संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका Role of India in United Nations Organization

United Nations : संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका

भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध राजनीति विज्ञान संयुक्त राष्ट्र संघ

United Nations Organization – Role of India in United Nations Organization संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका – संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 में विश्व में शांति एवं सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। भारत 1945 ई. से ही संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य है। इस प्रकार भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ का मौलिक सदस्य कहा जा सकता है।

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भारत का संयुक्त राष्ट्र के मूलभूत उद्देश्य में अटूट विश्वास रहा है इसलिए भारतीय संविधान में इसके उद्देश्यों को ग्रहण करते हुए कहा गया है कि भारत विश्व में शांति व अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने वाली नीतियों का पालन करेगा।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रति भारतीय नीति को स्पष्ट करते हुए कहा था कि भारत का संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रति व्यवहार पूर्ण सहयोग वाला रहेगा और भारत इसकी समस्त गतिविधियों में पूरी तरह से भाग लेगा।

Table of Contents विषय सूची

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका ( Role of India in United Nations Organization )

भारत का संयुक्त राष्ट्र को मजबूत बनाने में काफी योगदान रहा है जिसे हम निम्नलिखित प्रकार से जान सकते हैं –

आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को हल करने में भारत का सहयोग ( India Corporation in Solving Economic and Social Problems )

भारत का विश्वास है कि युद्ध आर्थिक और सामाजिक बुराइयों का परिणाम है। आर्थिक असमानता और सामाजिक अन्याय को यदि समाप्त कर दिया जाए तो विश्वास से युद्ध समाप्त हो सकती हैं।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने आर्थिक रूप से पिछड़े हुए देशों के आर्थिक विकास पर बल दिया है और विकसित देशों से आर्थिक सहायता तथा तकनीकी मदद देने के लिए कहा।

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संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता में भारत की भूमिका ( Role in Membership of U.N.O )

भारत की सदा ही यह नीति रही है कि विश्व शांति को बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलता के लिए तथा संसार के सभी देशों को जो संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों एवं उद्देश्यों में विश्वास रखते हैं सदस्य बनना चाहिए। इसलिए 1950 से लेकर अगले 20 वर्षों तक लगातार जब भी संयुक्त राष्ट्र संघ में साम्यवादी चीन को सदस्य बनाने का प्रश्न आया भारत ने सदैव इसका समर्थन किया।

परंतु अमेरिका सुरक्षा परिषद में चीन की सदस्यता के प्रस्ताव पर वीटो का प्रयोग करता रहा। 1972 में अमेरिका के चीन के प्रति दृष्टिकोण बदलने पर ही चीन संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना। बांग्लादेश को संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बनवाने में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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चार्टर तैयार करवाने में सहायता ( Help in Preparation of the U.N Charter )

संयुक्त राष्ट्र का चार्टर बनाने में भारत ने भाग लिया। भारत की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं को बिना किसी भेदभाव के प्रोत्साहित करने का उद्देश्य जोड़ा। सान फ्रांसिस्को सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधि श्री रामास्वामी मुडालियर ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध को रोकने के लिए आर्थिक और सामाजिक न्याय का महत्व सर्वाधिक होना चाहिए। भारत संयुक्त राष्ट्र के चार्टर पर हस्ताक्षर करने वाले प्रारंभिक देशों में से एक है।

रंगभेद के विरुद्ध संघर्ष ( Opposition to the Policy of Apartheid )

भारत में रंगभेद की नीति को विश्व शांति के लिए खतरा माना है। रंगभेद पक्षपात का सबसे व्यापक ,अभ्यस्त तथा भ्रष्ट पूर्वक प्रदर्शित उदाहरण एशिया तथा अफ़्रीका के काले वर्गों के प्रति गोरो की धारणा थी। रंगभेद की नीति में दक्षिण अफ्रीकी सरकार सबसे आगे है।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में कई बार रंगभेद की नीति के विरुद्ध आवाज उठाई और विश्व जनमत तैयार किया जिसके फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ ने अनेक प्रस्ताव पारित किए। 8 जनवरी 1987 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस की हीरक जयंती के अवसर पर रंगभेद के विरोध में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय युवा सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा था कि रंगभेद मानवता के नाम पर कलंक है।

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अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की स्थापना में भारत का योगदान ( Contribution of India For Maintaining International Peace and Security )

भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ की अनेक राजनीतिक समस्याओं का समाधान करने में सहायता की है जो इस प्रकार है-

कोरिया की समस्या ( Korea’s problem )

