Political Socialization Meaning , Definitions , Features , Characteristics in Hindi राजनीतिक समाजीकरण अर्थ , परिभाषाएं , विशेषताएं – बच्चा जब समाज में जन्म लेता है तो वह सभी प्रकार के प्रभाव व दबाव से मुक्त होता है। उसका मन उसका मस्तिष्क एक कोरी स्लेट की तरह होता है जिस पर कुछ भी अंकित किया जा सकता है। वह धीरे-धीरे बड़ा होता है। परिवार से विद्यालय तथा विद्यालय से समाज में पदार्पण करता है।
उसके मन और मस्तिष्क पर तरह-तरह के प्रभाव पड़ते हैं। तरह-तरह की बातें सीखता है। उसके मस्तिष्क की कोरी स्लेट भरने लगती है। इस प्रक्रिया को समाजीकरण की प्रक्रिया कहते है। यह प्रक्रिया केवल सामाजिकरण तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि यह राजनीतिक समाजीकरण की ओर अग्रसर होती है।
आज का युग राजनीति प्रधान युग है। व्यक्ति और समाज का कोई भी पहलू राजनीति से अछूता नहीं है। राजनीति कुछ लोगों तक ही सीमित नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राजनीति में रुचि रखता है। इसलिए उधान में बैठे लोग ,पान या नाई की दुकान पर एकत्रित लोग ,चाय की दुकान पर चाय का आनंद उठाते लोग प्राय: राजनीतिक मामलों पर बहस करते हुए पाए जाते हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि राजनीतिक व्यक्तियों की संख्या बढ़ रही है।
साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि लोगों का राजनीतिक समाजीकरण हो रहा है। लेकिन राजनीतिक समाजीकरण का अर्थ समझने से पहले हमें समाजीकरण का अर्थ जानना पड़ेगा।
Table of Contents विषय सूची
समाजीकरण का अर्थ ( Meaning of Socialization in Hindi )
प्रत्येक प्रकार के व्यवसाय को सीखने के लिए कोई ना कोई औपचारिक संस्था होती है जैसे डॉक्टर बनने के लिए मेडिकल कॉलेज में जाना पड़ता है ,इंजीनियर बनने के लिए किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करनी पड़ती है, इसी प्रकार विद्यालय या विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करनी पड़ती है। लेकिन ऐसा कोई विद्यालय या विश्वविद्यालय नहीं है जहां पर व्यक्तियों को सामाजिक प्राणी होने के नाते व्यवहार करने का प्रशिक्षण दिया जा सके।
परिवार ही व्यक्ति का पहला प्राइमरी विद्यालय या शैक्षिक केंद्र है जहां वह खाना पीना ,उठना बैठना, चलना बोलना और अपने बड़ों का आदर करना सीखता है। जब वह बड़ा हो जाता है तो वह समाज के विभिन्न पक्षों से ज्ञान प्राप्त करता है । वह अपने आप को बदलते हुए समकालीन नियमों के अनुसार ढालता है। अपने आपको समय के साथ बदलते समाज के मूल्यों के अनुसार ढालना ही सामाजिकरण है।
वास्तव में समाज में रहना या व्यवहार करना व्यक्ति समाज से ही सीखते हैं। धीरे धीरे वह सामाजिक प्राणी के रूप में परिणत हो जाता है। इसी क्रम को सामाजिकरण कहते हैं। इस सामाजिकरण के क्रम के द्वारा व्यक्ति का समाज से संबंध स्थापित होता है।
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राजनीतिक समाजीकरण का अर्थ ( Meaning of Political Socialization in Hindi )
राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति राजनीतिक व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त करता है जो उसके राजनीतिक ज्ञान और राजनीतिक घटनाओं के विषय में उसके संबंधों को सुनिश्चित करती है। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति के राजनीतिक अनुकूल का पता लगता है अर्थात इसके द्वारा व्यक्ति की राजनीतिक संस्कृति की ओर रुझान का पता लगता है।
राजनीतिक समाजीकरण ऐसी प्रशिक्षण प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्तियों में राजनीतिक मानदंडों ,अभिवृत्तियों और अभिमुखीकरण को बैठाने का प्रयास किया जाता है। राजनीतिक प्रत्यक्ष व ढंग से होता है। साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि व्यक्ति को राजनीति का कितना ज्ञान है और राजनीति के प्रति उसके क्या विचार हैं ,क्या विश्वास है इन सब को राजनीतिक समाजीकरण कहा जाता है।
