India's Role in Non Alignment Movement and Non-Alignment Summit List भारत द्वारा गुट-निरपेक्षता की नीति को अपनाने के मुख्य कारण

Non Alignment: गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की भूमिका | गुट निरपेक्ष सम्मेलनों की सूची

गुट निरपेक्षता राजनीति विज्ञान

Non Alignment Policy : Reasons of adopting the policy of Non Alignment by India भारत द्वारा गुट-निरपेक्षता की नीति को अपनाने के कारण , गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की भूमिका और गुट निरपेक्ष सम्मेलनों की सूची – गुटनिरपेक्षता का अर्थ है विभिन्न शक्ति गुटों से अलग रहते हुए प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय प्रशन का निर्णय गुण दोषों के आधार पर करना।

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यह स्वतंत्र विदेश नीति है। यह सैनिक गठबंधन का विरोध करती है। यह भारतीय क्षेत्र अथवा अन्य गुटनिरपेक्ष राज्यों में महा शक्तियों के सैनिक अड्डे बनाने का विरोध करती है।

Table of Contents विषय सूची

भारत द्वारा गुट-निरपेक्षता की नीति को अपनाने के मुख्य कारण ( Reasons of adopting the policy of Non Alignment by India )

गुट-निरपेक्षता प्रत्येक प्रकार की सैनिक सुरक्षा संधियों का विरोध करती है जो तनाव तथा शक्ति राजनीति की अपेक्षा और कुछ नहीं है। भारत द्वारा गुट-निरपेक्षता की नीति को अपनाने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

भारत का आर्थिक पुनर्निर्माण ( Economic Reconstruction of India )

भारत कई वर्षो की गुलामी के बाद स्वतंत्र हुआ था और इसके सामने सबसे महत्वपूर्ण प्रशन देश का आर्थिक पुनर्निर्माण था। यह कार्य शांति के वातावरण में हो सकता था ना कि तनाव अथवा युद्ध की स्थिति में। यदि भारत किसी एक गुट का सदस्य बन जाता तो उससे स्थिति तनावपूर्ण हो सकती थी जो भारत के लिए उचित नहीं था।

स्वतंत्र नीति निर्धारण के लिए ( For Independent Policy Making )

भारत ने एक लंबी संघर्ष तथा अनेकों बलिदानों के पश्चात स्वतंत्रता प्राप्त की थी जिसे वह किसी भी स्थिति में खोना नहीं चाहता था। किसी एक गुट में शामिल हो जाने से भारत अपने मूल्यवान स्वतंत्रता को खो बैठता जिसके लिए वह कभी तैयार नहीं था। अतः अपनी पूर्ण स्वतंत्रता को बनाए रखने तथा अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को अपनाने की इच्छा के कारण भारत ने गुट-निरपेक्षता की नीति का अनुसरण किया।

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शांति का समर्थक ( Supporter of Peace )

भारत प्राचीन समय से एक शांतिप्रिय देश रहा है और इसने कभी भी विस्तारवाद की नीति का अनुसरण नहीं किया है। किसी एक गुट में शामिल होने से भारत में तनाव की स्थिति पैदा हो सकती थी क्योंकि इस स्थिति में दूसरा गुट भारत का विरोध करता।

भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए ( For Increasing Prestige of India )

भारत की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए भी गुट-निरपेक्षता की नीति को अपनाना अनिवार्य था। ऐसा विचार किया गया कि यदि भारत अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर अपना निष्पक्ष निर्णय लेता है तो दोनों गुट उसका आधार करेंगे। बाद की घटनाओं ने इस विचार को ठीक सिद्ध किया है।

भारत की भौगोलिक स्थिति ( Geographical Situation of India )

भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी थी कि यदि वह किसी एक गुट के साथ शामिल हो जाता तो उसके स्वतंत्र अस्तित्व को खतरा पैदा हो सकता था।

पंडित नेहरु जी का विश्वास ( Faith of Pt.Nehru )

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू विश्व शांति तथा गुट-निरपेक्षता की नीति के प्रबल समर्थक थे। अतः भारत ने इस नीति का अनुसरण किया।

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गुट-निरपेक्ष आंदोलन में भारत की भूमिका और गुट-निरपेक्ष सम्मेलनों की सूची ( India’s Role in Non Alignment Movement and Non-Alignment Summit List )

गुटनिरपेक्ष आंदोलन के जितने भी सम्मेलन हुए हैं भारत ने उन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन की सूची निम्नलिखित है-

पहला गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1961 ( 1st Non-Aligned Conference 1961 )

