India-Russia Relations From History to Present in Hindi-भारत-रूस संबंध इतिहास से वर्तमान तक

India-Russia Relations : भारत-रूस संबंध इतिहास से वर्तमान तक

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India-Russia Relations From History to Present in Hindi भारत-रूस संबंध इतिहास से वर्तमान तक – भारत की आजादी के बाद से ही भारत और रूस के सम्बन्ध बहुत अच्छे रहे हैं। शीत युद्ध के समय भारत और सोवियत संघ में मजबूत रणनीतिक, सैनिक, आर्थिक, एवं राजनयिक सम्बन्ध रहे हैं। 

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भारत-रूस संबंध इतिहास से वर्तमान तक ( India-Russia Relations From History to Present in Hindi )

भारत की ओर से भारतीय सोवियत संबंध मुख्यतः तीन तथ्यों व्दारा प्रभावित रहे हैं- 1) सोवियत रूस एक महान ताकत है 2) वह भारत का पड़ोसी हैं 3) वहां पर एक नवीन सामाजिक व्यवस्था की स्थापना हेतु प्रयत्न किया जा रहा है ।

सोवियत शक्ति की महत्ता और समीपता यह अनिवार्य कर देती थी कि उसके साथ यथा संभव अमैत्रीपूर्ण संबंध ना रखे जाएं। वहां पर रूस की सामाजिक क्रांति से प्रभावित नेहरू के विचार में सोवियत घनिष्ठता के द्वारा भारत में समाजवाद लाने के लिए बहुत कुछ सीखा जा सकता हैं ।

इस तरह भारतीय नीति का उद्देश्य आरंभ से ही रूस के प्रति मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने का था। सोवियत संघ ने स्वाधीन भारत के साथ सन 1947 में राजनीतिक संबंध स्थापित किए। श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित को रूस के प्रथम राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया।

आरंभ में सोवियत संघ की दृष्टि में प्रत्येक गैर साम्यवादी सरकार अमेरिका के हाथ की कठपुतली थी परंतु सोवियत संघ का यह भ्रम उस समय दूर हो गया जब भारत ने यद्यपि कोरिया युद्ध के दौरान उत्तरी कोरिया को आक्रामक स्वीकार किया लेकिन फिर भी शांति स्थापना के उद्देश्य से उसने पश्चिम तथा साम्यवादी ताकतों के मध्य समझौता कराने के लिए प्रयत्न किए ।

भारत ने 30 सितंबर 1949 को चीनी गणवादी राज्य को मान्यता प्रदान कर दी। इससे सोवियत संघ की अनेक भ्रांतियां दूर हो गई और सोवियत नेतृत्व भारत के गुट निरपेक्षता को आदर की दृष्टि से देखने लगे।

दिसंबर 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो चुका और अब सोवियत संघ का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। अब सोवियत संघ के उत्तराधिकारी के रूप में रूस का अस्तित्व स्थापित हो चुका है ,परंतु जब तक सोवियत संघ का अस्तित्व रहा तब तक यह देश भारत का विभिन्न परिस्थितियों में सहयोगी रहा। दोनों देशों के बीच ऐसे सहयोगात्मक रूपों को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-

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कश्मीर विवाद पर सोवियत संघ का दृष्टिकोण ( View of Soviet Union on Kashmir Issue )

भारत और पाकिस्तान के मध्य कश्मीर विवाद सदैव से ही विधमान रहा है। सोवियत संघ ने सदैव भारतीय दृष्टिकोण का पक्ष लेते हुए कश्मीर विवाद पर सुरक्षा परिषद में अपनी वीटो शक्ति का अनेक बार प्रयोग करते हुए भारत-सोवियत मैत्री का प्रमाण दिया है।

संयुक्त राज्य अमेरिका के सैनिक गठबंधन का विरोध ( Opposition to Military Coalition of U.S.A )

