Importance and Role of Personnel Administration in Hindi,कार्मिक प्रशासन का महत्व और भूमिका,लोक प्रशासन

Personnel Administration: कार्मिक प्रशासन महत्व | भूमिका

कार्मिक प्रशासन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन

Personnel Administration Importance and Role -कार्मिक प्रशासन, प्रशासनिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण भाग बन गया है। चाहे व्यापार हो या लोक प्रशासन ,कार्मिक प्रशासन के महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता। किसी भी प्रशासनिक प्रणाली की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने कार्मिक कार्यों को कितनी प्रभावशीलता से निभाता है।

कार्मिक प्रशासन का महत्व ( Personnel Administration Importance or Significance in Hindi )

कार्मिक संगठन का एक अभिन्न भाग होते हैं। संगठन की गुणवत्ता उसके कर्मचारियों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। सारे विश्व में अलग-अलग देशों ने अपने कार्मिकों के लिए कोई एक प्रणाली नहीं अपनाई है,बल्कि अलग-अलग समय पर प्रणालियां अपनाई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भिन्न देशों में स्थितियां भी भिन्न है और यहां तक कि एक ही देश में समय के साथ-साथ स्थितियां भी बदलती रहती है।

1.अमेरिकी उधोगपति एंड्रू कारनेजी ( Andrew Carnegie ) जब अपने व्यापार के शिखर पर थे, तो उनसे पूछा गया यदि आपसे सिवाय एक चीज के सब कुछ ले लिया जाए तो आप अपने पास क्या रखना चाहेंगे ? उनका उत्तर था , ‘ मेरे कर्मचारी ‘ । यही वह कुंजी है जो संगठन के दरवाजे खोलती हैं ।

2.इससे संगठन में कार्य करने वाले व्यक्तियों के महत्व का ज्ञान होता है। इन्हें कर्मचारी ,कार्मिक ,सेवाएं या मानव संसाधन कहा जाता है जिनकी वजह से संगठन कार्य करता है अन्यथा यह केवल एक सोच मात्रा है ।

3.विकासकारी गतिविधि के लिए आवश्यक तीनों तत्व -मानव ,वित्त व सामग्री में से वह मानव ही है जो कि उत्पादन और कार्यकुशलता की मात्रा व गुणवत्ता का निर्धारण करता है। देखा जाए तो वित्त और सामग्री के योगदान का प्रयोग भी संगठन के मानव पर ही निर्भर करता है।

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4.सांगठनिक उद्देश्यों की प्राप्ति , संगठन में कार्य कर रहे व्यक्तियों के सहयोग द्वारा ही संभव है। यदि व्यक्ति कार्य नहीं करना चाहते है तो प्रबंध निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति नहीं कर सकता। इस प्रकार एक सहयोगात्मक जनशक्ति रूपी टीम बनाने के लिए,जनशक्ति का कुशल प्रबंध आवश्यक है।

5.प्रभावशाली संगठन, पर्याप्त सामग्री सुविधाओं और योग्य कर्मचारियों का समावेश ही अच्छा शासन है। यहां तक कि यदि कर्मचारी सु-प्रशिक्षित ,चतुर ,कल्पनाशील और ईमानदार हों तो बुरी मशीनरी से भी कार्य लिया जा सकता हैं । वहीं दूसरी ओर यदि कर्मचारी योग्य ना हो तो एक सुनियोजित संगठन भी अच्छा कार्य नहीं करता ।

5.निसंदेह, कर्मचारी संगठन का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। कर्मचारियों की निपुणता, ज्ञान, योग्यता ,ईमानदारी और सांगठनिक क्षमता से संगठन की छाप बनती है और वह राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में प्रभावशाली संस्थाओं की भूमिका निभा सकती है।

6.कार्मिक प्रशासन का प्राथमिक उद्देश्य यह है कि कर्मचारियों से इस प्रकार व्यवहार किया जाए जिससे वह एक प्रभावशाली संगठन बनाने के लिए अपने सर्वाधिक आंतरिक क्षमता को पहचाने, ताकि सांगठनिक उद्देश्यों और व्यक्ति के बीच की दूरियों को कम किया जा सके।

7.बढ़ती जनसंख्या की मांगों की पूर्ति के लिए विज्ञान व तकनीक में विकास तथा कल्याणकारी कार्यों में वृद्धि हुई है,,जिससे संगठन चाहे सरकारी हो या निजी उन्हें बहुत से और जटिल कार्य करने पड़ते हैं। यह तभी संभव है जब उद्देश्यों की प्राप्ति कर रहे कर्मचारी कुशल व निष्ठावान हो।

8.एक प्रभावशाली कार्मिक प्रशासन यह सुनिश्चित करता है कि संगठन में विभिन्न पदों के लिए उपयुक्त व्यक्तियों का चुनाव हो और वह संगठन के उद्देश्यों व लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पूरा योगदान दे।

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कार्मिक प्रशासन की बदलती भूमिका ( Changing Role of Personnel Administration in Hindi )

