राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर -Difference between state and political system in Hindi

Political System : राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर

राजनीति विज्ञान पॉलिटिकल सिस्टम

Political system- राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर कितना है ये जानने से पहले राज्य और राजनीतिक व्यवस्था क्या है ये जानना ज्यादा जरुरी है तभी आप इन दोनों का अंतर ठीक से समझ पाएंगे। राज्य और राजनीतिक व्यवस्था ( Political System ) में अन्तर तो बहुत पाया जाता है। राज्य को काल्पनिक और राजनीतिक व्यवस्था को सत्यता माना जाता है।

राज्य और राजनीतिक व्यवस्था ( Political System ) में अन्तर को जानने से पहले यह भी जान लेते है कि राजनीति शास्त्र की परिभाषाओं और क्षेत्र के बारे में विव्दानों में मतभेद रहा है । कुछ विव्दान राजनीति शास्त्र के क्षेत्र को सीमित मानते हैं तथा कुछ व्यापक । राजनीति शास्त्र के सीमित क्षेत्र में प्राचीन विव्दान द्वारा केवल राज्य के अध्ययन को ही आवश्यक माना गया है । यहाँ तक कि राज्य को ही राजनीति शास्त्र का आरंभ व अंत माना गया ।

परंतु राजनीति शास्त्र के आधुनिक विव्दान राजनीति शास्त्र की इस संकुचित धारणा से सहमत नहीं है । उन्होंने  राजनीति शास्त्र के क्षेत्र को व्यापक माना हैं और उसमें मनुष्य के व्यवहार के अध्ययन को भी शामिल किया गया है । उन्होंने कई अवधारणाओं – व्यवहारवाद , राजनीतिक संस्कृति , राजनीतिक समाजीकरण , राजनीतिक आधुनिकीकरण और राजनीतिक व्यवस्था आदि को राजनीति शास्त्र की वस्तु माना है । राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर -इन दोनों में अंतर करने से पहले हमें राज्य व राजनीतिक व्यवस्था का अर्थ जानना होगा ।

Table of Contents विषय सूची

राज्य क्या है ( What is State in Hindi )

राज्य क्या है What is State in Hindi -राज्य शब्द को परिभाषित करने के लिए अलग अलग विव्दानों ने अलग अलग शब्दवाली का प्रयोग किया है । वुडरो विल्सन के अनुसार कानून के लिए संगठित एक निश्चित प्रदेश पर बसे लोगों के समूह को राज्य कहा जाता हैं । राज्य के चार तत्व – जनसंख्या , निश्चित भू भाग ,सरकार एवं प्रभुसत्ता हैं । यदि इन चार तत्वों में से कोई भी तत्व नहीं है तो राज्य के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता ।

राजनीतिक व्यवस्था क्या है ( What is Political system in Hindi )

राजनीतिक व्यवस्था क्या है What is Political system in Hindi -राजनीतिक व्यवस्था एक व्यापक अवधारणा हैं जिसमे औपचारिक व अनौपचारिक संगठन शामिल हैं तथा वे राजनीतिक जीवन को प्रभावित करते हैं । औपचारिक संगठन में विधानमंडल , कार्यपालिका  तथा न्यायपालिका और अनौपचारिक संगठन में राजनीतिक दल , दबाव समूह , मतदान , हिंसात्मक तथा उग्र घटनाएं शामिल हैं । राजनीतिक व्यवस्था कानून बनाने , इन्हें लागू करने और निर्णय देने का कार्य करती है ।

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Difference between state and political system in Hindi

राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर ( Difference between state and political system in Hindi )

राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर इस प्रकार है –

राज्य काल्पनिक जबकि राजनीतिक व्यवस्था सत्यता ( State is fictional whereas political system is reality )

State is fictional whereas political system is reality-राज्य काल्पनिक जबकि राजनीतिक व्यवस्था सत्यता-राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में पहला और महत्वपूर्ण अंतर दोनों के स्वरूप के आधार पर किया जा सकता है । राज्य एक कल्पित संस्था है जिसे देखा नहीं जा सकता । उसको केवल अनुभव किया जा सकता है । राज्य एक विचार है और इसका कोई स्वरूप या आकार नहीं है । राज्य को अमूर्त कहा गया है ।

