India-America Relations From History to Present in Hindi-भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका संबंध इतिहास से वर्तमान तक, भारत-अमेरिका संबंध

India-America Relations :भारत-अमेरिका संबंध इतिहास से वर्तमान

भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध भारत-अमेरिका संबंध राजनीति विज्ञान

India-America Relations भारत के संयुक्त राज्य अमेरिका से संबंध – संयुक्त राज्य अमेरिका संसार का एक बहुत ही शक्तिशाली देश है और द्वितीय महायुद्ध कि पश्चात विश्व जिन दो गुटों में बंटा उनमें से एक का नेतृत्व इसने किया है। भारत का स्वतंत्र आंदोलन जिन दिनों पूरे जोरों पर था उन दिनों अमेरिका ने भारत का समर्थन किया और उसके राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने इंग्लैंड पर इस बात के लिए दबाव डाला कि वह भारत को स्वतंत्र प्रदान कर दी।

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भारत-अमेरिका संबंध इतिहास से वर्तमान तक ( India-America relations from history to the present )

सन 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो अमेरिका को यह आशा थी कि भारत उसके गुट में शामिल हो जाएगा ,परंतु जब भारत ने गुट-निरपेक्षता की नीति अपनाने का निर्णय लिया तो अमेरिका भारत के विरुद्ध हो गया और उसने पाकिस्तान को अपना समर्थन देना आरंभ कर दिया।

परिणामस्वरूप भारत-अमेरिका के मध्य संबंधों में तनाव पैदा हो गया। संक्षेप में भारत-अमेरिका के बीच तनाव के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

भारत-अमेरिका के बीच तनाव के मुख्य कारण ( Main reasons for tension between India- America )

  • कश्मीर के प्रश्नों पर अमेरिका ने सदा ही पाकिस्तान का समर्थन तथा भारत का विरोध किया है।
  • सन 1954 में अमेरिका तथा पाकिस्तान के बीच एक संधि हुई जिसके परिणाम स्वरूप उसने पाकिस्तान को सैनिक अस्त्र-शस्त्र देने आरंभ कर दिए।
  • सन 1949 में साम्यवादी चीन को मान्यता देने के प्रश्न पर भी भारत-अमेरिका का दृष्टिकोण भी भिन्न था। अमेरिका चाहता था कि भारत साम्यवादी चीन को मान्यता ना दे, परंतु भारत ने उसे मान्यता पदान कर दी।
  • 1961 में भारत ने जब गोवा को पुर्तगाल से स्वतंत्र करवा लिया तो अमेरिका ने भारत की कटु आलोचना की और साम्राज्यवादी शक्तियों का समर्थन किया।
  • चीन के संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रवेश का भारत ने समर्थन किया जिस कारण अमेरिका ने भारत से नाराजगी प्रकट की ।
  • भारत नाटो ( NATO ) तथा सीटों ( SEATO ) जैसे सैनिक संगठनों जिन पर अमेरिका का प्रभुत्व है को भारत सदा ही संदेह की दृष्टि से देखता रहा है।
  • भारत द्वारा अपनाई गई गुट-निरपेक्षता की नीति से भी अमेरिका को बहुत निराशा हुई।
  • सन 1965 तथा 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका ने भारत के विरुद्ध पाकिस्तान की सहायता की।
  • सन 1971 में भारत ने जब सोवियत संघ के साथ 20 वर्षीय मित्रता की संधि की तो अमेरिका भारत से और भी नाराज हो गया।
  • अमेरिका भारत पर निरंतर ‘परमाणु अप्रसार संधि ‘पर हस्ताक्षर करने के लिए भी दबाव डाल रहा है। भारत द्वारा सदा इसका विरोध किया गया। भारत का कहना है कि यह सन्धि भेदभाव पूर्ण है तथा विश्व सदा के लिए परमाणु अस्त्र-शस्त्र वाले देश व परमाणु अस्त्र-शस्त्र विहीन देशों के बीच में बांट देना चाहती हैं ।
  • भारत का कहना है कि यदि अमेरिका वास्तव में परमाणु शस्त्रों के विस्तार के विरुद्ध है तो उसे सभी परमाणु अस्त्र वाले देशों को अपने अपने अस्त्र-शस्त्र को नष्ट करने के लिए कहना चाहिए। उसके पश्चात ही भारत की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए विचार कर सकेगा।
  • परंतु इसके बावजूद भी दोनों के संबंध बहुत कटुतापूर्ण नहीं है। अमेरिका ने भारत को बहुत आर्थिक सहायता दी है और मुख्यतः अमेरिकन प्रेरणा से विश्व विकास ऋण कोष तथा तकनीकी सहायता आदि की संस्थाओं ने भी ऋण तथा उपहार के रूप में भारत को काफी तकनीकी तथा आर्थिक सहायता दी है।
  • सन 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो भारत के अनुरोध पर तत्कालीन अमेरिकन राष्ट्रपति कैनेडी ने तुरंत ही भारत को सैनिक सहायता भेजी। 7 सितंबर 1963 को भारत तथा अमेरिका के बीच नई दिल्ली में समझौता हुआ जिसके अनुसार अमेरिका ने भारत को तारापुर केंद्र के लिए यूरेनियम उपलब्ध कराने का वचन दिया परंतु बाद में अमेरिका ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • बांग्लादेश के उदय के मामले पर भारत तथा अमेरिका के संबंध बहुत खराब हो गए। अमेरिका ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान सुरक्षा परिषद में एक भारत विरोधी प्रस्ताव भी पेश किया जिसे सोवियत संघ ने वीटो कर दिया ।
  • भारत पर दबाव डालने के लिए अमेरिका ने अपने सातवें बेड़े को भी बंगाल की खाड़ी में भेज दिया। अमेरिका ने भारत को आर्थिक सहायता देने भी बंद कर दी।

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जनता पार्टी की सरकार तथा संयुक्त राज्य अमेरिका ( Janta Party Government and USA )

