Formal-Informal Organization : Difference Between Formal Organization and Informal Organization in Hindi औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अंतर – आधुनिक युग में प्रशासन के प्रत्येक क्षेत्र में कोई ना कोई संगठन पाया जाता है। संगठन प्रबंध का वह यंत्र है जो प्रशासन द्वारा निर्धारित किए गए उद्देश्य तथा लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होता है।
इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मानवीय तथा मौलिक साधनों को सही तरीके से संगठित करने की जिम्मेवारी प्रशासन की होती है तथा प्रशासन इस कार्य के लिए संगठन की सहायता लेता है।
साधारण तौर पर संगठन का अर्थ किसी भी प्रशासकीय ढांचे से लिया जाता है। परंतु लोक प्रशासन में संगठन शब्द का अर्थ इसके तीन भिन्न-भिन्न रूपों में लिया जाता है । 1) प्रशासकीय ढांचे को तैयार करना 2) ढांचे को तैयार करना तथा साथ-साथ उभारना 3) इन कार्यों से प्राप्त होने वाला प्रशासकीय ढांचा।
Table of Contents विषय सूची
औपचारिक संगठन का अर्थ ( Meaning Of Formal Organization )
संगठन के दो रूप पाए जाते हैं ,एक को औपचारिक और दूसरे को अनौपचारिक संगठन कहा जाता है। औपचारिक संगठन निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सोच विचार कर बनाया गया संगठन होता है। अन्य शब्दों में औपचारिक संगठन में कुछ स्पष्ट तथा लिखित सिद्धांत पाए जाते हैं जैसे कि पदसोपान ,नियंत्रण का क्षेत्र आदि। औपचारिक संगठन यांत्रिक दृष्टिकोण पर आधारित होते हैं ।
अनौपचारिक संगठन का अर्थ ( Meaning of Informal Organization )
अनौपचारिक संगठन औपचारिक संगठन में अपने आप ही अस्तित्व में आ जाता है अर्थात जब औपचारिक संगठन अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य आरंभ करता है तो इसमें काम कर रहे अनेकों कर्मचारी अपने हितों की रक्षा के लिए तथा संगठन को बलात काम करने से रोकने के लिए अपने आप को एक अनौपचारिक संगठन में संगठित कर लेती है।
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औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अंतर ( Difference Between Formal Organization and Informal Organization in Hindi )
संगठन के दो रूप पाए जाते हैं ,एक को औपचारिक और दूसरे को अनौपचारिक संगठन कहा जाता है। औपचारिक संगठन निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सोच विचार कर बनाया गया संगठन होता है। औपचारिक संगठन तथा अनौपचारिक संगठन में कई पक्षों से अंतर पाया जाता है जिनका वर्णन इस प्रकार है-
1) औपचारिक संगठन का अस्तित्व देश के कानून के अधीन किया जाता है, जिसमें उसके उद्देश्य निर्धारित किए जाते हैं परंतु इसके विपरीत अनौपचारिक संगठन की स्थापना किसी कानून के अनुसार नहीं अपितु सामान्य या स्वयं ही हो जाती है। ऐसे संगठनों की स्थापना उस संगठन के सदस्यों के हितों की रक्षा के लिए की जाती है।
2) औपचारिक संगठन के सदस्य केवल एक कार्य समूह के साथ जुड़े होते हैं परंतु दूसरी तरफ अनौपचारिक संगठन के सदस्य अगर चाहे तो एक से अधिक कार्य समूह के सदस्य भी बन सकते हैं।
3) औपचारिक संगठन साधारण तौर पर स्थाई रूप के होते हैं अर्थात यह काफी लंबे समय तक काम करने के लिए स्थापित किए जाते हैं परंतु अनौपचारिक संगठनों का समूह अस्थाई रूप का होता है। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के बाद साधारण तौर पर अनौपचारिक संगठन समाप्त हो जाते हैं।
4) औपचारिक संगठन की स्थापना क्योंकि कानून के अनुसार की जाती है इसके लिए इसकी कार्य करने की विधि लिखित रूप में वर्णित की जाती है। परंतु अनौपचारिक संगठन दूसरी तरह किसी कानून के अधीन नहीं बल्कि लोगों की इच्छा से अस्तित्व में आए होते हैं इसलिए ऐसे संगठनों की कार्यवाही लिखित रूप में होना आवश्यक नहीं होता।
