Various Pressure दबाव -समूह -आधुनिक लोकतंत्रीय शासन -प्रणाली ने जहां राजनीतिक दलों के विकास में सहायता की है वही वहाँ उसने अनेक दबाव -समूहों को भी जन्म दिया है । आज लगभग सभी देशों में हित-समूह और दबाव -समूह पाया जाता हैं । यह संगठन प्रायः एक व्यवसाय के लोगों का एक गुट होता हैं जो अपने सदस्यों के हितों की रक्षा के लिए सरकार की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयत्न करता रहता है । आइये विभिन्न दबाव -समूहों के नाम विस्तार से जानते है –
Table of Contents विषय सूची
दबाव समूह का परिचय ( Pressure Groups in Hindi )
Pressure Groups in Hindi दबाव -समूह सभी विकासशील और विकसित देशों में कार्यरत हैं । जब समान हित वाले समूह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार से सहायता चाहने लगता हैं और विधानमंडल के सदस्यों को इस रूप में प्रभावित करने का प्रयत्न करने लगता हैं कि सामान्य कानूनों का निर्माण अथवा उनमें संशोधन करते समय उनके हितों को ध्यान में रखा जाए तो वह दबाव -समूह का रूप धारण कर लेता है ।
दबाव -समूह Pressure Groups सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करने वाले निजी समुदाय हैं । इन समूहों का उद्देश्य सरकार को प्रभावित करके अपने हितों को बनाये रखना होता हैं । समान हित ही दबाव संगठन का मूलाधार है । दबाव समूह राजनीतिक संगठन नहीं होते बल्कि ये गैर राजनीतिक स्वरूप के होते है ।
दबाव समूह दो प्रकार की होती हैं । एक है सामुदायिक समूह Communal Groups और दूसरा संघात्मक समूह Associational Groups ।
भारत में विभिन्न दबाव -समूह ( Various Pressure Groups in India )
भारत में वर्तमान समय मे निम्नलिखित दबाव -समूह कार्यरत हैं –
विशेष हित -समूह ( Special Interest Groups )
विशेष हित -समूह Special Interest Groups-भारत में इस श्रेणी के हित – समूहों का उदय पश्चिम के देशों के आधार पर हुआ है और इनकी संख्या बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही हैं । इनमें से कोई संगठन किसी न किसी राजनीतिक दल से संबंधित हैं । इनमें से मुख्य हित – समूह निम्नलिखित हैं –
यह भी पढ़ें –
- Definition Of Pressure Groups : दबाव समूह की 5 परिभाषाएं
- Pressure Groups: दबाव समूहों के कार्य , महत्व एवं उपयोगिता
- Pressure Groups: दबाव समूहों के दोष या आलोचना
मजदूर संघ ( Labour Unions in Hindi )
मजदूर संघ Labour Unions-भारत में मजदूर संघो का नेतृत्व बुद्धिवादियों के हाथ में है । इनका निर्माण राजनीतिक दलों के नेताओं व्दारा किया गया है । इस कारण इनका देश के प्रमुख राजनीतिक दलों से इतना गहरा संबंध हैं कि इन्हें इनका सहायक संगठन कहा जाता हैं , जैसे सन 1920 में भारत अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस ( All India Trade Union Congress ) का जन्म हुआ । इसके निर्माण में कांग्रेस नेताओं का प्रमुख हाथ रहा है ।
परिणामस्वरूप आज भी प्रमुख मजदूर संघ राजनीतिक दलों के प्रभाव में है । इस समय देश में प्रमुख छह मजदूर संघ हैं – 1) भारत अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस , 2) इण्डियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस , 3 ) हिन्द मजदूर सभा , 4 )भारतीय मजदूर संघ , 5) सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियन , 6 ) यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस ।
अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस पर साम्यवादियों का , भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस पर कांग्रेस का , हिन्द मजदूर सभा पर समाजवादियों का , भारतीय मजदूर संघ पर भारतीय जनता पार्टी का और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस पर वामपंथियों का नियंत्रण है ।