सन 1977 में भारत में श्री मोरारजी देसाई द्वारा जनता पार्टी की सरकार की स्थापना हुई। सन 1978 में अमेरिका के राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर ने भारत की यात्रा की। भारत में उनका भव्य स्वागत किया गया ।

परंतु मोरारजी देसाई द्वारा परमाणु अस्त्र अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर देने के कारण राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर नाराज हो गए । उसके पश्चात उसी वर्ष प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई तथा विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने अमेरिका की यात्रा की। राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर ने भारत को यूरेनियम ( Uranium ) देने का आश्वासन दिया।

इंदिरा गांधी युग में भारत-अमेरिका संबंध,1980-1984 ( India -America Relations in the Indira Gandhi Era, 1980-1984 )

सन 1980 में श्रीमती इंदिरा गांधी पुनः भारत की प्रधानमंत्री बनी। अफगानिस्तान में सोवियत संघ के सैनिक हस्तक्षेप के कारण भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति कुछ गंभीर बन गई चुकी थी। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को बहुत हथियार दिए गए थे। भारत सरकार ने इसका विरोध किया चूंकि पाकिस्तान अमेरिकी हथियारों का प्रयोग सदा भारत के विरुद्ध करता रहा है।

जुलाई 1982 में श्रीमती इंदिरा गांधी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों के नेताओं ने विभिन्न विषयों पर वार्ता की। जुलाई 1983 में अमेरिका के विदेश मंत्री भारत आए । राष्ट्रपति रीगन ने उन दिनों भारत के साथ स्नेह पूर्ण और हार्दिक संबंध कायम करने की इच्छा व्यक्त की।

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राजीव गांधी युग में भारत-अमेरिका संबंध ( India-America Relations in the Rajiv Gandhi Era

  • जून 1985 में अमेरिका में भारत महोत्सव का आयोजन किया गया। उसका उद्घाटन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने किया। उन्होंने अमेरिकी संसद और पत्रकार परिषद को भी संबोधित किया। राजीव गांधी के भाषणों को काफी सराहा गया, हालांकि उन्होंने राष्ट्रपति रीगन की कई नीतियों की कड़ी आलोचना की थी।
  • भारत को हथियार सप्लाई किए जाने के बारे में अमेरिकी शर्तों को भारत के प्रधानमंत्री ने मंजूर नहीं किया। इससे यह स्पष्ट है कि राजीव गांधी की सरकार गुटनिरपेक्षता की नीति पर कायम रही।
  • 20 जनवरी 1993 को अमेरिका में बिल क्लिंटन ने राष्ट्रपति के पद का कार्यभार संभाला और तब से ही अमेरिका का झुकाव पाकिस्तान के पक्ष में रहा। उन्होंने पाकिस्तान को फिर से सैनिक सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने पाकिस्तान को F-16 बमवर्षक तथा अन्य युद्ध सामग्री देने का भी समर्थन किया।
  • अमेरिका प्रशासन का प्रचार भी पाकिस्तान समर्थक तथा भारत विरोधी रहा है। बिल क्लिंटन के शासन विभाग की सहायक सचिव राफेल ने तो कश्मीर को भारत तथा पाकिस्तान के बीच विवादास्पद क्षेत्र घोषित किया है। जब वे मार्च 1994 में भारत के दौरे पर आई तो उन्होंने अपने इन्हीं विचारों को ही दोहराया।
  • अप्रैल 1994 में अमेरिका के उप विदेश सचिव अमेरिका भारत संबंधों को सुधारने के उद्देश्य से 3 दिन की भारत यात्रा पर आए। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरसिम्हा राव को अपने राष्ट्रपति की ओर से अमेरिका आने का निमंत्रण भी दिया। वहां पर उनकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ कई आपसी मामलों पर बातचीत हुई जिसमें दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने की कुछ आशा बड़ी।
  • मार्च 1995 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की धर्मपत्नी भी भारत आई। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्रीमती बेनजीर भुट्टो ने अप्रैल 1995 में अमेरिका का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान को अधिक सहायता ना देने की घोषणा की।
  • जनवरी 1997 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने दोबारा पदभार संभाला

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बाजपेई जी का नेतृत्व और भारत परमाणु परीक्षण ( Leadership of Vajpaiji and Atomic Test by India )

भारत में 12 वीं लोकसभा के चुनाव 1998 में हुए और अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ। सरकार गठन के कुछ समय पश्चात ही भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की अखंडता की रक्षा के लिए 11 व 13 मई 1998 को पोखरण में पांच नाभिकीय परीक्षण किए।

लेकिन जब भारत द्वारा परमाणु परीक्षण किया गया तो उसके पश्चात भारत- अमेरिका के संबंधों में कटुता पैदा हो गई। परिणाम स्वरूप अमेरिका ने भारत को अनेक आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए और सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत पर पुरजोर दबाव डालने के प्रयास तेज किए । परंतु पाकिस्तान द्वारा मई-जून 1999 में उत्पन्न कारगिल संकट के कारण अमेरिका के भारत के प्रति दृष्टिकोण में परिवर्तन हुआ और उसने पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों का विरोध भी किया।

अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा, मार्च 2000 ( US President’s visit to India, March 2000 )

भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की यह उपलब्धि रही कि अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन मार्च ,2000 में भारत की यात्रा करने को सहमत हुए । यहां यह उल्लेखनीय है कि किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की 22 वर्षों के अंतराल के पश्चात यह पहली भारत यात्रा थी। इससे पूर्व जिम्मी कार्टर ने 1978 में भारत की यात्रा की थी।

अपनी यात्रा से पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने वाशिंगटन में कहा था कि इस यात्रा का उद्देश्य भारत के साथ संबंधों को नई दिशा प्रदान करना होगा। साथ ही भारत की इस यात्रा के अवसर पर यह भी ऐलान किया गया कि राजकोषीय वर्ष 2001 के बजट में भारत में आर्थिक सुधारों तथा उदारीकरण के लिए 50 लाख डॉलर का प्रावधान रखा गया।