राजनीतिक समाजीकरण की परिभाषाएं ( Political Socialization Definitions in Hindi )
- आलमंड और सिडनी वर्बा के अनुसार- राजनीतिक समाजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा राजनीतिक संस्कृतियों को बनाए रखा जाता है और उनमें परिवर्तन किए जाते हैं।
- हरबर्ट हायमन के शब्दों में- राजनीतिक समाजीकरण विभिन्न मध्यस्थ एजेंसियों के माध्यम से व्यक्ति द्वारा अपनी राजनीतिक स्थितियों से संबंधित प्रति रूपों का अध्ययन है।
- डेनिस कवानाग के अनुसार – राजनीतिक समाजीकरण शब्द उस प्रक्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है जिसके द्वारा व्यक्ति राजनीति के प्रति आकर्षित होता है और उसे सीखता एवं विकसित करता है।
- डेविड ईस्टन के अनुसार – राजनीतिक समाजीकरण वह विकासशील प्रक्रियाएं हैं जिनके द्वारा व्यक्ति राजनीतिक गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं और अपने व्यवहार को सुनिश्चित करते हैं।
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राजनीतिक समाजीकरण की विशेषताएं ( Political Socialization Features , Characteristics in Hindi )
राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक राजनीतिक संस्कृति के मूल्य विश्वास और भावनाएं आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाए जाते हैं। राजनीतिक समाजीकरण की विशेषताएं निम्नलिखित है
राजनीतिक समाजीकरण एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है ( Political Socialization is Universal Process )
राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है। यह कुछ समाजों तक सीमित ना होकर सभी समाजों में चलती रहती है। सरकार के प्रकार इस प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
लोकतांत्रिक या सर्वाधिकारवादी राजनीतिक व्यवस्था से उसमें केवल इतना अंतर आता है कि लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में इस प्रक्रिया की गति प्राय : तेज होती है और सर्वाधिकारवादी राजनीतिक व्यवस्था में इस प्रक्रिया की गति धीमी होती है परंतु राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया सभी राजनीतिक व्यवस्था में चलती रहती है।
सीखने की प्रक्रिया ( A Learning Process )
डेविड ईस्टन ने राजनीतिक समाजीकरण के इसी पहलू पर जोर देते हुए कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने चारों ओर के परिवेश या वातावरण से प्रभावित होता है और उससे उसमें राजनीतिक अनुकूलन की भावनाएं विकसित होती है और उसे नई-नई बातें सिखाती है जिन्हें राजनीतिक समाजीकरण कहा जाता है।
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राजनीतिक समाजीकरण प्रकट और प्रच्छन्न दोनों रूपों में होता है ( Political Socialization may be Manifest and Latent )
राजनीतिक समाजीकरण प्रकट और प्रच्छन्न दोनों रूपों में होता है । जब विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए राजनीतिक समाजीकरण का स्पष्ट व प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग किया जाता है तो इसे प्रकट या प्रत्यक्ष राजनीतिक समाजीकरण कहते हैं। स्कूलों, कॉलेजों आदि में विद्यार्थियों को अनुशासन ,आज्ञा पालन ,कर्तव्यों का पालन और कानून पालन आदि की शिक्षा देना प्रकट राजनीतिक समाजीकरण का उदाहरण है।
गैर राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किए गए प्रयास राजनीति को अप्रत्यक्ष रूप से ही प्रभावित करती हैं। अतः राजनीतिक समाजीकरण के लिए कोई बाहरी प्रयत्न नहीं किया जाता और यह गुप्त रूप और स्वाभाविक रूप अपने आप हो जाती है तो इसे अप्रत्यक्ष राजनीतिक समाजीकरण कहते हैं।
