Difference between Public Corporation and Government Department Meaning , Definitions , अर्थ ,परिभाषाएं ,सार्वजनिक निगम और सरकारी विभाग में अंतर

Public Corporation : सार्वजनिक निगम और सरकारी विभाग में अंतर

पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन पब्लिक कॉर्पोरेशन

Public Corporation Meaning , Definitions , Difference between Public Corporation and Government Department सार्वजनिक निगम अर्थ ,परिभाषाएं ,सार्वजनिक निगम और सरकारी विभाग में अंतर- विभागीय प्रणाली सरकारी संगठन का सबसे प्राचीन परंपरागत रुप रहा है।

परंतु बीसवीं शताब्दी में सरकार के कार्य क्षेत्र में काफी बड़ा परिवर्तन देखने में आया है जिसके साथ राज्य ने आर्थिक क्षेत्र में शामिल होना आरंभ कर दिया है।

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आर्थिक क्षेत्र में राजकीय नियंत्रण के बढ़ने के कारण इसके कई नए कार्यों का जन्म हुआ है जिन्हें कुशलता से पूर्ण करने के लिए विभागीय प्रणाली प्रभावशाली सिद्ध नहीं हो सकती थी । इसलिए इस समय एक नई प्रशासकीय प्रणाली का विकास हुआ जिसे की सार्वजनिक निगम कहा जाता है।

आधुनिक युग में सार्वजनिक निगम एक महत्वपूर्ण सूत्र एजेंसी है। वर्तमान समय में संसार के प्रत्येक देश में व्यापारिक और औद्योगिक कार्यों के प्रबंध के लिए सार्वजनिक निगमों का प्रबंध किया जा रहा है।

सार्वजनिक निगमों की स्थापना सबसे पहले पश्चिमी देशों में हुई थी। भारत में भी सार्वजनिक निगमों का काफी विकास हुआ है और देश के सर्वांगीण विकास में इनकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत में भारतीय जीवन बीमा निगम, भारत का खाद्य निगम ,रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, दामोदर घाटी निगम आदि सार्वजनिक निगम के महत्वपूर्ण उदाहरण है।

सार्वजनिक निगम की परिभाषाएं ( Definitions of Public Corporation )

सार्वजनिक निगम संबंधी भिन्न-भिन्न प्रसिद्ध विद्वानों ने अपनी-अपनी परिभाषा इस प्रकार दी हैं

  • मार्शल ई डिमॉक के अनुसार – सार्वजनिक निगम किसी विशेष व्यापारिक अथवा वित्तीय उद्देश्यों के लिए संघीय, राज्य अथवा स्थानीय कानून के अधीन स्थापित सरकारी उधम है।
  • हरबर्ट मॉरिसन सार्वजनिक निगम की परिभाषा इस तरह देते हैं कि यह सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक स्वामित्व, सार्वजनिक उत्तरदायित्व और व्यापारिक प्रबंध का एक सुमेल है।
  • प्रो. एम सी शुक्ला के अनुसार – यह एक निगमिक संस्था है जो विधानमंडल द्वारा स्थापित की गई है जिसके अधिकार और कार्यों का स्पष्ट रूप में वर्णन किया जाता है। इसे वित्तीय स्वतंत्रता होती है और इसका किसी विशेष क्षेत्र अथवा विशेष रूप की व्यापारिक गतिविधियों पर स्पष्ट अधिकार होता है।

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सार्वजनिक निगम और सरकारी विभाग में अंतर ( Difference between Public Corporation and Government Department )

संगठन की आंतरिक पक्ष से सार्वजनिक निगम और सरकारी विभागों में कोई अंतर दिखाई नहीं देता परंतु फिर भी निम्नलिखित बातों के कारण दोनों में अंतर पाया जाता है जो इस प्रकार है-

1 ) विभाग मुख्य तौर पर पैसा व्यय करने वाले उधम होते हैं जबकि सार्वजनिक निगम कमाते भी हैं और व्यय भी करती हैं।

2 ) सार्वजनिक निगम का आय और व्यय से प्रत्यक्ष संबंध होता है परंतु विभाग में ऐसा नहीं होता। इसके अतिरिक्त विभाग की उपयोगिता का अनुमान इस बात से लगाया जाता है कि उसने लोगों की कितनी सेवा की है जबकि सार्वजनिक निगम की उपयोगिता का अनुमान उसके लाभ की दर से लगाया जाता है।

