Suggestions to Remove Problem, Hindrance of National Integration राष्ट्रीय एकीकरण मार्ग की बाधाओं को दूर करने के उपाय

National Integration : राष्ट्रीय एकीकरण मार्ग की बाधाओं को दूर करने के उपाय

राजनीति विज्ञान राष्ट्रीय एकीकरण

National Integration – Suggestions to Remove Problems, Hindrance of National Integration राष्ट्रीय एकीकरण मार्ग की बाधाओं को दूर करने के उपाय – भारत को स्वतंत्र हुए लगभग 76 वर्ष हो चुके हैं परंतु इसके संबंध में आज भी यह सवाल उठाया जाता है कि क्या भारत एक राष्ट्र है।

इसका कारण यह है कि आज भी भारत में एकीकरण की समस्या बनी हुई है जो हमारी राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा बनी हुई है।

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देश में बड़ी मात्रा में पृथकवादी प्रवृत्तियां आज भी मौजूद है। भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चरित्र की कमी भी राष्ट्रीय एकीकरण के लिए बहुत बड़ी समस्या है। जाति, धर्म ,भाषा, क्षेत्रीयवाद की भावनाओं ने लोगों के दृष्टिकोण को बहुत ही संकुचित बना दिया है।

जब तक भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चरित्र का विकास नहीं होता तब तक राष्ट्रीय एकीकरण के उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो सकती।

Table of Contents विषय सूची

राष्ट्रीय एकीकरण मार्ग की बाधाओं को दूर करने के उपाय ( Suggestions to Remove Problem, Hindrance of National Integration )

भारत में राष्ट्रीय एकीकरण के मार्ग में अनेक बाधाएं हैं जिनके कारण भारत के सामने राष्ट्रीय एकीकरण एक गंभीर समस्या बनी हुई है। इन समस्याओं अथवा बाधाओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-

शिक्षा प्रणाली ( Education System )

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण है। एक ओर तो इसने शिक्षित बेरोजगारों को जन्म दिया है और दूसरी ओर यह विद्यार्थी वर्ग में देशभक्ति, धर्मनिरपेक्षता तथा राष्ट्रीय दृष्टिकोण पैदा करने में असफल रही है। शिक्षा प्रणाली में इस प्रकार से सुधार किया जाए जिससे संप्रदायिकतावाद ,जातिवाद ,भाषा तथा क्षेत्रवाद की भावनाओं को समाप्त किया जा सके।

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आर्थिक विकास ( Economic Development )

राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए देश का आर्थिक विकास करना तथा गरीबी और बेरोजगारी को समाप्त करना बहुत आवश्यक है। गरीबी तथा बेरोजगारी व्यक्ति को देश विरोधी गतिविधियां करने एवं उन में भाग लेने के लिए मजबूर करती है। आर्थिक दृष्टि से खुशहाल लोगों को जातिवाद, भाषावाद ,सांप्रदायवाद आदि की संकीर्ण भावनाओं से आसानी से प्रभावित नहीं किया जा सकता।

जातिवाद की समाप्ति ( Removal of Casteism )

जातिवाद की भावना को समाप्त करना आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि लोगों में राष्ट्रीय शिक्षा का प्रचार किया जाए और राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के लिए जातीयता की भावना का दुरुपयोग ना करें। चुनाव जाति के आधार पर ना लड़कर राष्ट्रीय समस्याओं के आधार पर लड़े जाने चाहिए।

राज्यों का पुनर्गठन ( Reorganization of States )

भाषा की समस्या भी राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक बहुत बड़ी बाधा है। इसलिए आवश्यक है कि राज्यों का समान भाषा के आधार पर पुनर्गठन किया जाए।

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संतुलित क्षेत्रीय विकास ( Balanced Regional Development )

क्षेत्रवाद की भावना की समाप्ति के लिए आवश्यक है कि सभी क्षेत्रों में योजनाबद्ध ढंग से आर्थिक विकास होता कि विभिन्न क्षेत्रों में असंतुलित विकास को समाप्त किया जा सके।

सही अर्थव्यवस्था ( Right Economy )

निर्धनता की समाप्ति के लिए ऐसी आर्थिक व्यवस्था का विकास किया जाए कि प्रत्येक व्यक्ति को रोटी, कपड़ा और मकान प्राप्त हो सके । नई आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत अमीर तथा गरीब का अंतर कम से कम किया जाए।

