Political System : राजनीतिक -व्यवस्था समाज में कानूनी व्यवस्था रखने और समाज में परिवर्तन लाने वाली व्यवस्था है . अरस्तु ने अपनी पुस्तक ” राजनीती ” में कहा है कि मनुष्य स्वभाव एवं आवश्यकता -वश एक सामाजिक प्राणी है। अपनी प्रारम्भिक और सामान्य आवश्यकताओ की पूर्ति हेतु उसे अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर रहना पड़ता है और एक -दूसरे के काम में सहयोग देना पड़ता है।
सामाजिक जीवन के लिए आवश्यक है कि मनुष्य दुसरो के साथ व्यवहार के नियमो का पालन करे ताकि सभी मनुष्य अपने अपने कार्यों को ठीक प्रकार से पूरा कर सकें। Political System राजनीतिक -व्यवस्था -नियम लागू करने के लिये निश्चित व्यवस्था की जरुरत रहती है। इस नियमबद्ध व्यवस्था को राज्य की संज्ञा दी जाती है। अरस्तु महोदय ने राज्य की महत्ता बताते हुए कहा है की राज्य का जन्म मनुष्य के लिए हुआ और राज्य का अस्तित्व मनुष्य के अच्छे जीवन के लिया बना रहेगा।
Table of Contents विषय सूची
राजनीतिक व्यवस्था की परिभाषाएँ – Definitions
राजनीतिक -व्यवस्था की विभिन्न विचारको ने भिन्न भिन्न परिभाषाएँ दी है , जिनका विवरण इस प्रकार है –
डेविड ईस्टर्न: राजनीतिक व्यवस्था समाज में अंत: क्रियाओं की वह व्यवस्था है जिसके व्दारा मूल्यों की बंधनकारी एवं सत्ता संपन्न व्यवस्था की जाती है और लागू की जाती है।
रॉबर्ट डहल: राजनीतिक व्यवस्था मानवीय सम्बन्धों का एक ऐसा स्थिर नमूना है जिसमे पर्याप्त मात्रा में शक्ति, शासन व सत्ता सम्मिलित है।
पलैनो तथा रिग्स: राजनीतिक व्यवस्था का अर्थ मानवीय सम्बन्धो के उस नमूने से है जिसके व्दारा समाज के लिए सत्तावादी निर्णय लिए जाते हैं।
आमंड तथा कोलमैन: राजनीतिक व्यवस्था समाज में कानूनी व्यवस्था रखने और समाज में परिवर्तन लाने वाली व्यवस्था है।
लासवैल तथा कैपलान : राजनीतिक व्यवस्था वह प्रक्रिया है जिसमे वास्तविक कठोर दण्ड व्दारा नीतियों को लागू किये जाते है।
राजनीतिक व्यवस्था Political System
Political System / राजनीतिक -व्यवस्था की धारणा को समकालीन राजनीति विज्ञान की सबसे लोकप्रिय नई धारणा कहा जाता है। इस धारणा ने समाज में होने वाली सभी राजनीतिक घटनाओं के अध्ययन को संभव कर दिया है। राजनीतिक और तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन में राजनीतिक व्यवस्था ने सहायता की। Political System / राजनीतिक -व्यवस्था की धारणा व्यवहारवादी दृष्टिकोण की देन है।
राजनीतिक -व्यवस्था की धारणा को सबसे पहले अमेरिका के राजनीतिक वैज्ञानिक डेविड ईस्टन ने वर्ष 1953 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘ The Political System ‘ में प्रस्तुत किया। परम्परावादी दृष्टिकोण में राज्य एवं सरकार को राजनीति शास्त्र के अध्ययन का विषय माना जाता था लेकिन आधुनिक समय में राज्य ,सरकार व् विधानपालिका आदि शब्दों के स्थान पर ‘ Political System / राजनीतिक -व्यवस्था ‘ शब्द का प्रयोग किया जाता है।
राजनीतिक व्यवस्था का अर्थ ( meaning of political system )
Political System / राजनीतिक -व्यवस्था दो शब्दों राजनीतिक व व्यवस्था को मिलाकर बनती है। इसलिए राजनीतिक व्यवस्था का अर्थ ठीक से समझने के लिए दोनों का अर्थ अलग अलग समझना आवश्यक है।