राजनीतिक संस्कृति से गहरा संबंध ( Close link with Political Culture )
राजनीतिक समाजीकरण की एक अन्य विशेषता यह है कि इसका राजनीतिक संस्कृति से गहरा संबंध है। राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया से राजनीतिक संस्कृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचती है। अतः राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया एक निरंतर प्रक्रिया है। साधारण शब्दों में राजनीतिक संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक केवल उन्हीं समाजों में पहुंचाया जा सकता है जहां राजनीतिक स्थायित्व है और लोगों के राजनीतिक मूल्य विवेक पर आधारित है जहां लोगों का राजनीतिक संस्कृति के प्रति लगाव और श्रद्धा है।
राजनीतिक समाजीकरण औपचारिक तथा अनौपचारिक है ( Political Socialization is both Formal and Informal )
राजनीतिक समाजीकरण औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ढंग से होता है। यदि राजनीतिक समाजीकरण सचेत रूप में विभिन्न शिक्षण संस्थाओं, समाचार पत्रों और राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है तो यह राजनीतिक समाजीकरण की औपचारिक प्रक्रिया है अर्थात इसमें विशेष प्रयत्न किए जाते हैं।
इसके विपरीत यदि लोगों के राजनीतिक मूल्यों ,विचारों, विश्वासों और अभिवृत्तियों में परिवर्तन विशेष प्रयत्नों से ना होकर अपने आप होता है तो इसे अनौपचारिक राजनीतिक समाजीकरण कहते हैं। जैसे भारत में 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा आपात स्थिति की घोषणा की और इसके फलस्वरूप लोगों पर बहुत अत्याचार हुए और उन्हें बहुत क्या कष्ट सहने पड़े । आपात स्थिति की समाप्ति के पश्चात 1970 में चुनाव हुए।
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राजनीतिक समाजीकरण एक निरंतर विधि है ( Political Socialization is a Continuous Process )
राजनीतिक समाजीकरण एक ऐसी विधि है जो सारी आयु के लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में प्रभावित करती है। किसी भी व्यक्ति के राजनीतिक विश्वास सदा एक से नहीं रहते अपितु नई परिस्थितियों के अनुसार मनुष्य के राजनीतिक दृष्टिकोण में थोड़ा बहुत परिवर्तन आता रहता है और इस परिवर्तन के कारणवश उनके राजनीतिक विश्वास ,राजनीतिक मूल्य ,राजनीतिक दृष्टिकोण या राजनीतिक संस्कृति स्थाई नहीं रहती।
राजनीतिक परिवर्तन से गहरा संबंध ( Close link with Political Changes )
समाजीकरण का राजनीतिक बदलाव से भी गहरा संबंध है। इसका कारण यह है कि दोनों एक दूसरे को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। एक ओर राजनीतिक समाजीकरण से बनने वाले नए विश्वास और मूल्य राजनीतिक परिवर्तन ला सकते हैं तो दूसरी और राजनीतिक परिवर्तन के बाद भी राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया समाप्त नहीं होती वह चलती रहती है। इस तरह दोनों में बहुत गहरा संबंध है।
संपूर्ण राजनीतिक जीवन को प्रभावित करना ( To Influence the total Political Life )
राजनीतिक समाजीकरण से व्यक्ति या व्यक्ति समूह का संपूर्ण राजनीतिक जीवन प्रभावित होता है और वह केवल उसके एक भाग तक ही सीमित नहीं रहता।
राजनीतिक मूल्यों के संचरण की प्रक्रिया ( The Process of Communication of Political Values )
राजनीतिक समाजीकरण के द्वारा समाज की एक पीढ़ी के द्वारा बनाए गए जीवन मूल्य अगली पीढ़ी को सरलता से मिल जाते हैं। इसी को ज्याफ्री रॉबर्ट्स नामक विद्वान ने राजनीतिक मूल्यों के संचरण की प्रक्रिया कहा है। यह क्रम लगातार चलता रहता है जिससे राजनीतिक व्यवस्था में जो परिवर्तन होते हैं वह संवैधानिक तरीके से होते चले जाते हैं और इसके फलस्वरूप राजनीतिक व्यवस्था में स्थिरता बनी रहती है।
