Pressure Groups दबाव समूहों के कार्य-महत्व- उपयोगिता-Utility

Pressure Groups: दबाव समूहों के कार्य , महत्व एवं उपयोगिता

राजनीति विज्ञान हित और दबाव समूह

 Pressure Groups Functions, Importance, and Utility in Hindi- दबाव समूहों के कार्य , महत्व एवं उपयोगिता – आधुनिक लोकतंत्रीय शासन -प्रणाली ने जहां राजनीतिक दलों के विकास में सहायता की है वही वहाँ उसने अनेक दबाव -समूहों को भी जन्म दिया है । आज लगभग सभी देशों में हित-समूह और दबाव -समूह पाया जाता हैं ।

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यह संगठन प्रायः एक व्यवसाय के लोगों का एक गुट होता हैं जो अपने सदस्यों के हितों की रक्षा के लिए सरकार की नीतियों  को प्रभावित करने का प्रयत्न करता रहता है । Pressure Groups : दबाव समूहों के कार्य , महत्व एवं उपयोगिता- को जानना आप सभी के लिए अत्यंत आवश्यक हैं । आइये जानते हैं विस्तार से –

Table of Contents विषय सूची

दबाव समूह का परिचय ( Meaning of Pressure Group in Hindi )

Pressure Groups दबाव -समूह सभी विकासशील और विकसित देशों में कार्यरत हैं । जब समान हित वाले समूह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार से सहायता चाहने लगता हैं और विधानमंडल के सदस्यों को इस रूप में प्रभावित करने का प्रयत्न करने लगता हैं कि सामान्य कानूनों का निर्माण अथवा उनमें संशोधन करते समय उनके हितों को ध्यान में रखा जाए तो वह दबाव -समूह का रूप धारण कर लेता है ।

दबाव -समूह Pressure Groups सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करने वाले निजी समुदाय हैं । इन समूहों का उद्देश्य सरकार को प्रभावित करके अपने हितों को बनाये रखना होता हैं । समान हित ही दबाव संगठन का मूलाधार है । दबाव समूह राजनीतिक संगठन नहीं होते बल्कि ये गैर राजनीतिक स्वरूप के होते है ।
दबाव समूह दो प्रकार की होती हैं । एक है सामुदायिक समूह Communal Groups और दूसरा संघात्मक समूह Associational Groups । 

दबाव -समूह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिये रेडियो , टेलीविजन , प्रेस , समाचार-पत्रों आदि का खुलकर प्रयोग करते हैं । यधपि दबाव समूह देश की राजनीति को प्रभावित करते हैं लेकिन विश्व के किसी भी देश में दबाव -समूहों को संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं ।

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दबाव समूहों के कार्य, महत्व एवं उपयोगिता  ( Functions, Importance  and Utility of the Pressure Groups )

कुछ समय पहले तक दबाव -समूह को हेय दृष्टि से देखा जाता था । प्रजातंत्र राज्य में उसका महत्व नहीं था । लेकिन अब स्थिति बदल गयी हैं । राजनीति में दबाव -समूह के महत्व को समझा जाने लगा है । लोकतंत्र में दबाव -समूहों का महत्व दिन -प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है । 

दबाव समूहों के कार्य , महत्व एवं उपयोगिता को निम्नलिखित प्रकार से वर्णित किया जा सकता है –

जनमत का निर्माण करना ( To Form Public Opinion )

जनमत का निर्माण करना To Form Public Opinion-दबाव – समूहों का पहला महत्वपूर्ण कार्य जनमत का निर्माण करना है । दबाव – समूह विभिन्न प्रश्नों पर जनता को शिक्षित करके जनमत का निर्माण करने में सहायता करते हैं । वे प्रचार -लेखों , भाषणों , समाचार – पत्रों एवं सभाओं के द्वारा अपने लक्ष्य का प्रचार करते हैं । बड़े -बड़े हित -समूह अपने समाचार -पत्र तथा पत्रिकाएं भी निकालते हैं जिनके द्वारा वे अपने विचारों का प्रसार करते हैं । इससे वे जनमत को अपने पक्ष में तैयार करने का कार्य करते हैं ।

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चुनावों में सक्रिय भूमिका ( Active Role in Elections )