राजनीतिक शब्द का अर्थ ( Meaning of the word -political ) – ‘राजनीतिक’ समस्त राजनीतिक क्रियाओं का नाम है। राजनीतिक क्रियाओं के अंतर्गत सभी क्रियाएं आती हैं जिनमे कम या अधिक मात्रा में शक्ति ,प्रभाव , सत्ता उपस्थित होती है। किसी भी संस्था को राजनीतिक तभी माना जा सकता है यदि उसके आदेशों का सभी पालन करें। इस सन्दर्भ में आमंड तथा पॉवेल का कथन है – राजनीती क़ानूनी शारीरिक बलात शक्ति है। अंत : राजनीती का सम्बन्ध शक्ति , सत्ता और शासन के साथ है।
व्यवस्था शब्द का अर्थ ( Meaning of the word -system ) – व्यवस्था शब्द अंत : क्रियाओं का समूह है। एक व्यवस्था संगठित होनी चाहियें और उसके अंगो में सम्बन्ध हो। आमंड तथा पॉवेल के अनुसार – “एक व्यवस्था से अभिप्राय भागों की परस्पर निर्भरता तथा इसके वातावरण के मध्य किसी प्रकार की सीमा न होने से है ।” यदि व्यवस्था के किसी भाग में कोई भी परिवर्तन होता है तो वह समूची प्रणाली को प्रभावित करता है। उद्देश्य के आधार पर व्यवस्थाओं का वर्गीकरण किया जा सकता है जैसे कि राजनीतिक प्रणाली , आर्थिक प्रणाली एवं सामाजिक प्रणाली।
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राजनीतिक -व्यवस्था के तत्व और विशेषताएं ( Elements and characteristics of political system )
आमंड तथा पॉवेल और रोबर्ट डहल ने निम्नलिखित तत्वों और विशेषताओं का उल्लेख किया है –
1.राजनीतिक व्यवस्था की सम्पूर्णता ( Completeness of political system )
राजनीतिक व्यवस्था की सम्पूर्णता ( Completeness of political system ) – राजनीतिक प्रणाली में वे सारी क्रियाएं परस्पर सम्बंधित है जो कि शारीरिक दण्ड देने की शक्ति को किसी भी रूप में प्रभावित करती है। इसमें राजनीतिक दल , हित समूह , जाति और धार्मिक समूह शामिल है। इससे स्पष्ट होता है की यह व्यवस्था परिपूर्ण होती है।
2.मानवीय सम्बन्ध ( Human relations )
मानवीय सम्बन्ध ( Human relations )- राज्य के लिए जनसंख्या जरुरी तत्व होता है। इसी प्रकार राजनीतिक व्यवस्था बिना जनसंख्या अर्थात मानवीय सम्बन्धो के बिना नहीं की सकती लेकिन इसमें सभी प्रकार के मानवीय सम्बन्धो को शामिल नहीं किया जा सकता। इसमें केवल उन्ही मानवीय सम्बन्धो को शामिल किया जा सकता है जो कि किसी न किसी रूप में राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित करती है।
3.सीमाओं का अस्तित्व ( Existence of boundaries )
सीमाओं का अस्तित्व ( Existence of boundaries )- यह व्यवस्था एक स्थान से आरंभ होती है और दूसरे स्थान पर समाप्त होती है। इसकी सीमाओं में समय समय पर परिवर्तन आते रहते है। युद्ध और आपातकालीन समय में राजनीतिक व्यवस्था की सीमायें बढ़ जाती है क्योकिं काफी लोगों को सेना में भर्ती के लिए कहा जाता है। इसी तरह चुनाव के दौरान राजनीतिक व्यवस्था की सीमाओं में विस्तार होता है।
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4.पारस्परिक निर्भरता ( Interdependence )
पारस्परिक निर्भरता ( Interdependence ) – इसमें सभी अंत : क्रियाएँ और सभी भाग एक दूसरे पर निर्भर करते है। जैसे यदि किसी राजनीतिक दल के ढांचे में परिवर्तन आता तो उसका प्रभाव दूसरे दलों के ढांचे पर भी पड़ता है।
5.वैधता की प्राप्ति ( Acquisition of legitimacy )
वैधता की प्राप्ति ( Acquisition of legitimacy )- वैधता इसकी एक अन्य विशेषता है। यह गुण राजनीतिक व्यवस्था को स्थिरता प्रदान करता है। वैधता प्राप्त करने से शक्ति सत्ता का रूप धारण कर लेता है।
6.संघर्षो का समाधान ( Resolution of conflicts )
