Independent Regulatory Commission Features , Functions , Advantages , Disadvantages in Hindi स्वतंत्र नियामक आयोग की विशेषताएं, कार्य ,लाभ ,दोष -

Independent Regulatory Commission: स्वतंत्र नियामक आयोग की विशेषताएं,कार्य,लाभ,दोष

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Independent Regulatory Commission Features , Functions , Advantages , Disadvantages in Hindi स्वतंत्र नियामक आयोग की विशेषताएं, कार्य ,लाभ ,दोष – स्वतंत्र नियामक आयोग सूत्र एजेंसी का एक अन्य महत्वपूर्ण रूप है। ऐसे आयोगों की स्थापना चाहे संसार की लगभग सभी देशों में की गई है परंतु संयुक्त राज्य अमेरिका में इनकी विशेष महत्व है।

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आरंभ में स्वतंत्र नियामक आयोग की स्थापना वहां सार्वजनिक हित की समाज को शक्तिशाली आर्थिक समूह से रक्षा करने के लिए की गई। अमेरिका में इन आयोगों की स्थापना इसलिए भी की गई कि वहां शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत और अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली को अपनाया गया था।

अमेरिका में सबसे अधिक 1887 में अंतरराज्यीय व्यापार आयोग की स्थापना की गई थी और उसके बाद तो अनेकों अन्य आयोग स्थापित किए गए। इन में कुछ महत्वपूर्ण आयोग है –

  • संघीय व्यापार आयोग 1914 ( the federal trade commission )
  • संघीय ऊर्जा आयोग 1930 ( the federal power commission )
  • संघीय संचार आयोग 1934 ( the federal communications commission )
  • संयुक्त राज्य मैरीटाइम आयोग ( the united states moritime commission )

Table of Contents विषय सूची

स्वतंत्र नियामक आयोग की विशेषताएँ ( Independent Regulatory commission Features in Hindi )

स्वतंत्र नियामक आयोग वह आयोग है जो कार्यपालिका के नियंत्रण से स्वतंत्र होकर अपने नीतियां स्वयं तैयार करते हैं और वित्त पर ही उनका नियंत्रण होता है। इस आयोग को नियामक इसलिए कहा जाता है कि यह नागरिकों अथवा नागरिक समूहों की कुछ गतिविधियों अथवा न्यायिक कार्यों का उचित तरह से नियमन करती है। संगठन की इस पणाली की विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है –

एजेंसी का संगठन ( Organization of the Agency )

इस प्रणाली की महत्वपूर्ण विशेषता यह हैं कि इसकी स्थापना का आधार ब्यूरो के स्थान पर बोर्ड अर्थात सत्ता के एक व्यक्ति के स्थान पर समूह को प्राप्त होती है क्योंकि संगठन की यह प्रणाली अपने कार्यों का पालन स्वतंत्रता और निष्पक्षता से कर सकती है ।

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कार्यकाल का सामान न होना ( No Uniformity in tenure )

जैसे कि सभी नियामक आयोगों की स्वतंत्रता कायम रखने के लिए इनके सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सीनेट की स्वीकृति से की जाती है । जैसे कि इनके सदस्यों की संख्या सभी आयोगों में एक समान नहीं होती उसी तरह इन सदस्यों की अवधि में भी एकरूपता कायम नहीं की गई है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि कोई भी राष्ट्रपति जो 4 वर्ष के समय के लिए चुना जाता है सभी सदस्यों को पद पर नियुक्त करने और उन्हें पद से हटाना सके।

सदस्यों को पद से हटाना ( Removal of Members from office )

नियामक आयोग की स्वतंत्रता को कायम रखने के लिए उन्हें पद से आसानी से हटाया नहीं जा सकता। इस संबंध में राष्ट्रपति को बहुत ही सीमित शक्तियां प्राप्त होती है। याद रहे कि कांग्रेस द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार ही सदस्यों को पद से हटाया जा सकता है। इस विधि के अंतर्गत सदस्य को अपने पद की अधिक सुरक्षा मिलती है।

