Political System –राजनीतिक -व्यवस्था समाज में कानूनी व्यवस्था रखने और समाज में परिवर्तन लाने वाली व्यवस्था है . सामाजिक जीवन के लिए आवश्यक है कि मनुष्य दुसरो के साथ व्यवहार के नियमो का पालन करे ताकि सभी मनुष्य अपने अपने कार्यों को ठीक प्रकार से पूरा कर सकें। रॉबर्ट डहल के अनुसार राजनीतिक व्यवस्था मानवीय सम्बन्धों का एक ऐसा स्थिर नमूना है जिसमे पर्याप्त मात्रा में शक्ति, शासन व सत्ता सम्मिलित है।
राजनीतिक -व्यवस्था की अपनी बिशेषताएँ होती है। आज कोई भी ऐसा देश नहीं है जो आत्म निर्भर हो। इसलिए राज्यों में सम्बन्ध स्थापित होते है और इसी के कारण एक राज्य की राजनीतिक व्यवस्था का दूसरे राज्य की राजनीतिक व्यवस्था पर प्रभाव पड़ता।
Table of Contents विषय सूची
राजनीतिक व्यवस्था के प्रकार -वर्गीकरण ( Political System Types and Classification in Hindi )
इसके तीन प्रकार है – उदारवादी लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएं ( Liberal democratic systems ) ,सर्व सत्ताधारी व्यवस्थाएं ( Totalitarian systems ) ,स्वेच्छाचारी व्यवस्थाएं ( Autocratic systems )
1.उदारवादी लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएं(Liberal democratic systems )
उदारवादी लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएं ( Liberal democratic systems )- यह स्वरुप उदारवाद व लोकतंत्र की धारणा पर आधारित है। लोकतंत्र का अर्थ है जनता की शासन में भागीदारी और उदारवाद का अर्थ है कि राज्य का हस्तक्षेप। इसमें जनता को व्यस्क मताधिकार प्राप्त होता है। एक निश्चित अवधि के बाद चुनाव करवाएं जाते हैं। जनता को वयस्क मताधिकार प्राप्त होता है।
नागरिको के अधिकारों व संविधान की सुरक्षा के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना की जाती है। जन – संपर्क के साधनो पर सरकार का एकाधिकार नहीं होता है। इन साधनों सरकार के नियंत्रण से मुक्त रखा जाता है। इन्हे सरकार की आलोचना करने का अधिकार प्राप्त होता है ,जैसे भारत में रेडियो ,टीवी ,समाचार -पत्रों आदि को स्वायत्तता प्रदान की गयी है। इस प्रकार की व्यवस्थाओं में दबाव -समूह बनाने का अधिकार होता है। हित -समूहों के द्वारा समाज समूह अपने हितों रक्षा करते है। यही नहीं दबाव समूह शासकीय निर्णयों को भी प्रभावित करते हैं।
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2.सर्व सत्ताधारी व्यवस्थाएं ( Totalitarian systems )
सर्व सत्ताधारी व्यवस्थाएं ( Totalitarian systems )- यह इस प्रकार की व्यवस्था है जिसमे सभी प्रकार की शक्तियां कुछ व्यक्तियों के हाथो में होती है। उसे तानाशाह या निरंकुश कहा जाता है। जनता को किसी भी प्रकार के अधिकार प्राप्त नहीं होते। इस प्रकार की व्यवस्था का उदाहरण रूस , चीन , और जर्मनी आदि है। इसमें एक दल का एकाधिकार होता है।
इस प्रकार की व्यवस्था में सिद्धांतवाद का बोल बाला होता है। एक विचारधारा के अनुरूप सारा शासन चलाया जाता है। शासन -व्यवस्था में कठोरता आ जाती है। सर्व -सत्ताधारी व्यवस्था में न्यायपालिका सरकार के अंग की भांति कार्य करती है। यही नहीं जान -संचार के साधनों पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होता है। इस व्यवस्था में केवल एक दल का अधिकार होता है।
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3.स्वेच्छाचारी व्यवस्थाएं ( Autocratic systems )-
स्वेच्छाचारी व्यवस्थाएं ( Autocratic systems )- यह ऐसी व्यवस्था है जिसमे शासन की सभी शक्तियां एक ही व्यक्ति के हाथ में होती है। यह व्यवस्था सर्व सत्ताधारी व्यवस्था की निकट होती है। इसमें राजनीतिक दल पर प्रतिबन्ध होते है। इसमें बल के प्रयोग पर जोर दिया जाता है। निष्पक्ष रूप से चुनाव नहीं करवाएं जाते है। इस व्यवस्था में राजनीतिक दल पर प्रतिबन्ध होता है। यही स्थिति चुनावों की भी है। यदि चुनाव होते भी हैं तो केवल नाम के लिए। चुनावों में सरकार का पूर्ण हस्तक्षेप रहता है।
FAQ Checklist
राजनीतिक व्यवस्था के कितने प्रकार होते हैं ?