भारत को संतुष्ट करने की दृष्टि से अमेरिका ने आतंकवाद रोकने में भारत के साथ सहयोग का रास्ता निकाला। इस विषय पर बने भारत अमेरिका संयुक्त कार्य दल की बैठक के बाद एक वक्तव्य में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद रोकने के लिए संयुक्त अभियान के रूप में भारतीय विमान की उड़ान 814 के अपहरणकर्ताओं को पकड़कर मुकदमा चलाने के लिए मिलकर प्रयास करेंगे फुलस्टॉप ऐसा प्रयास एवं सहयोग दोनों के बीच संबंधों हेतु स्वागत योग्य कहा जा सकता है।

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भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिकी यात्रा,सितंबर 2000 ( Indian Prime Minister’s US visit, September 2000 )

सितंबर 2000 में भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने अमेरिका की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान बाजपेई जी ने 14 सितंबर सन 2000 को अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया। इस संबोधन में वाजपेई जी ने विकास के क्षेत्र में भारत अमेरिका संबंधों को नया रूप देने के लिए एक व्यापक वैश्विक वार्ता का आयोजन नई दिल्ली में करवाने की पेशकश की।

यात्रा के दौरान श्री अटल बिहारी बाजपेई ने यह स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच हितों का कोई टकराव नहीं है बल्कि बहुत कुछ सांझा है। उन्होंने कहा कि दोनों देश परमाणु हथियारों को समाप्त करने के प्रति वचनबद्ध है और दोनों ने स्वेच्छा से ही परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाई है। इस यात्रा में श्री वाजपेई जी की उपलब्धि यह रही कि अमेरिका ने कश्मीर विवाद में हस्तक्षेप नहीं करने का संकल्प जताया।

इस यात्रा के दौरान पारस्परिक आर्थिक सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच ऊर्जा, ई-कॉमर्स व बैंकिंग क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए 6 अरब डॉलर के पांच व्यवसायिक समझौतों पर हस्ताक्षर हुए । इसके साथ-साथ अमेरिकी वस्तुओं व सेवाओं की खरीद के लिए अमेरिका के आयात-निर्यात बैंक से 90 करोड़ डॉलर पर ऋण संबंधी समझौता तथा उड़ीसा, तमिलनाडु व उत्तर प्रदेश में 3 मेगा विद्युत परियोजनाओं की स्थापना से संबंधित समझौते भी शामिल है।

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नए अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव ,जनवरी 2001 ( Election of the new US President, January 2001 )

अमेरिका के नवनियुक्त राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 20 जनवरी 2001 को पदभार संभाला। जॉर्ज बुश ने भी पदभार ग्रहण करने के पश्चात भारत के साथ संबंधों को और अधिक सुदृढ़ बनाने की बात की । अमेरिका के नए राष्ट्रपति का ऐसा दृष्टिकोण भविष्य में भारत के साथ संबंधों के अच्छे संकेत माने गए ।

अमेरिका में आतंकवादी हमला और भारत का दृष्टिकोण ( Terrorist attack in America and India’s perspective )

11 सितंबर 2001 को दुनिया के इतिहास के भीषण आतंकवादी हमले में अमेरिका के व्यापारिक केंद्रों एवं रक्षा ठिकानों की भव्यतम इमारतों को निशाना बनाया गया जिसमें हजारों लोगों की जानें गई एवं अरबों डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ। इस त्रासदी पर भारत ने गहरा दुख प्रकट करते हुए अमेरिका को आतंकवाद के विरुद्ध की जाने वाले कार्यवाही में हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया ।

भारत का अमेरिका के प्रति सकारात्मक सहयोग दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों का आधार बन सकता है। अमेरिका ने भी इसी श्रृंखला में अक्टूबर 2001 को भारत पर लगे कश्मीर प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा की ,भारत में कश्मीर विधानसभा पर 1 अक्टूबर 2001 को हुए आतंकी हमले की निंदा की और भारत की मांग पर पाक समर्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगाने का आश्वासन भी दिया।

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अमेरिकी विदेशी मंत्री कोलिन पावेल की भारत यात्रा ,अक्टूबर 2001 ( US Secretary of State Colin Powell’s visit to India, October 2001 )

16 अक्टूबर 2001 को अमेरिका के विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर आए। अफगानिस्तान पर अमेरिका द्वारा आतंकवाद के विरोध में किए गए हमलों के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री की यात्रा का अपना विशिष्ट महत्व माना जाता है।

पावेल ने अपने भारत आगमन पर कश्मीर समस्या के संबंध में दोनों देशों को आपसी बातचीत द्वारा समझाने पर बल दिया। यह माना जाता है कि पावेल कि यह भारत यात्रा भारत के साथ अमेरिकी संबंधों को दृढ़ता प्रदान करेगी ।

भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी की अमेरिकी यात्रा,नवंबर 2001 ( US visit of Indian Prime Minister Atal Bihari ji, November 2001 )

8 नवंबर 2001 को भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई वाशिंगटन पहुंचे जहां 9 नवंबर 2001 को जॉर्ज बुश के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने पहली मुलाकात की। दोनों के बीच हुई बातचीत में अमेरिका ने भारत को आश्वासन दिया कि आतंकवाद के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय गठबंधन की लड़ाई का पहला उद्देश्य अलकायदा के नेटवर्क को ध्वस्त करना तथा बाद में विश्व के अन्य स्थानों के आतंकवाद को भी समाप्त करना उनका अंतिम उद्देश्य होगा।

10 नवंबर 2001 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 56वें सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने आतंकवाद पर पूरी तरह कड़े प्रहार किए और अमेरिका की अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी कार्यवाही में भारत के पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया।

इस तरह भारतीय प्रधानमंत्री की यह अमेरिकी यात्रा दोनों देशों को आतंकवाद विरोधी रणनीति के क्षेत्र में एक-दूसरे को नजदीक लाने वाली रही।