किसान संगठन ( Farmer’s Association in Hindi )
किसान संगठन Farmer’s Association-भारत एक कृषि – प्रधान देश होने के बावजूद भी यहां मजदूर संघों की अपेक्षा कृषक संगठनों का जन्म बाद में हुआ है और आज भी उनका संगठन सक्रिय और शक्तिशाली नहीं है । ये संगठन इतने शक्तिशाली नहीं हुए हैं कि वे सर्वाजनिक नीतियों पर कोई प्रभाव डाल सकें ।आपसी मतभेद के कारण ये संगठन क्षीण तथा शिथिल हैं , जिसके कारण किसानों का अभी तक व्यावसायिक हित – समूह विकसित नहीं हो सका हैं ।
अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना सन 1936 में की गई । अखिल भारतीय किसान सभा के नेता कांग्रेस के सहयोग से संतुष्ट नहीं थे अतः शीघ्र ही इस से संस्था पर साम्यवादियों का नियंत्रण कायम हो गया ।
किसान सभा पर साम्यवादियों का नियंत्रण स्थापित होने के बाद समाजवादियों ने ‘ हिन्द किसान पंचायत ‘ की स्थापना की । मार्क्सवादियों ने ‘यूनाइटेड किसान सभा ‘ की स्थापना की । इसके अतिरिक्त ‘ भारतीय किसान यूनियन ‘ तथा क्रांतिकारी किसान सम्मेलन इत्यादि प्रमुख किसान संगठन हैं ।
यह भी पढ़ें –
- Political Culture: राजनीतिक संस्कृति का अर्थ | परिभाषाएँ
- Political Culture : राजनीतिक संस्कृति की 12 विशेषताएं
विद्यार्थी संघ ( Student’s Union in Hindi )
विद्यार्थी संघ Student’s Union-विद्यार्थी संघ Student’s Union भी सरकार की रीति -नीति को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं । आज विद्यार्थी राजनीतिक क्षेत्र में विशेष दिलचस्पी रखते हैं और राजनीतिक क्रिया – कलाप में सक्रिय सहयोग देते हैं । विद्यार्थी संघ किसी न किसी राजनीतिक दल से संबंधित होते हैं ।
विद्यार्थी संघों की अपनी अपनी पृथक यूनियनें होती हैं , जिनके व्दारा वे अपनी मांगों को पूरा करवाने का प्रयत्न करते रहते हैं । कभी – कभी ये संघ अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए हड़ताल , घेराव , बंद आदि तरीकों को अपनाते हैं । इनमें ‘ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ( All Indian Students Federation ) , प्रगतिशील छात्र संघ ( progressive student Union ) , डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन ( Democratic Students Union ) , तथा ‘ अखिल भारतीय सिक्ख विद्यार्थी फेडरेशन ( All India Sikh Students Federation ) आदि प्रमुख हैं ।
महिला संगठन ( Women’s Union in Hindi )
महिला संगठन Women’s Union-भारत में दबाव – समूहों के अंतर्गत कुछ महिला संगठन भी आते हैं । स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा के लिए महिला संगठन सक्रिय रहे हैं । ‘ अखिल भारतीय महिला सम्मेलन ‘ ( All India Women’s Conference ) सबसे महत्वपूर्ण महिला संगठन हैं । इसका मुख्य उद्देश्य स्त्री – समाज के कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य करना तथा उसकी सामाजिक व कानूनी स्थिति में सुधार लाना हैं ।
यह भी पढ़ें –
- Bureaucracy : नौकरशाही की 18 महत्वपूर्ण विशेषताएँ
- Bureaucracy: नौकरशाही के 10 दोष | दोषों को दूर करने के सुझाव
व्यापारिक समूह (The Business Groups )
व्यापारिक समूह The Business Groups-जहां मुक्त या मिश्रित अर्थ – व्यवस्था होती हैं वहां व्यापारिक समूह बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । इसका कारण यह हैं कि उनके पास काफी वित्तीय साधन होते हैं , जिनके माध्यम से वे अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं । भारत में सन 1830 में एक ‘ व्यापारी संघ ‘ का गठन किया गया था ।
