Personnel Administration Scope- कार्मिक प्रशासन का क्षेत्र

Personnel Administration: कार्मिक प्रशासन का क्षेत्र

कार्मिक प्रशासन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन

Personnel Administration कार्मिक प्रशासन ,प्रशासन का वह अंग है जिसका संबंध कार्य कर रहे व्यक्तियों और संगठन में उनके संबंधों के साथ है। इसका अभिप्राय मानव संसाधनों के संपूर्ण सांगठनिक अन्तरसम्बंधों से है, जो की भर्ती की गतिविधि से लेकर सेवा मुक्ति की प्रक्रिया तक चलती है।

Table of Contents विषय सूची

कार्मिक प्रशासन की परिभाषा,अर्थ, क्षेत्र ( Personnel Administration Meaning ,Definitions ,Scope in Hindi )

अच्छे कार्मिक प्रणाली में कर्मचारी सहयोग व समन्वय के साथ एक समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अपनी गतिविधियां निर्देशित करते हैं। कार्मिक प्रशासन प्रणालीबद्ध है और विशिष्ट ज्ञान है। यह एक ऐसी तकनीक है जिससे कर्मचारियों द्वारा उत्कृष्ट कार्य प्रणाली की प्राप्ति में संगठन को सहायता मिलती है।

कार्मिक प्रशासन की परिभाषा ( Definitions of Personnel Administration in Hindi )

डिमॉक के अनुसार ,- लोक कार्मिक प्रशासन वह स्टाफ कार्य है जो कि कर्मचारियों की भर्ती स्थापना, उत्प्रेरण और प्रशिक्षण के मामलों के संबंध में कार्यक्रम प्रबंधक के कार्य में सलाह देता है और तीव्रता लाता है ताकि सेवाओं के मनोबल और प्रभावशीलता में सुधार हो सके ।

कार्मिक प्रशासन का अर्थ ( Meaning of Personnel Administration in Hindi )

प्रशासन सभी मानवीय मामलों के केंद्र में होता है । इसके प्रमुख तत्व है नीति का निर्माण करना तथा उसे लागू करना ताकि निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति अधिकतम स्तर तक हो सके।

कार्मिक शब्द का अर्थ स्टाफ ,कर्मचारियों ,अधिकारियों या सेवकों का वह समूह है जो संगठन में विभिन्न पदों पर कार्यरत होते हैं या यह कहा जा सकता है कि यह उन कर्मचारियों को दिया गया सामूहिक नाम है जो संगठन में विभिन्न पदों को भरते हैं।

कार्मिक प्रशासन दो शब्दों से मिलकर बना है। कार्मिक का अर्थ है -स्टाफ और प्रशासन का अर्थ है – संगठन अथवा कार्यलय या दफ्तर जहां स्टाफ मिलकर कार्य करते हैं । प्रशासन वह होता हैं जहां सरकार के कार्य किये जाते हैं अर्थात नीति निर्माण ,नियम लागू करना ।

यह भी पढ़े –

कार्मिक प्रशासन का क्षेत्र ( Scope of Personnel Administration in Hindi )

कार्मिक प्रशासन में संगठन में व्यक्तियों के प्रबंध के सभी पहलुओं आ जाते हैं। कार्मिकों की संख्या और उनकी जटिलता में वृद्धि के कारण कार्मिक प्रशासन का क्षेत्र और अधिक विविधता पूर्ण हो रहा है। कार्मिक प्रशासन का क्षेत्र निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है –

कार्मिक कार्य ( Personnel Functions )

कार्मिक कार्य Personnel Functions – विभिन्न पदों के लिए विविध संख्या में आवश्यक जनशक्ति निरंतर प्रदान करने के लिए योजना बनाना और प्रदान करना, सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्य है। कार्मिक प्रशासन को विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना होता है जैसे ,भर्ती ,प्रशिक्षण, पदोन्नति ,सेवा-स्थितियां, कर्मचारी कल्याण नियोक्ता -कर्मचारी संबंध इत्यादि।

कार्मिकों की कुशलता बढ़ाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में मनोबल और उत्प्रेरण की ओर काफी ध्यान आकर्षित हुआ है। इसी प्रकार अच्छे कार्य संबंध बनाने और बनाए रखने के लिए कर्मचारियों को भी निरंतर प्रयास करने पड़ते हैं।

