Political Socialization Various Agencies in Hindi राजनीतिक समाजीकरण के मुख्य अभिकरण , साधन , तत्व

Political Socialization : राजनीतिक समाजीकरण के मुख्य अभिकरण,साधन,तत्व

राजनीति विज्ञान राजनीतिक समाजीकरण

Political Socialization Various Agencies in Hindi राजनीतिक समाजीकरण के मुख्य अभिकरण , साधन , तत्व – व्यक्ति के राजनीतिक समाजीकरण में कई साधनों, तत्व या संस्थाओं का योगदान होता है। इन्हें राजनीतिक समाजीकरण के साधन भी कहा जाता है। इन साधनों को दो भागों में बांटा जा सकता है -प्राथमिक साधन और क्रम के साधन ।

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परिवार, विद्यालय ,महाविद्यालय आदि को प्राथमिक साधन कहा जाता है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं और व्यक्ति को राजनीतिक झुकाव प्रदान करते हैं। परंतु कुछ ऐसे साधन है जो व्यक्ति को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं जैसे जनसंचार आदि उन्हें दूसरे क्रम के साधन कहा जाता है। वास्तविकता में इन दोनों प्रकार के साधनों में कोई भेद नहीं है।

Table of Contents विषय सूची

राजनीतिक समाजीकरण की अभिकरण ( Political Socialization Various Agencies in Hindi )

राजनीतिक समाजीकरण में अनेक तत्व या अभिकरणों की भूमिका रहती है। अलग-अलग विद्वानों ने इस बारे में जो कुछ लिखा है उससे यह सूची काफी लंबी हो जाती है। उनमें से कुछ प्रमुख तत्व या अभिकरणों का संक्षेप में विवरण इस प्रकार है –

परिवार ( Family )

बहुत से विद्वानों का विचार है कि व्यक्ति अपने जीवन का 2/3 ज्ञान जीवन के प्रथम 3 वर्षों में प्राप्त करता है। व्यक्ति के प्रारंभिक जीवन में जो प्रभाव पड़ते हैं उनकी छाप अमिट होती है। परिवार पहला विद्यालय हैं जहां व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता है और एक आदत के द्वारा सब कुछ सीखता है।

बच्चा बिना किसी झुकाव के स्वतंत्रता जन्म लेता है अर्थात जन्म के समय बच्चे की कोई विचारधारा या दृष्टिकोण नहीं होता है। उसकी शिक्षा-दीक्षा जन्म के बाद प्रारंभ होती है। अतः परिवार को नागरिक गुणो का पालना कहा जाता है। परिवार में जिन नैतिक मूल्यों को अपनाया जाता है बालक भी उन्हीं से जुड़ जाता है।

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शिक्षण संस्थाएं ( Educational Institutions )

विभिन्न स्तर की शिक्षण संस्थाएं राजनीतिक समाजीकरण के साधन है। विद्यालयों में विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों से भेंट करता है और बहुत सी बातें सीखने का उसे अवसर प्राप्त होता है। विद्यार्थी विद्यालय में विचारों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया द्वारा अपना ज्ञान बढ़ाते हैं। अतः एक दूसरे के राजनीतिक विचारों को प्रभावित करते हैं।

इसके अतिरिक्त विद्यालयों ,कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में अनेक विषयों का अध्ययन कराया जाता है। इन विषयों के अध्ययन के बाद विद्यार्थियों के मस्तिष्क में अनेकों राजनीतिक विचार पनपते हैं। कई बार तो एक विशेष विचारधारा को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम तैयार किया जाता है। इस प्रकार प्रत्येक स्तर की शिक्षण संस्थाएं राजनीतिक समाजीकरण में अहम भूमिका निभाते हैं।

मित्र मंडली ( Friends’Circel )

विद्यार्थियों का संपर्क अपनी शिक्षण संस्थाओं के साथ-साथ अपने मित्रों से भी होता है जो कई बार बहुत गहरा हो जाता है। ये मित्रगण आपस में एक दूसरे की भावनाओं और मूल्यों को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। अतः यदि उनमें सार्वजनिक मामलों की जानकारी पाने की रुचि अधिक होती है तब उसी स्थिति में राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया तेज हो जाती है।

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आजीविका के साधन ( Means of Livelihood )