इसके विपरीत राजनीतिक व्यवस्था एक सच्चाई है । यह एक व्यवहारिक सत्यता हैं । इसका स्वरूप अदृश्य नहीं हैं । ( 9 Difference between state and political system in Hindi ) राजनीतिक व्यवस्था एक व्यापक अवधारणा हैं जिसमे औपचारिक व अनौपचारिक संगठन शामिल हैं तथा वे राजनीतिक जीवन को प्रभावित करते हैं । औपचारिक संगठन में विधानमंडल , कार्यपालिका  तथा न्यायपालिका और अनौपचारिक संगठन में राजनीतिक दल , दबाव समूह , मतदान , हिंसात्मक तथा उग्र घटनाएं शामिल हैं । राजनीतिक व्यवस्था कानून बनाने , इन्हें लागू करने और निर्णय देने का कार्य करती है ।

आलमंड और पावेल का कथन हैं कि राजनीतिक व्यवस्था की अवधारणा समाज में समस्त राजनीतिक गतिविधियों के प्रति ध्यान दिलाती है ।

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राज्य के चार अनिवार्य त्वत हैं जबकि  राजनीतिक व्यवस्था के अनेक तत्व हैं ( State has four essential elements whereas political system has many elements )

State has four essential elements whereas political system has many elements.-राज्य के चार अनिवार्य त्वत हैं जबकि  राजनीतिक व्यवस्था के अनेक तत्व हैं-राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में मुख्य अंतर यह हैं कि राज्य के अनिवार्य तत्व चार हैं जबकि राजनीतिक व्यवस्था के तत्व अनेक हैं ।
राज्य के चार तत्व – जनसंख्या , निश्चित भू भाग ,सरकार एवं प्रभुसत्ता हैं । यदि इन चार तत्वों में से कोई भी तत्व नहीं है तो राज्य के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता । परंतु राजनीतिक व्यवस्था के अनेक तत्व होते हैं जैसे कि राजनीतिक प्रभावों की खोज , वैधता की प्राप्ति , परिवर्तनशीलता , अन्य विषयों और  राजनीतिक व्यवस्थाओं का प्रभाव तथा प्रतिक्रियाओं का अध्ययन आदि सम्मिलित होता हैं ।

राज्य कानूनी , संस्थापक तथा ढांचे से संबंधित होता हैं जबकि राजनीतिक व्यवस्था प्रतिक्रियाओं से संबंधित होती हैं ( The state is concerned with the legal, founder and structure whereas the political system is concerned with the reactions )

The state is concerned with the legal, founder and structure whereas the political system is concerned with the reactions-राज्य कानूनी , संस्थापक तथा ढांचे से संबंधित होता हैं जबकि राजनीतिक व्यवस्था प्रतिक्रियाओं से संबंधित होती हैं- राज्य कानूनी , संस्थापक,  ढांचे से संबंधित होता हैं जबकि राजनीतिक व्यवस्था प्रतिक्रियाओं से संबंधित होती हैं । कई लेखकों ने प्रतिक्रियाओं से संबंधित मॉडल पेश किए जिनका संबंध राजनीतिक व्यवस्था से है ।

राज्य परम्परागत जबकि राजनीतिक व्यवस्था आधुनिक ( The state is traditional while the political system is modern )

The state is traditional while the political system is modern-राज्य परम्परागत जबकि राजनीतिक व्यवस्था आधुनिक-राज्य एक परम्परागत धारणा हैं जबकि राजनीतिक व्यवस्था  एक आधुनिक धारणा हैं ।

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राज्य स्थायी जबकि राजनीतिक व्यवस्था परिवर्तनशील ( The state is permanent while the political system is changeable )

The state is permanent while the political system is changeable-राज्य स्थायी जबकि राजनीतिक व्यवस्था परिवर्तनशील-राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में एक अंतर यह भी हैं कि राज्य स्थायी हैं जबकि राजनीतिक व्यवस्था परिवर्तनशील होती हैं । समय और परिस्थितियों के अनुसार राजनीतिक व्यवस्था का स्वरूप राज्यों में विभिन्न होता हैं ।

राज्य का स्वरूप एक जबकि राजनीतिक व्यवस्था का अनेक स्वरूप ( One form of state while many forms of political system )