सन 1834 में कलकत्ता वाणिज्य -मंडल की स्थापना की गई , जिनकी सदस्यता केवल अंग्रेज व्यापारियों तक ही सीमित थी । भारतीयों ने अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए सन 1887 में ‘ भारतीय वाणिज्य – मण्डल ‘ ( Indian Chamber of Commerce ) का गठन किया । इस संस्था का कार्य -क्षेत्र केवल बंगाल तक ही सीमित था ।
सन 1907 में बम्बई के व्यापारियों ने इसी प्रकार का एक संगठन बनाया । इसके बाद 1909 में दक्षिण भारत में एक वाणिज्य – मण्डल की स्थापना की गई । भारत के विभिन्न वाणिज्य -मण्डल एक केंद्रीय संगठन व्दारा आपस में जुड़े हुए हैं , जिसे ‘ भारतीय वाणिज्य और उधोग मण्डल संघ ‘ Federation of Indian Chambers of Commerce and Industries ) अर्थात फिक्की ( FICCI ) कहते हैं । इसका प्रधान कार्यालय नई दिल्ली में हैं ।
यह भी पढ़ें –
- Civil Service: असैनिक सेवाओं के 6 मुख्य कार्य
- Civil Services : सिविल सेवाएं परिभाषाएं | वर्गीकरण | लाभ | प्रकार
व्यवसायिक हित -समूह ( Professional Interest Groups )
व्यवसायिक हित -समूह Professional Interest Groups-भारत में व्यवसायिक हित -समूह Professional Interest Groups बड़ी संख्या में पाए जाते हैं । लगभग सभी व्यवसायों से संबंधित लोगों ने अपने -अपने हितों की रक्षा के लिए पृथक – पृथक संगठन स्थापित कर लिए है ।
उदाहरणस्वरूप , इनमें वकीलों की ‘ अखिल भारतीय बार एसोसिएशन ( All India Bar Association ) ,डॉक्टरों की ‘अखिल भारतीय मेडिकल परिषद ‘ ( All India Medical Council ) , रेलवे कर्मचारियों का ‘ अखिल भारतीय रेलवे कर्मचारी संघ ‘ ( All India Railwaymen Association ) , डाक एवं तार विभाग के कर्मचारियों का ‘ अखिल भरतीय पोस्टल एवं टेलीग्राफ कर्मचारी संघ ( All India Postal and Telegraph Workers Union ) , अखिल भारतीय विश्वविद्यालय और कॉलेज अध्यापक संघ ( All India Federation of University and College Teachers ) , अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ( All India Bank Employees Association ) इत्यादि उल्लेखनीय हैं ।
जाति एवं भाषा पर आधारित हित -समूह (Caste and Language Interest Groups )
जाति एवं भाषा पर आधारित हित -समूह Caste and Language Interest Groups-भारत में जाति तथा भाषा पर आधारित दबाव – समूह भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं । इनका उद्देश्य अपनी जाति तथा भाषा को प्रोत्साहन देना है । जाति समूहों में मारवाड़ी एसोसिएशन , वैश्य महासभा , हरिजन सेवक संघ , तमिलनाडु में नादर जाति संघ , बिहार और उड़ीसा में झारखंड व हूल एंग्लो – इंडियन तथा ईसाई संघ के नाम उल्लेखनीय हैं । भाषायी दबाव – समूह के आंदोलनों ने देश की एकता को काफी हानि पहुँचाई ।
यह भी पढ़ें –
- Personnel Administration: कार्मिक प्रशासन महत्व | भूमिका
- Personnel Administration: कार्मिक प्रशासन के विभिन्न प्रकार
गांधीवादी विचारधारा पर आधारित हित -समूह ( Interest Groups Based on Ghandhian Ideology )
गांधीवादी विचारधारा पर आधारित हित -समूह Interest Groups Based on Ghandhian Ideology-भारत में दबाव -समूहों की एक अन्य प्रमुख श्रेणी गांधीवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाली हैं । ये दबाव – समूह गांधी जी के सिद्धांतों एवं आदर्शों पर आधारित हैं । ये समूह किसी विशेष वर्ग के हित के लिए कार्य नहीं करते , बल्कि सबके कल्याण और समृद्धि के लिए कार्य करते हैं । ये समूह अन्य दबाव -समूहों की भांति सरकार पर दबाव नहीं डालते ।