अमेरिका के द्वारा साम्यवादी विचारधारा के प्रसार को रोकने के लिए सैन्य गठबंधन करने के प्रयास किए गए जिसके लिए भारत को भी प्रेरित करने का प्रयास किया गया परंतु अमेरिका के ऐसे प्रयासों का दोनों देशों ने विरोध किया।

दिसंबर 1955 में भारत रूस संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया ,’सोवियत संघ के नेता तथा भारत के प्रधानमंत्री इस बात पर सहमत हो गए कि सैनिक गठबंधन अथवा भारतीय गठबंधन शांति सुरक्षा के साधन नहीं है। इस प्रकार की संयुक्त नीति से दोनों देश एक दूसरे की और निकट आए ।

सार्वजनिक क्षेत्र में दोनों के बीच समझौता ( Accard between the two in Public Sector )

2 फरवरी 1955 को भारत व सोवियत संघ के मध्य सार्वजनिक क्षेत्र में भिलाई में एक आधुनिकतम इस्पात के कारखाने लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण औद्योगिक समझौता हुआ जिससे दोनों देशों की पारस्परिक मित्रता और अधिक प्रगाढ़ हुई।

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भारत पर चीनी आक्रमण के समय सोवियत संघ का दृष्टिकोण ( View of Soviet Union at the time of Chinese Aggression )

अक्टूबर 1962 में चीन ने भारत पर नेफा-लद्दाख क्षेत्र में भारी आक्रमण किया। 25 अक्टूबर 1962 को प्रावदा के सम्पादकीय ने भारत को परामर्श दिया कि वह चीन के रचनात्मक प्रस्ताव को स्वीकार कर ले।

इसके अतिरिक्त सोवियत संघ ने पूर्व निश्चित बाइस मिग विमानों का भारत को निर्यात भी स्थगित कर दिया। इस प्रकार चीनी आक्रमण के समय सोवियत संघ द्वारा चीनी पक्ष लिए जाने पर दोनों देशों की मित्रता में कुछ अंतर अवश्य आया ।

1965 का भारत-पाक युद्ध और सोवियत दृष्टिकोण ( India-Pakistan war of 1965 and Soviet Attitude )

1965 में भारत पाकिस्तान के मध्य युद्ध हो गया। इस युद्ध में सोवियत संघ का दृष्टिकोण भारत के प्रति सहानुभूति रखने वाले रहा। यद्यपि चीन ने पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया परंतु सोवियत संघ ने चीन का भाई होते हुए भी पाकिस्तान के विरुद्ध भारत की सहायता की

सुरक्षा परिषद में सोवियत संघ ने भारत का प्रबल समर्थन किया। 4 सितंबर 1965 को सुरक्षा परिषद ने युद्ध विराम का जो प्रस्ताव पास किया उसको सोवियत संघ का पूर्ण समर्थन प्राप्त था। 19 सितंबर को चीन ने भारत को अल्टीमेटम दे दिया। रूस ने चीन को कड़ी चेतावनी दे डाली।

रूस के प्रयास से 10 जनवरी 1966 को सोवियत संघ की भूमि ताशकंद नामक स्थान पर दोनों देशों के मध्य समझौता हुआ। समझौते के बाद 10 जनवरी 1966 की रात्रि को अचानक भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की हृदय गति रुक जाने से ताशकंद में ही उनका स्वर्गवास हो गया । सोवियत संघ के प्रधानमंत्री कोसिगन उनके शव के साथ भारत आए और उन्होंने भारी मन से संवेदना व्यक्त की जिससे भारत और सोवियत रूस के बीच संबंधों की घनिष्ठता और बढ़ गई।

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भारत-सोवियत संघ मित्रता संधि ,1971 ( India-Soviet Union Cardial Treaty )

9 अगस्त 1971 को भारत और सोवियत संघ के मध्य नई दिल्ली में 20 वर्षीय मित्रता एवं सहयोग की संधि हुई। इस संधि की मुख्य शर्ते निम्नलिखित थी-

