Chief Executive Political and Administrative Functions in Hindi मुख्य कार्यपालिका के राजनीतिक और प्रशासकीय कार्य

Chief Executive : मुख्य कार्यपालिका के राजनीतिक और प्रशासकीय कार्य

कार्यपालिका पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन राजनीति विज्ञान

Chief Executive Political and Administrative Functions in Hindi मुख्य कार्यपालिका के राजनीतिक और प्रशासकीय कार्य – मुख्य कार्यपालिका के राजनीतिक और प्रशासकीय कार्यपालिका सरकार का एक महत्वपूर्ण अंग है। उसका मुख्य कार्य विधानपालिका द्वारा बनाए कानूनों को लागू करना है।

लोक प्रशासन में कार्यपालिका के मुखिया को कार्यपालिका कहा जाता है। उसका लोक प्रशासन में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान होता है। यह देश के प्रशासकीय ढांचे में सबसे उच्च पद पर आसीन होता है।

YouTube Channel download
Telegram Group images

औपचारिक रूप से कार्यकारी शक्तियों की समस्त शक्तियां राष्ट्रपति को दी गई है परंतु कार्यपालिका का वास्तविक मुखिया प्रधानमंत्री होता है और मंत्रिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। इस प्रकार समस्त शक्तियों का प्रयोग देश का प्रधानमंत्री करता है। इसलिए प्रधानमंत्री को वास्तविक कार्यपालिका कहा जाता है जो कि कार्यपालिका का मुखिया होता है।

Table of Contents विषय सूची

मुख्य कार्यपालिका के कार्य ( Functions of Chief Executive in Hindi )

मुख्य कार्यपालिका के कार्य सभी देशों में चाहे एक जैसी नहीं होती क्योंकि सरकार का रूप सभी देशों में एक समान नहीं होती है। ऐसी स्थिति के बावजूद यह कहा जा सकता है कि आमतौर पर सभी देशों में कार्यपालिका द्वारा जो कार्य किए जाते हैं वे एक समान के होते हैं। मुख्य कार्यपालिका के कार्य निम्नलिखित है –

राजनीतिक कार्य ( Political Functions )

मुख्य कार्यपालिका को कई तरह के कार्य करने होते हैं जिनमें से राजनीतिक कार्य भी एक प्रकार है। राजनीतिक कार्य निम्नलिखित हैं-

वैधानिक कार्य ( Legislative Functions )

चाहे कानून का निर्माण करना विधानमंडल का काम होता है परंतु मुख्य कार्यपालिका को भी कानून के संबंध में कई तरह के काम करने पड़ते हैं क्योंकि यह विधानमंडल का एक अभिन्न अंग होता है। उसके वैधानिक कार्य निम्नलिखित है-

  • संसद का सम्मेलन कार्यपालिका के मुखिया द्वारा ही बुलाया जाता है जैसे कि भारत का राष्ट्रपति संसद की बैठक के लिए आदेश जारी करता है।
  • विधानमंडल द्वारा पास किया हुआ प्रत्येक बिल भी मुख्य कार्यपालिका की स्वीकृति के बाद ही कानून का रूप धारण करता है।
  • किसी विशेष कानून के निर्माण के लिए मुख्य कार्यपालिका संसद को संदेश भेज सकता है जिस पर विधानमंडल को अवश्य ही विचार करना पड़ता है।
  • संसदीय शासन प्रणाली में लगभग 90% बिल मंत्रियों द्वारा पेश किए जाते हैं और संसद में उनका बहुमत होने के कारण वह सभी बिल उसी तरह पास हो जाते हैं।
  • देश के भीतर संकटकालीन स्थिति पैदा होने के कारण अथवा संसद की अनुपस्थिति में मुख्य कार्यपालिका अध्यादेश जारी कर सकता है और जिसकी वैधता कानून की तरह संसद की स्वीकृति के बिना यह सप्ताह तक होती है।
  • संसद के दोनों सदन को भंग करने की शक्ति भी मुख्य कार्यपालिका के पास होती है।

यह भी पढ़े –

वित्तीय कार्य ( Financial Functions )

यह ठीक है कि राज्य के वित्त का रक्षक विधानमंडल होता है अर्थात विधानमंडल की स्वीकृति के बिना ना तो एक नया पैसा खर्च किया जा सकता है और ना ही एकत्र किया जा सकता है। परंतु फिर भी आय-व्यय का विवरण कार्यपालिका द्वारा ही तैयार किया जाता है ।

मुख्य कार्यपालिका वित्त मंत्री द्वारा बजट विधानमंडल की स्वीकृति के लिए उसके सामने पेश करता है। अन्य शब्दों में राष्ट्रपति की आज्ञा के बिना बजट विधानमंडल में पेश नहीं किया जा सकता ।

सैनिक कार्य ( Military Functions )

