Indian Foreign Policy Aims and Objectives in Hindi भारत की विदेश नीति के लक्ष्य एवं उद्देश्य

Indian Foreign Policy : भारतीय विदेश नीति के लक्ष्य, उद्देश्य

राजनीति विज्ञान विदेश नीति

Indian Foreign Policy Aims and Objectives in Hindi भारत की विदेश नीति के लक्ष्य एवं उद्देश्य – भारत का विश्व में विशेष स्थान है। भारत विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे व क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवें स्थान पर है। भारत की भौगोलिक स्थिति ने भारत के महत्व को अत्यधिक बढ़ावा दिया है।

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एशिया व हिंद महासागर की अंतः राजनीति पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। तृतीय विश्व व गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों के मुख्य नेता के कारण भारत के महत्व को बड़ी शक्तियां भी अनदेखा नहीं कर सकती।

विश्व का कोई भी राष्ट्र पूर्ण स्वावलंबी होने का दावा नहीं कर सकता तथा विज्ञान की प्रगति के कारण विश्व में होने वाली प्रत्येक घटना का प्रभाव सभी राष्ट्रों पर पड़ता है।

अतः कोई भी राष्ट्र पृथक्करण की नीति नहीं अपना सकता। प्रत्येक राष्ट्र विश्व के अन्य राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों व अंतरराष्ट्रीय प्रश्नों पर जो नीतियां बनाता है उसे विदेश नीति कहा जाता है।

भारत की विदेश नीति के लक्ष्य एवं उद्देश्य ( Aims and Objectives of Indian Foreign Policy )

भारतीय विदेश नीति के लक्ष्य एवं उद्देश्य निम्नलिखित है –

1 ) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की वृद्धि।

2 ) राष्ट्रों से न्याय पूर्ण व सम्मान पुर्ण संबंध बनाए रखना।

3 ) अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति तथा विभिन्न राष्ट्रों के पारस्परिक संबंधों में संधियों के पालन के प्रति सम्मान बढ़ाना।

4 ) मध्यस्थता तथा पंच निर्णय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय विवादों के समाधान को प्रोत्साहित करना।

5 ) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का समर्थन करना तथा आपसी मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना।

6 ) एक अहिंसक तथा नाभिकीय शस्त्र विहीन विश्व की रचना करना।

7 ) विश्वव्यापी तनाव दूर करके परस्पर समझौते को बढ़ावा देना तथा संघर्ष नीति और सैन्य गुटबाजी का विरोध करना।

8 ) शस्त्रों की होड़ विशेष रूप से नाभिकीय शस्त्रों की होड़ का विरोध करना तथा व्यापक निशस्त्रीकरण का समर्थन करना।

9 ) शस्त्रों पर खर्च होने वाले साधनों को आर्थिक विकास के कार्यों में प्रयोग किए जाने का समर्थन करना।

10 ) सभी राष्ट्रों का सम्मान तथा व्यापक सुरक्षा के प्रस्ताव का समर्थन करना ।

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11 ) राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना ताकि राष्ट्र की स्वतंत्रता और अखंडता पर हर प्रकार के खतरे को रोका जा सके।

12 ) राष्ट्रीय एकता और सामाजिक आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्थायित्व तथा राष्ट्रीय आर्थिक विकास को प्राप्त करना।

13 ) आर्थिक स्वतंत्रता की सुरक्षा और उसे बढ़ावा देना ,आत्मनिर्भर तथा आत्मा उत्पादित औद्योगिकीकरण की प्राप्ति।

14 ) साम्राज्यवाद ,उपनिवेशवाद, नस्लवाद, जातियां पृथकतावाद ,अधिकारवादी निरंकुशता तथा सैन्यवाद का विरोध करना।

15 ) स्वतंत्रता आंदोलनों, लोकतांत्रिक संघर्ष और आत्म निर्धारण के संघर्षों का समर्थन करना।

16 ) प्रत्येक राष्ट्र के इस अधिकार को मान्यता देना कि वह राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र है तथा वह सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था स्वयं निश्चित कर सकता है।

17 ) शांतिपूर्ण सह अस्तित्व तथा पंचशील के आदर्श को बढ़ावा देना।

18 ) अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का विरोध करना ।

19 ) एक लोकतांत्रिक विश्व की स्थापना के लिए मानव अधिकारों को एक आवश्यक शर्त के रूप में मान्यता दिए जाने तथा उन्हें लागू किए जाने पर जोर देना ।