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अमेरिकी विदेश मंत्री पावेल की भारत यात्रा जनवरी 2002 ( US Secretary of State Powell’s visit to India January 2002 )

भारत-पाक के बीच तनाव कम करने के उद्देश्य से दक्षिण एशिया के दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री पावेल 17 जनवरी 2002 को भारत पहुंची। भारतीय प्रधानमंत्री से हुई बातचीत के बाद पावेल ने आशा व्यक्त की कि हम मौजूदा तनाव को कम कर सकते हैं।

पावेल ने कहा कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुशर्रफ के द्वारा 1900 आतंकवादियों को गिरफ्तार करने, उनके संगठनों पर प्रतिबंध लगाने और उनके कार्यालयों को बंद करने जैसे कदमों को उठाने का भारत व दुनियाभर के अन्य देशों ने स्वागत किया है।

उन्होंने कहा कि भारत द्वारा ऐसे 20 आतंकवादियों जो विभिन्न बम विस्फोटों, अपहरण ,मादक द्रव्यों की तस्करी व अन्य जघन्य अपराधों में संलिप्त है, को भारत को सौंपने की मांग पर पाकिस्तान को उचित कार्यवाही करनी होगी।

अपनी यात्रा के अंत में उन्होंने उसे लाभदायक बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच वार्ता बहाल होना इस बात पर निर्भर होगा कि पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद रोकने हेतु क्या कार्यवाही करता है।

भारत के गृह मंत्री व रक्षा मंत्री की अमेरिकी यात्रा जनवरी 2002 ( Visit of India’s Home Minister and Defense Minister to US January 2002 )

जनवरी 2002 को भारत के गृह मंत्री व रक्षा मंत्री अमेरिका की यात्रा पर गए। अमेरिका के विदेश मंत्री पावेल के साथ विचार विमर्श के बाद पावेल ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका हर तरह से आतंकवाद के खिलाफ है और जब तक वह इस अभिशाप को उखाड़ के नही फेंकेगा तब तक मित्र राष्ट्रों के साथ काम करता रहेगा।

अमेरिकी यात्रा पर गए भारत के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के साथ अमेरिकी रक्षा मंत्री डोनाल्ड रम्सफेल्ड ने अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन में ‘जनरल सिक्योरिटी ऑन मिलिट्री इंफॉर्मेशन एग्रीमेंट ‘ पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत दोनों देश हथियारों के किसी सौदे में वर्गीकृत तकनीकी रक्षा संबंधी सूचनाओं की अदला बदली करेंगे ।

अमेरिका द्वारा भारत को रक्षा उपकरणों, इंजनों और कलपुर्जों की आपूर्ति के लिए लंबित मामलों की मंजूरी का आश्वासन भी दिया गया। इसके अतिरिक्त अमेरिका द्वारा यह भी आश्वासन दिया गया कि वह इजराइल पर भारत को फाल्कन अवाक्स और एरो एरो प्रक्षेपास्त्र रोधी प्रणाली की आपूर्ति में देर करने के लिए कोई दबाव नहीं डालेगा।

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भारत के प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा सितंबर 2003 ( Visit of the Prime Minister of India to the US September 2003 )

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 58वें अधिवेशन में भागीदारी के उद्देश्य से प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई 23 सितंबर से 27 सितंबर 2003 तक अमेरिकी यात्रा पर रहे। अपनी यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से हुई बातचीत में उन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से उत्पन्न चिंताजनक स्थिति से अवगत करवाया।

इसके अतिरिक्त इराक में सेना तैनात करने में भारत की कठिनाइयों से भी उन्होंने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को अवगत कराया। भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 25 सितंबर को दिए गए संबोधन में विश्व के समक्ष स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद से कोई समझौता नहीं करेगा और ना ही इसे ब्लैकमेल का औजार बनने देगा।

भारत के प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा, सितंबर 2004 ( Visit of the Prime Minister of India to the US, September 2004 )

भारतीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह सितंबर 2004 को संयुक्त राष्ट्र के 59वें वार्षिक अधिवेशन में भाग लेने के लिए अमेरिका गए थे। वहां उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति से भेंट की थी। इस यात्रा के दौरान की गई वार्ता में दोनों देशों ने आपसी संबंधों को बेहतर बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस प्रकार, अप्रैल 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में भारत में बनी सप्रसंग सरकार ने अमेरिका के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने पर बल दिया।

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अमेरिका के रक्षा मंत्री की भारत यात्रा, दिसंबर 2004 ( US Secretary of Defense visit to India, December 2004 )

अमेरिका के रक्षा मंत्री डोनाल्ड रम्सफेल्ड 8 दिसंबर 2004 को 2 दिन की भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने उनके साथ अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों पर चर्चा करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी जा रही हथियारों की आपूर्ति से दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया बाधित हो सकती है।

भारत-अमेरिका की नौसेना का संयुक्त राहत कार्य ,दिसंबर 2004 ( India-America Navy Joint Relief Operation, December 2004 )

हिंद महासागर में आई सूनामी लहरों ने विश्व के राष्ट्रों को आहत कर दिया। भारत की नौसेना ने अमेरिका जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेना के साथ मिलकर हिंद महासागर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बहुपक्षीय राहत कार्यक्रम चलाए। इस तरह भारत-अमेरिका की नौसेना के बीच ऐसे संयुक्त सहयोग को दोनों देशों के बीच संबंधों के नियम को मजबूत करने में देखा जा सकता है।

जॉर्ज बुश का पुनः अमेरिकी राष्ट्रपति बनना, जनवरी 2005 (George Bush re-elected as US President, January 2005 )

जॉर्ज बुश ने अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में विजय प्राप्त कर पुनः राष्ट्रपति का पद 20 जनवरी 2005 को ग्रहण कर लिया। जॉर्ज बुश ने पद ग्रहण से पूर्व ही भारतीय प्रधानमंत्री से बातचीत कर दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की जिसका भारतीय प्रधानमंत्री ने भी पूरे सहयोग और समर्थन के साथ स्वागत किया।