गुटनिरपेक्ष देशों का प्रथम सम्मेलन 1961 में बेलग्रेड में हुआ। इस सम्मेलन में 25 देशों के प्रतिनिधियों तथा 3 पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि श्री जवाहरलाल नेहरू ने विश्व की महान शक्तियों से अपील की कि वे विश्व में शांति बनाए रखने के लिए प्रयत्न करें और परमाणु परीक्षणों को बंद करें।

दूसरा गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1964 ( Second Non-Aligned Conference 1964 )

गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों का दूसरा सम्मेलन 1964 में काहिरा में हुआ। इस सम्मेलन में 47 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के सिद्धांतों की घोषणा की गई।

तीसरा गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1970 ( Third Non-Aligned Conference 1970 )

गुट-निरपेक्ष राज्यों का तीसरा सम्मेलन 1970 में लुसाका में हुआ। इस सम्मेलन में 54 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया गया कि संसार के साधन संपन्न तथा निर्धन देशों के बीच जो संघर्ष चल रहा है उसे दूर करने का प्रयत्न किया जाए।

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चौथा गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1973 ( Fourth Non-Aligned Conference 1973 )

गुट-निरपेक्ष देशों का चौथा सम्मेलन 1973 में अल्जीयर्स में हुआ जिसमें 76 देशों के प्रतिनिधियों और पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में आर्थिक सहयोग पर विशेष बल दिया गया।

पांचवा गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1976 ( Fifth Non-Aligned Conference 1976 )

पांचवा गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1976 में कोलंबो में हुआ । इसमें 86 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने गुटनिरपेक्ष देशों में आर्थिक सहयोग पर बल दिया और एक नई अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थापना की मांग की।

छठा गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1979 ( Sixth Non- Aligned Conference 1979 )

छठा गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1979 में हवाना में हुआ। इस सम्मेलन में 94 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारत की ओर से इस सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री श्री एलएन मिश्रा ने भाग लिया।

विदेश मंत्रियों का सम्मेलन 1981 ( Conference of Foreign Ministers 1981 )

1981 में गुट-निरपेक्ष देशों के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन नई दिल्ली में हुआ। इस सम्मेलन में 95 देशों के विदेश मंत्रियों तथा 20 देशों के पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव भी आए थे। इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय महत्व के विषयों जैसे अफगानिस्तान में रूसी सेनाओं की उपस्थिति, ईरान-इराक तथा आर्थिक सहयोग के विषय में विचार विमर्श किया गया।

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सातवां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1983 ( Seventh Non- Aligned Conference 1983 )

गुट-निरपेक्ष राज्यों का सातवां 1983 में नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में हुआ। इस सम्मेलन में 101 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने सभी देशों से विश्व शांति पूर्ण निशस्त्रीकरण ,नई आर्थिक व्यवस्था के लिए अभियान और अधिक तेज करने के लिए कहा ।

आठवां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1986 ( Eighth Non- Aligned Conference 1986 )

गुट-निरपेक्ष देशों का आठवां सम्मेलन 1986 में हरारे में जिंबाब्वे के प्रधानमंत्री श्री रॉबर्ट मुगाबे की अध्यक्षता में हुआ। इस सम्मेलन में श्री राजीव गांधी ने महा शक्तियों से अनुरोध किया कि वे परमाणु बमों से मानवता की रक्षा करने में सहयोग दें तथा इसके बारे में गंभीरतापूर्वक विचार करें। सम्मेलन में अफ्रीका के राज्यों को सहायता देने के लिए अफ्रीका कोष की स्थापना की गई।

भारत ने इस अफ्रीका कोष का अध्यक्ष बनना स्वीकार किया और इस कोष में चार करोड़ का चंदा देने की घोषणा की। इस कोष से अफ्रीकी देशों को खाद आपूर्ति, परिवहन संचार तथा ऊर्जा की सहायता मिलेगी। गुट-निरपेक्ष देशों के अतिरिक्त पूर्व सोवियत संघ पक्ष में जर्मनी तथा कनाडा आदि राज्यों ने भी इस कोर्स के लिए धन दिया।

नौवां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1989 ( Ninth Non- Aligned Conference 1989 )

गुट-निरपेक्ष देशों के शासनाध्यक्षों का नौवां शिखर सम्मेलन सितंबर 1989 में बेलग्रेड में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में नेताओं ने साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद ,जातिवाद तथा रंगभेद की नीति का डटकर विरोध करने का निर्णय लिया ताकि विकासशील देशों पर वह सभी प्रकार का प्रभुत्व समाप्त हो सके। भारत फिर से अफ्रीका कोष का अध्यक्ष चुना गया।

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दसवां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1992 ( Tenth Non- Aligned Conference 1992 )

