जिनमें प्रमुख हैं – आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने में आपसी सहयोग करना, दोनों देशों की सीमा- चौकियों पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाना , भारत की नेपाल आयात होने वाले सामान पर आयात शुल्क में कमी करने की सहमति, भारत में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों की फीस में कमी करने की भारत की सहमति तथा नेपाल स्थित पाकिस्तानी दूतावास का प्रयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए ना होने देने का नेपाल के प्रधानमंत्री का आश्वासन आदि।

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2001 भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह की नेपाल यात्रा ( Foreign Minister’s visit to Nepal )

नेपाल के साथ द्विपक्षीय bilateral संबंधों में प्रगाढ़ता लाने के उद्देश्य से भारतीय विदेश एवं रक्षा मंत्री जसवंत सिंह ने 17 से 19 अगस्त ,2001 तक नेपाल की यात्रा की। नेपाल के पूर्व नरेश वीरेंद्र विक्रम शाह , महारानी ऐश्वर्या व राजपरिवार के अन्य सदस्यों की 1 जून ,2001 को हुई हत्या के पश्चात नेपाली नेतृत्व के साथ यह पहला उच्चस्तरीय राजनीतिक संपर्क था। अपनी यात्रा के दौरान विदेशमंत्री ने नेपाली नेताओं के साथ बातचीत के दौरान ही स्पष्ट किया कि भारत इस हिमालयी देश के साथ हर संभव सहयोग बढ़ाने को तैयार है।

भारत -नेपाल के बीच सचिव स्तरीय बैठक ,2002 ( India-Nepal secretary level meeting )

फरवरी ,2002 में भारत-नेपाल के बीच हुई सचिव स्तरीय वार्ता में आतंकवादी गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की गई और नेपाल सचिव ने भारत को आश्वासन दिया कि उनका देश नेपाल से भारत में होने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण करेगा। इस प्रकार दोनों देशों ने इस गंभीर समस्या पर पारस्परिक सहयोग पर बल दिया।

भारत -नेपाल व्यापार संधि का नवीनीकरण ,2002 ( Renewal of India-Nepal Trade Treaty )

भारत एवं नेपाल में परस्पर व्यापार संबंधी संधि का नवीनीकरण करते हुए आगामी 5 वर्षों के लिए पुनः पारस्परिक विश्वास एवं सहयोग पर बल दिया।

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नेपाल नरेश की भारत यात्रा ,2002 ( Visit of King of Nepal to India ,2002 )

23 जून ,2002 को नेपाल नरेश वीर विक्रम शाह देव ,महारानी कोयल, राजकुमारी प्रेरणा एवं 30 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ भारत यात्रा पर आए। भारतीय नेताओं से उनकी बातचीत में नेपाल में चल रहे माओवादी विद्रोह के अतिरिक्त, नेपाल के आर्थिक विकास में भारत की अपेक्षाएं प्रमुख मुद्दे थे।

इस यात्रा के दौरान भारत के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने नेपाल नरेश को आश्वासन दिया कि भारत-नेपाल को कम कीमत पर हेलीकॉप्टर तथा अन्य ऐसे उपकरण देगा, जो आतंकवाद से निपटने के काम आते हैं।

इसके साथ नेपाल ने धागे, तांबे के तार, वनस्पति और जिंक ऑक्साइड इत्यादि पर भारत द्वारा एंटी डंपिंग ड्यूटी हटाने का भी संकेत दिया गया। इसके अतिरिक्त ,भारत ने दोनों देशों के बीच सेवाओं तथा वस्तुओं के आयात को सुगम बनाने के लिए सीमा पार दो और चौकियां स्थापित करने की इच्छा प्रकट प्रकट की।

बस सेवा सम्बन्धी समझौता ,2004 ( Bus Service Agreement, 2004 )

फ़रवरी ,2004 में भारत -नेपाल के बीच विभिन्न 14 मार्गों पर बस सेवा चलाने संबंधी समझौता हुआ। जिससे दोनों देशों के बीच आवागमन एवं विश्वास बहाली को भी बल मिला।

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नेपाल प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा ,2004 ( Nepal Prime Minister’s visit to India,2004 )

8 से 12 सितम्बर ,2004 को नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत की 5 दिवसीय यात्रा पर आए। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान नेपाली प्रधानमंत्री ने अपनी सेना की शक्ति के विस्तार तथा शस्त्रों की खरीदारी के विषय में विचार-विमर्श के साथ-साथ माओवादी संघर्ष से निपटने में भारत सरकार से सहायता की मांग की।