संघर्षो का समाधान ( Resolution of conflicts )- राजनीतिक व्यवस्था में विभिन्न प्रकार के उदेश्यों और हितों वाले व्यक्ति होते है। इन समूहों में होने वाले संघर्षो के समाधान पंच निर्णय , आपसी वार्ता या फिर आंदोलन से किया जाता है।
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7.विचारधारा का विकास ( Development of ideology )
विचारधारा का विकास ( Development of ideology )- विचारधारा सिंद्धान्तो व विचारो का समूह होता है। प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में विभिन्न प्रकार की विचारधाराएं होती है जैसे कि -उदारवाद , समाजवाद , साम्यवाद और लोकतंत्रवाद।
8.अनिवार्य परिवर्तन ( Inevitable change )
अनिवार्य परिवर्तन -( Inevitable change ) रॉबर्ट डहल के अनुसार राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन आवश्यक है क्योंकि परिवर्तन से निरन्तरता बनी रहती है।
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9.अनुकूलता ( Adaptability )
अनुकूलता ( Adaptability )- राजनीतिक व्यवस्था में अनुकूलता का गुण होता है। इसका अर्थ है की राजनीतिक व्यवस्था में समय और परिस्तिथि के अनुसार ढल जाने की योग्यता होती है।
10.राजनीतिक संरचनाओं की सर्वव्यापकता ( Universality of political structures )
राजनीतिक संरचनाओं की सर्वव्यापकता ( Universality of political structures ) – प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक संरचनाएँ होती हैं और इन्ही के व्दारा राजनीतिक क्रियाओं को संपन्न किया जाता है।
11.राजनीतिक साधनो की असमानता ( Inequality of political sources )
राजनीतिक साधनो की असमानता ( Inequality of political sources ) – इससे तात्पर्य उन साधनो से है जिनसे एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के आचरण को प्रभावित करता है। इन साधनो में धन योजना , सूचनाएं , बल और शक्ति को शामिल किया जा सकता है। यह असमानता जन्म के उत्तराधिकार ,शिक्षा व क्षमता आदि के कारण होती है।
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12.राजनीतिक प्रभाव की खोज ( Quest for political sources )
राजनीतिक प्रभाव की खोज ( Quest for political sources )- समाज में कुछ ऐसे व्यक्ति होते है जो राजनीती में अधिक रूचि रखते है और कुछ कम। जिनकी राजनीती में अधिक रूचि होती है वे सरकार की नीतियों और निर्णयों को अभिक प्रभावित करने का प्रयास करते है।
13.राजनीतिक व्यवस्थाओं मिश्रित स्वरुप ( Mixed nature of political systems )
राजनीतिक व्यवस्थाओं मिश्रित स्वरुप ( Mixed nature of political systems )- इसका अर्थ है कि प्रत्येक व्यवस्था में परम्परागत और आधुनिक दोनों प्रकार की संस्थाएं पाई जाती है।
14.राजनीतिक व्यवस्था की विविधता ( Multi functionality of political system )
राजनीतिक व्यवस्था की विविधता ( Multi functionality of political system )- प्रत्येक व्यवस्था में अनेक संस्थाएं होती है। इन संस्थाओं व्दारा विभिन्न कार्य संपन्न जाते है। जैसे कि कार्यपालिका कानूनों को लागू करने के अतिरिक्त विधि निर्माण में भी सहायता करती है।
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के सन्दर्भ में राजनीतिक व्यवस्था
