United Nations Principal Organs in Hindi संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंग

United Nations : संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 मुख्य अंग

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United Nations Principal Organs in Hindi संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंग – संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना से पहले द्वितीय विश्व महायुद्ध की अग्नि में झुलस चुका था । आने वाली पीढ़ियों को युद्ध के विनाश से बचाने के लिए ही इस विश्व संगठन की स्थापना की गई ।

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Table of Contents विषय सूची

संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंग ( United Nations Principal Organs in Hindi )

संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं- महासभा , सुरक्षा परिषद ,आर्थिक तथा सामाजिक परिषद , न्याय परिषद , सचिवालय , न्याय का अंतरराष्ट्रीय परिषद । नीचे इनका विस्तृत वर्णन किया गया हैं –

महासभा ( General Assembly of United Nations Organization )

संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य साधारण सभा के सदस्य होते हैं । यह संयुक्त संघ की विधानपालिका हैं जिसमें अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर खुलकर विचार -विमर्श किया जाता हैं । प्रत्येक सदस्य राज्य महासभा की बैठक में पांच प्रतिनिधि तथा पांच वैकल्पिक प्रतिनिधि भेज सकता है परंतु मतदान के समय राज्य का एक ही मत होगा ।

साधारण सभा का वर्ष में एक अधिवेशन होना अनिवार्य है जो प्राय: सितंबर के महीने में न्यूयॉर्क में होता है। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद की सिफारिश अथवा बहुमत राज्यों की प्रार्थना पर महासभा का विशेष अधिवेशन भी बुलाया जा सकता है।

सन 1956 में हंगरी में भूतपूर्व सोवियत संघ के हस्तक्षेप के समय, 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय तथा सन 1980 में इजराइल से अरब के क्षेत्र खाली कराने के संबंध में इसके विशेष अधिवेशन बुलाए गए थे।

महासभा की मीटिंग के लिए प्रति वर्ष महासभा अपना प्रधान निर्वाचित करती है। प्रधान के अतिरिक्त 21 देशों के उप प्रधान भी निर्वाचित किए जाते हैं जो प्रधान की अनुपस्थिति में इसकी अध्यक्षता करते हैं।

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महासभा के निर्णय ( Decisions of General Assembly )

महासभा में साधारण विषयों के संबंध में निर्णय साधारण बहुमत से तथा महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय के लिए उपस्थित सदस्यों का दो तिहाई बहुमत आवश्यक है। चार्टर के अनुच्छेद 18 के अनुसार महत्वपूर्ण विषयों पर निम्नलिखित विषय शामिल है –

  • अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की स्थापना के विषय में सिफारिश
  • सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों का चुनाव।
  • संरक्षण परिषद के सदस्यों का चुनाव
  • आर्थिक तथा सामाजिक परिषद के सदस्यों का चुनाव।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ में नए सदस्यों को शामिल करना।
  • सदस्य के अधिकारों और सुविधाओं का स्थगन।
  • बजट के प्रश्न।

महासभा के कार्य ( Functions of General Assembly )

  1. महासभा विश्व शांति और सुरक्षा की स्थापना करने से संबंधित विषयों पर निशस्त्रीकरण तथा मानव अधिकारों से संबंधित सभी विषयों पर विचार विमर्श कर सकती है।
  2. संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी विभाग अपनी वार्षिक रिपोर्ट महासभा के सामने पेश करते हैं जिससे इन पर विचार करने का अधिकार प्राप्त होता है।
  3. महासभा इस बात को निश्चित करती है कि प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को कितनी धनराशि संयुक्त राष्ट्र संघ को देनी होगी।
  4. यह सुरक्षा परिषद का ध्यान उन विषयों की ओर आकर्षित करती है जो अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
  5. महासभा सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों आर्थिक और सामाजिक परिषद के सदस्यों तथा न्यास परिषद के कुछ सदस्यों का चुनाव करती है।
  6. महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट पर विचार करती है तथा उसे स्वीकृति प्रदान करती है।
  7. महासभा सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव का चुनाव करती है।
  8. महासभा को संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के संशोधन में भाग लेने का अधिकार है।
  9. महासभा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों के चुनाव में भाग लेती है।
  10. सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ के नए सदस्य बनाती है तथा उनकी सदस्यता समाप्त कर सकती है।