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अमेरिकी विदेश मंत्री की भारत यात्रा मार्च 2005 ( US Secretary of State’s visit to India March 2005 )

अमेरिका की विदेश मंत्री कोडलीजा राइस 16 मार्च 2005 को भारत यात्रा पर आई। इस यात्रा के दौरान भारत ने आपसी बातचीत के द्वारा विभिन्न मुद्दों ,जैसे कि पाक समर्थित आतंकवादी गतिविधियां , भारत पाकिस्तान संबंध ,नेपाल की स्थिति ,भारत की सुरक्षा संबंधी विषय ,पाक को F-16 विमान देने का विरोध ,इरान से गैस पाइपलाइन ,सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता आदि पर विचार विमर्श किया।

भारत अमेरिका के बीच 10 वर्षीय रक्षा समझौता जून 2005 ( 10 year defense agreement between India-America 2005 )

28 जून 2005 को भारत के रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी तथा अमेरिका की ओर से रक्षा मंत्री डोनाल्ड रम्सफेल्ड ने पारस्परिक रक्षा संबंधों को नए आयाम देते हुए दोनों देशों ने एक नए रक्षा समझौते ‘न्यू फ्रेमवर्क फॉर द यूएस-इंडिया डिफेंस रिलेशनशिप ‘ पर हस्ताक्षर किए जिसके द्वारा दोनों देशों के बीच अगले 10 वर्षों के लिए सुरक्षा सहयोग की रूपरेखा निर्धारित की गई।

नए रक्षा समझौते में दोनों देशों की सुरक्षा मजबूत करने, सामरिक समझौते प्रगाढ़ करने तथा रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच अधिक समझ विकसित करने का लक्ष्य तय किया गया। इस तरह ऐसा संबंध दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग एवं मैत्री भाव को बढ़ाने वाली कहा जा सकता है।

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भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा,जुलाई 2005 ( Visit of Indian Prime Minister to US, July 2005 )

भारतीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्विपक्षीय मुद्दों के सिलसिले में 18-20 जुलाई 2005 को तीन दिवसीय यात्रा पर अमेरिका गए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच बातचीत में आतंकवाद ,आर्थिक सहयोग ,परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग एवं रक्षा क्षेत्र में नए संबंधों सहित अनेक मुद्दों पर विचार विमर्श हुआ।

इसके साथ ही अमेरिका ने भारत को एक जिम्मेदार परमाणु तकनीकी संपन्न राष्ट्र के रूप में स्वीकार किया। इसके साथ-साथ अमेरिका ने कश्मीर सहित भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय मामलों में हस्तक्षेप ना करने की अपनी नीति स्पष्ट कर दी। दोनों देशों ने जारी सांझे बयान में कहा कि आतंकवाद से निपटने के साथ-साथ लोकतंत्र की रक्षा ,विश्व शांति एवं मानवाधिकार के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे।

भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिकी यात्रा सितंबर 2005 ( Indian Prime Minister’s US visit September 2005 )

भारत के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह 13 से 16 सितंबर 2005 को अमेरिका यात्रा पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के 60वें अधिवेशन को संबोधित करने के लिए गए। अपने संबोधन में भारतीय प्रधानमंत्री के द्वारा आतंकवाद की कड़ी आलोचना की गई। इसके साथ साथ संयुक्त राष्ट्र संघ में तत्काल व समग्र सुधार की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद का विस्तार करते हुए इसके स्थाई व अस्थाई सदस्यों की संख्या में वृद्धि की जाए।

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भारत के खिलाफ अमेरिकी जासूसी अभियानों के खुलासे ( Revelations of US espionage operations against India )

भारत ने जुलाई और नवंबर 2013 में मांग की कि अमेरिका इस खुलासे पर प्रतिक्रिया करें कि न्यूयॉर्क शहर में भारतीय संयुक्त राष्ट्र मिशन और वाशिंगटन में भारतीय दूतावास को जासूसी के लिए लक्षित किया गया था।

जुलाई 2014 में अमेरिकी राजनयिकों को भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा इस बात पर चर्चा करने के लिए बुलाया गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने भारत के भीतर निजी व्यक्तियों और राजनीतिक संस्थाओं पर जासूसी की थी।

वॉशिंगटन पोस्ट द्वारा प्रकाशित 2010 के एक दस्तावेज से पता चला है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जासूसी करने के लिए अधिकृत किया गया था।

विदेश नीति के मुद्दे ( Foreign policy issues )

कुछ विश्लेषकों का कहना हैं कि भारत- अमेरिका ,पाकिस्तान के प्रति ओबामा प्रशासन की दृष्टिकोण और अफगानिस्तान में तालिबान विद्रोह से निपटने के कारण संबंधों में तनाव आ गया। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन ने कश्मीर विवाद को पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अस्थिरता से जोड़ने के लिए ओबामा प्रशासन की आलोचना की और कहा कि ऐसा करके राष्ट्रपति ओबामा गलत पेड़ को काट रहे हैं।

भारत और अमेरिकी सरकारों के बीच ईरान और रूस के साथ भारत के सौहार्दपूर्ण संबंधों से लेकर श्रीलंका मालदीव म्यांमार और बांग्लादेश से संबंधित विदेश नीति की असहमति जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों पर मतभेद रहे हैं।

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका को स्वाभाविक सहयोगी कहते हुए रॉबर्ट ब्लैक ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत की कीमत पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रणनीतिक प्राथमिकताओं को पूरा करने का जोखिम नहीं उठा सकता।

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देवयानी खोबरागडे घटना ( Devyani Khobragade incident,2013 )