  • दोनों देश विश्वशांति को बनाए रखने के लिए निशस्त्रीकरण के लिए पूरा पूरा प्रयास करेंगे।
  • दोनों देश संबंधित अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय समस्याओं पर विचार-विमर्श करेंगे एवं उनका समाधान का प्रयास करेंगे।
  • दोनों ने एक दूसरे की अखंडता व स्वतंत्रता का सम्मान रखने तथा एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने का वचन दिया।
  • दोनों देशों में इस संधि के विरुद्ध कोई अन्य संधि ना करने का आश्वासन दिया।
  • दोनों देश एक दूसरे राष्ट्र की शांति प्रिया अंतरराष्ट्रीय नीति का आदर करेंगे एवं पारस्परिक समर्थन देंगे।
  • दोनों देश एक दूसरे के विरुद्ध अतिक्रमण नहीं करेंगे और ना ही किसी दूसरे राष्ट्र को अपने क्षेत्र में अतिक्रमण करने की अनुमति देंगे।
  • दोनों देश ऐसे सैनिक समझौते से दूर रहेंगे जो सैन्य समझौते दोनों में से एक या दोनों की हितों के विरुद्ध हो।

भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 में सोवियत संघ का दृष्टिकोण ( India-Pakistan War 1971 and view of Soviet Union )

3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर पुनः आक्रमण किया। इस समय सोवियत संघ ने भारत को हर संभव सहयोग दिया और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सुरक्षा परिषद में लाए गए भारत विरोधी प्रस्ताव पर निषेधाधिकार का प्रयोग किया और भारत के सच्चे मित्र के रुप में भूमिका निभाई।

यहां तक कि जब अमेरिका ने भारत को भयभीत करने के लिए अपना 7वां जहाजी बेड़ा बंगाल की खाड़ी के लिए रवाना किया तब रूस ने उपरोक्त मैत्री संधि का पालन करते हुए अपने युद्धपोत हिंद महासागर में नियुक्त कर दिए। ऐसे में सोवियत संघ ने भारत के साथ अपनी मैत्री संधि को निभाया।

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भारत द्वारा किया गया परमाणु परीक्षण और सोवियत दृष्टिकोण ( Atomic Test and Soviet Attitude )

भारत में जब 19 मई 1974 को अपना प्रथम सफल परमाणु विस्फोट किया तब विश्व भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई परंतु सोवियत संघ एक सच्चे मित्र की तरह व्यवहार करता हुआ आलोचना से दूर रहा।

आर्थिक,वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्र में सहयोग ( Co-operation in Economic, Scientific and Technical Field )

सोवियत संघ के सहयोग से 19 अप्रैल 1975 को प्रथम भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट सोवियत संघ के अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। 22 अप्रैल 1975 को दोनों देशों के मध्य 1977 78 में सोवियत रॉकेट वाहक की सहायता से दूसरा भारतीय वैज्ञानिक उपग्रह छोड़ने संबंधी समझौता हुआ। जून 1979 में

जून 1979 में सोवियत संघ ने विशाखापट्टनम में 30 लाख टन क्षमता वाले इस्पात संयंत्र के लिए आर्थिक व तकनीकी सहायता देना स्वीकार किया। इस प्रकार दोनों देशों के मध्य आर्थिक व तकनीकी वैज्ञानिक संबंध भी प्रगाढ़ होते

भारत-सोवियत मैत्री संधि का नवीनीकरण ( Renewal of India-Soviet Pact )

भारत तथा सोवियत संघ ने 8 अगस्त 1991 को अपनी शांति ,मैत्री व सहयोग की संधि अवधि आगामी 20 वर्षों के लिए बढ़ा दी। दोनों देशों ने अपनी संयुक्त विज्ञप्ति में घोषणा करते हुए कहा कि दोनों देश अपने पारस्परिक संबंधों तथा समय की कटौती पर खरे उतरे हैं। दोनों देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों ने एक दूसरे को बधाई संदेश भेजें।