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सुरक्षा परिषद ( Security Council of United Nations Organization )

सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यपालिका है। सुरक्षा परिषद के सदस्यों की कुल संख्या 15 है। इन में से 5 राष्ट्र- संयुक्त राज्य अमेरिका,रूस,इंग्लैंड, फ्रांस,चीन है जो इसके स्थाई सदस्य हैं और अन्य 10 सदस्य गैर स्थाई सदस्य हैं जो कि प्रत्येक 2 वर्ष के पश्चात महासभा के द्वारा चुने जाते हैं।

सुरक्षा परिषद में प्रस्तुत होने वाले प्रस्तावों को दो श्रेणियों में बांटा जाता है- प्रक्रिया संबंधी मामले तथा अन्य महत्वपूर्ण विषय। प्रक्रिया संबंधी विषयों पर कोई निर्णय तभी लिया जा सकता है जबकि 15 में से 9 सदस्यों की सकारात्मक मत प्राप्त होंगे परंतु अन्य महत्वपूर्ण विषयों के संबंध में निर्णय लेने के लिए 15 में से 9 सदस्यों के बहुमत की आवश्यकता होती है और उनमें पांच स्थाई सदस्यों की मत शामिल होना अनिवार्य है।

दूसरे शब्दों में किसी एक भी स्थाई सदस्य का नकारात्मक मत होने की स्थिति में सुरक्षा परिषद कोई कार्यवाही नहीं कर सकती। इसे निषेधाधिकार कहा जाता है परंतु निषेधाधिकार यदि कोई सदस्य बैठक अथवा मतदान का बहिष्कार करें तो वह निषेध अधिकार नहीं माना जाएगा।

प्रत्येक महीने में दो बार सुरक्षा परिषद की बैठकें होती है। वैसे आवश्यकता के अनुसार अधिक बैठकर भी बुलाई जा सकती है।

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सुरक्षा परिषद के कार्य ( Functions of Security Council of United Nations Organization )

संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की मुख्य शक्तियां तथा कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. अंतरराष्ट्रीय शांति व्यवस्था को बनाए रखना सुरक्षा परिषद की प्रमुख जिम्मेदारी है। विश्व के किसी भी भाग में शांति भंग होने की स्थिति में यह तुरंत कार्यवाही करने का अधिकार रखती है।
  2. यदि सुरक्षा परिषद यह अनुभव करे कि किसी विशेष परिस्थिति के उत्पन्न होने से संसार में शांति भंग हो सकती है तो वह कोई भी उपाय कर सकती है जिससे उस समस्या का समाधान और शांति स्थापित हो जाए।
  3. सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में संशोधन करने में भी भाग लेती है।
  4. संयुक्त राष्ट्र का महासचिव सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा चुना जाता है। सुरक्षा परिषद महासभा के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का चुनाव करती है।
  5. कोई राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य उस समय तक नहीं बन सकता जब तक कि सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों के स्वीकारात्मक मत सहित 9 सदस्यों का समर्थन प्राप्त ना हो। यदि कोई सदस्य राष्ट्र बार-बार चार्टर के सिद्धांतों का उद्योग करता है तो सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा उससे संघ से निकाल सकती है।
  6. सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के बारे में कोई भी कदम उठा सकती है।

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आर्थिक तथा सामाजिक परिषद ( Economic and Social Council of United Nations Organization )

आर्थिक तथा सामाजिक परिषद में कुल 54 सदस्य होते हैं जिन का चुनाव महासभा द्वारा 3 वर्ष के लिए किया जाता है। इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक वर्ष सेवा निवृत हो जाते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य चुन लिए जाते हैं। सदस्यों को तुरंत दोबारा चुनाव लड़ने का अधिकार प्राप्त नहीं है।

परिषद प्रतिवर्ष अपने में से एक अध्यक्ष सुनती है। इसकी बैठकों में सभी निर्णय उपस्थित तथा मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से किए जाते हैं।

आर्थिक तथा सामाजिक परिषद के कार्य ( Functions of Economic and Social Council of United Nations Organization )