गुट-निरपेक्ष देशों का दसवां अधिवेशन 1992 में जकार्ता ,इंडोनेशिया की राजधानी में हुआ। इस सम्मेलन में 108 राष्ट्रों के अध्यक्षों तथा शासन अध्यक्षों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक तथा आर्थिक स्थितियों पर विचार किया गया तथा ऐसे साधन जुटाए गए जिनसे संघर्ष वाले क्षेत्रों में शांति स्थापित हो सके।

इस सम्मेलन में यह भी प्रस्ताव पास किया गया कि चूंकि संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों की संख्या बहुत अधिक बढ़ चुकी है इसलिए इसके संगठन में संशोधन करके सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या तथा अधिकारों में वृद्धि की जाए।

ग्यारवां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1995 ( Eleventh Non- Aligned Conference 1995 )

गुट-निरपेक्ष देशों का 11 वां सम्मेलन 18-20 अक्टूबर 1995 को कोलंबिया के नगर कार्टहिना में हुआ। इस सम्मेलन में गुटनिरपेक्ष आंदोलन के 113 देशों ने भाग लिया। यह तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय वित्त प्रणाली व संयुक्त राष्ट्र संघ के पुनर्गठन व्यवस्था में सुधार के संकल्प और कम आय वाले विकासशील देशों के बहुआयामी कर्जा माफ करने की मांग के साथ संपन्न हुआ।

12वां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 1998 ( Twelth Non- Aligned Conference 1998 )

गुट-निरपेक्ष देशों का 12वां शिखर सम्मेलन 1998 में डरबन, दक्षिण अफ्रीका की राजधानी में संपन्न हुआ जिसमें 114 गुटनिरपेक्ष देशों ने भाग लिया। इसमें गुट-निरपेक्ष आंदोलन के देशों ने 5 परमाणु शक्ति संपन्न देशों के इस रवैया को अस्वीकार किया कि परमाणु आयुद्ध भंडार बनाए रखने पर उनका एकाधिकार है।

इस सम्मेलन में आतंकवाद से निपटने संबंधी भारत के प्रस्ताव का भी समर्थन किया गया। इस सम्मेलन में आक्रमण, नस्लवाद , बल-प्रयोग , अनुचित आर्थिक दबाव करने वाली भावनाओं से निजात पाने का भी आग्रह किया ।

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13वां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 2003( 13th Non- Aligned Conference 2003 )

गुट-निरपेक्ष देशों का 13वा शिखर सम्मेलन 24-25 फरवरी 2003 को मलेशिया में कुआलालंपुर में संपन्न हुआ जिसमें 116 सदस्य देशों ने भाग लिया। सम्मेलन की समाप्ति पर सदस्य राज्यों द्वारा स्वीकार किए गए 76 पृष्ठीय’ निर्गुट शिखर सम्मेलन घोषणापत्र ‘ में विश्व में बढ़ती एक ध्रुवीय प्रवृत्ति और एक तरफा थोपी जाने वाली धारणा पर कड़ी आपत्ति करते हुए गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने नए तरह के परमाणु हथियार विकसित करने संबंधी अमेरिकी रूख के प्रति गंभीर चिंता व्यक्त की।

14वां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 2006 ( 14th Non- Aligned Conference 2006 )

गुट-निरपेक्ष देशों का14वां शिखर सम्मेलन 15-16 सितंबर 2006 में हवाना, क्यूबा में संपन्न हुआ ।

15वां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 2009 ( 15th Non- Aligned Conference 2009 )

गुट-निरपेक्ष देशों का 15वां शिखर सम्मेलन 11-16 जुलाई 2009 मिस्र ( इजिप्ट )में संपन्न हुआ । इस सम्मेलन में 118 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों और 16 पर्यवेक्षकों ने शिखर सम्मेलन में भाग लिया। नए अध्यक्ष मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक सत्र के अपने समापन नोट में प्रतिज्ञा की थी मिस्र गुट निरपेक्ष आंदोलन और उसके सिद्धांतों की सेवा करने की पूरी कोशिश करेगा। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य शांति और विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की ओर अधिक ध्यान देना रहा ।

16वां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 2012 ( 16th Non- Aligned Conference 2012 )

गुट-निरपेक्ष देशों का 16 वां शिखर सम्मेलन 26-31 अगस्त 2012 को तेहरान ,ईरान में संपन्न हुआ। इस शिखर सम्मेलन में 120 देशों के नेताओं ने भाग लिया। जिसमें 24 राष्ट्रपति, 3 राजा, 8 प्रधानमंत्री और 50 विदेश मंत्री शामिल थे। इस सम्मेलन में मुख्य रूप से इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे संयुक्त वैश्विक शासन के माध्यम से स्थाई शांति स्थापित की जा सके । ईरान ने सीरियाई गृहयुद्ध को हल करने के लिए एक नया शांति प्रस्ताव तैयार करने का भी इरादा किया।