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सोवियत संघ का विघटन और रूस का अस्तित्व ( Fragmentation of Soviet Union and Existence of Russia )

दिसंबर 1991 को सोवियत संघ का 1917 में स्थापित लगभग 73 वर्ष पुराना केंद्रीयकृति ढांचा समाप्त कर दिया गया। रूस सोवियत संघ के विघटित 15 गणराज्यों में सबसे अधिक शक्तिशाली और बड़ा था। इसलिए रूस भूतपूर्व सोवियत संघ के उत्तराधिकारी के रूप में उभरा।

श्री बोरिस येल्तसिन रूसी गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति बने । राष्ट्रपति येल्तसिन ने भी भारतीय नेताओं को रूस के पूर्व सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने 30 जनवरी 1992 को भारतीय प्रधानमंत्री को स्पष्ट करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में रूस का दृष्टिकोण भारत की क्षेत्रीय अखंडता के समर्थन करेगा।

रूस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा 1993 ( Russian President’s visit to India in 1993 )

रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने अपनी भारत यात्रा के दौरान जहां कश्मीर समस्या पर एकमुश्त समर्थन देने का वायदा किया वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को हथियार न देने की भी घोषणा की। इसी यात्रा के दौरान भारत-रूस पूर्व सोवियत संघ की कर्ज अदायगी के संबंध में चला आ रहा रुपैया विनिमय दर का विवाद भी एक समझौते के द्वारा समाप्त हो गया जिससे भारत पर कर्ज का भार लगभग 30% कम हो गया।

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की रूस यात्रा ,जुलाई 1994 ( Former Prime Minister Narasimha Rao’s visit to Russia, July 1994 )

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने 29 जून से 2 जुलाई 1994 तक रूस की यात्रा की । अपनी रूस यात्रा के दौरान उन्होंने ‘ मास्को घोषणा पत्र ‘पर हस्ताक्षर किए। घोषणा पत्र में कहा गया कि रूस और भारत बहुजातियां ,बहुभाषा-भाषी ,बहुत धर्मी संपन्न राज्यों के आदर्श उदाहरण होने के नाते विश्व समुदाय के अन्य सदस्यों सहित अपना यह उत्तरदायित्व मानते हैं कि जनता और शांति पर मंडराते हुए खतरों का सामना करें ।

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रूसी प्रधानमंत्री विक्टर चेर्नोमिर्डिन की भारत यात्रा ,1997 ( Visit of Russian Prime Minister Viktor Chernomyrdin to India, 1997 )

दिसंबर 1997 में रूसी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए समझौतों से लगने लगा कि चाहे रूस अमेरिकी दबाव में आ गया हो परंतु भारत रूस के मध्य परंपरागत सौहार्द व मैत्री का रूप दिखाई देने लगा।

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य सैन्य व तकनीकी सहयोग बढ़ाने अंतरिक्ष अनुसंधान दोहरे कराधान से बचने और निवेश के परस्पर संरक्षण के 8 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए फुलस्टॉप इसके अतिरिक्त रूस ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए भारत की परमाणु क्षमता के विस्तार में सहयोग देने की भी सहमति प्रदान की।

भारत का परमाणु परीक्षण एवं रूसी दृष्टिकोण ( Atomic Test by India and Russian Attitude )

भारत द्वारा 11 व 13 मई 1998 को पोखरण में किए गए 5 परमाणु परीक्षणों के उपरांत विश्व के अन्य देशों ने भारत की जिस प्रकार से तीखी प्रतिक्रिया की थी और आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे तो ऐसी स्थिति में रूस ने भारत पर किसी भी तरह के प्रतिबंध नहीं लगाए और भारत का समर्थन किया।

कारगिल संकट व आतंकवाद पर रूसी दृष्टिकोण ( Kargil Crisis and Russian Attitude on Terrorism )