  • आर्थिक व सामाजिक परिषद आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक शैक्षणिक तथा स्वास्थ्य संबंधी प्रश्न पर विचार करने के लिए सम्मेलन आयोजित करती है।
  • विश्व के सभी लोगों के लिए मानवाधिकार तथा स्वतंत्रता दिलाने के लिए प्रयत्न करना।
  • अपने कार्यों को रिपोर्ट महासभा के पास भेजना।

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न्यास परिषद ( Trusteeship Council of United Nations Organization )

न्यास परिषद में निम्नलिखित प्रकार के सदस्य होंगे- न्यास प्रदेशों का प्रशासन चलाने वाले सभी राज्य ,सुरक्षा परिषद के सभी स्थाई सदस्य जो न्यास प्रदेशों का शासन नहीं चलाते हैं, महासभा द्वारा 3 वर्ष की अवधि के लिए चुने गए कुछ सदस्य । परिषद के सदस्य अपने सदस्यों में से ही गुप्त पृथक मत पत्र द्वारा सभापति अध्यक्ष का चुनाव करती है। इसके अतिरिक्त समिति के सदस्य उप-सभापति का भी चुनाव करते हैं।

न्याय परिषद की वर्ष में दो बैठके होती है। एक जनवरी तथा दूसरी जून में। वैसे सदस्यों के बहुमत की प्रार्थना पर इसकी बैठक कभी भी बुलाई जा सकती है। बैठक में निर्णय उपस्थित एवं मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के बहुमत से होता है।

न्यास परिषद के कार्य ( Functions of Trusteeship Council of United Nations Organization )

न्याय परिषद का मुख्य कार्य न्यास क्षेत्रों को स्वतंत्र होने के योग्य बनाना और संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयत्नों से उन्हें स्वतंत्रता दिलाना है। परिषद यह देखती है कि जो प्रदेश उसके ट्रस्ट में रखे गए हैं उनका सामाजिक तथा आर्थिक विकास हो रहा है अथवा नहीं । आरंभ में कुल 11 प्रदेश इस परिषद के पास थे जिसमें से 10 ने अब तक स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है और वह प्रभुसत्ता संपन्न राज्य बन गए हैं।

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अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ( International Court of Justice of United Nations Organization )

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना 3 अप्रैल 1946 को हुई। यह न्यायालय हेग में स्थित है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुल 15 न्यायाधीश होते हैं। वे महासभा तथा सुरक्षा परिषद के द्वारा नौ वर्ष के लिए चुने जाते हैं। प्रत्येक 3 वर्ष के पश्चात एक तिहाई न्यायधीश सेवा निवृत्त हो जाते हैं और उनके स्थान पर नए न्यायाधीश चुन लिए जाते हैं।

इन में से एक ही राज्य का एक से अधिक न्यायाधीश नहीं हो सकता। केवल उन्हीं व्यक्तियों को ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में चुना जा सकता है जो अपने अपने देशों में उच्चतम न्यायालय पर नियुक्त किए जाने की योग्यताएं रखते हो। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश अपने में से एक अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं। उनका कार्यकाल 3 वर्ष का होता है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के कार्य ( Functions of International Court of Justice of United Nations Organization )

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में केवल राज्य ही पक्षकार हो सकते हैं ,व्यक्ति नहीं। ऐसे सभी राज्य जो संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य हैं न्यायालय में जा सकेंगे। ऐसे राज्य भी न्यायालय के पास अपने मुक़द्दमे ले जा सकते हैं जो संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य नहीं है परंतु सुरक्षा परिषद द्वारा निर्धारित शर्तों पर अपने विवादों को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पेश करने की बात स्वीकार करते हैं।

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अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का क्षेत्राधिकार ( International Court’s Jurisdiction )

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का क्षेत्राधिकार मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता है-

अनिवार्य क्षेत्राधिकार ( Compulsory Jurisdiction )

इस रूप में न्यायालय उन विवादों पर विचार करता है जिसमें किसी संधि की व्याख्या अथवा अंतरराष्ट्रीय कानून का कोई प्रश्न नहीं है। वह किसी अंतरराष्ट्रीय संधि को भंग किए जाने की स्थिति में क्षतिपूर्ति की मात्रा एवं स्वरूप को भी निश्चित करता है।

ऐच्छिक क्षेत्राधिकार ( Voluntary Jurisdiction )