वित्तीय स्वतंत्रता ( Financial Autonomy )

वित्तीय स्वतंत्रता नियामक आयोग प्रणाली से एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता है। इस वित्तीय स्वतंत्रता के कारण ही आयोग अपनी शक्ति को अधिक सुरक्षित रख सकते हैं । दूसरे शब्दों में नियामक आयोग को निगमित संस्था का दर्जा प्रदान किया गया है अर्थात कि वह अपनी संपत्ति रख सकता है और बैंक में खाता खोल सकता है। वित्तीय स्वतंत्रता के कारण नियामक आयोग प्रशासकीय क्षेत्र में स्थिरता के साथ-साथ स्वतंत्रता भी मानते हैं।

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स्वतंत्र नियामक आयोग के कार्य ( Functions of Independent Regulatory Commission )

स्वतंत्र नियामक आयोग मुख्य तौर पर निम्नलिखित कार्य करने के लिए स्थापित किए जाते हैं

  • तकनीकी मामलों में नीति निर्धारण का कार्य नियामक आयोग द्वारा किया जाता है। ऐसा करने से नियामक आयोग पर राजनीतिक प्रभाव नहीं पाया जा सकता। तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता से लोक प्रशासन के अनेकों तकनीकी मामलों का योग्य हल आसानी से सोचा जा सकता है।
  • भारत में भी कई ऐसे आयोग हैं जिनके संचालन के लिए विशेषज्ञों की सहायता ली जाती है जैसे कि बाढ़ नियंत्रण बोर्ड ,केंद्रीय सिंचाई आयोग ,केंद्रीय जल और ऊर्जा आयोग ,आदि परंतु इनकी तुलना अमेरिका के नियामक आयोग से नहीं की जा सकती है।
  • नियामक आयोग की स्थापना किसी विशेष रूप के कार्यों की शर्तों के लिए नहीं की जाती । यह कारण है कि इनके कार्य मिश्रित रूप के होते हैं अर्थात इन्हें वैधानिक प्रशासकीय और न्यायिक तरह के सभी कार्य करने पड़ते हैं। वास्तव में निष्पक्ष वैधानिक कार्य विधानमंडल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और इस तरह न्यायिक कार्य न्यायपालिका के क्षेत्र में आते हैं।
  • परंतु आधुनिक कल्याणकारी राज्य के अस्तित्व में आने के साथ सरकार के सर्वांगीण दायित्व में भी वृद्धि होने के कारण यह बहुमुखी कार्य किसी एक व्यक्ति अथवा संस्था को सौंपने की स्थान पर नियामक आयोग को सौंपा गया है ताकि जनकल्याण के कार्यों को सफलतापूर्वक पूर्ण किया जा सके।
  • यह आयोग स्वयं नियम बनाने की शक्ति द्वारा आवाजाही के उपरोक्त साधनों के प्रयोग के लिए उचित दरों को निश्चित करता है। आयोग का यह नीति निर्धारण का अर्द्ध वैधानिक कार्य है। इसी तरह विभिन्न नियमों और विनियमों को लागू करने का दायित्व भी आयोग का है और यह कार्य आयोग के प्रशासकीय अधिकार क्षेत्र के अधीन आता है।
  • विश्व के लोकतंत्र देशों में कई ऐसे कार्य होते हैं जिनकी शर्ते निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप में होनी चाहिए और इसी कारण इन कार्यों को विधानमंडल अथवा कार्यपालिका को सौंपा नहीं जा सकता ।
  • उदाहरण स्वरूप भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने का कार्य संविधान द्वारा चुनाव आयोग को सौंपा गया है और इसी तरह केंद्र और राज्यों में वित्तीय साधनों के विभाजन संबंधी सिद्धांत निश्चित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 280 के अनुसार प्रत्येक 5 वर्ष के पश्चात वित्त आयोग स्थापित करने की व्यवस्था की गई है।