प्रत्येक देश की Political System / राजनीतिक -व्यवस्था की अपनी बिशेषताएँ होती है। आज कोई भी ऐसा देश नहीं है जी आत्म निर्भर हो। इसलिए राज्यों में सम्बन्ध स्थापित होते है और इसी के कारण एक राज्य की राजनीतिक व्यवस्था का दूसरे राज्य की राजनीतिक व्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है। भारत के सन्दर्भ में भी यह बात कही जा सकती है। भारत अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमो का उसे पालन करना पड़ता है। भारत गट निरपेक्ष आंदोलन ,एशिया क्षेत्रीय संगठन और राष्ट्रमण्डल से जुड़ा हुआ है।
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भारत को अपनी नीतियों का निर्माण करते समय इन अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के सिंद्धान्तो को भी ध्यान में रखना पड़ता है। भारत में विभिन्न भाषाओँ , जातियों ,धर्मों के लोग रहते है। देश में विभिन्न आर्थिक , सामाजिक , सांस्कृतिक तथा अन्य उप – व्यवस्थाएं है। एक उप व्यवस्था में परिवर्तन आने से दूसरी उप व्यवस्थाओं पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। भारत की Political System / राजनीतिक -व्यवस्था को दोनों तरह के कार्य -निवेश तथा निर्गत कार्य करने पड़ते है।
राजनीतिक व्यवस्था के कार्य ( functions of the political system )
राजनीतिक -व्यवस्था के कार्यों की व्याख्या मुख्य रूप से डेविड ईस्टर्न व आमंड व्दारा की गयी है। कार्यों को मुख्य रूप से दो भागो में बांटा गया है – निवेश कार्य और निकास कार्य
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निवेश कार्य
राजनीतिक समाजीकरण और भर्ती
राजनीतिक समाजीकरण और भर्ती ( Political Socialization and recruitment )- निवेश कार्य में पहला कार्य राजनीतिक समाजीकरण व भर्ती है। Political System / राजनीतिक -व्यवस्था की सफलता के लिए राजनीतिक समाजीकरण आवश्यक है। जैसे की प्रत्येक समाज की अपनी अलग अलग संस्कृति होती है जो उसे सेष मानव समूहों से अलग करती है और इसमें मानव समूह के व्यवहार करने के तरीके ,मान्यताएं , विश्वास , कर्तव्य , भौतिक उन्नति आदि सभी बातें आती है।
राजीनीतिक संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य राजनीतिक समाजीकरण व्दारा किया जाता है। यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। समाजीकरण का कार्य राजनीतिक भर्ती करना भी है। राजनीतिक भर्ती वह प्रक्रिया है जिसमे लोगो को विभिन्न भूमिकाएं व कार्य करने के लिया लिया जाता है।
हित स्पष्टीकरण
हित स्पष्टीकरण – ( Interest Clarification ) यह Political System / राजनीतिक -व्यवस्था का दूसरा बड़ा कार्य है। प्रत्येक समाज के लोगो में विभिन्न उदेश्य ,हित व मांगे होती है और लोगो की यह इच्छा भी होती है कि राजनीतिक व्यवस्था व्दारा नियम भी उनकी मांगो ,उदेश्यों व हितों के अनुकूल बनाया जाएँ। अंत : हित स्पष्टीकरण वह प्रक्रिया है जिसके व्दारा व्यक्तियों की मांगो को स्पष्ट किया जाता है और उन्हें निर्णयकर्ताओं के समक्ष मांगे प्रस्तुत करने के लिए तैयार किया जाता है। आमंड ने इसके रूपों को चार भागो में बांटा है –
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संस्थागत हित समूह
संस्थागत हित समूह ( Institutional interest groups ) – इसमें विधानपालिका तथा कार्यपालिका , राजनीतिक दलों , अधिकारी वर्ग व सेनाओं का समावेश होता है।
संघात्मक हित समूह