चुनावों में सक्रिय भूमिका Active Role in Elections-यधपि हित -समूह तथा दबाव – समूहों के सदस्य प्रत्यक्ष रूप से चुनावों में भाग नहीं लेते परंतु वे चुनाव प्रक्रिया को अवश्य ही प्रभावित करते हैं । चुनावों के समय जहां वे सत्ताधारी दल को चंदा देते हैं , वहां वे विरोधी दलों को भी चंदा आदि देते हैं । वे सभी दलों से अपनी साँठ -गाँठ बनाये रखते हैं ताकि चुनावों के परिणामस्वरूप चाहे कोई भी दल सत्ता में आये वह उनके हितों के विरुद्ध कार्य न करे ।

समाज और शासन में संतुलन स्थापित करना ( To Establish Balance Between Society and Government )

समाज और शासन में संतुलन स्थापित करना To Establish Balance Between Society and Government-दबाव -समूहों का एक लाभ यह हैं कि इनसे विभिन्न हितों के बीच संतुलन बना रहता है । व्यापारी , श्रमिक , किसान , जातीय तथा धार्मिक समुदाय अपने हितों को प्राप्त करने के लिए एक -दूसरे से प्रतियोगिता करते हैं जिससे समाज और शासन में संतुलन स्थापित हो जाता है और कोई भी प्रभावशाली सत्ता नहीं हो पाती ।

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सरकार की निरंकुशता पर नियंत्रण ( Control on Absoluteness of Government )

सरकार की निरंकुशता पर नियंत्रण Control on Absoluteness of Government-प्रत्येक शासन व्यवस्था में केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति बढ़ने के कारण समस्त शक्तियां सरकार के हाथों में केंद्रित हो जाती हैं । दबाव – समूह अपने साधनों द्वारा सरकार को निरंकुश बनने से रोकते हैं ।

व्यवसायों का प्रतिनिधित्व ( Representation of Professions )

व्यवसायों का प्रतिनिधित्व Representation of Professions-प्रजातंत्र में प्रादेशिक आधार पर निर्वाचन होता है । इसलिये विभिन्न व्यवसायों का प्रतिनिधित्व संसद या विधानमंडल में नहीं हो पाता है । दबाव -समूह विभिन्न व्यवसायों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाता हैं । यह क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के पूरक के रूप में काम करता है ।

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कानून निर्माण में सहायक ( Helpful in Law Making )

कानून निर्माण में सहायक Helpful in Law Making-दबाव समूह अपनी विशेषज्ञता एवं ज्ञानगुरुता के कारण सही सूचनाओं के माध्यम से सांसदों एवं विधायकों को कानून निर्माण में आवश्यक परामर्श देते हैं । इनका परामर्श और सहायता इतनी उपयोगिता होती है कि इन्हें विधानमंडल के पीछे विधानमंडल कहा जाता है । वास्तव में दबाव -समूह लोकतांत्रिक व्यवस्था की प्राण – वायु हैं ।

व्यक्ति और सरकार के बीच संचार ( Communique between Individual and Government )

व्यक्ति और सरकार के बीच संचार Communique between Individual and Government-दबाव -समूह व्यक्ति और सरकार के बीच संचार के रूप में काम करता है । यह व्यक्ति और सरकार के हितों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है ।

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नौकशाही पर दबाव डालना ( To Pressurise the Bureaucracy )

नौकशाही पर दबाव डालना To Pressurise the Bureaucracy-दबाव गुटों के प्रतिनिधि नौकशाही के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के साथ संपर्क बनाए रखते हैं तथा अनुचित ढंग द्वारा उनको प्रभावित करके शासकीय नीति को अपने पक्ष में बनवाने का प्रयत्न करते रहते हैं ।

सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक सुधार ( Social , Economic and Political Reforms )

सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक सुधार Social , Economic and Political Reforms-दबाव -समूह सामाजिक , आर्थिक तथा राजनीतिक सुधारों का प्रचार करते हैं और उनके लिए सरकार पर दबाव डालते हैं । उदाहरणस्वरूप इंग्लैंड में कुछ दबाव -समूहों के प्रचार के परिणामस्वरूप ही महिलाओं को मताधिकार प्राप्त हुआ । भारत में मजदूरों के दबाव -समूहों के प्रयत्नों के कारण ही मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन , भत्ते , बोनस तथा सुविधाओं से सम्बंधित कानून पास किये गए ।

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न्यायालय व्दारा दबाव ( Pressure through Courts )