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स्वतंत्र नियामक आयोग के लाभ ( Advantages of Independent Regulatory commission in Hindi )

स्वतंत्र नियामक आयोग अमेरिका में बड़े ही लोकप्रिय हो गए हैं क्योंकि उनके अनेकों लाभ है जिनका विवरण निम्नलिखित हैं –

  • स्वतंत्र नियामक आयोग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह अपने बहुपक्षीय स्वरूप के कारण अर्ध वैधानिक और अर्ध न्यायिक कार्य नौकरशाही के स्थान पर अपने अधिकार क्षेत्र में रखते हैं। आयोग अपने संगठन में पदसोपान के कठोर सिद्धांत को नहीं अपनाता।
  • स्वतंत्र नियामक आयोग को तकनीकी और राष्ट्रीय महत्त्व वाले सभी विषय सौंपे जाते हैं जैसे कि देश में चुनाव करवाना ,जन शिक्षा का प्रबंध करना ,लोक सेवाओं की भर्ती करना आदि। ऐसा करने से देश की राजनीति इन विषयों पर अपना हस्तक्षेप नहीं कर सकती । यही कारण है कि देश के भीतर इन कार्यों का संचालन बड़ी उचित विधि से हो रहा है।
  • जहां संगठन की विभागीय प्रणाली प्रचलित होती है वहां साधारण और विशेषज्ञ प्रबंधकों में सुदृढ़ संबंध कायम रखना बड़ा कठिन होता है परंतु स्वतंत्र नियामक आयोग में इन दोनों गुटों में आसानी से अच्छे संबंध कायम किए जा सकते हैं।
  • स्वतंत्र नियामक आयोग का एक अन्य बड़ा लाभ यह है कि इसमें देश के विभिन्न हितों को योग्य प्रतिनिधित्व देने के साथ राष्ट्रीय समस्याओं का उचित हल बड़ी आसानी से खोजा जा सकता है। भारत में अब तक बनी पंचवर्षीय योजनाओं की सफलता का कारण यह है कि योजना आयोग में राष्ट्रीय नीति निर्माण के कार्य के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग जैसे कि राजनीतिज्ञ प्रबंधक, विद्वान तकनीकी विशेषज्ञ आदि को योग्य प्रदेश दिया गया है।

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स्वतंत्र नियामक आयोग के दोष ( Disadvantages of Independent Regulatory commission in Hindi )

संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रचलित नियामक आयोग को जहां इतने अधिक लाभ है वहीं इनमें के दोष भी विद्यमान है जिसके कारण इनकी कड़ी आलोचना की गई है। स्वतंत्र नियामक आयोग के दोष इस प्रकार हैं –

  • नियामक आयोग की सबसे बड़ी त्रुटियां यह है कि अपने कार्यों के लिए किसी अधिकारी के प्रति उत्तरदाई नहीं है। विधानमंडल अथवा राष्ट्रपति को कोई ऐसी शक्ति प्रदान नहीं की गई है जिसके द्वारा वह आयोग के कार्य शक्ति पर नियंत्रण कर सके। इसी आधार पर इन्हें सरकार की चौथी शाखा कहा जाता है।
  • स्वतंत्र नियामक आयोग की बड़ी चुनौती यह है कि यह प्रशासन की एकता का विघटन करती है जिसके साथ प्रशासन में तालमेल कायम रखना मुश्किल होता है।
  • स्वतंत्र नियामक आयोग की आलोचना का एक मुख्य आधार यह भी है कि इसके पास वैधानिक, प्रशासकीय और न्यायिक शक्तियां होने के कारण नागरिकों की स्वतंत्रता को निरंतर खतरा पैदा हो जाता है। इतना ही नहीं नागरिकों को इन आयोगों के निर्देशों के विरुद्ध न्यायालय में अपील करने के बड़े सीमित अधिकार दिए गए हैं।
  • स्वतंत्र नियामक आयोग मुख्य कार्यकारिणी के नियंत्रण के अधीन ना होने के कारण वह अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को स्वतंत्र रूप में निर्धारित करते हैं। ऐसा करने से नीति संबंधित अनेकों विवाद पैदा हो जाते हैं ।
  • नियामक आयोग के विरुद्ध एक दोष यह भी लगाया जाता है कि यह सहायक सेवाओं के केंद्रीयकरण की प्रक्रिया में बाधा पैदा करती हैं। अपने कार्यों की शर्तों के लिए कई बार वह उपलब्ध सरकारी सेवाओं की स्थान पर अपनी निजी ,विशेष और विभिन्न एजेंसियों की स्थापना कर लेते हैं।