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5) प्रत्येक औपचारिक संगठन में पद सोपान की व्यवस्था की जाती है जिसके अधीन प्रत्येक अधिकारी तथा कर्मचारी की सत्ता तथा कर्तव्य निश्चित कर दिए जाते हैं परंतु इसके विपरीत अनौपचारिक संगठनों में ऐसे सिद्धांतों का प्रयोग नहीं किया जाता है। यह संगठन के सदस्यों के परस्पर संबंधों पर आधारित होता है।
6) औपचारिक संगठन की संचार प्रणाली ऊपर से नीचे तथा नीचे से ऊपर एकत्र होती है परंतु इसके विपरीत अनौपचारिक संगठन में संचार कई दिशाओं में फैला होता है।
7) औपचारिक संगठन नौकरशाही ढांचे पर आधारित होता है तथा इसकी समूची कार्य प्रणाली इस ढांचे के अनुसार ही कार्य करती है परंतु अनौपचारिक संगठन का ढांचा ना तो निश्चित होता है तथा ना ही इसमें निर्धारित नियमों का पालन किया जाता है।
8) औपचारिक संगठन में व्यक्ति अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए शामिल होते हैं अर्थात काम करने के बदले वह वेतन प्राप्त करते हैं परंतु दूसरी तरफ अनौपचारिक संगठन की सदस्यता व्यक्ति की अपनी निजी इच्छा पर निर्भर करती है तथा उसका उद्देश्य आर्थिक ना होकर सामाजिक प्रकृति का होता है।
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9) औपचारिक संगठन के कार्य को कुशलता पूर्वक चलाने के लिए निगरानी की विशेष भूमिका होती है । वास्तव में निगरानी के बिना औपचारिक संगठन चल ही नहीं सकता क्योंकि अधीनस्थ कर्मचारियों के कार्य व्यवहार की उच्च अधिकारी द्वारा निगरानी अति आवश्यक होता है परंतु अनौपचारिक संगठन का संचालन सदस्यों के अनुसार ज्यादा अच्छा किया जा सकता है।
10) औपचारिक संगठन में प्रत्येक अधिकारी तथा कर्मचारी की सत्ता निश्चित होती है तथा इसको संगठन का कोई कर्मचारी जबरजस्ती प्राप्त नहीं कर सकता। अर्थात एक क्लर्क जबरदस्ती अधीक्षक पद नहीं संभाल सकता । परंतु अनौपचारिक संगठन में सत्ता को प्राप्त करने के लिए विवाद या संघर्ष किए जाते हैं जैसे कि किसी ऐसे संगठन का प्रधान या सचिव बनने के लिए सदस्यों को कई तरह की यत्न करने पड़ते हैं। यही कारण है कि उनके संगठन के भिन्न-भिन्न पदाधिकारी बदलते रहते हैं ।
11) औपचारिक संगठन यांत्रिक दृष्टिकोण पर आधारित होता है जिसमें कर्मचारियों के कार्य तथा संबंध लिखित होते हैं परंतु दूसरी तरफ अनौपचारिक संगठन मानवीय दृष्टिकोण अर्थात व्यक्तियों के परस्पर संबंधों पर आधारित होते हैं।
12) औपचारिक संगठन में व्यक्तियों की भावनाओं का कोई स्थान नहीं होता क्योंकि इसका स्वरूप विवेकी होता है परंतु इसके विपरीत अनौपचारिक संगठनों का आधार व्यक्तियों की भावनाएं होती है तथा उनकी पूर्ति के लिए संगठन के सभी सदस्य एक समूह के रूप में काम करती हैं।
निष्कर्ष ( Conclusion )
उपरोक्त वर्णित विवरण से यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि संगठन प्रशासन की सफलता की कुंजी है तथा इसके लिए औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन दोनों के पारस्परिक सहयोग की आवश्यकता होती है। चाहे अनौपचारिक संगठन का जन्म और औपचारिक संगठन में ही होता है परंतु अनौपचारिक संगठन के बिना औपचारिक संगठन को अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सफलता प्राप्त करना बड़ा कठिन होता है। इस तरह औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन एक दूसरे के पूरक है अर्थात दोनों ही एक दूसरे को काफी आवश्यकता होती है
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FAQ Checklist
औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में कानून की दृष्टि से कितना अंतर हैं ?
