Liberalism Meaning , Definitions , Rise and Development , Forms , Features उदारवाद के अर्थ,परिभाषाएं ,रूप ,विशेषताएं ,जन्म और विकास – राजनीति शास्त्रियों ने राज्य के स्वरूप और कार्य क्षेत्र से संबंधित अनेक राजनीतिक विचारधारा का प्रतिपादन किया है। इसका कारण यह है कि राजनीतिक विचारधाराएं व्यक्ति और समाज के सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक जीवन पर अपनी छाप अंकित करती है और राज्य के उद्देश्य, कार्य और व्यक्ति एवं राज्य के आपसी संबंधों आदि को सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
आधुनिक युग में जिन अनेक विचारधाराओं का विकास हुआ है उनमें से उदारवादी विचारधारा भी अपना स्थान महत्त्व रखती है । उदारवाद का इतिहास आधुनिक पश्चिमी दर्शन का इतिहास बन गया है क्योंकि प्राय: सभी पश्चिमी देश इसके दर्शन से प्रभावित हो रहे हैं।
यह आधुनिक युग की जबरदस्त विचारधारा है जिसने बहुत से महान राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों को प्रेरणा दी, बहुत से राजनीतिक आर्थिक आंदोलनों का विरोध किया। यह एक अत्यंत लचीली तथा गतिशील विचारधारा है।
Table of Contents विषय सूची
उदारवाद क्या नहीं है ? ( What is not Liberalism )
उदारवाद वर्तमान युग की एक प्रमुख राजनीतिक विचारधारा है परंतु उदारवाद क्या है ? उदारवाद को प्राय: अनुदारवाद का उल्टा ,व्यक्तिवाद का पर्यायवाची एवं लोकतंत्र का नाम दे दिया जाता है। इसलिए उदारवाद को समझने के लिए इन प्रचलित भ्रामक शब्दों को भी स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए ताकि यह यह स्पष्ट हो जाए कि उदारवाद क्या नहीं है ?
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यह अनुदारवाद का विपरीत नहीं हैं ( It is not merely Opposite of Conservatism )
कुछ लोग उदारवाद को अनुदारवाद का उल्टा या प्रगति और परिवर्तन का पर्यायवाची मानते हैं। अनुदारवाद सुधारो एवं परिवर्तनों का विरोध करने वाली विचारधारा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब अनुदारवादी ब्रिटेन में लंबे समय से चली आ रही है राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं ,परंपराओं और रूढ़ियों को बनाए रखना चाहते थे उस समय उदारवाद सुधार, परिवर्तन और प्रगति का समर्थन करने वाली एक प्रवृत्ति के रूप में उभरा।
लेकिन उदारवाद को प्रगति और परिवर्तन का पर्यायवाची नहीं माना जा सकता क्योंकि इसके द्वारा हमेशा परिवर्तनों का समर्थन नहीं किया गया बल्कि कुछ अवसरों पर विद्यमान व्यवस्था को बनाए रखने का पक्ष लिया गया। इसके अतिरिक्त उदारवाद परिवर्तन हेतु क्रांति के मार्ग को अपनाने के तो नितांत विरुद्ध है।
उदारवाद ,व्यक्तिवाद का पर्यायवाची नहीं हैं ( Not Synonymous of Individualism )
कुछ व्यक्ति उदारवाद को व्यक्तिवाद का पर्याय मानते हैं जो कि उपयुक्त नहीं है। यद्यपि व्यक्तिवाद उदारवाद का अभिन्न अंग है किंतु दोनों एक ही चीज नहीं है। 19वीं शताब्दी के तीसरे चरण के अंत तक इन दोनों में कोई विशेष भेद नहीं था । उस समय तक ये दोनों विचारधारा व्यक्ति के जीवन में राज्य के हस्तक्षेप के विरोधी थी। बाद में स्थिति बदल गई और उदारवाद काफी परिवर्तन हो गया और इसका रूप सकारात्मक हो गया। व्यक्ति के हित की स्थान पर समाज के कल्याण पर जोर दिया जाने लगा।
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उदारवाद व लोकतंत्र एक नहीं ( Liberalism and Democracy are not one )