राष्ट्रीय राजनीतिक दल ( National Political Parties )

देश में ऐसे राजनीतिक दलों का गठन किया जाए जिनमें क्षेत्रीय भावना की बजाय राष्ट्रीय भावनाएं प्रधान तथा प्रबल हो। साम्प्रदायिक तथा जाति आधार पर गठित राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।

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भावनात्मक एकता ( Emotional Unity )

राष्ट्रीय एकीकरण के लिए लोगों में भावनात्मक एकीकरण स्थापित करना अति आवश्यक है। भावनात्मक एकता कोई ऊपर से दिखाई देने वाली वस्तु नहीं है यह तो हृदय की भावना है जिसे लोगों के मस्तिष्क को तथा दिलों में देखा जा सकता है।

समस्याओं का समाधान ( Solution of Problems )

विभिन्न राज्यों के बीच उत्पन्न हुई समस्याओं का उचित आधार पर समाधान किया जाए ताकि लोगों में मनमुटाव के स्थान पर भाईचारे की भावना उत्पन्न हो इस प्रकार राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को विकसित किया जा सकता है ।

अवसरवादिता का त्याग ( To Give up Opportunism )

राजनीतिक नेताओं द्वारा राजनीतिक अवसरवादिता को त्यागकर राष्ट्रीय एकता तथा राष्ट्रीय हित को अपना लक्ष्य बनाना चाहिए । इसके लिए उनको अवसरवादिता का त्याग करना पड़ेगा ।

धार्मिक राजनीति की समाप्ति ( To Stop Religious Politics )

सांप्रदायिकता की भावना को समाप्त करने के लिए जहां एक ओर कानूनी कदम उठाए जाएं वहीं दूसरी ओर भावनात्मक कदम उठाए जाएं। राजनीति में धर्म के प्रयोग का निषेध किया जाए। धर्म पर आधारित राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाया जाए और जनता में एक दूसरे के धर्म के प्रति सम्मान की भावना विकसित की जाए।

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FAQ Checklist

राष्ट्रीय एकीकरण के विकास में शिक्षा प्रणाली की क्या भूमिका है ?

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण है। एक ओर तो इसने शिक्षित बेरोजगारों को जन्म दिया है और दूसरी ओर यह विद्यार्थी वर्ग में देशभक्ति, धर्मनिरपेक्षता तथा राष्ट्रीय दृष्टिकोण पैदा करने में असफल रही है। शिक्षा प्रणाली में इस प्रकार से सुधार किया जाए जिससे संप्रदायिकतावाद ,जातिवाद ,भाषा तथा क्षेत्रवाद की भावनाओं को समाप्त किया जा सके।

राष्ट्रीय एकीकरण मार्ग की बाधाओं को दूर करने के दो उपाय ।

1 ) भाषा की समस्या भी राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक बहुत बड़ी बाधा है। इसलिए आवश्यक है कि राज्यों का समान भाषा के आधार पर पुनर्गठन किया जाए।
2 ) शिक्षा प्रणाली में इस प्रकार से सुधार किया जाए जिससे संप्रदायिकतावाद ,जातिवाद ,भाषा तथा क्षेत्रवाद की भावनाओं को समाप्त किया जा सके।

राष्ट्रीय एकीकरण के लिए राज्यों का पुनर्गठन क्यों जरूरी हैं ?

भाषा की समस्या भी राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक बहुत बड़ी बाधा है। इसलिए आवश्यक है कि राज्यों का समान भाषा के आधार पर पुनर्गठन किया जाए।

जातिवाद की समस्या दूर कैसे हो सकती हैं ?

जातिवाद की भावना को समाप्त करना आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि लोगों में राष्ट्रीय शिक्षा का प्रचार किया जाए और राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के लिए जातीयता की भावना का दुरुपयोग ना करें। चुनाव जाति के आधार पर ना लड़कर राष्ट्रीय समस्याओं के आधार पर लड़े जाने चाहिए।

राष्ट्रीय एकीकरण के लिए भावनात्मक एकीकरण स्थापित करना क्यों आवश्यक हैं ?

राष्ट्रीय एकीकरण के लिए लोगों में भावनात्मक एकीकरण स्थापित करना अति आवश्यक है। भावनात्मक एकता कोई ऊपर से दिखाई देने वाली वस्तु नहीं है यह तो हृदय की भावना है जिसे लोगों के मस्तिष्क को तथा दिलों में देखा जा सकता है।

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