भारत ने भी अपने द्विपक्षीय संबंधों को शक्तिशाली बनाने और नेपाल सरकार की हर संभव सहायता देने का विश्वास दिलाया, लेकिन 1 फरवरी 2005 को नेपाल नरेश ने नेपाल में आपातकाल की घोषणा कर दी जिससे नेपाल की लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था समाप्त हो गई। यद्यपि ऐसी स्थिति के पश्चात भी भारत निरंतर नेपाल की स्थिति पर निगरानी रखते हुए लोकतांत्रिक स्थिति की बहाली का समर्थक बना हुआ है।

इसके अतिरिक्त भारत ने माओवादी विद्रोहियों से निपटने के लिए दी जा रही सैन्य सहायता को भी रोक दिया और नेपाल के अलोकतांत्रिक कदम का विरोध करते हुए शार्क के 6-7 फरवरी 2005 के प्रस्तावित ढाका शिखर सम्मेलन में भी भाग लेने से मना कर दिया।

जकार्ता में नेपाल नरेश एवं भारतीय प्रधानमन्त्री की वार्ता ( Nepal King and Indian Prime Minister talks in Jakarta,2005 )

अप्रैल 2005 में जकार्ता में एशिया अफ्रीका शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए गए नेपाली नरेश ज्ञानेंद्र एवं भारतीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के बीच हुई वार्ता के बाद भारतीय दृष्टिकोण में परिवर्तन हुआ, क्योंकि नेपाल नरेश के द्वारा आपातकाल को समाप्त करने व लोकतांत्रिक प्रक्रिया के चरणों को प्रारंभ करने का भी आश्वासन दिया।

फलस्वरुप भारत ने नेपाल को शस्त्रों की आपूर्ति करने की पुनः घोषणा कर दी। यद्यपि बाद में 30 अप्रैल 2005 को नेपाल नरेश के द्वारा आपातकाल की समाप्त करने की घोषणा भी कर दी। भारत भी नेपाल में लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना का समर्थक रहा है। नेपाल नरेश के इस क्षेत्र में दिए गए संकेतों से दोनों देशों के बीच पुनः विश्वास बहाली की स्थिति बनी।

अतः दोनों देशों के बीच पारस्परिक सहयोग की भावना जहां दोनों देशों के लिए आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से उपयोगी है ,वहां अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रभावी भूमिका निभाने में भी उपयोगी सिद्ध होगी।

नेपाल-भारत में वर्तमान सम्बन्ध ( Current relations in Nepal-India )

नेपाल के वर्तमान प्रधानमंत्री केपी ओली ने प्रधानमंत्री पद संभाल न कर सबसे पहले भारत का दौरा किया। उनके इस दौरे से दोनों देशों के बीच संबंध और भी मजबूत हुए हैं। जब 2015 में नेपाल में भूकंप आया था तब भारत ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए भारत से राहत सामग्री एवं एनडीआरएफ के जवान सहायता के लिए भेजे थे इसी तरह भारत हर समय नेपाल की सहायता करता रहा है।

नेपाल में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं इनमें व्यवसायी,व्यापारी ,डॉक्टर ,इंजीनियर और मजदूर शामिल है। नेपाल संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है जो भूकंप और बाढ़ से ग्रस्त है जिससे जीवन और धन दोनों को भारी नुकसान होता है, जिससे यह भारत की मानवीय सहायता का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना रहता है।

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FAQ Checklist

नेपाल तथा भारत में सम्बन्ध कैसा हैं ?

नेपाल एक छोटा सा पहाड़ी देश है जो चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है। नेपाल विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जो हिंदू राज्य कहलाता है। भारत में भी अधिकांश लोग हिंदू धर्म को मानते हैं। अतः दोनों देशों के आपसी संबंध बहुत पुराने तथा घनिष्ट है।

भारत तथा नेपाल के बीच में 1950 की संधि क्या थी ?

भारत तथा नेपाल के बीच में 1950 की संधि -शताब्दियों से भारत और नेपाल के बीच राजनीतिक ,धार्मिक ,सांस्कृतिक तथा आर्थिक संबंध बने हुए हैं। सन 1950 में दोनों देशों के बीच कुछ सन्धियाँ हुईं, जिनके अनुसार भारत ने नेपाल की बहुत सी सिंचाई योजनाओं ,हवाई अड्डों व बिजली घरों के निर्माण में सहयोग प्रदान किया।

सन 1950 से 1960 तक की अवधि में नेपाल और भारत का सम्बन्ध कैसा रहा ?