कुछ विचारक उदारवाद एवं लोकतंत्र को एक मानते हैं। चाहे दोनों के मूल्यों एवं सिद्धांतों में घनिष्ठ संबंध है लेकिन इन दोनों में बहुत भिन्नता है। उदारवाद का संबंध स्वतंत्रता से है जबकि लोकतंत्र का संबंध समानता से है।
आधुनिक लोकतंत्र बहुसंख्यक वर्ग की सत्ता में विश्वास करता है लेकिन उदारवाद सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बहुसंख्यक की अपेक्षा अल्पसंख्यक वर्ग के हित की रक्षा के लिए अधिक जागरूक है। इस प्रकार उदारवाद लोकतंत्र एक नही हैं ।
उदारवाद का अर्थ ( Meaning of Liberalism in Hindi )
उदारवाद अंग्रेजी भाषा के शब्द Liberalism का हिंदी अनुवाद हैं । लिब्रेलिज्म शब्द की उत्पत्ति लातिनी भाषा के शब्द लिबरलिस से हुई है। लातिनी भाषा में लिबरलिस शब्द का अर्थ स्वतंत्र व्यक्ति है। शाब्दिक अर्थों के पक्ष से यह स्पष्ट होता है कि उदारवाद का मुख्य केंद्र एक स्वतंत्र व्यक्ति है।
उदारवाद की परिभाषाएं ( Definitions of Liberalism in Hindi )
- सुप्रसिद्ध विद्वान लास्की ( Laski )के अनुसार – इसमें कोई संदेह नहीं है कि उदारवाद का सीधा संबंध स्वतंत्रता से है।
- डेविस और गुड ( Davis and Good ) के शब्दों में -व्यापक अर्थ में उदारवाद प्रजातंत्र का समानार्थी हैं ।
- सारटोरी ( Sartori ) के अनुसार – साधारण शब्दों में उदारवाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता, न्यायिक सुरक्षा तथा संवैधानिक राज्य का सिद्धांत व व्यवहार है ।
- एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ( Encyclopedia Britannica ) के अनुसार – उदारवाद के सारे विचार का सार स्वतंत्रता का सिद्धांत है। इसके अतिरिक्त स्वतंत्रता का विचार इसका मूल है।
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उदारवाद का उदय तथा विकास ( Rise and Development of Liberalism )
अन्य कई विचारधाराओं के समान ही उदारवादी विचारधारा का जन्म तत्कालीन सामाजिक ,राजनीतिक ,आर्थिक तथा धार्मिक परिस्थितियों के कारण यूरोप में मध्य युग के अंत तथा आधुनिक युग के आरंभ में हुआ । परिस्थितियों के बदलने के साथ-साथ इस विचारधारा में भी परिवर्तन हुआ। उदारवाद के विकास के तीन चरण निम्नलिखित हैं –
पुनर्जागरण ( Renaissance )
ऐतिहासिक दृष्टि से उदारवाद की प्रथम अवस्था पुनर्जागरण से प्रारंभ होती है। 14वीं शताब्दी से 16 वीं शताब्दी तक साहित्य ,विज्ञान तथा कला का विकास हुआ ,नए आविष्कार हुए और नई खोजें हुई। यूरोप में बौद्धिक जागरण हुआ। नए विचारों का उदय हुआ यही पुनर्जागरण कहलाता है।
नवजागरण काल में मानव के गौरव पर बल दिया गया और कहा गया कि व्यक्ति स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है और उसे स्वतंत्रता छोड़ दिया जाए ताकि वह हर कार्य से वशीभूत होकर नहीं बल्कि तर्क और विवेक बुद्धि की प्रेरणा से करें। इस प्रकार नवजागरण ने व्यक्ति की स्वतंत्रता पर बल देकर उदारवाद का मार्ग प्रशस्त किया ।
धर्म सुधार आंदोलन ( Reformation )
16वीं शताब्दी में धार्मिक क्षेत्र में पोप की निरंकुशता के विरोध में आवाजें उठी और धर्म सुधार का आंदोलन शुरू हुआ। मार्टिन लूथर तथा काल्विन जैसे धर्म सुधारको के द्वारा धार्मिक निरंकुशता का विरोध किया गया। धर्म सुधार ने परंपराओं के बंधन तोड़ कर धार्मिक स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया।
औधोगिक क्रांति ( Industrial Revolution )