सरकारी कर्मचारियों के दबाव -समूह (Pressure Groups of Government Employees )
सरकारी कर्मचारियों के दबाव -समूह Pressure Groups of Government Employees-सरकारी कर्मचारियों ने अपने हितों की रक्षा के लिए अनेक संघो की स्थापना की हैं । अखिल भारतीय केंद्रीय कर्मचारी यूनियन , रेलवे कर्मचारी यूनियन , डाक – तार कर्मचारी संघ , राज्य स्तरीय कर्मचारी संघ इत्यादि सरकारी कर्मचारियों के मुख्य दबाव – समूह हैं ।
कबायली दबाव -समूह ( Tribal Pressure Groups )
कबायली दबाव -समूह Tribal Pressure Groups-भारत के अनेक पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले कबायली लोगों ने दबाव – समूहों की स्थापना की हैं । इनमें संयुक्त मीजो संघात्मक संगठन ( United Mizo Federal Organization ) , नागा -राष्ट्रीय परिषद ( Naga National Council ) , आसाम का कबायली संघ ( Tribal Sangh of Assam ) , आसाम की कबायली लीग ( Tribal League of Assam ), आदि उल्लेखनीय हैं ।
यह भी पढ़ें –
- Personnel Administration : कार्मिक प्रशासन के मौलिक सिद्धांत
- Personnel Administration : कार्मिक प्रशासन के कार्य
जन -कल्याण व जनसेवा संबंधित समुदाय ( Welfare Societies and Services Groups )
जन -कल्याण व जनसेवा संबंधित समुदाय Welfare Societies and Services Groups-ऐसे समूह किसी खास वर्ग , जाति या मजहब से संबंध नहीं रखते । वे किन्ही सिद्धान्तों , आदर्शों या जीवन – मूल्यों के लिए प्रयत्नशील हैं । भारत में छुआछूत , बाल – विवाह , दहेज -प्रथा और बच्चों की बलि देने जैसी कुप्रथाएँ विधमान रही हैं ।
भारत में दबाव – समूहों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं । उदाहरण के लिए , आज भारत में केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है , अधिकांश शक्तियां केंद्रीय सरकार के हाथों में केंद्रित होती जा रही हैं । दबाव – समूह अपने साधनों व्दारा सरकार की निरंकुशता को रोकते हैं , ताकि वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न कर सके ।
FAQ Checklist
दबाव -समूह कैसे बनते हैं ?
दबाव -समूह सभी विकासशील और विकसित देशों में कार्यरत हैं । जब समान हित वाले समूह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार से सहायता चाहने लगता हैं और विधानमंडल के सदस्यों को इस रूप में प्रभावित करने का प्रयत्न करने लगता हैं कि सामान्य कानूनों का निर्माण अथवा उनमें संशोधन करते समय उनके हितों को ध्यान में रखा जाए तो वह दबाव -समूह का रूप धारण कर लेता है ।
दबाव-समूह क्या होती हैं ?
दबाव -समूह Pressure Groups सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करने वाले निजी समुदाय हैं । इन समूहों का उद्देश्य सरकार को प्रभावित करके अपने हितों को बनाये रखना होता हैं । समान हित ही दबाव संगठन का मूलाधार है । दबाव समूह राजनीतिक संगठन नहीं होते बल्कि ये गैर राजनीतिक स्वरूप के होते है ।
दबाव-समूह के प्रकार बताएं।
दबाव समूह दो प्रकार की होती हैं । एक है सामुदायिक समूह Communal Groups और दूसरा संघात्मक समूह Associational Groups ।
भारत में विभिन्न दबाव -समूहों के नाम बताएं।
भारत में विभिन्न दबाव-समूह-मजदूर संघ,किसान संगठन,विद्यार्थी संघ,महिला संगठन ,व्यापारिक समूह
विशेष हित-समूह क्या हैं ?
विशेष हित -समूह -भारत में इस श्रेणी के हित – समूहों का उदय पश्चिम के देशों के आधार पर हुआ है और इनकी संख्या बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही हैं । इनमें से कोई संगठन किसी न किसी राजनीतिक दल से संबंधित हैं ।
मजदूर संघ से क्या तात्पर्य हैं ?