संघात्मक हित समूह ( Associational Interest groups )- कई व्यवस्थाओं में हित स्पष्टीकरण का कार्य संघात्मक हित समूहों व्दारा संपन्न किया जाता है। व्यवसाय संघ , नागरिक संघ , मजदूर संघ, व्यापारिक संघ आदि को संघात्मक हित समूह कहा जाता है।
असंघात्मक हित समूह
असंघात्मक हित समूह ( Non -Associational interest groups ) – इसमें परिवार ,जातिगत समूह ,वंश समूह , धार्मिक समूह को शामिल किया जाता है। ऐसे समूह असंगठित होती है।
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अनियमित हित समूह
अनियमित हित समूह ( Anomalous interest groups )- इस श्रेणी में प्रदर्शन , विरोध , मार्च , दंगे फसाद , बंद , हड़तालें एवं आंदोलन को शामिल किया जाता है।
हित समूहीकरण
हित समूहीकरण ( Interest Aggregation ) – हित समूहीकरण Political System / राजनीतिक -व्यवस्था का तीसरा कार्य है। यह प्रक्रिया हित स्पष्टीकरण के बाद आरंभ होती है। हित स्पष्टीकरण यदि लोगो के हितों , मांगो और उदेश्यों को स्पष्ट करने का कार्य करती है तो हिट स्पष्टीकरण उन्ही हितों ,मांगो का समूहीकरण करता है। हित समूहीकरण भिन्न भिन्न प्रकार के हितों को एकत्रित करके उनमे तालमेल स्थापित करने और उसके आधार पर नीतियों का निर्माण करने की प्रक्रिया है। मुख्य रूप से हित समूहीकरण का कार्य राजनीतिक दलों व्दारा किया जाता है।
राजनीतिक संचार
राजनीतिक संचार ( Political Communication ) – ये संचार वे साधन है जिनसे Political System / राजनीतिक -व्यवस्था राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर आवश्यक सूचनाएं प्राप्त करती है तथा बाद में निर्णय लेने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। जन संचार के साधनो में रेडियो , टेलीविजन , समाचार पत्र , तथा पत्रिकाएँ शामिल है।
निकास कार्य
नियम निर्माण का कार्य
नियम निर्माण का कार्य ( Function of rule making ) – आधुनिक समाज में कानून निर्माण करने वाली संस्था है जिसे विधानपालिका का नाम दिया गया है। नियम निर्माण का सम्बन्ध प्रशासन की विधानमण्डलीय शाखा से है।
नियम लागू करने का कार्य
नियम लागू करने का कार्य ( Function of rule application ) – नियमो को प्रभावशाली ढंग से लागू किया जाना राजनीतिक व्यवस्था की क्षमता को बढ़ाता है और निश्चित उदेश्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।
नियमो के निपटारे का कार्य
नियमो के निपटारे का कार्य ( Function of rule adjudication )- प्रत्येक समाज में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते है जो नियमो की अवहेलना करते है। इस प्रकार Political System / राजनीतिक -व्यवस्था व्दारा नियम निर्माण करते समय कुछ प्रतिबंधों को भी निश्चित किया जाता है ताकि नियमो की अवहेलना को रोका जा सके।
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राजनीतिक व्यवस्था के दोष ( defects of the political system )
Political System / राजनीतिक -व्यवस्था के समर्थक अपनी विचारधारा में स्पष्ट नहीं है। कभी वे राजनीतिक व्यवस्था को समाज का एक भाग मानकर उसका अध्ययन समाज के सन्दर्भ में करना चाहते हैं तो कभी इसे समाज से अलग मानकर कहते है कि इसका अध्ययन समाज के बिना किया जा सकता है। समाज से बिना राजनीतिक व्यवस्था का अध्ययन असंभव है। इसकी अन्य त्रुटि यह है की इसमें अमेरिकी विचारको ने अपने विचार प्रगट करने के लिए कठिन शब्दों का प्रयोग किया है।
FAQ Checklist
राजनीतिक प्रणाली ( व्यवस्था ) से क्या तात्पर्य हैं ?