भारत में 1999 में उत्पन्न कारगिल संकट के दौरान रूस ने भारत का सहयोग किया और सीमा पार से आतंकवाद को समाप्त करने व उसका मुकाबला करने के लिए दोनों देशों के मध्य सितंबर 1999 में समझौता भी संपन्न हुआ।

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा,2000 ( Russian President Vladimir Putin’s visit to India, 2000 )

1 से 5 अक्टूबर 2000 को रूस के राष्ट्रपति ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का भी समर्थन किया। इसके अतिरिक्त इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य आर्थिक , सामरिक तथा रक्षा संबंधी के समझौते हुए।

इस यात्रा के दौरान रूस ने CTBT पर भारत की आपत्तियों व सामरिक दृष्टिकोण को समझने का प्रयास तो किया लेकिन रूस की इच्छा यही रही कि भारत सीटीबीटी को स्वीकार कर ले। इस इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आतंकवाद से निपटने हेतु संयुक्त कार्य बल के गठन का निर्णय भी लिया गया।

भारतीय प्रधानमंत्री की रूस यात्रा,2001 ( Visit of Indian Prime Minister to Russia, 2001 )

भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने 4 से 6 नवंबर 2001 को रूस की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य छह समझौते पर हस्ताक्षर संपन्न हुए। इन में कुंड कुलम परमाणु विद्युत केंद्रों की स्थापना हेतु आवश्यक सामान की आपूर्ति, भारत के एक्जिम बैंक व रूस के बेनेस्कोप बैंक के मध्य साख सुविधा के विस्तार ,बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग संवर्द्धन के भारत में भारत रूस टेक्नोलॉजी केंद्र की स्थापना ,आदि सहमति शामिल हैं ।

भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता 6 नवंबर को हुई। शिखर वार्ता के पश्चात दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर ‘मास्को घोषणा पत्र ‘पर हस्ताक्षर किए । घोषणापत्र में भारत एवं रूस ने कश्मीर व चेचन्या के मामले में एक दूसरे के दृष्टिकोण का समर्थन किया।

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रूस के उप प्रधानमंत्री की भारत यात्रा फरवरी 2002 ( Visit of Deputy Prime Minister of Russia to India February 2002 )

7 फरवरी 2002 को रूस के उप-प्रधानमंत्री इल्या क्लेबानोब भारत की यात्रा पर आए । अपनी यात्रा के दौरान उप प्रधानमंत्री ने भारत के साथ संबंधों को नया आयाम देते हुए भारत के साथ व्यापार एवं आर्थिक क्षेत्र में व्यापक समझौते किए।

इन समझौतों के तहत 100 सीटों वाले बहुउद्देशीय परिवहन विमान के संयुक्त रूप से विकास ,तेल की खोज में अपेक्षाकृत अधिक सहयोग और व्यापार क्षेत्र में गिरावट के माहौल को तेजी से बदलने के उपाय शामिल है।

इसके साथ-साथ भारत-रूस के मध्य रक्षा समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए जिनमें उपग्रह आधारित चौकसी प्रणाली और पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान विकसित करना शामिल है।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा ,दिसंबर 2002 ( Russian President Putin’s visit to India, December 2002 )

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 3 से 5 दिसंबर 2002 को तीन दिवसीय भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों में आर्थिक एवं वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त करते हुए अन्य क्षेत्रों में सहयोग हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस तरह यह यात्रा दोनों देशों में संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने में सफल रही।

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भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की रूस यात्रा ,2003 ( Visit of Indian Prime Minister Atal Bihari Vajpayee to Russia, 2003 )

11 से 13 नवंबर 2003 को भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी रूस की यात्रा पर गए। इस यात्रा के दौरान भारत और रूस ने दोनों देशों की दोस्ती का संकल्प दोहराते हुए अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद ,संगठित अपराध तथा मादक पदार्थों की तस्करी आदि से मिलकर लड़ने का वायदा किया।

रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा दिसंबर ,2004 ( Russian President’s visit to India December ,2004 )

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 3 से 5 दिसंबर 2004 को भारत की यात्रा पर आए । इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, तकनीकी एवं आर्थिक -व्यापारिक सहयोग के साथ-साथ आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भी पारस्परिक सहयोग पर बल दिया । इसके अतिरिक्त रूसी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता के दावे को भी समर्थन किया।

भारतीय विदेश मंत्री की रूस व चीन के विदेश मंत्रियों से बैठक ,जून 2005 ( Meeting of Indian External Affairs Minister with Foreign Ministers of Russia and China June 2005 )

भारत ,रूस, चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक रूस के शहर वलादिवोस्तक में जून 2005 को हुई। भारत की ओर से विदेश मंत्री नटवर सिंह ने प्रतिनिधित्व किया। इस त्रिपक्षीय वार्ता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार ,तेल क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग तथा क्षेत्रीय सुरक्षा विशेषता: एशिया प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के मुद्दे मुख्य थे। इसके अतिरिक्त परिवहन ,ऊर्जा ,कृषि व उच्च तकनीकी क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग बढ़ाए जाने का निश्चय भी हुआ।

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भारतीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की रूस यात्रा ,दिसंबर 2005 ( Visit of Indian Prime Minister Dr. Manmohan Singh to Russia December 2005 )

भारत के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 4 से 6 दिसंबर 2005 को रूस की यात्रा की जिसके दौरान उन्होंने अपने पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रगाढ़ बनाते हुए कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर कर सहमति प्रकट की। दोनों देशों के द्वारा एक संयुक्त रक्षा कार्य को विनियमित करने के लिए बौद्धिक संपदा के अधिकार का सुरक्षा संबंधी समझौता किया।

भारत-रूस वर्तमान संबंध ( India-Russia Current Relations )

  • दोनों देश वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय निवेश को 50 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का जोर दे रहे हैं ।
  • वित्त वर्ष 2020 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर कथा।
  • स्ट्रेटेजिक विजन समझौता के जरिए रूस, तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु रिएक्टर की 6 इकाइयों का निर्माण कर रहा है।
  • दोनों देश नियमित रूप से त्रि-सेवा अभ्यास इन्द्र आयोजित करते हैं।
  • भारत और रूस दोनों बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना को स्थापित कर रहे हैं फुल
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और रूसी स्पेस एजेंसी फेडरल स्पेस एजेंसी ऑफ़ रूस के बीच की महत्वकांक्षी परियोजना गगनयान पर सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर दस्तखत किया गया है।

निष्कर्ष ( Conclusion )

भारत-रूस के बीच पारस्परिक सहयोग का इतिहास सौहार्दपूर्ण रहा है। वर्तमान परिवर्तित अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में परंपरागत मैत्रीपूर्ण सौहार्द को बनाए रखने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त विश्व व्यवस्था में बढ़ती अमेरिकी प्रभाव पर नियंत्रण हेतु दोनों देशों को चीन जैसे राष्ट्रों के साथ गठजोड़ करके प्रभावी भूमिका निभाने की भी आवश्यकता है।

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FAQ Checklist

डॉ मनमोहन सिंह सरकार और भारत-रूस संबंध की व्याख्या।

भारत के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 4 से 6 दिसंबर 2005 को रूस की यात्रा की जिसके दौरान उन्होंने अपने पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रगाढ़ बनाते हुए कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर कर सहमति प्रकट की। दोनों देशों के द्वारा एक संयुक्त रक्षा कार्य को विनियमित करने के लिए बौद्धिक संपदा के अधिकार का सुरक्षा संबंधी समझौता किया।

कारगिल संकट व आतंकवाद पर रूस का दृष्टिकोण क्या था ?