औपचारिक संगठन का अस्तित्व देश के कानून के अधीन किया जाता है, जिसमें उसके उद्देश्य निर्धारित किए जाते हैं परंतु इसके विपरीत अनौपचारिक संगठन की स्थापना किसी कानून के अनुसार नहीं अपितु सामान्य या स्वयं ही हो जाती है।
औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में भावनाओं का क्या स्थान हैं ?
औपचारिक संगठन में व्यक्तियों की भावनाओं का कोई स्थान नहीं होता क्योंकि इसका स्वरूप विवेकी होता है परंतु इसके विपरीत अनौपचारिक संगठनों का आधार व्यक्तियों की भावनाएं होती है तथा उनकी पूर्ति के लिए संगठन के सभी सदस्य एक समूह के रूप में काम करती हैं।
औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन का दृष्टिकोण क्या हैं ?
औपचारिक संगठन यांत्रिक दृष्टिकोण पर आधारित होता है जिसमें कर्मचारियों के कार्य तथा संबंध लिखित होते हैं परंतु दूसरी तरफ अनौपचारिक संगठन मानवीय दृष्टिकोण अर्थात व्यक्तियों के परस्पर संबंधों पर आधारित होते हैं।
औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन किस ढांचे पर आधारित होते हैं ?
औपचारिक संगठन नौकरशाही ढांचे पर आधारित होता है तथा इसकी समूची कार्य प्रणाली इस ढांचे के अनुसार ही कार्य करती है परंतु अनौपचारिक संगठन का ढांचा ना तो निश्चित होता है तथा ना ही इसमें निर्धारित नियमों का पालन किया जाता है।
औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में कितना अंतर हैं ?
औपचारिक संगठन में व्यक्ति अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए शामिल होते हैं अर्थात काम करने के बदले वह वेतन प्राप्त करते हैं परंतु दूसरी तरफ अनौपचारिक संगठन की सदस्यता व्यक्ति की अपनी निजी इच्छा पर निर्भर करती है तथा उसका उद्देश्य आर्थिक ना होकर सामाजिक प्रकृति का होता है।
अनौपचारिक संगठन अस्थाई क्यों होते हैं ?
अनौपचारिक संगठनों का समूह अस्थाई रूप का होता है। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के बाद साधारण तौर पर अनौपचारिक संगठन समाप्त हो जाते हैं।
औपचारिक संगठन स्थाई क्यों होते हैं ?
औपचारिक संगठन साधारण तौर पर स्थाई रूप के होते हैं अर्थात यह काफी लंबे समय तक काम करने के लिए स्थापित किए जाते हैं परंतु
अनौपचारिक संगठन का अस्तित्व औपचारिक संगठन में कैसे होता हैं ?
अनौपचारिक संगठन औपचारिक संगठन में अपने आप ही अस्तित्व में आ जाता है अर्थात जब औपचारिक संगठन अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य आरंभ करता है तो इसमें काम कर रहे अनेकों कर्मचारी अपने हितों की रक्षा के लिए तथा संगठन को बलात काम करने से रोकने के लिए अपने आप को एक अनौपचारिक संगठन में संगठित कर लेती है।
संगठन कितने तरह की होती हैं ?
संगठन के दो रूप पाए जाते हैं ,एक को औपचारिक और दूसरे को अनौपचारिक संगठन कहा जाता है। औपचारिक संगठन निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सोच विचार कर बनाया गया संगठन होता है।
औपचारिक संगठन के विकास के लिए अनौपचारिक संगठन क्यों जरुरी हैं ?
चाहे अनौपचारिक संगठन का जन्म और औपचारिक संगठन में ही होता है परंतु अनौपचारिक संगठन के बिना औपचारिक संगठन को अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सफलता प्राप्त करना बड़ा कठिन होता है।