मजदूर संघ -भारत में मजदूर संघो का नेतृत्व बुद्धिवादियों के हाथ में है । इनका निर्माण राजनीतिक दलों के नेताओं व्दारा किया गया है । इस कारण इनका देश के प्रमुख राजनीतिक दलों से इतना गहरा संबंध हैं कि इन्हें इनका सहायक संगठन कहा जाता हैं , जैसे सन 1920 में भारत अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस ( All India Trade Union Congress ) का जन्म हुआ । इसके निर्माण में कांग्रेस नेताओं का प्रमुख हाथ रहा है ।
किसान संगठन क्या हैं ?
किसान संगठन Farmer’s Association-भारत एक कृषि – प्रधान देश होने के बावजूद भी यहां मजदूर संघों की अपेक्षा कृषक संगठनों का जन्म बाद में हुआ है और आज भी उनका संगठन सक्रिय और शक्तिशाली नहीं है । ये संगठन इतने शक्तिशाली नहीं हुए हैं कि वे सर्वाजनिक नीतियों पर कोई प्रभाव डाल सकें । आपसी मतभेद के कारण ये संगठन क्षीण तथा शिथिल हैं , जिसके कारण किसानों का अभी तक व्यावसायिक हित – समूह विकसित नहीं हो सका हैं ।
विद्यार्थी संघ से क्या तात्पर्य हैं ?
विद्यार्थी संघ Student’s Union- सरकार की रीति -नीति को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं । आज विद्यार्थी राजनीतिक क्षेत्र में विशेष दिलचस्पी रखते हैं और राजनीतिक क्रिया – कलाप में सक्रिय सहयोग देते हैं । विद्यार्थी संघ किसी न किसी राजनीतिक दल से संबंधित होते हैं ।
महिला संगठन की भूमिका क्या हैं ?
महिला संगठन Women’s Union-भारत में दबाव – समूहों के अंतर्गत कुछ महिला संगठन भी आते हैं । स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा के लिए महिला संगठन सक्रिय रहे हैं । ‘ अखिल भारतीय महिला सम्मेलन ‘ ( All India Women’s Conference ) सबसे महत्वपूर्ण महिला संगठन हैं ।
महिला संगठन के मुख्य कार्य क्या हैं ?
इसका मुख्य उद्देश्य स्त्री – समाज के कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य करना तथा उसकी सामाजिक व कानूनी स्थिति में सुधार लाना हैं ।
व्यापारिक समूह की भूमिका बताएं।
व्यापारिक समूह The Business Groups-जहां मुक्त या मिश्रित अर्थ – व्यवस्था होती हैं वहां व्यापारिक समूह बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । इसका कारण यह हैं कि उनके पास काफी वित्तीय साधन होते हैं , जिनके माध्यम से वे अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं । भारत में सन 1830 में एक ‘ व्यापारी संघ ‘ का गठन किया गया था ।
जाति एवं भाषा पर आधारित हित -समूह से क्या अभिप्राय हैं ?
जाति एवं भाषा पर आधारित हित -समूह -भारत में जाति तथा भाषा पर आधारित दबाव – समूह भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं । इनका उद्देश्य अपनी जाति तथा भाषा को प्रोत्साहन देना है । भाषायी दबाव – समूह के आंदोलनों ने देश की एकता को काफी हानि पहुँचाई ।
हित-समूह के उद्देश्य क्या हैं ?
इनका उद्देश्य अपनी जाति तथा भाषा को प्रोत्साहन देना है । जाति समूहों में मारवाड़ी एसोसिएशन , वैश्य महासभा , हरिजन सेवक संघ , तमिलनाडु में नादर जाति संघ , बिहार और उड़ीसा में झारखंड व हूल एंग्लो – इंडियन तथा ईसाई संघ के नाम उल्लेखनीय हैं ।
गांधीवादी विचारधारा पर आधारित हित -समूह से क्या तात्पर्य हैं ?
भारत में दबाव -समूहों की एक अन्य प्रमुख श्रेणी गांधीवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाली हैं । ये दबाव – समूह गांधी जी के सिद्धांतों एवं आदर्शों पर आधारित हैं । ये समूह किसी विशेष वर्ग के हित के लिए कार्य नहीं करते , बल्कि सबके कल्याण और समृद्धि के लिए कार्य करते हैं । ये समूह अन्य दबाव -समूहों की भांति सरकार पर दबाव नहीं डालते ।
सरकारी कर्मचारियों के दबाव -समूह से क्या तात्पर्य हैं ?