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय उन सभी विषयों पर विचार कर सकता है जिनको संबंधित देश अपनी इच्छा अनुसार इसके सामने प्रस्तुत करें। ऐसा कोई भी मामला केवल विवादग्रस्त राज्यों की सहमति से ही न्यायालय में लाया जा सकता है। किसी भी ऐसे राज्य को न्यायालय के सामने आने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।

परामर्श संबंधी क्षेत्राधिकार ( Advisory Jurisdiction )

महासभा अथवा सुरक्षा परिषद की प्रार्थना पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय कानूनी परामर्श देता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट अभिकरण भी कानूनी प्रश्नों पर न्यायालय से परामर्श देने का अनुरोध कर सकते हैं।

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सचिवालय ( Secretariat of United Nations Organization )

सचिवालय संयुक्त राष्ट्र संघ का कार्यालय है। इसमें एक महासचिव अथवा आवश्यकता अनुसार अन्य कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं। यह न्यूयॉर्क ( संयुक्त राज्य अमेरिका ) में स्थित है। महासचिव की नियुक्ति सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा की जाती है। अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति महासचिव द्वारा उन नियमों के अनुसार की जाती है जो महासभा द्वारा समय-समय पर बनाए जाते हैं।

सचिवालय के कार्य ( Functions of Secretariat of United Nations Organization )

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • महासचिव संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद इत्यादि प्रमुख अंगों के प्रशासनिक मुखिया के रूप में कार्य करता है और उनके निर्णय लागू करवाने का प्रयास करता है।
  • महासचिव सचिवालय के कर्मियों जिनकी संख्या लगभग 8000 से अधिक है को नियुक्त करता है और उनका मार्गदर्शन एवं उनके कार्य का नियमन और निरीक्षण करता है।
  • महासचिव विश्वा में उत्पन्न गंभीर संकट के समय संयुक्त राष्ट्र के प्रधान अधिकारी के रूप में मध्यस्थता करके समस्याओं को समझाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट तैयार करवाता है जिसे बजट सलाहकार समिति के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है।

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FAQ Checklist

संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंग कौन से है ?

संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं- महासभा , सुरक्षा परिषद ,आर्थिक तथा सामाजिक परिषद , न्याय परिषद , सचिवालय , न्याय का अंतरराष्ट्रीय परिषद ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासभा का अधिवेशन कब बुलाया जाता हैं ?

साधारण सभा का वर्ष में एक अधिवेशन होना अनिवार्य है जो प्राय: सितंबर के महीने में न्यूयॉर्क में होता है। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद की सिफारिश अथवा बहुमत राज्यों की प्रार्थना पर महासभा का विशेष अधिवेशन भी बुलाया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासभा का विशेष अधिवेशन कब बुलाया गया था ?

सन 1956 में हंगरी में भूतपूर्व सोवियत संघ के हस्तक्षेप के समय, 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय तथा सन 1980 में इजराइल से अरब के क्षेत्र खाली कराने के संबंध में इसके विशेष अधिवेशन बुलाए गए थे।

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासभा के तीन कार्य बताओं ।

1.महासभा विश्व शांति और सुरक्षा की स्थापना करने से संबंधित विषयों पर निशस्त्रीकरण तथा मानव अधिकारों से संबंधित सभी विषयों पर विचार विमर्श कर सकती है।
2.सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ के नए सदस्य बनाती है तथा उनकी सदस्यता समाप्त कर सकती है ।
3.महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट पर विचार करती है तथा उसे स्वीकृति प्रदान करती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद की क्या भूमिका हैं ?

सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यपालिका है। सुरक्षा परिषद के सदस्यों की कुल संख्या 15 है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य राष्ट्र कौन से हैं ?

इन में से 5 राष्ट्र- संयुक्त राज्य अमेरिका,रूस,इंग्लैंड, फ्रांस,चीन है जो इसके स्थाई सदस्य हैं

संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद की बैठक कब बुलाई जाती है ?