20 ) विश्वव्यापी समस्याओं जैसे रोटी ,कपड़ा ,आवास ,साक्षरता ,जन स्वास्थ्य ,पर्यावरण रक्षा, जनसंख्या वृद्धि के समाधान के लिए मानव संसाधनों के प्रयोग के कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।

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21 ) परस्पर लाभ के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्र में मैत्री तथा सद्भाव और सहयोग को बढ़ावा देना।

22 ) पड़ोसी राष्ट्रों से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना तथा दक्षिण एशियाई क्षेत्रों के आंतरिक मामलों में बड़ी शक्तियों के हस्तक्षेप को रोकना।

23 ) राष्ट्रों और व्यक्तियों के बीच भ्रम तथा संघर्ष के वातावरण को कम करना और उनमें आपसी सूझबूझ तथा मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना।

24 ) हिंद महासागर को शांति क्षेत्र बनाने के प्रयास को बढ़ावा देना तथा भारत के निकटवर्ती समुद्र क्षेत्र को बड़ी शक्तियों के नौसैनिक टकराव से बचाए रखने का प्रयास करना।

25 ) विश्वव्यापी स्तर पर विकास कार्यों का समर्थन करना।

26 ) एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का निर्माण करना जो समानता ,न्याय तथा मानवता पर आधारित हो।

27 ) एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का विरोध करना।

28 ) भय , घृणा , लालच , अन्याय तथा और समानता से युक्त विश्व का निर्माण करने के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन को दृढ़ बनाना तथा संयुक्त राष्ट्र संघ का समर्थन करना।

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FAQ Checklist

भारतीय विदेश नीति के चार आदर्श बताएं।

अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की वृद्धि , राष्ट्रों से न्याय पूर्ण व सम्मान पूर्ण संबंध बनाए रखना, अंतरराष्ट्रीय कानून की प्रति तथा विभिन्न राष्ट्रों के पारस्परिक संबंधों में संधियों के पालन के प्रति सम्मान बढ़ाना , मध्यस्थता तथा पंच निर्णय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय विवादों के समाधान को प्रोत्साहित करना।

भारतीय विदेश नीति के महत्वपूर्ण लक्ष्य बताएं।

1 ) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का समर्थन करना तथा आपसी मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना।
2 ) विश्वव्यापी तनाव दूर करके परस्पर समझौते को बढ़ावा देना तथा संघर्ष नीति और सैन्य गुटबाजी का विरोध करना।
3 ) एक अहिंसक तथा नाभिकीय शस्त्र विहीन विश्व की रचना करना।

भारत की विदेश नीति का उद्देश्य क्या है ?

1 ) एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का विरोध करना।
2) पड़ोसी राष्ट्रों से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना तथा दक्षिण एशियाई क्षेत्रों के आंतरिक मामलों में बड़ी शक्तियों के हस्तक्षेप को रोकना।
3 ) विश्वव्यापी समस्याओं जैसे रोटी ,कपड़ा ,आवास ,साक्षरता ,जन स्वास्थ्य ,पर्यावरण रक्षा, जनसंख्या वृद्धि के समाधान के लिए मानव संसाधनों के प्रयोग के कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।

भारत की विदेश नीति के संस्थापक कौन हैं?

भारत की विदेश नीति के संस्थापक आमतौर पर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को माना जाता है।

भारतीय विदेश नीति के मुख्य बिंदु क्या है?

एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का निर्माण करना जो समानता ,न्याय तथा मानवता पर आधारित हो। एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का विरोध करना।

विदेश नीति कौन बनाता है?

राजनीतिक संस्थान और सरकार के रूप किसी देश की विदेश नीति में भूमिका निभाते हैं। लोकतंत्र में, जनता की राय और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के तरीके दोनों देश की विदेश नीति को प्रभावित करते हैं।

भारत की पहली महिला विदेश मंत्री कौन है?

२१ दिसंबर २००९ को लालकृष्ण आडवाणी की जगह १५वीं लोकसभा में सुषमा स्वराज विपक्ष की नेता बनी और मई २०१४ में भाजपा की विजय तक वह इसी पद पर आसीन रही। वर्ष २०१४ में वे विदिशा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा लोकसभा की सांसद निर्वाचित हुई हैं और उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

विदेश नीति के प्रकार बताओं।

विदेश नीति के चार प्रकार होते हैं। साम्राज्यवाद , अलगाववाद , कूटनीति और सामुहिक सुरक्षा।

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