मध्य युग में लोगों का आर्थिक जीवन स्वतंत्र नहीं था। किसान सामंतों के नियंत्रण में थे और दस्तकारों पर उनकी श्रेणियों का नियंत्रण था जो “गिल्ड ” कहलाते थे। इसके अतिरिक्त चर्च का भी आर्थिक जीवन में हस्तक्षेप था और आर्थिक जीवन से संबंधित अनेक धार्मिक तथा नैतिक नियम थे।
18वीं और 19वीं शताब्दी मैं यूरोप के कई देशों में औद्योगिक क्रांति हुई । इसके परिणाम स्वरूप समाज में नवीन समृद्धिशाली वर्ग उत्पन्न हुआ जिसका एकमात्र उद्देश्य अधिक से अधिक संपत्ति प्राप्त करना था। यह वर्ग उन नियमों एवं प्रतिबंधों का विरोध करने लगा जो उनके संपत्ति अर्जित करने के रास्ते में बाधक थे। इस प्रकार आर्थिक स्वतंत्रता की भावना उदारवाद का स्रोत बनी।
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उदारवाद के रूप ( Forms n Types of Liberalism in Hindi )
उदारवादी विचारधारा किसी एक विचारक की देन नहीं है। इस को विकसित करने में अनेक विचारकों ने अपने अपने दृष्टिकोण से योगदान दिया है। इन्हीं परिवर्तनों के आधार पर उदारवाद का दो रूपों में वर्णन किया जा सकता है जो इस प्रकार है – परम्परागत उदारवाद और समकालीन उदारवाद ।
परंपरागत उदारवाद अथवा नकारात्मक उदारवाद ( Classical Or Negative Liberalism )
जॉन लॉक , एडम स्मिथ , जर्मी बैंथम , जेम्स मिल , हरबर्ट स्पेंसर आदि परंपरागत उदारवाद के प्रमुख समर्थक है। परंपरागत उदारवाद व्यक्तिवाद का दूसरा नाम है। इसलिए परंपरागत उदारवाद भी व्यक्तिवाद की तरह व्यक्ति को सामाजिक व्यवस्था का केंद्र बिंदु मानकर इसे अधिकाधिक स्वतंत्रता देने के पक्ष में है। व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता में विश्वास करते हुए एवं व्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए यह राज्य के द्वारा अहस्तक्षेप की नीति का समर्थन करते हैं।
समकालीन उदारवाद अथवा सकारात्मक उदारवाद ( Contemporary or Positive Liberalism )
हैरोल्ड लास्की , मैकाईवर, जी डी एच , कोल आदि समकालीन उदारवाद के प्रमुख समर्थक हैं। 18वीं शताब्दी के अंत एवं 19वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में आर्थिक क्षेत्र में स्वतंत्र व्यापार एवं खुली प्रतियोगिता की भयानक दुष्परिणाम निकले। श्रमिकों का अत्यधिक शोषण बढ़ गया और आर्थिक परिस्थितियां भी डगमगा गई।
परिणाम स्वरूप समकालीन उदारवाद के समर्थकों ने समाज को महत्व देते हुए इस तथ्य का समर्थन किया है कि व्यक्ति के अधिकार और स्वतंत्रताएं सामाजिक हित के अनुकूल हो। यह विचारधारा संपूर्ण समाज के हितों के अनुकूल अर्थव्यवस्था पर राज्य का नियंत्रण अनिवार्य करती है। समकालीन उदारवाद राज्य को एक बुराई नहीं बल्कि सामाजिक एवं नैतिक संस्था के रूप में मानव जीवन के लिए अति अनिवार्य समझते हैं।
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परंपरागत उदारवाद अथवा शास्त्रीय उदारवाद की मुख्य विशेषताएं ( Characteristics , Features of Liberalism )
परंपरागत उदारवाद अथवा शास्त्रीय उदारवाद की मुख्य विशेषताएं या तत्व निम्नलिखित हैं –
व्यक्ति की सर्वोच्च महानता ( Man is Supreme )
परंपरावादी अथवा शास्त्रीय उदारवाद की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि उदारवाद मानव व्यक्तित्व के असीम मूल्यों एवं व्यक्तियों की आध्यात्मिक समानता में विश्वास रखता है। उदारवाद व्यक्ति को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था का केंद्र बिंदु मानता है। व्यक्ति का समाज में स्वतंत्र अस्तित्व है। शास्त्रीय उदारवाद व्यक्ति की स्वतंत्रत इच्छा में विश्वास रखता है।