1950 में उत्तरी कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर आक्रमण कर दिया था। इस आक्रमण के लिए उत्तरी कोरिया को दोषी ठहराया गया और 16 राष्ट्रों की सेनाएं उत्तरी कोरिया के प्रतिरोध के लिए भेजी गई। भारत के सैनिकों ने भी इसमें भाग लिया। भारत ने इस युद्ध को समाप्त कराने तथा युद्ध बंदियों के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्वेज नहर की समस्या ( Suez Canal problem )

1956 में मिस्र ( egypt ) के राष्ट्रपति ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया। इसके कारण इंग्लैंड ,फ्रांस ,इजराइल ने मिलकर मिस्र पर आक्रमण कर दिया। भारत ने ब्रिटेन तथा फ्रांस की घोर निंदा की तथा महासभा में उस प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें यह कहा गया कि युद्ध तुरंत बंद किया जाए। इस समस्या को हल करने में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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कांगो समस्या ( Kango’s Problem )

स्वतंत्रता प्राप्त करने के पश्चात कांगो में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई। इस परिस्थिति का लाभ उठाते हुए बेल्जियम ने कांगो में हस्तक्षेप करना आरंभ कर दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ की अपील पर भारत में अपनी सेना कांगो भेजी।

अरब-इजराइल विवाद ( Arab-Israeli conflict )

1967 में हुए अरब-इजराइल युद्ध में इजराइल ने कुछ अरब क्षेत्रों पर अपना अधिकार कर लिया। भारत की यह नीति रही कि इजराइल को अरब देश खाली करना चाहिए और इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पारित सभी प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए।

अफगानिस्तान की समस्या ( Afganistan’s Problem )

अफगानिस्तान की समस्या को हल करने में भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ को योगदान दिया।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंगो में भारत का स्थान ( Place of India in Main Organs of U.N.O )

संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न अंगों तथा एजेंसियों में भारत को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुए हैं। 1954 में श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित महासभा के अध्यक्ष तथा 1956 में डॉ राधाकृष्णन यूनेस्को के प्रधान चुने गए। भारत पांच बार सुरक्षा परिषद का सदस्य रह चुका है।

सामाजिक तथा आर्थिक परिषद का भारत लगातार सदस्य चला आ रहा है। भारत के डॉक्टर नगेंद्र सिंह को 1973 में तथा 1982 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का न्यायधीश चुना गया। 1985 में उन्हें अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश चुना गया।

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निशस्त्रीकरण की प्रयत्नों में भारत का योगदान ( Contribution of India Regarding Disarmament )

संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में महासभा और सुरक्षा परिषद दोनों पर यह दायित्व डाला गया है कि वे निशस्त्रीकरण के लिए कार्य करें। भारत की सदा यह नीति रही है कि निशस्त्रीकरण के द्वारा ही विश्व शांति को बनाए रखा जा सकता है और परमाणु शक्ति का प्रयोग सैनिक कार्यों के लिए ना किया जाए। भारत सामूहिक विध्वंस करने वाले परमाणु हथियारों पर पाबंदी लगाने के पक्ष में हैं ।

मानव अधिकारों की रक्षा ( Security of Human Rights )

भारत मानव अधिकारों का महान समर्थक है। इसका यह प्रयास रहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कारगर कार्यवाही करें। भारत ने अपने नागरिकों को लगभग वे सभी अधिकार प्रदान किए हैं जिनकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा की गई है। जब भी किसी देश ने मानव अधिकारों का उल्लंघन किया है भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में उसके विरुद्ध आवाज उठाई है और तुरंत कार्यवाही करने की मांग की है।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्र में अन्य कार्य ( Other Functions in the field of International Co-operation )

1991 में सोवियत संघ के विघटन तथा शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत का यह प्रयास रहा है कि परमाणु शस्त्रों का परीक्षण बंद किया जाए और धीरे-धीरे उन्हें समाप्त कर दिया जाए। 1994 में काहिरा में हुए जनसंख्या नियंत्रण संबंधी सम्मेलन , 1995 में कोपेनहेगन में हुए विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन तथा बीजिंग में हुए महिला सम्मेलन में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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FAQ Checklist

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की क्या भूमिका है ?

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जैसे कि बांग्लादेश को संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बनवाने में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आर्थिक रूप से पिछड़े हुए देशों के आर्थिक विकास पर बल दिया है और विकसित देशों से आर्थिक सहायता तथा तकनीकी मदद देने के लिए कहा।

भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य कब बना।

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 में विश्व में शांति एवं सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। भारत 1945 ई. से ही संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य है। इस प्रकार भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ का मौलिक सदस्य कहा जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को हल करने में भारत का सहयोग क्या रहा ?