3 ) सार्वजनिक निगम पर मंत्रियों का अधिक नियंत्रण न होने के कारण राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया जाता । निगम के सभी कार्यों के लिए साधारण विधि अपनाई जाती है जिसके साथ प्रबंध में सुयोग्यता और लचक आती है। परंतु इसके विपरीत विभाग किसी ना किसी मंत्री के नियंत्रण के अधीन रखा जाता है जिसके साथ विभाग पर राजनीतिक प्रभाव पड़ने की पूर्ण संभावना होती है।

4 ) सार्वजनिक निगम एक कानूनी व्यक्ति है। वह किसी के विरुद्ध भी मुकदमा चला सकता है और उस पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है परंतु दूसरी तरफ विभाग कानूनी व्यक्ति नहीं होता और ना ही इसके विरुद्ध कोई मुकदमा चलाया जा सकता है।

5 ) सार्वजनिक निगम को संघीय ,राज्य अथवा स्थानीय कानून के अनुसार स्थापित करके वित्तीय और प्रशासकीय स्वायत्तता प्रदान की जाती है परंतु विभाग को दूसरी तरफ ना तो विधानमंडल के कानून अधीन स्थापित किया जाता है और ना ही ऐसी कोई स्वायत्तता प्राप्त होती है ।

6 ) सार्वजनिक निगम विभागों की तुलना में विधानमंडल के प्रति काफी कम उत्तरदाई होते हैं।

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FAQ Checklist

सार्वजनिक निगम से क्या अभिप्राय हैं ?

आर्थिक क्षेत्र में राजकीय नियंत्रण के बढ़ने के कारण इसके कई नए कार्यों का जन्म हुआ है जिन्हें कुशलता से पूर्ण करने के लिए विभागीय प्रणाली प्रभावशाली सिद्ध नहीं हो सकती थी । इसलिए इस समय एक नई प्रशासकीय प्रणाली का विकास हुआ जिसे की सार्वजनिक निगम कहा जाता है।

भारत मे सार्वजनिक निगम के मुख्य उदाहरण बताएं ।

भारत में भारतीय जीवन बीमा निगम, भारत का खाद्य निगम ,रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, दामोदर घाटी निगम आदि सार्वजनिक निगम के महत्वपूर्ण उदाहरण है।

सार्वजनिक निगम की दो परिभाषाएं

1 ) मार्शल ई डिमॉक के अनुसार – सार्वजनिक निगम किसी विशेष व्यापारिक अथवा वित्तीय उद्देश्यों के लिए संघीय, राज्य अथवा स्थानीय कानून के अधीन स्थापित सरकारी उधम है।
2 ) हरबर्ट मॉरिसन सार्वजनिक निगम की परिभाषा इस तरह देते हैं कि यह सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक स्वामित्व, सार्वजनिक उत्तरदायित्व और व्यापारिक प्रबंध का एक सुमेल है।

सार्वजनिक निगम और सरकारी विभागों में मुख्य अंतर क्या है ?

1 ) विभाग मुख्य तौर पर पैसा व्यय करने वाले उधम होते हैं जबकि सार्वजनिक निगम कमाते भी हैं और व्यय भी करती हैं।
2 ) सार्वजनिक निगम का आय और व्यय से प्रत्यक्ष संबंध होता है परंतु विभाग में ऐसा नहीं होता। इसके अतिरिक्त विभाग की उपयोगिता का अनुमान इस बात से लगाया जाता है कि उसने लोगों की कितनी सेवा की है जबकि सार्वजनिक निगम की उपयोगिता का अनुमान उसके लाभ की दर से लगाया जाता है।

सार्वजनिक निगम पर राजनीतिक हस्तक्षेप कम क्यों होता ?

सार्वजनिक निगम पर मंत्रियों का अधिक नियंत्रण न होने के कारण राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया जाता । निगम के सभी कार्यों के लिए साधारण विधि अपनाई जाती है जिसके साथ प्रबंध में सुयोग्यता और लचक आती है।

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