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FAQ Checklist

स्वतंत्र नियामक आयोग क्या है ?

स्वतंत्र नियामक आयोग सूत्र एजेंसी का एक अन्य महत्वपूर्ण रूप है। ऐसे आयोगों की स्थापना चाहे संसार की लगभग सभी देशों में की गई है परंतु संयुक्त राज्य अमेरिका में इनकी विशेष महत्व है।

स्वतंत्र नियामक आयोग के उदाहरण क्या है?

स्वतंत्र नियामक आयोग के उदाहरण है –
1.संघीय व्यापार आयोग 1914 ( the federal trade commission )
2.संघीय ऊर्जा आयोग 1930 ( the federal power commission )
3.संघीय संचार आयोग 1934 ( the federal communications commission )
4.संयुक्त राज्य मैरीटाइम आयोग ( the united states moritime commission )

स्वतंत्र नियामक आयोग के कार्य बताएं।

यह आयोग स्वयं नियम बनाने की शक्ति द्वारा आवाजाही के उपरोक्त साधनों के प्रयोग के लिए उचित दरों को निश्चित करता है। आयोग का यह नीति निर्धारण का अर्द्ध वैधानिक कार्य है। इसी तरह विभिन्न नियमों और विनियमों को लागू करने का दायित्व भी आयोग का है और यह कार्य आयोग के प्रशासकीय अधिकार क्षेत्र के अधीन आता है।

स्वतंत्र नियामक आयोग के दोष क्या है ?

स्वतंत्र नियामक आयोग की आलोचना का एक मुख्य आधार यह भी है कि इसके पास वैधानिक, प्रशासकीय और न्यायिक शक्तियां होने के कारण नागरिकों की स्वतंत्रता को निरंतर खतरा पैदा हो जाता है ।

स्वतंत्र नियामक आयोग के लाभ क्या है ?

स्वतंत्र नियामक आयोग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह अपने बहुपक्षीय स्वरूप के कारण अर्ध वैधानिक और अर्ध न्यायिक कार्य नौकरशाही के स्थान पर अपने अधिकार क्षेत्र में रखते हैं। आयोग अपने संगठन में पदसोपान के कठोर सिद्धांत को नहीं अपनाता।

स्वतंत्र नियामक आयोग की विशेषताएं क्या है ?

इस प्रणाली की महत्वपूर्ण विशेषता यह हैं कि इसकी स्थापना का आधार ब्यूरो के स्थान पर बोर्ड अर्थात सत्ता के एक व्यक्ति के स्थान पर समूह को प्राप्त होती है क्योंकि संगठन की यह प्रणाली अपने कार्यों का पालन स्वतंत्रता और निष्पक्षता से कर सकती है ।

स्वतंत्र नियामक आयोग को ‘नियामक’ क्यों कहा जाता है ?

स्वतंत्र नियामक आयोग वह आयोग है जो कार्यपालिका के नियंत्रण से स्वतंत्र होकर अपने नीतियां स्वयं तैयार करते हैं और वित्त पर ही उनका नियंत्रण होता है। इस आयोग को नियामक इसलिए कहा जाता है कि यह नागरिकों अथवा नागरिक समूहों की कुछ गतिविधियों अथवा न्यायिक कार्यों का उचित तरह से नियमन करती है।

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