  • दिसंबर 2013 में न्यूयॉर्क में भारत की उप महावाणिज्य दूत देवयानी खोबरागड़े को अमेरिकी संघीय अभियोजकों द्वारा गिरफ्तार किया गया और आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने हाउसकीपर के लिए झूठे वर्क वीजा दस्तावेज जमा किए और हाउसकीपर को न्यूनतम कानूनी मजदूरी से बहुत कम भुगतान किया।
  • यह घटना भारत सरकार के विरोध और भारत संयुक्त राज्य अमेरिका संबंधों में दरार का कारण बना ।
  • भारतीयों ने नाराजगी व्यक्त की कि खोबरागड़े की तलाशी ली गई थी और सामान्य कैदी आबादी में आयोजित किया गया था । पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि खोबरागड़े के साथ दुर्व्यवहार हुआ है।
  • भारत ने अमेरिका से उसके कथित अपमान के लिए माफी की मांग की और आरोपों को हटाने का आहवान किया जिसे करने से अमेरिका ने इंकार कर दिया।
  • इस घटना के बाद भारत सरकार ने गैर राजनयिकों को नई दिल्ली में अमेरिकन कम्युनिटी सपोर्ट एसोसिएशन क्लब और अमेरिकन एंबेसी क्लब का उपयोग करने से भी रोक दिया। इन सामाजिक क्लबों को 16 जनवरी 2014 तक गैर-राजनयिक कर्मियों को लाभ पहुंचाने वाली सभी व्यवसायिक गतिविधियों को बंद करने का आदेश दिया गया।

भारत-अमेरिका संबंध 2017- 2021 ( India-US Relations 2017- 2021 )

फरवरी 2017 में अमेरिका में भारतीय राजदूत नवतेज सरना ने नेशनल गवर्नर्स एसोसिएशन के लिए एक स्वागत समारोह की मेजबानी की ,जिसमें 25 राज्यों के राज्यपालों और तीन और राज्यों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पहली बार इस तरह की घटना हुई। सभा का कारण बताते हुए वर्जीनिया के गवर्नर और एनजीए अध्यक्ष टेरी मैकओलिफ़ ने कहा कि भारत ,अमेरिका का सबसे बड़ा राजनीतिक साझेदार है।

अक्टूबर 2018 में भारत ने अमेरिका को CAATSA अधिनियम की अनदेखी करते हुए दुनिया की सबसे शक्तिशाली मिसाइल रक्षा प्रणालियों में से एक चार S-400 Triumf सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए रूस के साथ 5.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऐतिहासिक समझौता किया।

रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के भारत के फैसले पर अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की धमकी दी। ईरान से तेल खरीदने के भारत के फैसले पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की भी धमकी दी।

2-3 जून 2020 की मध्य रात्रि को अज्ञात बदमाशों द्वारा वॉशिंगटन डीसी में महात्मा गांधी स्मारक में तोड़फोड़ की गई थी। इस घटना ने भारतीय दूतावास को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ शिकायत दर्ज करने के लिए प्रेरित किया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के निरूपण को अपमान कहा ।

21 दिसंबर 2020 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंधों को बढ़ाने के लिए मोदी को लीजन ऑफ मेरिट से सम्मानित किया। लीजन ऑफ मेरिट ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री सकॉट मॉरिसन और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ ,QUAD के मूल वास्तुकार के साथ मोदी को प्रदान किया गया था ।

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भारत अमेरिका वर्तमान संबंध ( India-America current relations )

  • दोनों देश चीन की बढ़ती समुद्री उपस्थिति और प्रभाव को लेकर चिंतित है। को भारतीय आशान्वित है कि बाईडेन प्रशासन भारतीय आप्रवासन के साथ परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में प्रवेश के लिए वीजा आवश्यकताओं को कम करेगा।
  • दोनों देशों को व्यापार बढ़ने की उम्मीद है।
  • अमेरिका रक्षा मुद्दों पर रूस के साथ भारत के सौहार्द और अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद ईरान के साथ उसके ऊर्जा संबंधों को लेकर चिंतित है।
  • भारत और अमेरिका ने हाल के वर्षों में संबंधों में आई गर्माहट पर आगे बढ़ते रहने और व्यापक रणनीतिक दृष्टिकोण को ना खोने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है।

अमेरिका भारत से दूर क्यों हो सकता है ( Why America may walk away from India )

  • भारत अमेरिका संबंध में रूस कोई नया कारक नहीं है। प्रतिबंधों के बीच भी भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात में कमी लाने के बजाय वृद्धि की है। रूस द्वारा भारत के लिए किए गए कम मूल्य पर इसकी पेशकश की गई थी।
  • भारत व्दारा रूस से S-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद पर अमेरिकी CAATSA कानून के अनुपालन को लेकर भी लंबे समय से चर्चा जारी है।
  • भारत रूस रक्षा संबंध भी भारत अमेरिका संबंधों में एक अवरोध का कारण बना हुआ है।
  • चीन के साथ सहयोग की भारत की संभावनाओं ने भी भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव उत्पन्न किया है ।
  • जबकि म्यांमार ,ईरान और अफगानिस्तान जैसे देशों में भारतीय और अमेरिकी नीतियां भिन्न है लेकिन चीन ऐसा विषय है जो दोनों देशों को एक साथ जोड़ता है।

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भारत-अमेरिका संबंधों के बदलते आयाम ( Changing Nature of India-America Relations )

सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत और अमेरिका के बीच प्रगाढ़ संबंधों की शुरुआत 1994 में तब हुई जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने अमेरिका की यात्रा की थी। उसके बाद जुलाई 1998 से लेकर अब तक भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों के बीच अनेक वार्ताएं हो चुकी है।

भारत के बारे में अमेरिका की ढेर सारी शंकाएं थी , वह भारत को एक उदारवादी लोकतांत्रिक देश की बजाय कुछ कुछ समाजवादी देश मानता रहा है। भारत-अमेरिका के बीच वार्ताओं से शंकाएं दूर हुई है।

अमेरिका के प्रति भारत का दृष्टिकोण ( India’s attitude towards America )