इसके तीन प्रकार है – उदारवादी लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएं ( Liberal democratic systems ) ,सर्व सत्ताधारी व्यवस्थाएं ( Totalitarian systems ) ,स्वेच्छाचारी व्यवस्थाएं ( Autocratic systems )
उदारवादी लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएं क्या हैं ?
उदारवादी लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएं ( Liberal democratic systems )- यह स्वरुप उदारवाद व लोकतंत्र की धारणा पर आधारित है। लोकतंत्र का अर्थ है जनता की शासन में भागीदारी और उदारवाद का अर्थ है कि राज्य का हस्तक्षेप। इसमें जनता को व्यस्क मताधिकार प्राप्त होता है। एक निश्चित अवधि के बाद चुनाव करवाएं जाते हैं। जनता को वयस्क मताधिकार प्राप्त होता है।
सर्व सत्ताधारी व्यवस्थाएं क्या होती हैं ?
सर्व सत्ताधारी व्यवस्थाएं ( Totalitarian systems )- यह इस प्रकार की व्यवस्था है जिसमे सभी प्रकार की शक्तियां कुछ व्यक्तियों के हाथो में होती है। उसे तानाशाह या निरंकुश कहा जाता है। जनता को किसी भी प्रकार के अधिकार प्राप्त नहीं होते। इस प्रकार की व्यवस्था का उदाहरण रूस , चीन , और जर्मनी आदि है। इसमें एक दल का एकाधिकार होता है।
इस प्रकार की व्यवस्था में सिद्धांतवाद का बोल बाला होता है। एक विचारधारा के अनुरूप सारा शासन चलाया जाता है। शासन -व्यवस्था में कठोरता आ जाती है। सर्व -सत्ताधारी व्यवस्था में न्यायपालिका सरकार के अंग की भांति कार्य करती है। यही नहीं जान -संचार के साधनों पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होता है। इस व्यवस्था में केवल एक दल का अधिकार होता है।
स्वेच्छाचारी व्यवस्थाएं क्या होती हैं ?
स्वेच्छाचारी व्यवस्थाएं ( Autocratic systems )- यह ऐसी व्यवस्था है जिसमे शासन की सभी शक्तियां एक ही व्यक्ति के हाथ में होती है। यह व्यवस्था सर्व सत्ताधारी व्यवस्था की निकट होती है। इसमें राजनीतिक दल पर प्रतिबन्ध होते है। इसमें बल के प्रयोग पर जोर दिया जाता है। निष्पक्ष रूप से चुनाव नहीं करवाएं जाते है। इस व्यवस्था में राजनीतिक दल पर प्रतिबन्ध होता है। यही स्थिति चुनावों की भी है। यदि चुनाव होते भी हैं तो केवल नाम के लिए। चुनावों में सरकार का पूर्ण हस्तक्षेप रहता है।