भारत में 1999 में उत्पन्न कारगिल संकट के दौरान रूस ने भारत का सहयोग किया और सीमा पार से आतंकवाद को समाप्त करने व उसका मुकाबला करने के लिए दोनों देशों के मध्य सितंबर 1999 में समझौता भी संपन्न हुआ।

भारत का परमाणु परीक्षण एवं रूस का दृष्टिकोण क्या था ?

भारत द्वारा 11 व 13 मई 1998 को पोखरण में किए गए 5 परमाणु परीक्षणों के उपरांत विश्व के अन्य देशों ने भारत की जिस प्रकार से तीखी प्रतिक्रिया की थी और आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे तो ऐसी स्थिति में रूस ने भारत पर किसी भी तरह के प्रतिबंध नहीं लगाए और भारत का समर्थन किया।

रूस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा 1993 का उदेश्य क्या था ?

रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने अपनी भारत यात्रा के दौरान जहां कश्मीर समस्या पर एकमुश्त समर्थन देने का वायदा किया वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को हथियार न देने की भी घोषणा की। इसी यात्रा के दौरान भारत-रूस पूर्व सोवियत संघ की कर्ज अदायगी के संबंध में चला आ रहा रुपैया विनिमय दर का विवाद भी एक समझौते के द्वारा समाप्त हो गया जिससे भारत पर कर्ज का भार लगभग 30% कम हो गया।

सोवियत संघ का विघटन और रूस का अस्तित्व कब हुआ ?

दिसंबर 1991 को सोवियत संघ का 1917 में स्थापित लगभग 73 वर्ष पुराना केंद्रीयकृति ढांचा समाप्त कर दिया गया। रूस सोवियत संघ के विघटित 15 गणराज्यों में सबसे अधिक शक्तिशाली और बड़ा था। इसलिए रूस भूतपूर्व सोवियत संघ के उत्तराधिकारी के रूप में उभरा।

रूस के प्रथम राष्ट्रपति कौन हैं ?

1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया उसके बाद श्री बोरिस येल्तसिन रूसी गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति बने ।

भारत द्वारा प्रथम सफल परमाणु परिक्षण कब किया गया ?

भारत में जब 19 मई 1974 को अपना प्रथम सफल परमाणु विस्फोट किया तब विश्व भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई परंतु सोवियत संघ एक सच्चे मित्र की तरह व्यवहार करता हुआ आलोचना से दूर रहा।

भारत-सोवियत संघ मित्रता संधि ,1971 की शर्तें क्या थी ?

1 .दोनों देश विश्वशांति को बनाए रखने के लिए निशस्त्रीकरण के लिए पूरा पूरा प्रयास करेंगे।
2 .दोनों देश संबंधित अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय समस्याओं पर विचार-विमर्श करेंगे एवं उनका समाधान का प्रयास करेंगे।

1965 का भारत-पाक युद्ध और सोवियत दृष्टिकोण क्या था ?

1965 में भारत पाकिस्तान के मध्य युद्ध हो गया। इस युद्ध में सोवियत संघ का दृष्टिकोण भारत के प्रति सहानुभूति रखने वाले रहा। यद्यपि चीन ने पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया परंतु सोवियत संघ ने चीन का भाई होते हुए भी पाकिस्तान के विरुद्ध भारत की सहायता की।

कश्मीर विवाद पर सोवियत संघ का दृष्टिकोण क्या हैं ?

भारत और पाकिस्तान के मध्य कश्मीर विवाद सदैव से ही विधमान रहा है। सोवियत संघ ने सदैव भारतीय दृष्टिकोण का पक्ष लेते हुए कश्मीर विवाद पर सुरक्षा परिषद में अपनी वीटो शक्ति का अनेक बार प्रयोग करते हुए भारत-सोवियत मैत्री का प्रमाण दिया है।


रूस भारत का साथ क्यों देता है ?