प्रत्येक महीने में दो बार सुरक्षा परिषद की बैठकें होती है। वैसे आवश्यकता के अनुसार अधिक बैठकर भी बुलाई जा सकती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद के दो कार्य बताओं ।

1.)अंतरराष्ट्रीय शांति व्यवस्था को बनाए रखना सुरक्षा परिषद की प्रमुख जिम्मेदारी है। विश्व के किसी भी भाग में शांति भंग होने की स्थिति में यह तुरंत कार्यवाही करने का अधिकार रखती है। 2.) सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के बारे में कोई भी कदम उठा सकती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के न्याय परिषद के मुख्य कार्य बताओ ।

न्याय परिषद का मुख्य कार्य न्यास क्षेत्रों को स्वतंत्र होने के योग्य बनाना और संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयत्नों से उन्हें स्वतंत्रता दिलाना है। परिषद यह देखती है कि जो प्रदेश उसके ट्रस्ट में रखे गए हैं उनका सामाजिक तथा आर्थिक विकास हो रहा है अथवा नहीं । आरंभ में कुल 11 प्रदेश इस परिषद के पास थे जिसमें से 10 ने अब तक स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है और वह प्रभुसत्ता संपन्न राज्य बन गए हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक व सामाजिक परिषद के दो कार्य बताएं ।

1) आर्थिक व सामाजिक परिषद आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक शैक्षणिक तथा स्वास्थ्य संबंधी प्रश्न पर विचार करने के लिए सम्मेलन आयोजित करती है।
2) विश्व के सभी लोगों के लिए मानवाधिकार तथा स्वतंत्रता दिलाने के लिए प्रयत्न करना।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना कब हुई ?

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना 3 अप्रैल 1946 को हुई। यह न्यायालय हेग में स्थित है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुल 15 न्यायाधीश होते हैं। वे महासभा तथा सुरक्षा परिषद के द्वारा नौ वर्ष के लिए चुने जाते हैं। प्रत्येक 3 वर्ष के पश्चात एक तिहाई न्यायधीश सेवा निवृत्त हो जाते हैं और उनके स्थान पर नए न्यायाधीश चुन लिए जाते हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के कार्य बताओं ।

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में केवल राज्य ही पक्षकार हो सकते हैं ,व्यक्ति नहीं। ऐसे सभी राज्य जो संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य हैं न्यायालय में जा सकेंगे। ऐसे राज्य भी न्यायालय के पास अपने मुक़द्दमे ले जा सकते हैं जो संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य नहीं है परंतु सुरक्षा परिषद द्वारा निर्धारित शर्तों पर अपने विवादों को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पेश करने की बात स्वीकार करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के ऐच्छिक क्षेत्राधिकार से क्या तात्पर्य है ?

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय उन सभी विषयों पर विचार कर सकता है जिनको संबंधित देश अपनी इच्छा अनुसार इसके सामने प्रस्तुत करें। ऐसा कोई भी मामला केवल विवादग्रस्त राज्यों की सहमति से ही न्यायालय में लाया जा सकता है। किसी भी ऐसे राज्य को न्यायालय के सामने आने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अनिवार्य क्षेत्राधिकार से क्या तात्पर्य है ?

इस रूप में न्यायालय उन विवादों पर विचार करता है जिसमें किसी संधि की व्याख्या अथवा अंतरराष्ट्रीय कानून का कोई प्रश्न नहीं है। वह किसी अंतरराष्ट्रीय संधि को भंग किए जाने की स्थिति में क्षतिपूर्ति की मात्रा एवं स्वरूप को भी निश्चित करता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के सचिवालय की संक्षिप्त व्याख्या करें ।

सचिवालय संयुक्त राष्ट्र संघ का कार्यालय है। इसमें एक महासचिव अथवा आवश्यकता अनुसार अन्य कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं। यह न्यूयॉर्क ( संयुक्त राज्य अमेरिका ) में स्थित है। महासचिव की नियुक्ति सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा की जाती है। अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति महासचिव द्वारा उन नियमों के अनुसार की जाती है जो महासभा द्वारा समय-समय पर बनाए जाते हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ के सचिवालय की भूमिका क्या हैं ?

महासचिव संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद इत्यादि प्रमुख अंगों के प्रशासनिक मुखिया के रूप में कार्य करता है और उनके निर्णय लागू करवाने का प्रयास करता है। महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट तैयार करवाता है जिसे बजट सलाहकार समिति के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है।

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