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FAQ Checklist
समाजीकरण से क्या अभिप्राय है
बच्चा जब समाज में जन्म लेता है तो वह सभी प्रकार के प्रभाव व दबाव से मुक्त होता है। उसका मन उसका मस्तिष्क एक कोरी स्लेट की तरह होता है जिस पर कुछ भी अंकित किया जा सकता है। वह धीरे-धीरे बड़ा होता है। परिवार से विद्यालय तथा विद्यालय से समाज में पदार्पण करता है। उसके मन और मस्तिष्क पर तरह-तरह के प्रभाव पड़ते हैं। तरह-तरह की बातें सीखता है। उसके मस्तिष्क की कोरी स्लेट भरने लगती है। इस प्रक्रिया को समाजीकरण की प्रक्रिया कहते है।
राजनीतिक समाजीकरण से क्या अभिप्राय है
राजनीतिक समाजीकरण ऐसी प्रशिक्षण प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्तियों में राजनीतिक मानदंडों ,अभिवृत्तियों और अभिमुखीकरण को बैठाने का प्रयास किया जाता है। राजनीतिक प्रत्यक्ष व ढंग से होता है। साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि व्यक्ति को राजनीति का कितना ज्ञान है और राजनीति के प्रति उसके क्या विचार हैं ,क्या विश्वास है इन सब को राजनीतिक समाजीकरण कहा जाता है।
राजनीतिक समाजीकरण की दो परिभाषाएं
1 ) डेविड ईस्टन के अनुसार – राजनीतिक समाजीकरण वह विकासशील प्रक्रियाएं हैं जिनके द्वारा व्यक्ति राजनीतिक गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं और अपने व्यवहार को सुनिश्चित करते हैं।
2 ) आलमंड और सिडनी वर्बा के अनुसार- राजनीतिक समाजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा राजनीतिक संस्कृतियों को बनाए रखा जाता है और उनमें परिवर्तन किए जाते हैं।
राजनीतिक समाजीकरण की औपचारिक प्रक्रिया से क्या अभिप्राय है ?
राजनीतिक समाजीकरण औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ढंग से होता है। यदि राजनीतिक समाजीकरण सचेत रूप में विभिन्न शिक्षण संस्थाओं, समाचार पत्रों और राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है तो यह राजनीतिक समाजीकरण की औपचारिक प्रक्रिया है अर्थात इसमें विशेष प्रयत्न किए जाते हैं।
राजनीतिक समाजीकरण की अनौपचारिक प्रक्रिया से क्या अभिप्राय है ?
यदि लोगों के राजनीतिक मूल्यों ,विचारों, विश्वासों और अभिवृत्तियों में परिवर्तन विशेष प्रयत्नों से ना होकर अपने आप होता है तो इसे अनौपचारिक राजनीतिक समाजीकरण कहते हैं। जैसे भारत में 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा आपात स्थिति की घोषणा की और इसके फलस्वरूप लोगों पर बहुत अत्याचार हुए और उन्हें बहुत क्या कष्ट सहने पड़े । आपात स्थिति की समाप्ति के पश्चात 1970 में चुनाव हुए।
राजनीतिक समाजीकरण को एक निरंतर विधि क्यों कहा जाता है
राजनीतिक समाजीकरण एक ऐसी विधि है जो सारी आयु के लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में प्रभावित करती है। किसी भी व्यक्ति के राजनीतिक विश्वास सदा एक से नहीं रहते अपितु नई परिस्थितियों के अनुसार मनुष्य के राजनीतिक दृष्टिकोण में थोड़ा बहुत परिवर्तन आता रहता है और इस परिवर्तन के कारणवश उनके राजनीतिक विश्वास ,राजनीतिक मूल्य ,राजनीतिक दृष्टिकोण या राजनीतिक संस्कृति स्थाई नहीं रहती।
राजनीति और समाजीकरण में गहरा संबंध है ,कैसे ?
समाजीकरण का राजनीतिक बदलाव से भी गहरा संबंध है। इसका कारण यह है कि दोनों एक दूसरे को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। एक ओर राजनीतिक समाजीकरण से बनने वाले नए विश्वास और मूल्य राजनीतिक परिवर्तन ला सकते हैं तो दूसरी और राजनीतिक परिवर्तन के बाद भी राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया समाप्त नहीं होती वह चलती रहती है। इस तरह दोनों में बहुत गहरा संबंध है।