सहनशीलता ( Tolerance )
शास्त्रीय उदारवाद सहनशीलता में विश्वास रखता है। विरोधी विचारों को कुचलने की अपेक्षा उनके प्रति सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
निजी संपत्ति का अधिकार ( Right to Private Property )
शास्त्रीय उदारवाद निजी संपत्ति के अधिकार का महान समर्थक है। शास्त्रीय उदारवाद संपत्ति के अधिकार को एक पवित्र अधिकार मानते हैं और इस पर किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है।
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स्वतंत्र व्यापार ( Free Trade )
शास्त्रीय उदारवाद खुली प्रतियोगिता स्वतंत्र व्यापार तथा पूंजीवाद का समर्थन करता है।
मानव की स्वतंत्रता ( Freedom of Man )
शास्त्रीय उदारवाद मानव की स्वतंत्रता का महान समर्थक है। इसके अनुसार व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र जैसे की राजनीतिक ,आर्थिक ,सामाजिक, धार्मिक और बौद्धिक आदि में स्वतंत्र होना चाहिए। स्वतंत्रता का अर्थ बंधनों का अभाव माना गया है। दूसरे शब्दों में स्वतंत्रता का अर्थ सभी सत्ताओं से मुक्ति है।
राज्य एक आवश्यक बुराई है ( State is a Necessary Evil )
शास्त्रीय उदारवाद राज्य को एक आवश्यक बुराई मानता है। इसके अनुसार वह सरकार सबसे अच्छी है जो कम से कम शासन करें। राज्य सत्ता का प्रतीक है। राज्य समाज के विकास के मार्ग में बाधा है। राज्य असमानता और अन्याय को जन्म देता है।
प्राकृतिक अधिकार ( Natural Rights )
परंपरागत अथवा शास्त्रीय उदारवाद व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकारों का समर्थन करता है। शास्त्रीय उदारवाद ने विशेषकर जीवन ,स्वतंत्रता व संपत्ति के अधिकार पर बल दिया है। राज्य का उद्देश्य व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा करना है।
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व्यक्ति साध्य है और राज्य साधन ( Man is an end , State is a Mean )
शास्त्रीय उदारवाद व्यक्ति को साध्य और राज्य को साधन मानता है। राज्य व्यक्ति के लिए है ना कि व्यक्ति राज्य के लिए है। समुदाय ,समाज ,राज्य ,राजनीतिक व्यवस्था एवं विधि-वधान सब कुछ व्यक्ति के लिए है ,व्यक्ति उनके लिए नहीं है। व्यक्ति के नैतिक व आध्यात्मिक कल्याण तथा उसका संपूर्ण विकास ही राज्य का उद्देश्य है। व्यक्ति के हितों को साधन के रूप में अपने उद्देश्य को पूरा करने में ही इनके अस्तित्व का औचित्य है।
मानव की विवेकशीलता में विश्वास ( Believes in Rationality of Man )
शास्त्रीय उदारवाद मानव की विवेकशीलता और अच्छाई में विश्वास रखता है। व्यक्ति अपने भले बुरे को पहचानने की क्षमता रखता है क्योंकि उसके पास बौद्धिक शक्ति है।
राज्य के न्यूनतम कार्य ( Minimum Functions of State )
शास्त्रीय उदारवाद राज्य के कार्य क्षेत्र को सीमित करने पर बल देता है। शास्त्रीय उदारवादियों के अनुसार राज्य का कार्य केवल जीवन तथा संपत्ति की रक्षा करना और अपराधियों को दंड देना ही है। अन्य सभी कार्यों में व्यक्तियों को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए। उनका विश्वास था कि राज्य का अधिक हस्तक्षेप व्यक्ति की स्वतंत्रता को कम कर देता है।
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लोकतंत्रीय उदारवाद के पुरातन सिद्धांत की आलोचना ( Criticism of the Classical Theory of Liberalism Democracy )