देश को बाहरी आक्रमणों से बचाने का मुख्य दायित्व मुख्य कार्यपालिका का होता है। भारत में समस्त सेनाओं – जल ,थल और हवाई का मुख्य सेनापति होता है । सेना के बड़े बड़े अधिकारियों की नियुक्ति मुख्य कार्यपालिका द्वारा किया जाता है।

यह भी पढ़े –

न्याय सम्बन्धी कार्य ( Judicial Functions )

मुख्य कार्यपालिका को न्यायिक क्षेत्र में भी कुछ महत्वपूर्ण शक्तियां प्राप्त है जैसे कि न्यायपालिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति मुख्य कार्यपालिका द्वारा की जाती है। भारत में राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। इसी तरह अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा से की जाती है।

कूटनीतिक कार्य ( Diplomatic Functions )

आधुनिक युग में विश्व के सभी देशों को अपने अनेकों आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी न किसी देश पर अवश्य निर्भर करना पड़ता है। इसलिए प्रत्येक राज्य को अन्य देशों के साथ बेहतर संबंध कायम करने पड़ते हैं। अन्य देशों के साथ कूटनीतिक संबंध कायम करने का दायित्व मुख्य कार्यपालिका का होता है। अन्य देशों में भेजे जाने वाले राजपूतों की नियुक्ति मुख्य कार्यपालिका द्वारा की जाती है और इसी तरह दूसरे देशों से आने वाले राजपूतों को भी वहीं स्वीकार करता है।

यह भी पढ़े

प्रशासकीय कार्य ( Administrative Functions )

मुख्य कार्यपालिका के ऊपर संवैधानिक कार्यों के अतिरिक्त कुछ प्रशासकीय कार्य भी होते हैं जिनका प्रयोग वह स्वयं अथवा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों या अधिकारियों द्वारा करता है। और देश का शासन उसके नाम पर चलाया जाता है। मुख्य कार्यपालिका की तुलना प्राय:एक निजी कंपनी के जनरल मैनेजर से की जाती है।

विधानमंडल देश की नीति की सामान्य रूपरेखा तैयार करता है और उसे विस्तृत रूप देने का कार्य मुख्य कार्यपालिका की करने के लिए छोड़ देता है। मुख्य कार्यपालिका की प्रशासकीय कार्यों का विस्तार सहित वर्णन निम्नलिखित है-

प्रशासकीय नीति निर्माण ( Formulation of Administrative Policy )

मुख्य कार्यपालिका का प्रथम और महत्वपूर्ण कार्य देश की प्रशासकीय नीति का निर्माण करना होता है। विधानमंडल तो नीति की केवल रूपरेखा ही तैयार करता है और उसे विस्तृत रूप देना मुख्य कार्यपालिका का कार्य होता है। प्रशासकीय नीति निर्माण के कार्य में चाहे प्रशासकीय पद सोपान का भी योगदान होता है परंतु इसमें मुख्य कार्यपालिका बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

संसदीय शासन प्रणाली में मंत्रिमंडल की स्थिति बड़ी शक्तिशाली होती है। इंग्लैंड के मंत्रिमंडल की सुदृढ़ स्थिति के बारे में रैग्जे ग्योर लिखते हैं कि इंग्लैंड में विधानमंडल सचमुच में तानाशाह बन गया है । लगभग 90% नीतियों का निर्माण मुख्य कार्यपालिका द्वारा ही किया जाता है और संसद केवल उन पर अपनी स्वीकृति की मुहर ही लगा देता है।

यह भी पढ़े –

संगठन को निर्धारित करना ( Determination of Organization )

देश के समस्त शासन को कुशलता सहित चलाने के लिए साधारण तौर पर संगठन के कई रूप जैसे कि विभाग, बोर्ड और आयोग, कंपनी, निगम आदि की स्थापना करनी पड़ती है। विधानमंडल को यह शक्ति प्राप्त होती है कि वह इनकी स्थापना कर सकता है अथवा इन्हें समाप्त भी कर सकता है। संगठन के इन भिन्न-भिन्न रूपों को अन्य सभी कार्यों की पूर्ति का अधिकार मुख्य कार्यपालिका का होता है।

कर्मचारियों की नियुक्ति और पद से हटाने की शक्ति ( Power to Appoint and Remove the Personnal )

विश्व के लगभग सभी देशों में उच्च अधिकारियों की नियुक्ति करने और उन्हें पद से हटाने की शक्ति मुख्य कार्यपालिका के पास होती है। राज्य के कल्याणकारी स्वरूप होने के कारण राज्य को हजारों की संख्या में योग्य कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। इन कर्मचारियों की योग्यता परखने के लिए वर्तमान समय में प्रत्येक देश में स्वतंत्र लोक सेवा आयोग की व्यवस्था की जाती है।