One form of state while many forms of political system-राज्य का स्वरूप एक जबकि राजनीतिक व्यवस्था का अनेक स्वरूप-सभी राज्य एक जैसे  होते है क्योंकि राज्य में चार तत्वों का होना जरूरी हैं परंतु राजनीतिक व्यवस्थाओं का स्वरूप विभिन्न राज्यो में विभिन्न होता हैं ।

राजनीतिक प्रणाली में अन्तरनिर्भर अंगों का अस्तित्व है परंतु राज्य की धारणा में ऐसी कोई विशेषता नही ( There is existence of interdependent organs in the political system but there is no such feature in the concept of state )

There is existence of interdependent organs in the political system but there is no such feature in the concept of state.-राजनीतिक प्रणाली में अन्तरनिर्भर अंगों का अस्तित्व है परंतु राज्य की धारणा में ऐसी कोई विशेषता नही-सरकार की संस्थायें , राजनीतिक दल , हित समूह , संचार के साधन आदि राजनीतिक प्रणाली के भाग माने जाते हैं । जब किसी एक भाग में किसी कारण से महत्वपूर्ण परिवर्तन होता हैं तो उसका प्रभाव राजनीतिक व्यवस्था के अन्य भागों पर पड़ता हैं तथा सम्पूर्ण व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता हैं । परंतु राज्य की धारणा में ऐसी कोई विशेषता नहीं पाई जाती ।

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राज्य का कार्य क्षेत्र सीमित जबकि राजनीतिक व्यवस्था का व्यापक ( The scope of work of the state is limited while that of the political system is extensive )

The scope of work of the state is limited while that of the political system is extensive.-राज्य का कार्य क्षेत्र सीमित जबकि राजनीतिक व्यवस्था का व्यापक-राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में कार्य क्षेत्र के आधार पर भी अंतर किया जा सकता है । राज्य के कार्यों के प्रति प्रारंभ में तो बिल्कुल सीमित दृष्टिकोण था । राज्य को केवल पुलिस राज्य कहा जाता था और राज्य को आंतरिक व्यवस्था बनाये रखने और बाहरी सुरक्षा का कार्य सौंपा गया था । बाद में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का विकास हुआ और राज्य के कार्य क्षेत्र का विकास हुआ ।

इसके विपरीत राजनीतिक व्यवस्था का कार्य क्षेत्र राज्य के कार्य क्षेत्र की तुलना में व्यापक हैं । राजनीतिक व्यवस्था के कार्यों को निवेश और निकास कार्यों में विभक्त किया गया है ।

प्रभुसत्ता राज्य के लिए अनिवार्य परन्तु राजनीतिक व्यवस्था में नहीं ( Sovereignty mandatory for the state but not in the political system )

Sovereignty mandatory for the state but not in the political system-प्रभुसत्ता राज्य के लिए अनिवार्य परन्तु राजनीतिक व्यवस्था में नहीं-आंतरिक और बाहरी प्रभुसत्ता राज्य का सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं । परंतु राजनीतिक व्यवस्था में प्रभुसत्ता की धारणा को कोई महत्व नहीं दिया जाता । आधुनिक राजनीतिक वैज्ञानिक इस बात को स्वीकार नहीं करते कि कोई भी राजनीतिक प्रणाली आन्तरिक और बाहरी प्रभावों से सर्वथा स्वतंत्र हो सकती हैं ।

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FAQ Checklist

राज्य क्या है ?

राज्य क्या है What is State in Hindi -राज्य शब्द को परिभाषित करने के लिए अलग अलग विव्दानों ने अलग अलग शब्दवाली का प्रयोग किया है । वुडरो विल्सन के अनुसार कानून के लिए संगठित एक निश्चित प्रदेश पर बसे लोगों के समूह को राज्य कहा जाता हैं । राज्य के चार तत्व – जनसंख्या , निश्चित भू भाग ,सरकार एवं प्रभुसत्ता हैं । यदि इन चार तत्वों में से कोई भी तत्व नहीं है तो राज्य के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता ।

राजनीतिक व्यवस्था क्या है ?

राजनीतिक व्यवस्था क्या है What is Political system in Hindi -राजनीतिक व्यवस्था एक व्यापक अवधारणा हैं जिसमे औपचारिक व अनौपचारिक संगठन शामिल हैं तथा वे राजनीतिक जीवन को प्रभावित करते हैं । औपचारिक संगठन में विधानमंडल , कार्यपालिका  तथा न्यायपालिका और अनौपचारिक संगठन में राजनीतिक दल , दबाव समूह , मतदान , हिंसात्मक तथा उग्र घटनाएं शामिल हैं । राजनीतिक व्यवस्था कानून बनाने , इन्हें लागू करने और निर्णय देने का कार्य करती है ।

राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अंतर क्या हैं ?

राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अंतर-
1. राज्य काल्पनिक जबकि राजनीतिक व्यवस्था सत्यता
2. राज्य के चार अनिवार्य त्वत हैं जबकि  राजनीतिक व्यवस्था के अनेक तत्व हैं
3. राज्य कानूनी , संस्थापक तथा ढांचे से संबंधित होता हैं जबकि राजनीतिक व्यवस्था प्रतिक्रियाओं से संबंधित होती हैं
4. राज्य परम्परागत जबकि राजनीतिक व्यवस्था आधुनिक
5. राज्य स्थायी जबकि राजनीतिक व्यवस्था परिवर्तनशील

राज्य के चार अनिवार्य त्वत कौन -कौन से हैं ?

राज्य के चार अनिवार्य त्वत हैं जबकि  राजनीतिक व्यवस्था के अनेक तत्व हैं-राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में मुख्य अंतर यह हैं कि राज्य के अनिवार्य तत्व चार हैं जबकि राजनीतिक व्यवस्था के तत्व अनेक हैं ।
राज्य के चार तत्व – जनसंख्या , निश्चित भू भाग ,सरकार एवं प्रभुसत्ता हैं । यदि इन चार तत्वों में से कोई भी तत्व नहीं है तो राज्य के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता । परंतु राजनीतिक व्यवस्था के अनेक तत्व होते हैं जैसे कि राजनीतिक प्रभावों की खोज , वैधता की प्राप्ति , परिवर्तनशीलता , अन्य विषयों और  राजनीतिक व्यवस्थाओं का प्रभाव तथा प्रतिक्रियाओं का अध्ययन आदि सम्मिलित होता हैं ।

राज्य का कार्य क्षेत्र सीमित क्यों हैं ?

राज्य का कार्य क्षेत्र सीमित जबकि राजनीतिक व्यवस्था का व्यापक-राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में कार्य क्षेत्र के आधार पर भी अंतर किया जा सकता है । राज्य के कार्यों के प्रति प्रारंभ में तो बिल्कुल सीमित दृष्टिकोण था । राज्य को केवल पुलिस राज्य कहा जाता था और राज्य को आंतरिक व्यवस्था बनाये रखने और बाहरी सुरक्षा का कार्य सौंपा गया था । बाद में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का विकास हुआ और राज्य के कार्य क्षेत्र का विकास हुआ ।

राजनीतिक व्यवस्था का कार्य क्षेत्र व्यापक क्यों हैं ?

राज्य का कार्य क्षेत्र सीमित जबकि राजनीतिक व्यवस्था का व्यापक-राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में कार्य क्षेत्र के आधार पर भी अंतर किया जा सकता है । राज्य के कार्यों के प्रति प्रारंभ में तो बिल्कुल सीमित दृष्टिकोण था । राज्य को केवल पुलिस राज्य कहा जाता था और राज्य को आंतरिक व्यवस्था बनाये रखने और बाहरी सुरक्षा का कार्य सौंपा गया था । बाद में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का विकास हुआ और राज्य के कार्य क्षेत्र का विकास हुआ ।
राजनीतिक व्यवस्था का कार्य क्षेत्र राज्य के कार्य क्षेत्र की तुलना में व्यापक हैं । राजनीतिक व्यवस्था के कार्यों को निवेश और निकास कार्यों में विभक्त किया गया है ।

प्रभुसत्ता राज्य के लिए अनिवार्य क्यों हैं ?

प्रभुसत्ता राज्य के लिए अनिवार्य परन्तु राजनीतिक व्यवस्था में नहीं-आंतरिक और बाहरी प्रभुसत्ता राज्य का सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं । परंतु राजनीतिक व्यवस्था में प्रभुसत्ता की धारणा को कोई महत्व नहीं दिया जाता । आधुनिक राजनीतिक वैज्ञानिक इस बात को स्वीकार नहीं करते कि कोई भी राजनीतिक प्रणाली आन्तरिक और बाहरी प्रभावों से सर्वथा स्वतंत्र हो सकती हैं ।

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