लोकतंत्रीय उदारवाद के पुरातन सिद्धांत की आलोचना निम्नलिखित हैं –
गुणो की अपेक्षा संख्या को अधिक महत्व ( More Importance to Quantity than Quality )
लोकतंत्र में योग्य और अयोग्य दोनों व्यक्तियों के मत समान महत्व के होते हैं। चोटी के विद्वान भी एक मत दे सकते हैं और महामूर्ख भी एक मत दे सकता है। वास्तव में यह प्राकृतिक समानता है। अतः लोकतंत्र संख्या या मात्रा को जितना महत्व देता है गुणों को उतना महत्व नहीं देता।
कानून निर्माण साधारण व्यक्तियों का नहीं बल्कि विशेषज्ञों का कार्य है ( Law Making is the work of the Experts not of the Ordinary People )
कानून निर्माण का कार्य बड़ा जटिल है। अनुभवी व्यक्ति ही कानून बना सकते हैं। यदि हम अपनी बीमारी के इलाज कराना चाहते हैं तो किसी योग्य डॉक्टर को ढूंढते हैं। किंतु देश के कानून बनाने के लिए प्रतिनिधियों को छांटने का कार्य हमने सर्वथा अयोग्य एवं अनुभवहीन जनता को दे दिया है। भारतीय संसद में भी और शिक्षित सदस्यों की कमी नहीं है। कानून पास होने का आधार बहुमत होना उचित नहीं है।
अनुत्तरदायी शासन ( Irresponsible Government )
अनेक आलोचक लोकतंत्र को सबसे अधिक अनुत्तरदाई शासन कहते हैं। जहां सब उत्तरदाई होते हैं वहां कोई उत्तरदाई नहीं होता। जब तक किसी काम की जिम्मेदारी किसी व्यक्ति विशेष की ओर ना हो तब तक वह जिम्मेदारी सबकी होने के कारण किसी की नहीं होती।
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FAQ Checklist
उदारवाद से क्या तात्पर्य है ?
उदारवाद अंग्रेजी भाषा के शब्द Liberalism का हिंदी अनुवाद हैं । लिब्रेलिज्म शब्द की उत्पत्ति लातिनी भाषा के शब्द लिबरलिस से हुई है। लातिनी भाषा में लिबरलिस शब्द का अर्थ स्वतंत्र व्यक्ति है। शाब्दिक अर्थों के पक्ष से यह स्पष्ट होता है कि उदारवाद का मुख्य केंद्र एक स्वतंत्र व्यक्ति है।
उदारवाद की मुख्य दो परिभाषाएं लिखें ।
1 ) एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ( Encyclopedia Britannica ) के अनुसार – उदारवाद के सारे विचार का सार स्वतंत्रता का सिद्धांत है। इसके अतिरिक्त स्वतंत्रता का विचार इसका मूल है।
2 ) सुप्रसिद्ध विद्वान लास्की ( Laski )के अनुसार – इसमें कोई संदेह नहीं है कि उदारवाद का सीधा संबंध स्वतंत्रता से है।
उदारवाद के कितने रूप हैं ?
उदारवाद का दो रूपों में वर्णन किया जा सकता है जो इस प्रकार है – परम्परागत उदारवाद और समकालीन उदारवाद ।
शास्त्रीय उदारवाद का क्या अर्थ है ?
परंपरावादी अथवा शास्त्रीय उदारवाद की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि उदारवाद मानव व्यक्तित्व के असीम मूल्यों एवं व्यक्तियों की आध्यात्मिक समानता में विश्वास रखता है। उदारवाद व्यक्ति को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था का केंद्र बिंदु मानता है। व्यक्ति का समाज में स्वतंत्र अस्तित्व है। शास्त्रीय उदारवाद व्यक्ति की स्वतंत्रत इच्छा में विश्वास रखता है।
परंपरागत या शास्त्रीय उदारवाद की तीन मुख्य विशेषताएं बताओ।
1 ) परंपरावादी अथवा शास्त्रीय उदारवाद की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि उदारवाद मानव व्यक्तित्व के असीम मूल्यों एवं व्यक्तियों की आध्यात्मिक समानता में विश्वास रखता है।
2)शास्त्रीय उदारवाद राज्य को एक आवश्यक बुराई मानता है।
3)शास्त्रीय उदारवाद मानव की स्वतंत्रता का महान समर्थक है।
लैसे फेयर से क्या तात्पर्य है ?