सन 1950 से 1960 तक की अवधि में दोनों देशों के संबंध घनिष्ठ रहे हैं। कश्मीर के मामले पर नेपाल ने भारत का समर्थन किया। भारत ने नेपाल को आवागमन के साधनों के विकास और सिंचाई योजनाओं के लिए काफी आर्थिक सहायता दी। नेपाल की सरकार ने स्वयं भी इस तथ्य को स्वीकार किया था कि इस काल में नेपाल को जो विदेशी सहायता प्राप्त हुई थी उसमें अमेरिका तथा सोवियत संघ के बाद भारत का स्थान था।

1960 में भारत और नेपाल के देशों के बीच तनाव क्यों उत्पन्न हुआ ?

1960 में दोनों देशों के बीच तनाव उत्पन्न हुआ – सन 1960 में दोनों देशों के बीच कुछ तनाव उत्पन्न हुआ। उस वर्ष नेपाल की सरकार ने संसद को भंग करके अनेक राजनीतिक नेताओं को बंदी बना लिया। भारत ने इसका विरोध किया और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा नेपाल में लोकतंत्र समाप्त हो गया है।

सन 1983 से 1989 के बीच भारत और नेपाल देशों की यात्राएं हुई उसके बारे बताएं।

सन 1983 में नेपाल के प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा की और सन 1986 में भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह नेपाल गए। उन्होंने नेपाल को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। परंतु नेपाल के असहयोगी व्यवहार के कारण भारत-नेपाल व्यापार एवं माल आवागमन संधि के 23 मार्च , 1989 को समाप्त होने तथा संधि के नवीनीकरण न होने के कारण दोनों देशों के संबंध कुछ बिगड़ गए, परंतु अब नेपाल में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित हो जाने के कारण दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की काफी आशा बंधी है।

भारत -नेपाल की महाकाली नदी बेसिन विकास परियोजना ‘ निर्माण संबंधी समझौतों की मुख्य शर्ते क्या थी ?

29 जनवरी 1996 को दोनों देशों के बीच महाकाली नदी बेसिन विकास परियोजना ‘ निर्माण संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
निर्माण संबंधी समझौतों की मुख्य शर्ते इस प्रकार हैं –
1 . महाकाली नदी को सीमा नदी माना गया। इस नदी के पानी का दोनों देशों द्वारा बराबर बराबर प्रयोग किया जाएगा।
2 . शारदा तथा टनकपुर बैराज एवं पंचेश्वर बहु-उद्देशीय परियोजना सहित महाकाली नदी का समन्वित विकास किया जाएगा जिससे बिजली क्षमता बढ़े।
3 . परियोजना की लागत दोनों देशों द्वारा उस अनुपात में वहन की जाएगी जिस अनुपात में उन्हें इस नदी का पानी मिलेगा।

भारत-नेपाल की महाकाली नदी बेसिन विकास परियोजना ‘ निर्माण संबंधी समझौता कब हुई ?

29 जनवरी 1996 को दोनों देशों के बीच महाकाली नदी बेसिन विकास परियोजना ‘ निर्माण संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

भारत और नेपाल के मध्य पारगमन सन्धि कब और क्यों हुई ?

पारगमन सन्धि -5 जनवरी 1999 को भारत के वाणिज्य मंत्री रामकृष्ण हेगड़े ने भारत और नेपाल के मध्य 7 और वर्षों के लिए पारगमन संधि पर काठमांडू नेपाल में हस्ताक्षर किए। इस संधि के अनुसार नेपाल दोनों देशों की सीमा पर 15 स्थानों से निर्बाध रूप से भारतीय बंदरगाहों तक पहुंच सकता है।

भारत-नेपाल के बीच बस संबंधी समझौता क्या हैं और कब हुई ?

फ़रवरी ,2004 में भारत -नेपाल के बीच विभिन्न 14 मार्गों पर बस सेवा चलाने संबंधी समझौता हुआ। जिससे दोनों देशों के बीच आवागमन एवं विश्वास बहाली को भी बल मिला।

क्या नेपाल भारत का हिस्सा था ?

नेपाल को देवघर कहा जाता है। यह भी कभी अखंड भारत का हिस्सा हुआ करता था। भगवान श्रीराम की पत्नी सीता का जन्म स्थल मिथिला नेपाल में है। नेपाल के जनकपुर में सीता जन्म स्थल पर सीता माता का विशाल मंदिर भी बना हुआ है।

भारत और नेपाल के बीच हस्ताक्षरित दो समझौते कौन से हैं?

नेपाल और भारत ने द्विपक्षीय पारगमन संधि, व्यापार संधि और अनधिकृत व्यापार को नियंत्रित करने के लिए सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

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