  • सोवियत संघ के विघटन के बाद एक ध्रुवीय विश्व का एकछत्र नेता अमेरिका है। विश्व महाशक्ति के नाते अमेरिका से दोस्ती भारत के लिए हर दृष्टि से लाभप्रद होगी।
  • भारत को अपने यहां विदेशी पूंजी निवेश की आवश्यकता है। भारत को लगता है कि बेहतर संबंध होने से भारी पूंजी निवेश हो सकता है।
  • अमेरिका प्रगतिशील प्रौद्योगिकी की भूमि है। भारत अमेरिका से इस क्षेत्र में बहुत कुछ प्राप्त कर सकता है।
  • अमेरिका एक ऐसा देश है जहां व्यापार से लेकर ज्ञान विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक अवसर मौजूद है। भारत इस अवसर का लाभ उठाना चाहता हैं।
  • अमेरिका का धर्मनिरपेक्ष बहुराष्ट्रीय और लोकतांत्रिक देश होना भारत के लिए उपयुक्त है।
  • अमेरिका में लाखों की संख्या में भारतीयों की उपस्थिति भारत सरकार पर अमेरिका से मधुर संबंध बनाने के लिए एक अप्रत्यक्ष दबाव बना चुकी है।
  • भारत को लगता है कि पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए अमेरिका से दोस्ती करनी जरूरी है।
  • आतंकवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए जितनी मुश्किलों का सामना भारत को करना पड़ रहा है लगभग उतना ही परेशानी अमेरिका को भी उठानी पड़ रही है। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर दोनों देशों के हित समान है।

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अमेरिका की नजर में भारत ( Indian in View of America )

  • भारत एक बड़ा विश्व बाजार है। अमेरिकी उपभोक्ता सामग्रियों की खपत इस बाजार में धड़ल्ले से हो सकती है।
  • चीन की तुलना में भारत का बाजार अमेरिका के लिए उपयुक्त होगा।
  • विश्व में भारत ने अपनी पहचान परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र की बनाई है। उसकी एक निश्चित भूमिका तय है।
  • अमेरिका में भारतीयों की संख्या लाखों में है। ये भारतीय भविष्य में अमेरिकी समाज को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
  • रूस की निर्बलता के कारण चीन भविष्य में महाशक्ति बन सकता है। शक्ति संतुलन के लिए भारत से दोस्ती करना अमेरिका के लिए मजबूरी है।
  • अमेरिका और भारत के दक्षिण एशिया में सामरिक रणनीति हित परस्पर मिलते जुलते हैं। दक्षिण एशिया की एक शक्ति के बतौर भारत अमेरिका की मदद कर सकता है।
  • भारत की धर्मनिरपेक्ष बहुलवादी और अपेक्षाकृत स्थिर लोकतांत्रिक राजनीति अमेरिका को पसंद आती है।

भारत-अमेरिका के बीच सैन्य सहयोग ( Military cooperation between India and America )

3-4 दिसंबर 2001 , को दोनों देशों की रक्षा नीति समूह की बैठक नई दिल्ली में संपन्न हुई। दोनों एक दूसरे के साथ नए सिरे से रक्षा व सैन्य सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए । इसके साथ साथ बैठक में आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग बढ़ाने के व्यापक पहलुओं पर भी विचार किया गया।

भारत-अमेरिका के अच्छे संबंधों के लिए जरूरी बातें ( Important things for good relations between India and America )

  • अमेरिका को भारत की गुट-निरपेक्षता की नीति का आदर करना चाहिए। उसे यह मानना चाहिए कि भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र है जो अंतरिक्ष में उपग्रह भेज चुका है। उसे दबाव द्वारा अमेरिका अपने पक्ष में नहीं झुका सकेगा।
  • गुट-निरपेक्ष राष्ट्र होने के नाते भारत को इस तरह की बातें करनी पड़ सकती है जो अमेरिका को नापसंद हो। उदाहरण के लिए अप्रैल 1986 में अमेरिका ने जब लीबिया पर हमला किया तो भारत ने उसकी निंदा की।
  • भारत और अमेरिका के व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को सुधारा जाए। अमेरिका को चाहिए कि हमे भारत के विकास कार्यक्रमों में सहयोग दे।
  • अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को आधुनिकतम हथियारों की लागततार सप्लाई किए जाना दोनों देशों के बीच मतभेद का एक बड़ा मुद्दा है।
  • भारत ने अमेरिका को बार-बार यह समझाया कि पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई से उपमहाद्वीप में शस्त्रों की होड़ को प्रोत्साहन मिलता है। इससे भारत-अमेरिकी संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

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FAQ Checklist

भारत-अमेरिका के अच्छे संबंधों के लिए जरूरी बातें।

1 .अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को आधुनिकतम हथियारों की लागततार सप्लाई किए जाना दोनों देशों के बीच मतभेद का एक बड़ा मुद्दा है।
2 .भारत ने अमेरिका को बार-बार यह समझाया कि पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई से उपमहाद्वीप में शस्त्रों की होड़ को प्रोत्साहन मिलता है। इससे भारत-अमेरिकी संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

भारत-अमेरिका के बीच सैन्य सहयोग 2001 क्या हैं ?

3-4 दिसंबर 2001 , को दोनों देशों की रक्षा नीति समूह की बैठक नई दिल्ली में संपन्न हुई। दोनों एक दूसरे के साथ नए सिरे से रक्षा व सैन्य सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए । इसके साथ साथ बैठक में आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग बढ़ाने के व्यापक पहलुओं पर भी विचार किया गया।

अमेरिका की नजर में भारत कैसा हैं ?

1 .भारत एक बड़ा विश्व बाजार है। अमेरिकी उपभोक्ता सामग्रियों की खपत इस बाजार में धड़ल्ले से हो सकती है।
2 .चीन की तुलना में भारत का बाजार अमेरिका के लिए उपयुक्त होगा।
3 .विश्व में भारत ने अपनी पहचान परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र की बनाई है। उसकी एक निश्चित भूमिका तय है।

अमेरिका के प्रति भारत का दृष्टिकोण कैसा हैं ?