परंपरागत उदारवादी विचारधारा की एक मुख्य विशेषता राज्य के अहस्तक्षेप की है। जिसका अर्थ है कि राज्य में व्यक्ति को स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए। राज्य को केवल बाहरी कार्यों- बाहरी आक्रमण से सुरक्षा, कानून और व्यवस्था बनाए रखना आदि को करना चाहिए। परंपरागत उदारवादी राज्य के कार्यों को सीमित करने के पक्ष में है। इसलिए वे उस सरकार को सबसे अच्छी मानते हैं जो कम से कम शासन करती है।
उदारवाद की तीन आलोचना बताएं ।
1 ) गुणों की अपेक्षा संख्या को अधिक महत्व देता है ।
2 ) कानून निर्माण साधारण व्यक्तियों का नहीं बल्कि विशेषज्ञों का कार्य हैं ।
3 ) लोकतंत्र को सबसे अधिक अनुत्तरदाई शासन कहते हैं।
परंपरावादी उदारवाद को नकारात्मक उदारवाद क्यों कहा जाता है ?
जॉन लॉक , एडम स्मिथ , जर्मी बैंथम , जेम्स मिल , हरबर्ट स्पेंसर आदि परंपरागत उदारवाद के प्रमुख समर्थक है। परंपरागत उदारवाद व्यक्तिवाद का दूसरा नाम है। इसलिए परंपरागत उदारवाद भी व्यक्तिवाद की तरह व्यक्ति को सामाजिक व्यवस्था का केंद्र बिंदु मानकर इसे अधिकाधिक स्वतंत्रता देने के पक्ष में है। व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता में विश्वास करते हुए एवं व्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए यह राज्य के द्वारा अहस्तक्षेप की नीति का समर्थन करते हैं।
उदारवाद और अनुदारवाद में क्या अंतर है ?
कुछ लोग उदारवाद को अनुदारवाद का उल्टा या प्रगति और परिवर्तन का पर्यायवाची मानते हैं। अनुदारवाद सुधारो एवं परिवर्तनों का विरोध करने वाली विचारधारा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब अनुदारवादी ब्रिटेन में लंबे समय से चली आ रही है राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं ,परंपराओं और रूढ़ियों को बनाए रखना चाहते थे उस समय उदारवाद सुधार, परिवर्तन और प्रगति का समर्थन करने वाली एक प्रवृत्ति के रूप में उभरा।
उदारवाद और व्यक्तिवाद में क्या अंतर हैं ?
कुछ व्यक्ति उदारवाद को व्यक्तिवाद का पर्याय मानते हैं जो कि उपयुक्त नहीं है। यद्यपि व्यक्तिवाद उदारवाद का अभिन्न अंग है किंतु दोनों एक ही चीज नहीं है। 19वीं शताब्दी के तीसरे चरण के अंत तक इन दोनों में कोई विशेष भेद नहीं था । उस समय तक ये दोनों विचारधारा व्यक्ति के जीवन में राज्य के हस्तक्षेप के विरोधी थी। बाद में स्थिति बदल गई और उदारवाद काफी परिवर्तन हो गया और इसका रूप सकारात्मक हो गया। व्यक्ति के हित की स्थान पर समाज के कल्याण पर जोर दिया जाने लगा।
उदारवाद और लोकतंत्र में क्या अंतर हैं ?
उदारवाद का संबंध स्वतंत्रता से है जबकि लोकतंत्र का संबंध समानता से है। आधुनिक लोकतंत्र बहुसंख्यक वर्ग की सत्ता में विश्वास करता है लेकिन उदारवाद सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बहुसंख्यक की अपेक्षा अल्पसंख्यक वर्ग के हित की रक्षा के लिए अधिक जागरूक है। इस प्रकार उदारवाद लोकतंत्र एक नही हैं ।