भारत का विश्वास है कि युद्ध आर्थिक और सामाजिक बुराइयों का परिणाम है। आर्थिक असमानता और सामाजिक अन्याय को यदि समाप्त कर दिया जाए तो विश्वास से युद्ध समाप्त हो सकती हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने आर्थिक रूप से पिछड़े हुए देशों के आर्थिक विकास पर बल दिया है और विकसित देशों से आर्थिक सहायता तथा तकनीकी मदद देने के लिए कहा।

संयुक्त राष्ट्र संघ की चार मुख्य आर्थिक संस्थाएं कौन सी हैं ?

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ,खाद और कृषि संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ,अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम संयुक्त राष्ट्र संघ की चार मुख्य आर्थिक संस्थाएं हैं ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यता में भारत की क्या भूमिका है ?

भारत की सदा ही यह नीति रही है कि विश्व शांति को बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलता के लिए तथा संसार के सभी देशों को जो संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों एवं उद्देश्यों में विश्वास रखते हैं सदस्य बनना चाहिए। इसलिए 1950 से लेकर अगले 20 वर्षों तक लगातार जब भी संयुक्त राष्ट्र संघ में साम्यवादी चीन को सदस्य बनाने का प्रश्न आया भारत ने सदैव इसका समर्थन किया।

संयुक्त राष्ट्र के चार्टर बनाने में भारत की क्या भूमिका रही ?

संयुक्त राष्ट्र का चार्टर बनाने में भारत ने भाग लिया। भारत की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं को बिना किसी भेदभाव के प्रोत्साहित करने का उद्देश्य जोड़ा।

रंगभेद के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय संघर्ष में भारत की भूमिका क्या हैं ?

भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में कई बार रंगभेद की नीति के विरुद्ध आवाज उठाई और विश्व जनमत तैयार किया जिसके फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ ने अनेक प्रस्ताव पारित किए। 8 जनवरी 1987 को तत्कालीन में प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस की हीरक जयंती के अवसर पर रंगभेद के विरोध में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय युवा सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा था कि रंगभेद मानवता के नाम पर कलंक है।

स्वेज नहर की समस्या को हल करने में भारत की क्या भूमिका रही ?

1956 में मिस्र ( egypt ) के राष्ट्रपति ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया। इसके कारण इंग्लैंड ,फ्रांस ,इजराइल ने मिलकर मिस्र पर आक्रमण कर दिया। भारत ने ब्रिटेन तथा फ्रांस की घोर निंदा की तथा महासभा में उस प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें यह कहा गया कि युद्ध तुरंत बंद किया जाए। इस समस्या को हल करने में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की स्थापना में भारत का क्या योगदान है ?

भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ की अनेक राजनीतिक समस्याओं का समाधान करने में सहायता की है जैसे कि कोरिया की समस्या, स्वेज नहर की समस्या, कांगो समस्या, अफगानिस्तान की समस्या आदि समस्याओं को हल करने में संयुक्त राष्ट्र संघ की पूरी सहायता की है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंगो में भारत का क्या स्थान है ?

संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न अंगों तथा एजेंसियों में भारत को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुए हैं। 1954 में श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित महासभा के अध्यक्ष तथा 1956 में डॉ राधाकृष्णन यूनेस्को के प्रधान चुने गए। भारत पांच बार सुरक्षा परिषद का सदस्य रह चुका है।

निशस्त्रीकरण के प्रयत्नों में भारत का क्या योगदान है ?

संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में महासभा और सुरक्षा परिषद दोनों पर यह दायित्व डाला गया है कि वे निशस्त्रीकरण के लिए कार्य करें। भारत की सदा यह नीति रही है कि निशस्त्रीकरण के द्वारा ही विश्व शांति को बनाए रखा जा सकता है और परमाणु शक्ति का प्रयोग सैनिक कार्यों के लिए ना किया जाए। भारत सामूहिक विध्वंस करने वाले परमाणु हथियारों पर पाबंदी लगाने के पक्ष में है।

भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता मिलना क्यों जरूरी है ?

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 47 वें वार्षिक अधिवेशन के बाद से सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का मसला तूल पकड़े हुए हैं। भारत द्वारा सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता प्राप्त कर लेने से जहां अफ्रीकी देशों एवं निर्धन तथा विकासशील देशों को सुरक्षा परिषद में एक सशक्त तथा निष्ठावान प्रतिनिधित्व प्राप्त हो जाएगा वहीं दक्षिण एशिया में स्थाई शक्ति एवं सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी। भारत की भावी संस्थाओं और वैश्विक व्यवस्था में निर वर्तमान स्थिति को देखते हुए सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता का पूर्णतया हकदार है।

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