पिछले कुछ दशकों में कार्मिक प्रशासन, प्रबंध व लोक प्रशासन का एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बन गया है। देश ने कई विकासात्मक उत्तरदायित्व उठा लिए हैं। इसलिए सांगठनिक कार्यों के निर्माण और उन्हें चलाने के लिए एक प्रभावशाली कार्मिक व्यवस्था की आवश्यकता होती है।

लोक व निजी संगठनों में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। विकासात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है और केवल उपयुक्त कर्मचारियों तथा मानव संसाधनों के प्रबंधन द्वारा ही इन उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है। ऐसे कई परिवर्तन हो रहें हैं ,जिनसे कार्मिक प्रशासन का विषय और अधिक विशेषज्ञ बन रहा है। इस रुझान के प्रमुख चार कारण निम्नलिखित है-

1) प्रशिक्षण व स्व विकास योजनाओं पर अधिक बल।

2) सूचना व प्रौद्योगिकी में होने वाली क्रांति तथा ऐसी अन्य तकनीकी खोजें जो जनशक्ति के हितों और उनके व्यवसाय के आवागमन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है, शीघ्रता से बदलती सेवा प्रवृत्तियां और दूरगामी जनशक्ति नियोजन के लिए आवश्यक निपुणता, आधुनिक काल में कार्मिक प्रशासन के लिए सोच का विषय है।

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3) पिछले कुछ दशकों में जनशक्ति के दृष्टिकोण में परिवर्तन आया है। नियोक्ता व कर्मचारियों में वर्षों पुराने वफादारी व प्रतिबद्धता के संबंध ही प्रभावशाली कार्य प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताएं नहीं है । अधिक विकेंद्रीयकरण ,रोजगार के बेहतर अवसरों तथा तकनीकी वातावरण और सामाजिक व्यवहार में हो रहे परिवर्तनों के कारण कर्मचारियों की अपेक्षाएं बढ़ गई है।

4) जनशक्ति के बढ़ते हुए संघवाद से उनकी शक्ति बढ़ रही है और वे अपने हितों को प्रभावित करने वाले निर्णय-निर्धारण गतिविधियों में अधिक भागीदारी की मांग करने लगे हैं। कर्मचारी अब सेवा सुरक्षा के बारे में अधिक चिंतित नहीं है बल्कि उनका ध्यान अब प्रतिष्ठा तथा निर्णय निर्धारण में भागीदारी की ओर अधिक है।

कार्मिक विकास ,कार्मिक प्रशासन की एक महत्वपूर्ण गतिविधि बन गई है। कर्मचारियों की भर्ती और बदलती हुई आवश्यकताओं के अनुसार इसे अपने नीतियां परिवर्तित करनी पड़ती है। संगठन के कर्मचारियों की बढ़ती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कार्मिक कार्यों में निरंतर व प्रणालीबद्ध परिवर्तनों से ही कार्य में प्रशासन की महत्व स्पष्ट होती है।

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FAQ Checklist

कार्मिक प्रशासन का महत्व बताएं ।

कार्मिक प्रशासन, प्रशासनिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण भाग बन गया है। चाहे व्यापार हो या लोक प्रशासन ,कार्मिक प्रशासन के महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता। किसी भी प्रशासनिक प्रणाली की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने कार्मिक कार्यों को कितनी प्रभावशीलता से निभाता है।

कार्मिक प्रशासन का उद्देश्य क्या है ?

कार्मिक प्रशासन का प्राथमिक उद्देश्य यह है कि कर्मचारियों से इस प्रकार व्यवहार किया जाए जिससे वह एक प्रभावशाली संगठन बनाने के लिए अपने सर्वाधिक आंतरिक क्षमता को पहचाने, ताकि सांगठनिक उद्देश्यों और व्यक्ति के बीच की दूरियों को कम किया जा सके।

कार्मिक प्रशासन का मुख्य कार्य क्या है ?

एक प्रभावशाली कार्मिक प्रशासन यह सुनिश्चित करता है कि संगठन में विभिन्न पदों के लिए उपयुक्त व्यक्तियों का चुनाव हो और वह संगठन के उद्देश्यों व लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पूरा योगदान दे।

कार्मिक प्रशासन की भूमिका क्या है ?

पिछले कुछ दशकों में जनशक्ति के दृष्टिकोण में परिवर्तन आया है। नियोक्ता व कर्मचारियों में वर्षों पुराने वफादारी व प्रतिबद्धता के संबंध ही प्रभावशाली कार्य प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताएं नहीं है । अधिक विकेंद्रीयकरण ,रोजगार के बेहतर अवसरों तथा तकनीकी वातावरण और सामाजिक व्यवहार में हो रहे परिवर्तनों के कारण कर्मचारियों की अपेक्षाएं बढ़ गई है।

कार्मिक प्रशासन का क्षेत्र बताएं ।

कार्मिक प्रशासन का क्षेत्र निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है
1) कार्मिक कार्य 2) कार्मिक संघ 3) संसदीय संस्थाओं की भूमिका 4) नियोक्ता – कर्मचारी संबंध 5) आधुनिक प्रबंधकीय कार्य

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