आजीविका के विभिन्न साधन और उससे जुड़े हुए हालात भी व्यक्तियों के सोचने समझने के तरीकों को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। अतः उन्हें भी राजनीतिक समाजीकरण का महत्वपूर्ण साधन माना जाता है।

इसका अर्थ यह है कि अगर किसी कारखाने या कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारी यह देखते हैं कि उनके वरिष्ठ अधिकारी का दृष्टिकोण उनके प्रति घृणा, निरादर और अपमान का ना होकर सहानुभूति पूर्ण है और उनकी उचित मांगों को सरलता से पूरा कर दिया जाता है तब उन कर्मचारियों के रवैया में उग्रवादी दृष्टिकोण नहीं दिखाई देता । लेकिन जहां पर ऐसा नहीं होता वहां आए दिन हड़तालें , तोड़फोड़ और हिंसा आदि की घटनाएं होती रहती है।

प्रचार के आधुनिक साधन ( Modern Means of Publicity )

प्रचार के आधुनिक साधन भी राजनीतिक समाजीकरण को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। जिन देशों में रेडियो ,दूरदर्शन ,समाचार पत्रों आदि पर सरकार का कड़ा नियंत्रण नहीं होता और उनकी स्वायत्तता या स्वतंत्रता बनाए रखी जाती है वहां राजनीतिक समाजीकरण की गति बहुत तेज होती है। इसका कारण यह है कि अखबार ,रेडियो और दूरदर्शन संचार के बहुत अधिक प्रभावशाली साधन है।

दबाव समूह ( Pressure Groups )

आधुनिक युग लोकतांत्रिक है। विभिन्न सरकारों की कार्यप्रणाली का अध्ययन करने के पश्चात या निश्चित किया है कि सरकार की नीतियों को प्रभावित करने वाले कई समूह होते हैं। यह समूह प्रत्यक्ष रूप से कार्य ना करके अप्रत्यक्ष रूप से कार्य करते हैं। यह पर्दे के पीछे रहकर सरकार की नीतियों को अपने हितों में प्रभावित करते हैं। इन समूहों को दबाव समूहों या हित समूह कहा जाता है। यह समूह राजनीतिक समाजीकरण में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।

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राजनीतिक दल ( Political Parties )

आधुनिक लोकतंत्र के युग में राजनीतिक दलों का महत्वपूर्ण स्थान है। एक दल राजनीतिक समाजीकरण का महत्वपूर्ण साधन है। आधुनिक युग में कोई भी राज्य इनके प्रभाव से मुक्त नहीं है। राजनीतिक दलों का निर्माण एक विशेष राजनीतिक विचारधारा को कार्यान्वित करने के लिए किया जाता है। राजनीतिक दल संवैधानिक तरीकों से राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।

किसी राजनीतिक दल की प्रसिद्धि और शक्ति लोगों पर निर्भर करती है। अतः यह स्वाभाविक है कि प्रत्येक दल अपने विचारों का प्रसार करना चाहता है। राजनीतिक दल अपने दल का वार्षिक अधिवेशन करके अपने विचारों का प्रसार करते हैं। राजनीतिक दल चुनाव के समय अपने-अपने दल का घोषणा पत्र प्रकाशित करते हैं और अपनी पार्टी के पक्ष में समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित करते हैं तथा विज्ञापन देते हैं। अतः राजनीतिक दल लगातार राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया में कड़ी सहायता करते हैं।

विभिन्न समुदाय ( Different Associations )

मनुष्य के सामाजिक प्राणी होने और उसके हितों तथा जरूरतें अनेक तरह की होने की वजह से व्यक्ति उनको पूरा करने के लिए अनेक समुदाय या तो कायम करते हैं या पहले से ही कायम समुदायों के वे सदस्य बन जाते हैं। इन विभिन्न समुदायों की गतिविधियां उनके अपने सदस्यों के जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती है और इसे राजनीतिक समाजीकरण होने में बड़ी सहायता मिलती है।

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प्रतीक ( Symbols )

महापुरुषों को याद करना ,उनकी जयंतियाँ मनाना आदि मानव स्वभाव के स्वाभाविक लक्षण है। इन्हें या इनसे मिलती-जुलती अन्य गतिविधियों को राजनीतिक या सामाजिक प्रतीक कहा जाता है। अतः इन अवसरों का लाभ उठाकर राजनीतिक समाजीकरण को आगे बढ़ाने में बहुत अधिक सहायता मिलती है।