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17वां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 2016 ( 17th Non- Aligned Conference 2016 )

गुट-निरपेक्ष देशों का 17वां शिखर सम्मेलन 13 से 18 सितंबर 2016 को पोर्लमर,वेनेजुएला में संपन्न हुआ। इस शिखर सम्मेलन में विकास के लिए शांति, संप्रभुता और एकजुटता पर अधिक महत्व दिया गया।

18वां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 2019 ( 18th Non- Aligned Conference 2019 )

गुटनिरपेक्ष देशों का 18वां शिखर सम्मेलन 25-26 अक्टूबर 2019 को बाकू, अज़रबैजान में संपन्न हुआ। शिखर सम्मेलन में 120 से अधिक देशों के प्रतिनिधि मंडल ने भाग लिया। इस सम्मेलन पर इस बात पर चर्चा की गई कि समकालीन दुनिया की चुनौतियों के लिए एक ठोस और पर्याप्त प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए बाड़ूग सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।

शिखर सम्मेलन की रूपरेखा अंतिम दस्तावेज थी जिसे 18 से 21 जुलाई तक काराकस वेनेजुएला में आयोजित गुटनिरपेक्ष आंदोलन समन्वय ब्यूरो की मंत्री स्तरीय बैठक के दौरान अपनाया गया था। अजरबैजान के राष्ट्रपति प्रशासन के विदेश नीति विभाग के प्रमुख ने भी कहा कि एजेंडा में मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के मुद्दे शामिल होंगे।

19वां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन 2024 ( 19th Non- Aligned Conference 2024 )

गुट निरपेक्ष देशों का 19 वां शिखर सम्मेलन जनवरी 2024 में कंपाला, यूगांडा में होने वाला है ।

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FAQ Checklist

भारत के आर्थिक पुनर्निर्माण का क्या अर्थ है ?

भारत कई वर्षो की गुलामी के बाद स्वतंत्र हुआ था और इसके सामने सबसे महत्वपूर्ण प्रशन देश का आर्थिक पुनर्निर्माण था। यह कार्य शांति के वातावरण में हो सकता था ना कि तनाव अथवा युद्ध की स्थिति में। यदि भारत किसी एक गुट का सदस्य बन जाता तो उससे स्थिति तनावपूर्ण हो सकती थी जो भारत के लिए उचित नहीं था।

भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए गुटनिरपेक्षता जरूरी क्यों लगा ?

भारत की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए भी गुटनिरपेक्षता की नीति को अपनाना अनिवार्य था । ऐसा विचार किया गया कि यदि भारत अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर अपना निष्पक्ष निर्णय लेता है तो दोनों गुट उसका आधार करेंगे। बाद की घटनाओं ने इस विचार को ठीक सिद्ध किया है।

गुट-निरपेक्ष आंदोलन का पहला सम्मेलन कब और कहां हुआ ?

गुटनिरपेक्ष देशों का प्रथम सम्मेलन 1961 में बेलग्रेड में हुआ। इस सम्मेलन में 25 देशों के प्रतिनिधियों तथा 3 पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि श्री जवाहरलाल नेहरू ने विश्व की महान शक्तियों से अपील की कि वे विश्व में शांति बनाए रखने के लिए प्रयत्न करें और परमाणु परीक्षणों को बंद करें।


गुट-निरपेक्ष आंदोलन क्या होता है?

गुट-निरपेक्षता का सरल अर्थ है कि विभिन्न शक्ति गुटों से तटस्थ या दूर रहते हुए अपनी स्वतन्त्र निर्णय नीति और राष्ट्रीय हित के अनुसार सही या न्याय का साथ देना। आंख बंद करके गुटों से अलग रहना गुटनिरपेक्षता नहीं हो सकती।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का उद्देश्य क्या है?

यह स्वतंत्र विदेश नीति है। यह सैनिक गठबंधन का विरोध करती है। यह भारतीय क्षेत्र अथवा अन्य गुटनिरपेक्ष राज्यों में महा शक्तियों के सैनिक अड्डे बनाने का विरोध करती है।


गुटनिरपेक्ष आंदोलन का गठन क्यों किया गया था?

गुट-निरपेक्ष आंदोलन (NAM) की स्थापना 1961 में शीत युद्ध के टकराव के संदर्भ में विकासशील देशों के हितों को आगे बढ़ाने की दृष्टि से की गई थी। अपने पहले तीन दशकों में, आंदोलन ने विऔपनिवेशीकरण, नए स्वतंत्र राज्यों के गठन और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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