सरकारी कर्मचारियों के दबाव -समूह -सरकारी कर्मचारियों ने अपने हितों की रक्षा के लिए अनेक संघो की स्थापना की हैं । अखिल भारतीय केंद्रीय कर्मचारी यूनियन , रेलवे कर्मचारी यूनियन , डाक – तार कर्मचारी संघ , राज्य स्तरीय कर्मचारी संघ इत्यादि सरकारी कर्मचारियों के मुख्य दबाव – समूह हैं ।
कबायली दबाव -समूह क्या हैं ?
कबायली दबाव -समूह -भारत के अनेक पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले कबायली लोगों ने दबाव – समूहों की स्थापना की हैं । इनमें संयुक्त मीजो संघात्मक संगठन ( United Mizo Federal Organization ) , नागा -राष्ट्रीय परिषद ( Naga National Council ) , आसाम का कबायली संघ ( Tribal Sangh of Assam ) , आसाम की कबायली लीग ( Tribal League of Assam ), आदि उल्लेखनीय हैं ।
जन -कल्याण व जनसेवा संबंधित समुदाय के कार्य बताएं।
जन -कल्याण व जनसेवा संबंधित समुदाय Welfare Societies and Services Groups-ऐसे समूह किसी खास वर्ग , जाति या मजहब से संबंध नहीं रखते । वे किन्ही सिद्धान्तों , आदर्शों या जीवन – मूल्यों के लिए प्रयत्नशील हैं । भारत में छुआछूत , बाल – विवाह , दहेज -प्रथा और बच्चों की बलि देने जैसी कुप्रथाएँ विधमान रही हैं ।
भारत के प्रमुख छह मजदूर संघ कौन से हैं ?
इस समय देश में प्रमुख छह मजदूर संघ हैं – 1) भारत अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस , 2) इण्डियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस , 3 ) हिन्द मजदूर सभा , 4 )भारतीय मजदूर संघ , 5) सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियन , 6 ) यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस ।
किसान संगठन के कुछ उदाहरण बताएं
किसान सभा पर साम्यवादियों का नियंत्रण स्थापित होने के बाद समाजवादियों ने ‘ हिन्द किसान पंचायत ‘ की स्थापना की । मार्क्सवादियों ने ‘यूनाइटेड किसान सभा ‘ की स्थापना की । इसके अतिरिक्त ‘ भारतीय किसान यूनियन ‘ तथा क्रांतिकारी किसान सम्मेलन इत्यादि प्रमुख किसान संगठन हैं ।
विद्यार्थी संघों की पृथक यूनियनें कौन सी हैं ?
विद्यार्थी संघों की अपनी अपनी पृथक यूनियनें होती हैं , जिनके व्दारा वे अपनी मांगों को पूरा करवाने का प्रयत्न करते रहते हैं । कभी – कभी ये संघ अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए हड़ताल , घेराव , बंद आदि तरीकों को अपनाते हैं । इनमें ‘ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ( All Indian Students Federation ) , प्रगतिशील छात्र संघ ( progressive student Union ) , डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन ( Democratic Students Union ) , तथा ‘ अखिल भारतीय सिक्ख विद्यार्थी फेडरेशन ( All India Sikh Students Federation ) आदि प्रमुख हैं ।
विद्यार्थी संघ अपनी मांगों को पूरा करने के लिए क्या करते हैं ?
ये संघ अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए हड़ताल , घेराव , बंद आदि तरीकों को अपनाते हैं । इनमें ‘ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ( All Indian Students Federation ) , प्रगतिशील छात्र संघ ( progressive student Union ) , डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन ( Democratic Students Union )
विद्यार्थी संघ के कुछ उदाहरण बताएं।
इनमें ‘ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ( All Indian Students Federation ) , प्रगतिशील छात्र संघ ( progressive student Union ) , डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन ( Democratic Students Union ) , तथा ‘ अखिल भारतीय सिक्ख विद्यार्थी फेडरेशन ( All India Sikh Students Federation ) आदि प्रमुख हैं ।