भारत में अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के लिए योग्य कर्मचारियों का चुनाव करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई है। चाहे आयोग एक सिफारिशी संस्था है परन्तु नियुक्तियां करने का अंतिम अधिकार मुख्य कार्यपालिका के पास ही है। इस तरह कर्मचारियों को पद से हटाने का अधिकार भी कार्यपालिका के पास ही है।

निर्देश जारी करने का अधिकार ( Power to issue directions )

देश के प्रशासकीय ढांचे का मुखिया मुख्य कार्यपालिका होता है और प्रशासन को चलाने के लिए उसकी सहायता के लिए हजारों अधिकारी अथवा कर्मचारी होते हैं। सफल और कुशल शासन के लिए यह आवश्यक होता है कि मुख्य कार्यपालिका उनका केवल नेतृत्व ही ना करें अपितु उन्हें कार्य के विषय में समय-समय पर निर्देश भी जारी करें। यदि कोई भी विभाग अपना काम करने में लापरवाही करते हैं तो उन्हें मुख्य कार्यपालिका ऐसा ना करने का निर्देश जारी करते हैं।

यह भी पढ़े –

प्रशासकीय संगठन में तालमेल स्थापित करना ( To Coordinate in the Administrative Organization )

मुख्य कार्यपालिका का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य यह है कि यह प्रशासकीय संगठन में तालमेल कायम करता है। आधुनिक युग में राज्य के अनेकों कार्य को सफलतापूर्वक करने की कई तरह की प्रशासकीय इकाईयां जैसे कि विभाग, डिवीजन, सेक्शन, कमीशन बोर्ड आदि की स्थापना की जाती है।

चाहे प्रत्येक प्रशासकीय इकाई का कार्य और क्षेत्र निर्धारित होता है परंतु फिर भी इन सभी के कार्यों में तालमेल बनाए रखने का दायित्व मुख्य कार्यपालिका का होता है। ऐसा इसलिए भी आवश्यक है ताकि उनमें किसी तरह के मतभेद ना हो।

प्रशासन की निगरानी और नियंत्रण ( To Supervise and Control the Administrative )

देश के प्रशासन को कुशलतापूर्वक चलाने का दायित्व मुख्य कार्यपालिका का होता है। इस उद्देश्य के लिए वह समूचे प्रशासन की निगरानी करता है। उस पर आवश्यक नियंत्रण भी रखता है। सफल मुख्य कार्यपालिका के लिए यह आवश्यक है कि उसे प्रत्येक विभाग के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त हो और यदि आवश्यकता पड़े तो किसी भी विभाग से आवश्यक सूचना प्राप्त कर सकता है।

वित्त प्रबंधन पर नियंत्रण ( Control over the Management of Finance )

वित्त की प्रशासन में बहुत महत्ता होती है। यह प्रशासन रूपी मोटर में तेल का काम करती है। दूसरे शब्दों में वित्त के बिना प्रशासन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। देश के वित्त का नियंत्रण मुख्य कार्यपालिका का क्षेत्र होता है। और चाहे वित्त पर विधानमंडल का नियंत्रण होता है परंतु बजट तैयार करने और विधानमंडल की स्वीकृति के लिए उसे पेश कराने का दायित्व मुख्य कार्यपालिका का ही होता है।

यह भी पढ़े –

जांच पड़ताल का अधिकार ( Power of Investigation )

देश के समस्त प्रशासन का मुखिया होने के कारण संगठन के भिन्न-भिन्न रूपों पर उसका पूरा नियंत्रण होता है। और वह उन पर किसी भी तरह की रिपोर्ट मांग सकता है और यदि रिपोर्ट में किसी तरह की लापरवाही की तो वह उसकी जांच के आदेश भी जारी कर सकता है। यह जांच विभागीय भी हो सकती है और किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा भी करवाई जा सकती है।

भारत में कई ऐसे उदाहरण है जबकि मुख्य कार्यपालिका द्वारा सरकारी विभागों और सार्वजनिक उद्यमों के कार्यों और उच्च अधिकारियों के कार्यकाल की जांच पड़ताल के लिए अनेकों जांच समितियां और जांच आयोगों की नियुक्ति की जा चुकी है। उदाहरणस्वरूप 1958 में जीवन बीमा निगम के कार्यों के संबंध में जांच के लिए छागला आयोग ,1977 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री देवराज अर्स के विरुद्ध ग्रोवर आयोग ।

जन संपर्क ( Public Relations )

प्राचीन समय में जब देश की सत्ता राजा और रानियों के पास होती थी उस समय जनसंपर्क की कोई महत्व नहीं होती थी क्योंकि राजा-रानी अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति उत्तरदाई नहीं होते थे परंतु वर्तमान समय में संसार की लगभग सभी देशों में लोकतंत्र सरकार प्रचलित है जहां अंतिम सत्ता लोगों के पास होती है और इसलिए सरकार को अपने सभी कार्य जनता की इच्छाओं के अनुसार करने पड़ते हैं ।