1 .सोवियत संघ के विघटन के बाद एक ध्रुवीय विश्व का एकछत्र नेता अमेरिका है। विश्व महाशक्ति के नाते अमेरिका से दोस्ती भारत के लिए हर दृष्टि से लाभप्रद होगी।
2 .भारत को अपने यहां विदेशी पूंजी निवेश की आवश्यकता है। भारत को लगता है कि बेहतर संबंध होने से भारी पूंजी निवेश हो सकता है।
3 .अमेरिका प्रगतिशील प्रौद्योगिकी की भूमि है। भारत अमेरिका से इस क्षेत्र में बहुत कुछ प्राप्त कर सकता है।

भारत-अमेरिका संबंधों के बदलते आयाम के व्याख्या करें।

भारत के बारे में अमेरिका की ढेर सारी शंकाएं थी , वह भारत को एक उदारवादी लोकतांत्रिक देश की बजाय कुछ कुछ समाजवादी देश मानता रहा है। भारत-अमेरिका के बीच वार्ताओं से शंकाएं दूर हुई है।

अमेरिका भारत से दूर क्यों हो सकता है ?

1 .भारत व्दारा रूस से S-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद पर अमेरिकी CAATSA कानून के अनुपालन को लेकर भी लंबे समय से चर्चा जारी है।
2 .भारत रूस रक्षा संबंध भी भारत अमेरिका संबंधों में एक अवरोध का कारण बना हुआ है।
3 .चीन के साथ सहयोग की भारत की संभावनाओं ने भी भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव उत्पन्न किया है ।

भारत अमेरिका वर्तमान संबंध कैसा हैं ?

1 .दोनों देशों को व्यापार बढ़ने की उम्मीद है।
2 .अमेरिका रक्षा मुद्दों पर रूस के साथ भारत के सौहार्द और अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद ईरान के साथ उसके ऊर्जा संबंधों को लेकर चिंतित है।
3 .भारत और अमेरिका ने हाल के वर्षों में संबंधों में आई गर्माहट पर आगे बढ़ते रहने और व्यापक रणनीतिक दृष्टिकोण को ना खोने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है।

भारत-अमेरिका संबंध 2017- 2021 की विवेचन करें।

रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के भारत के फैसले पर अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की धमकी दी। ईरान से तेल खरीदने के भारत के फैसले पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की भी धमकी दी।

देवयानी खोबरागडे घटना क्या है ?

दिसंबर 2013 में न्यूयॉर्क में भारत की उप महावाणिज्य दूत देवयानी खोबरागड़े को अमेरिकी संघीय अभियोजकों द्वारा गिरफ्तार किया गया और आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने हाउसकीपर के लिए झूठे वर्क वीजा दस्तावेज जमा किए और हाउसकीपर को न्यूनतम कानूनी मजदूरी से बहुत कम भुगतान किया।

भारत-अमेरिका विदेश नीति के मुद्दे कौन से हैं ?

भारत और अमेरिकी सरकारों के बीच ईरान और रूस के साथ भारत के सौहार्दपूर्ण संबंधों से लेकर श्रीलंका मालदीव म्यांमार और बांग्लादेश से संबंधित विदेश नीति की असहमति जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों पर मतभेद रहे हैं।

भारत के खिलाफ अमेरिकी जासूसी अभियानों का भारत को कैसे पता लगा।

वॉशिंगटन पोस्ट द्वारा प्रकाशित 2010 के एक दस्तावेज से पता चला है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जासूसी करने के लिए अधिकृत किया गया था।

भारत अमेरिका के बीच 10 वर्षीय रक्षा समझौता कब और क्यों हुआ ?

28 जून 2005 को भारत के रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी तथा अमेरिका की ओर से रक्षा मंत्री डोनाल्ड रम्सफेल्ड ने पारस्परिक रक्षा संबंधों को नए आयाम देते हुए दोनों देशों ने एक नए रक्षा समझौते ‘न्यू फ्रेमवर्क फॉर द यूएस-इंडिया डिफेंस रिलेशनशिप ‘ पर हस्ताक्षर किए जिसके द्वारा दोनों देशों के बीच अगले 10 वर्षों के लिए सुरक्षा सहयोग की रूपरेखा निर्धारित की गई।

अमेरिका में 2001 में आतंकवादी हमला और भारत का दृष्टिकोण।

11 सितंबर 2001 को दुनिया के इतिहास के भीषण आतंकवादी हमले में अमेरिका के व्यापारिक केंद्रों एवं रक्षा ठिकानों की भव्यतम इमारतों को निशाना बनाया गया जिसमें हजारों लोगों की जानें गई एवं अरबों डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ। इस त्रासदी पर भारत ने गहरा दुख प्रकट करते हुए अमेरिका को आतंकवाद के विरुद्ध की जाने वाले कार्यवाही में हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया ।

राजीव गांधी युग में भारत-अमेरिका संबंध कैसे रहे ?

1 .जून 1985 में अमेरिका में भारत महोत्सव का आयोजन किया गया। उसका उद्घाटन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने किया। उन्होंने अमेरिकी संसद और पत्रकार परिषद को भी संबोधित किया। राजीव गांधी के भाषणों को काफी सराहा गया, हालांकि उन्होंने राष्ट्रपति रीगन की कई नीतियों की कड़ी आलोचना की थी।
2 .भारत को हथियार सप्लाई किए जाने के बारे में अमेरिकी शर्तों को भारत के प्रधानमंत्री ने मंजूर नहीं किया। इससे यह स्पष्ट है कि राजीव गांधी की सरकार गुटनिरपेक्षता की नीति पर कायम रही।

भारत-अमेरिका के बीच तनाव के मुख्य कारण क्या हैं ?

1 .भारत द्वारा अपनाई गई गुट-निरपेक्षता की नीति से भी अमेरिका को बहुत निराशा हुई।
2 .सन 1965 तथा 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका ने भारत के विरुद्ध पाकिस्तान की सहायता की।
3 .सन 1971 में भारत ने जब सोवियत संघ के साथ 20 वर्षीय मित्रता की संधि की तो अमेरिका भारत से और भी नाराज हो गया।

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