कार्मिक प्रशासन विभागों को सांगठनिक कार्यों को गतिविधियों में विभाजित करके तथा प्रत्येक पद की सत्ता एवं उत्तरदायित्व और अन्य पदों के साथ उसके संबंध को स्पष्ट रूप से परिभाषित कर के संगठन के सभी सदस्यों के बीच एक प्रभावशाली कार्य संबंध बनाना चाहिए ।

वातावर्णिक सम्बन्ध ( Environmental Linkages )

वातावर्णिक सम्बन्ध Environmental Linkages – कार्मिक प्रशासन को अपने आप को प्रभावशाली तथा कार्यकुशल बनाने के लिए आन्तरिक और बाहरी वातावरण से सम्बन्ध विकसित करने होते हैं । इस संदर्भ में राजनैतिक स्तर के साथ सम्बन्ध बनाना सर्वाधिक आवश्यक हैं ,क्योंकि इसके निर्देशन के बिना कार्मिक प्रशासन कार्य नहीं कर सकता ।

यह भी पढ़े –

कार्मिक संघ ( Personnel Association/Union )

कार्मिक संघ Personnel Association/Union – पिछले कुछ दशकों में सरकारी कर्मचारियों में मजदूर संघ का प्रचलन काफी बड़ा है। अब नियोक्ता और मजदूर दोनों के संघ बनने लगे है। कर्मचारी अपनी शिकायतें दूर करवाने के लिए संघ बनाते हैं। इनमें से अधिकतर संघ कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त होते हैं। इसलिए कार्मिक प्रशासन में इनके महत्व को समझने की आवश्यकता है।

अब कार्मिक आवश्यकताओं और समस्याओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए विशिष्ट योग्यताओं की बहुत अधिक आवश्यकता है ताकि उनकी संतुष्टि के लिए योजना बनाई जा सके। इस सब के लिए प्रणालीबद्ध कार्मिक प्रशासन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार कार्मिक प्रशासन का क्षेत्र विस्तृत और विविधतापूर्ण है।

संवैधानिक प्रावधान तथा कार्यपालक आदेश ( Constitutional Provisions and Executive Orders )

कार्मिक प्रशासन को संवैधानिक प्रावधानों तथा कार्यकलाप आदेशों के अनुरूप कार्य करना होता है। इसलिए कार्मिक मामलों और समस्याओं से निपटने के लिए संवैधानिक प्रावधानों को समझना आवश्यक होता है ताकि अधिकारियों के क्षेत्र व सीमाओं को समझा जा सके।

विभिन्न कार्मिक मामलों को देखने के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था है कोमल लेकिन कार्मिक प्रशासन के संदर्भ में न्यायपालिका की भूमिका समझने की भी आवश्यकता है। कार्य को सही रूप से नियमित करने के लिए जनशक्ति को अनुशासन में रखने की आवश्यकता है।

यह भी पढ़े –

संसदीय संस्थाओं की भूमिका ( Role of Parliamentary Institutions )

संसदीय संस्थाओं की भूमिका Role of Parliamentary Institutions – कार्मिक प्रशासन और लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के बीच संबंध समझने के लिए ओम्बुड्समैन Ombudsmen संसदीय आयोग, लोकपाल ,लोकायुक्त जैसी संसदीय संस्थाओं की भूमिका का अध्ययन करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, इसका अर्थ ,मंत्रियों और वैधानिक समितियों के माध्यम से कार्मिकों के विधान पालिका के प्रति उत्तरदायित्व का अध्ययन करना भी है।

नियोक्ता कर्मचारी सम्बन्ध ( Employer -Employee Relations )

नियोक्ता कर्मचारी सम्बन्ध Employer -Employee Relations – कार्मिक प्रशासन के कुछ अन्य अतिरिक्त उत्तरदायित्व भी है जैसे संयुक्त परामर्श तंत्र का प्रावधान करना, न्याय के लिए लोक सेवा अधिकतम स्थापित करना ,कर्मचारियों के लिए कल्याणकारी कदम उठाना और उन्हें सेवानिवृत्ति के लाभ आदि की व्यवस्था करना।

आधुनिक प्रबंधकीय कार्य ( Modern Managment Functions )

आधुनिक प्रबंधकीय कार्य Modern Managment Functions – कार्मिक प्रशासन को प्रबंध व प्रशासन के क्षेत्र में होने वाले नवीनतम परिवर्तनों के बारे में जानकारी रखनी पड़ती है और कर्मचारियों की निपुणता को सुधारने के लिए इसका प्रयोग करना पड़ता है।