भारत और रूस के रिश्‍ते आपसी भरोसे पर आधारित है। शीत युद्ध के समय से ही रूस उच्‍च तकनीक वाले हथियार भारत को सप्‍लाई करता आ रहा है। इसी टेक्निक से लैस हथियार वह दूसरे देशों को देने से इनकार कर देता है। रूस में बना एस-400 एयर डिफेंस सिस्‍टम और सुखोई-35 फाइटर जेट दोनों ही पुराने हथियार हैं।

भारत और रूस की दोस्ती कैसे हुई ?

1971 के बाद भारत और रूस की दोस्ती दुनिया भर के लिए मिसाल बन गई थी। शीत युद्ध के समय भारत और सोवियत संघ में मजबूत रणनीतिक, सैनिक, आर्थिक, एवं राजनयिक सम्बन्ध रहे हैं। 


रूस से भारत क्या-क्या आयात करता है?

भारत मुख्य रूप से रूस से तेल और उर्वरक के आयात में अचानक उछाल के कारण हुआ, यह वर्ष 2022 के पहले से ही बढ़ना शुरू हुआ था। पेट्रोलियम तेल और अन्य ईंधन वस्तुओं में रूस से भारत के कुल आयात का 84% हिस्सा है।


भारत का सबसे अच्छा दोस्त कौन सा देश है?

इजराइल वह देश है जो भारत का सबसे अच्छा दोस्त है। जब भी हमारे देश को किसी तरह की मदद की जरूरत पड़ी है, उस दौरान इजराइल ने हमेशा अपना साथ दिया है।

रूस ने भारत को कौन सा हथियार दिया?

 यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच रूस ने भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Missile System) की दूसरी रेजीमेंट भेज दी है। जिसके बाद यह सुनिश्चित हो गया है कि यूक्रेन युद्ध का असर रूसी हथियारों की सप्लाई पर नहीं पड़ा है।

भारत को रूस से क्या फायदे है?

आर्थिक क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को फिर से जीवंत करने के लिए भारत और रूस सहयोग के कई रास्ते तलाश रहे हैं।


क्या रूस अभी भी भारत का मित्र है?

दिसंबर 1991 को सोवियत संघ के विघटन के बाद, रूस को भारत के साथ अपने घनिष्ठ संबंध विरासत में मिले, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक विशेष संबंध साझा किया। 

रूस भारत की मदद क्यों करता हैं ?

इसका जवाब यह है कि रूस और भारत की मित्रता बहुत गहरी है और जब भी भारत पर विश्व का दबाव बढ़ा है रूस ने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करके भारत की मदद की है। अब तक 6  बार रूस से भारत के पक्ष में वीटो पावर का इस्तेमाल किया है।

रूस का दुश्मन देश किन देशों को कहा जाता हैं ?

इस लिस्ट में अमेरिका, ब्रिटेन, यूक्रेन, जापान और यूरोपियन यूनियन के सदस्य देशों के नाम हैं। यूरोपियन यूनियन में 27 देश हैं। यूक्रेन पर हमला करने पर रूसी राष्ट्रपति अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के निशाने पर हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की क्या भूमिका रही ?

भारत अमेरिका द्वारा प्रायोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के उस प्रस्ताव से भी दूर रहा जिसमें यूक्रेन के विरुद्ध रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की गई थी। भारत यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प से भी अलग रहा।

रूस ने अमेरिका को कौन सा देश बेचा हैं ?

कभी रूस का स्वर्ग कहा जाना वाला अलास्का (Alaska) अब अमेरिका (America) का हिस्सा है। 30 मार्च 1867 को अमेरिका ने सोवियत यूनियन से अलास्का खरीद लिया था।

भारत-रूस वर्तमान संबंध की व्याख्या करें।

1.दोनों देश वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय निवेश को 50 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का जोर दे रहे हैं ।
2.वित्त वर्ष 2020 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर कथा।
3.स्ट्रेटेजिक विजन समझौता के जरिए रूस, तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु रिएक्टर की 6 इकाइयों का निर्माण कर रहा है।

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