न्यायालय व्दारा दबाव Pressure through Courts-दबाव -समूह जब कभी यह देखते हैं कि विधानमंडल उनके हितों के विरुद्ध कानून का निर्माण कर रहा है तो वे न्यायालय में मुकदमा दायर करते हैं । इसके लिए वे योग्य वकीलों को इन मुकदमों की पैरवी करने के लिए नियुक्त करते हैं और निर्णय अपने पक्ष में करवाने का प्रयत्न करते हैं ।

दबाव समूहों के कार्य , महत्व एवं उपयोगिता की विस्तार से जानकारी दी है । इस जानकारी से यह स्पष्ट हो जाता है कि दबाव -समूह जहां अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए कार्य करते हैं वहां वे सामाजिक , आर्थिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । ऐसे ही रोचक जानकारी रोजाना प्राप्त करने के लिए ज्ञान फॉरएवर पर बने रहे ।  

FAQ Checklist

दबाव-समूहों के जनमत का निर्माण का अर्थ बताएं ?

दबाव – समूहों का पहला महत्वपूर्ण कार्य जनमत का निर्माण करना है । दबाव – समूह विभिन्न प्रश्नों पर जनता को शिक्षित करके जनमत का निर्माण करने में सहायता करते हैं ।

दबाव-समूहों के व्दारा जनमत का निर्माण कैसे किया जाता हैं ?

दबाव – समूह विभिन्न प्रश्नों पर जनता को शिक्षित करके जनमत का निर्माण करने में सहायता करते हैं । वे प्रचार -लेखों , भाषणों , समाचार – पत्रों एवं सभाओं के द्वारा अपने लक्ष्य का प्रचार करते हैं । बड़े -बड़े हित -समूह अपने समाचार -पत्र तथा पत्रिकाएं भी निकालते हैं

दबाव-समूहों के चुनावों में क्या भूमिका हैं ?

दबाव – समूहों के सदस्य प्रत्यक्ष रूप से चुनावों में भाग नहीं लेते परंतु वे चुनाव प्रक्रिया को अवश्य ही प्रभावित करते हैं । चुनावों के समय जहां वे सत्ताधारी दल को चंदा देते हैं , वहां वे विरोधी दलों को भी चंदा आदि देते हैं । वे सभी दलों से अपनी साँठ -गाँठ बनाये रखते हैं ताकि चुनावों के परिणामस्वरूप चाहे कोई भी दल सत्ता में आये वह उनके हितों के विरुद्ध कार्य न करे ।

दबाव-समूहों के क्या लाभ हैं ?

दबाव -समूहों का एक लाभ यह हैं कि इनसे विभिन्न हितों के बीच संतुलन बना रहता है । व्यापारी , श्रमिक , किसान , जातीय तथा धार्मिक समुदाय अपने हितों को प्राप्त करने के लिए एक -दूसरे से प्रतियोगिता करते हैं जिससे समाज और शासन में संतुलन स्थापित हो जाता है और कोई भी प्रभावशाली सत्ता नहीं हो पाती ।

दबाव-समूह सरकार को निरंकुश बनने से कैसे रोकती हैं ?

प्रत्येक शासन व्यवस्था में केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति बढ़ने के कारण समस्त शक्तियां सरकार के हाथों में केंद्रित हो जाती हैं । दबाव – समूह अपने साधनों द्वारा सरकार को निरंकुश बनने से रोकते हैं ।

दबाव-समूह व्यवसायों का प्रतिनिधित्व कैसे करती हैं ?

प्रजातंत्र में प्रादेशिक आधार पर निर्वाचन होता है । इसलिये विभिन्न व्यवसायों का प्रतिनिधित्व संसद या विधानमंडल में नहीं हो पाता है । दबाव -समूह विभिन्न व्यवसायों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाता हैं । यह क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के पूरक के रूप में काम करता है ।

दबाव -समूह व्यक्ति और सरकार के बीच संचार कैसे करती हैं ?

व्यक्ति और सरकार के बीच संचार -दबाव -समूह व्यक्ति और सरकार के बीच संचार के रूप में काम करता है । यह व्यक्ति और सरकार के हितों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है ।

दबाव-समूह अपने हितो की पूर्ति के लिए क्या करते हैं ?

दबाव -समूह जब कभी यह देखते हैं कि विधानमंडल उनके हितों के विरुद्ध कानून का निर्माण कर रहा है तो वे न्यायालय में मुकदमा दायर करते हैं । इसके लिए वे योग्य वकीलों को इन मुकदमों की पैरवी करने के लिए नियुक्त करते हैं और निर्णय अपने पक्ष में करवाने का प्रयत्न करते हैं ।

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