जनसंपर्क कायम करने का दायित्व मुख्य कार्यपालिका का होता है। इसलिए लोगों से निरंतर संपर्क कायम करने के लिए सरकार लोक संपर्क विभाग की स्थापना करती है और इसके माध्यम द्वारा अपनी नीतियों और कार्यक्रम लोगों तक पहुंचाती है। इस विभाग द्वारा लोगों की शिकायतें सुनी जाती है और उनका योग्य समाधान खोजने का यत्न भी करती है।

यह भी पढ़े –

FAQ Checklist

मुख्य कार्यपालिका के सैनिक कार्य बताएं ।

देश को बाहरी आक्रमणों से बचाने का मुख्य दायित्व मुख्य कार्यपालिका का होता है। भारत में समस्त सेनाओं – जल ,थल और हवाई का मुख्य सेनापति होता है । सेना के बड़े बड़े अधिकारियों की नियुक्ति मुख्य कार्यपालिका द्वारा किया जाता है।

मुख्य कार्यपालिका के वैधानिक कार्य बताएं ।

1.संसद का सम्मेलन कार्यपालिका के मुखिया द्वारा ही बुलाया जाता है जैसे कि भारत का राष्ट्रपति संसद की बैठक के लिए आदेश जारी करता है।
2.विधानमंडल द्वारा पास किया हुआ प्रत्येक बिल भी मुख्य कार्यपालिका की स्वीकृति के बाद ही कानून का रूप धारण करता है।

मुख्य कार्यपालिका के राजनीतिक कार्य बताएं ।

मुख्य कार्यपालिका के राजनीतिक कार्य -कूटनीतिक कार्य, वैधानिक कार्य , वित्त कार्य , न्याय सम्बन्धी कार्य।

मुख्य कार्यपालिका के प्रशासनिक कार्य बताएं ।

मुख्य कार्यपालिका के प्रशासनिक कार्य -प्रशासकीय नीति निर्माण, जन संपर्क ,जांच पड़ताल का अधिकार ,प्रशासकीय संगठन में तालमेल स्थापित करना।

मुख्य कार्यपालिका को कौन से कूटनीतिक कार्य करने पड़ते हैं ?

आधुनिक युग में विश्व के सभी देशों को अपने अनेकों आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी न किसी देश पर अवश्य निर्भर करना पड़ता है। इसलिए प्रत्येक राज्य को अन्य देशों के साथ बेहतर संबंध कायम करने पड़ते हैं। अन्य देशों के साथ कूटनीतिक संबंध कायम करने का दायित्व मुख्य कार्यपालिका का होता है।

मुख्य कार्यपालिका के वित्त कार्य बताएं ।

यह ठीक है कि राज्य के वित्त का रक्षक विधानमंडल होता है अर्थात विधानमंडल की स्वीकृति के बिना ना तो एक नया पैसा खर्च किया जा सकता है और ना ही एकत्र किया जा सकता है। परंतु फिर भी आय-व्यय का विवरण कार्यपालिका द्वारा ही तैयार किया जाता है।

संसद कार्यपालिका को कैसे नियंत्रित करती है ?

कार्यपालिका (यानी राजनीतिक कार्यपालिका मंत्रिपरिषद) उत्तरदायी रहती है और प्रशासन संसद के प्रति जवाबदेह रहता है। कार्यपालिका पर राजनीतिक और वित्तीय नियंत्रण रखना और प्रशासन की संसदीय निगरानी सुनिश्चित करना संसद का कार्य है।

कार्यपालिका क्या है ?

औपचारिक रूप से कार्यकारी शक्तियों की समस्त शक्तियां राष्ट्रपति को दी गई है परंतु कार्यपालिका का वास्तविक मुखिया प्रधानमंत्री होता है और मंत्रिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। इस प्रकार समस्त शक्तियों का प्रयोग देश का प्रधानमंत्री करता है। इसलिए प्रधानमंत्री को वास्तविक कार्यपालिका कहा जाता है जो कि कार्यपालिका का मुखिया होता है।

संसद में कार्यपालिका की क्या भूमिका है?

कार्यपालिका संसद के कार्यों और नीतियों के लिए उत्तरदायी होती है। यह सरकार के संसद रूप द्वारा अधिनियमित किया गया है। इस प्रकार, ऐसे विभिन्न उपाय हैं जिन्हें संसद नियंत्रित करने के लिए उपयोग करती है। ये प्रश्नकाल, समितियाँ, शून्यकाल आदि हैं।

सरकार के कितने अंग होते हैं?

सरकार के तीन अंग – विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका होते हैं।

और पढ़े –