साहित्य ( Literature )

साहित्य भी राजनीतिक समाजीकरण का अति महत्वपूर्ण साधन है। व्यक्ति जिस प्रकार के साहित्य का अध्ययन करता है उस साहित्य के अनुसार ही व्यक्ति के विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे श्रीमद्भगवतगीता ने महात्मा गांधी की राजनीति को बहुत अधिक प्रभावित किया था। कार्ल मार्क्स की पुस्तक दास कैपिटल का अध्ययन करने के पश्चात ही संसार में बहुत से व्यक्ति साम्यवादी बन गए।

राजनीतिक व्यवस्था ( Political System )

राजनीतिक व्यवस्था ने नागरिकों या समाज के प्रति विभिन्न मामलों में क्या दृष्टिकोण अपनाया है इससे भी राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया बहुत प्रभावित होती है अर्थात सरकार की गतिविधियां लोगों के मस्तिष्क को प्रभावित करती है। यदि लोग सरकार की गतिविधियों को पसंद करते हैं तो यह सकारात्मक प्रभाव डालती है। यदि वे सरकार की गतिविधियों को पसंद नहीं करते तो यह लोगों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

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FAQ Checklist

राजनीतिक समाजीकरण में परिवार की भूमिका बताएं।

बच्चा बिना किसी झुकाव के स्वतंत्रता जन्म लेता है अर्थात जन्म के समय बच्चे की कोई विचारधारा या दृष्टिकोण नहीं होता है। उसकी शिक्षा-दीक्षा जन्म के बाद प्रारंभ होती है। अतः परिवार को नागरिक गुणो का पालना कहा जाता है। परिवार में जिन नैतिक मूल्यों को अपनाया जाता है बालक भी उन्हीं से जुड़ जाता है।

शिक्षण संस्थाओं का राजनीतिक समाजीकरण में क्या योगदान है ?

विभिन्न स्तर की शिक्षण संस्थाएं राजनीतिक समाजीकरण के साधन है। विद्यालयों में विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों से भेंट करता है और बहुत सी बातें सीखने का उसे अवसर प्राप्त होता है। विद्यार्थी विद्यालय में विचारों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया द्वारा अपना ज्ञान बढ़ाते हैं। अतः एक दूसरे के राजनीतिक विचारों को प्रभावित करते हैं।

प्रचार साधनों की राजनीतिक समाजीकरण में क्या भूमिका हैं ?

प्रचार के आधुनिक साधन भी राजनीतिक समाजीकरण को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। जिन देशों में रेडियो ,दूरदर्शन ,समाचार पत्रों आदि पर सरकार का कड़ा नियंत्रण नहीं होता और उनकी स्वायत्तता या स्वतंत्रता बनाए रखी जाती है वहां राजनीतिक समाजीकरण की गति बहुत तेज होती है। इसका कारण यह है कि अखबार ,रेडियो और दूरदर्शन संचार के बहुत अधिक प्रभावशाली साधन है।

राजनीतिक समाजीकरण में राजनीतिक दल की क्या भूमिका है ?

किसी राजनीतिक दल की प्रसिद्धि और शक्ति लोगों पर निर्भर करती है। अतः यह स्वाभाविक है कि प्रत्येक दल अपने विचारों का प्रसार करना चाहता है। राजनीतिक दल अपने दल का वार्षिक अधिवेशन करके अपने विचारों का प्रसार करते हैं। राजनीतिक दल चुनाव के समय अपने-अपने दल का घोषणा पत्र प्रकाशित करते हैं और अपनी पार्टी के पक्ष में समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित करते हैं तथा विज्ञापन देते हैं। अतः राजनीतिक दल लगातार राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया में कड़ी सहायता करते हैं।

साहित्य राजनीतिक सामाजिकरण को कैसे प्रभावित करती है ?

साहित्य भी राजनीतिक समाजीकरण का अति महत्वपूर्ण साधन है। व्यक्ति जिस प्रकार के साहित्य का अध्ययन करता है उस साहित्य के अनुसार ही व्यक्ति के विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे श्रीमद्भगवतगीता ने महात्मा गांधी की राजनीति को बहुत अधिक प्रभावित किया था। कार्ल मार्क्स की पुस्तक दास कैपिटल का अध्ययन करने के पश्चात ही संसार में बहुत से व्यक्ति साम्यवादी बन गए।

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