जैसे जैसे संगठन के कार्य बढ़ती है वैसे-वैसे कार्मिक प्रशासन के उत्तरदायित्व भी बढ़ती जाती हैं। तंत्र जितना बड़ा होगा जटिलताएं उतनी ही अधिक होगी। जैसे भारत की सरकार मंत्रालयों, विभागों ,संभागों और इकाइयों में विभाजित है।

यही कार्मिक प्रशासन के प्रमुख क्षेत्र है लेकिन इनमें संस्था और देश के अनुसार विविधताए हो सकती हैं। इस प्रकार कानून प्रशासन के क्षेत्र और विस्तृत हो रहा है।

यह भी पढ़े –

FAQ Checklist

कार्मिक प्रशासन का क्षेत्र क्या है ?

कार्मिक प्रशासन का क्षेत्र निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है –
1. कार्मिक कार्य 2.आधुनिक प्रबंधकीय कार्य 3.नियोक्ता-कर्मचारी संबंध 4.कार्मिक संघ

कार्मिक कार्य कौन से होते हैं ?

कार्मिक कार्य Personnel Functions – विभिन्न पदों के लिए विविध संख्या में आवश्यक जनशक्ति निरंतर प्रदान करने के लिए योजना बनाना और प्रदान करना, सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्य है। कार्मिक प्रशासन को विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना होता है जैसे ,भर्ती ,प्रशिक्षण, पदोन्नति ,सेवा-स्थितियां, कर्मचारी कल्याण नियोक्ता -कर्मचारी संबंध इत्यादि।

कार्मिक प्रशासन का वातावर्णिक सम्बन्ध क्यों जरूरी हैं ?

वातावर्णिक सम्बन्ध Environmental Linkages – कार्मिक प्रशासन को अपने आप को प्रभावशाली तथा कार्यकुशल बनाने के लिए आन्तरिक और बाहरी वातावरण से सम्बन्ध विकसित करने होते हैं । इस संदर्भ में राजनैतिक स्तर के साथ सम्बन्ध बनाना सर्वाधिक आवश्यक हैं ,क्योंकि इसके निर्देशन के बिना कार्मिक प्रशासन कार्य नहीं कर सकता ।

कार्मिक संघ से क्या तात्पर्य हैं ?

कार्मिक संघ Personnel Association/Union – पिछले कुछ दशकों में सरकारी कर्मचारियों में मजदूर संघ का प्रचलन काफी बड़ा है। अब नियोक्ता और मजदूर दोनों के संघ बनने लगे है। कर्मचारी अपनी शिकायतें दूर करवाने के लिए संघ बनाते हैं। इनमें से अधिकतर संघ कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त होते हैं। इसलिए कार्मिक प्रशासन में इनके महत्व को समझने की आवश्यकता है।

कार्मिक प्रशासन में संवैधानिक प्रावधानों को समझना क्यों जरूरी हैं ?

कार्मिक प्रशासन को संवैधानिक प्रावधानों तथा कार्यकलाप आदेशों के अनुरूप कार्य करना होता है। इसलिए कार्मिक मामलों और समस्याओं से निपटने के लिए संवैधानिक प्रावधानों को समझना आवश्यक होता है ताकि अधिकारियों के क्षेत्र व सीमाओं को समझा जा सके।

कार्मिक प्रशासन में संसदीय संस्थाओं का अध्ययन क्यों जरूरी हैं ?

संसदीय संस्थाओं की भूमिका -कार्मिक प्रशासन और लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के बीच संबंध समझने के लिए ओम्बुड्समैन Ombudsmen संसदीय आयोग, लोकपाल ,लोकायुक्त जैसी संसदीय संस्थाओं की भूमिका का अध्ययन करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, इसका अर्थ ,मंत्रियों और वैधानिक समितियों के माध्यम से कार्मिकों के विधान पालिका के प्रति उत्तरदायित्व का अध्ययन करना भी है।

आधुनिक प्रबंधकीय कार्य कार्मिक प्रशासन में क्यों जरूरी हैं ?

आधुनिक प्रबंधकीय कार्य Modern Managment Functions – कार्मिक प्रशासन को प्रबंध व प्रशासन के क्षेत्र में होने वाले नवीनतम परिवर्तनों के बारे में जानकारी रखनी पड़ती है और कर्मचारियों की निपुणता को सुधारने के लिए इसका प्रयोग करना पड़ता है।

और पढ़ें –