Political System / राजनीतिक -व्यवस्था दो शब्दों राजनीतिक व व्यवस्था को मिलाकर बनती है। ‘राजनीतिक’ समस्त राजनीतिक क्रियाओं का नाम है। राजनीतिक क्रियाओं के अंतर्गत सभी क्रियाएं आती हैं जिनमे कम या अधिक मात्रा में शक्ति ,प्रभाव , सत्ता उपस्थित होती है। व्यवस्था शब्द अंत : क्रियाओं का समूह है। एक व्यवस्था संगठित होनी चाहियें और उसके अंगो में सम्बन्ध हो। राजनीतिक -व्यवस्था समाज में कानूनी व्यवस्था रखने और समाज में परिवर्तन लाने वाली व्यवस्था है.
राजनीतिक प्रणाली का क्या अर्थ हैं ?
राजनीतिक प्रणाली जिसे राजनीतिक -व्यवस्था के नाम से जाना जाता हैं। यह राजनीति शास्त्र के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण अवधारणा हैं। राजनीतिक -व्यवस्था का सम्बन्ध उन सभी कार्यों व क्रियाओं से है जो निर्णय करने तथा उन्हें लागू करने में सहायता करते हैं। व्यवस्था शब्द अंत : क्रियाओं का समूह है। एक व्यवस्था संगठित होनी चाहियें और उसके अंगो में सम्बन्ध हो। राजनीतिक -व्यवस्था समाज में कानूनी व्यवस्था रखने और समाज में परिवर्तन लाने वाली व्यवस्था है.राजनीतिक -व्यवस्था में औपचारिक और अनौपचारिक संगठन शामिल हैं।
राजनीतिक शब्द का क्या अर्थ हैं ?
‘राजनीतिक’ समस्त राजनीतिक क्रियाओं का नाम है। राजनीतिक क्रियाओं के अंतर्गत सभी क्रियाएं आती हैं जिनमे कम या अधिक मात्रा में शक्ति ,प्रभाव , सत्ता उपस्थित होती है। किसी भी संस्था को राजनीतिक तभी माना जा सकता है यदि उसके आदेशों का सभी पालन करें। इस सन्दर्भ में आमंड तथा पॉवेल का कथन है – राजनीती क़ानूनी शारीरिक बलात शक्ति है। अंत : राजनीती का सम्बन्ध शक्ति , सत्ता और शासन के साथ है।
व्यवस्था शब्द का क्या अर्थ हैं ?
व्यवस्था शब्द अंत : क्रियाओं का समूह है। व्यवस्था एक इकाई है जो कई भागों से मिलकर बनती हैं। एक व्यवस्था संगठित होनी चाहियें और उसके अंगो में सम्बन्ध हो। आमंड तथा पॉवेल के अनुसार – “एक व्यवस्था से अभिप्राय भागों की परस्पर निर्भरता तथा इसके वातावरण के मध्य किसी प्रकार की सीमा न होने से है ।” यदि व्यवस्था के किसी भाग में कोई भी परिवर्तन होता है तो वह समूची प्रणाली को प्रभावित करता है। उद्देश्य के आधार पर व्यवस्थाओं का वर्गीकरण किया जा सकता है जैसे कि राजनीतिक प्रणाली , आर्थिक प्रणाली एवं सामाजिक प्रणाली।
राजनीतिक -व्यवस्था की कोई चार परिभाषाएँ दीजिये।
1 ) डेविड ईस्टर्न: राजनीतिक व्यवस्था समाज में अंत: क्रियाओं की वह व्यवस्था है जिसके व्दारा मूल्यों की बंधनकारी एवं सत्ता संपन्न व्यवस्था की जाती है और लागू की जाती है।
2 ) रॉबर्ट डहल: राजनीतिक व्यवस्था मानवीय सम्बन्धों का एक ऐसा स्थिर नमूना है जिसमे पर्याप्त मात्रा में शक्ति, शासन व सत्ता सम्मिलित है।
3 ) पलैनो तथा रिग्स: राजनीतिक व्यवस्था का अर्थ मानवीय सम्बन्धो के उस नमूने से है जिसके व्दारा समाज के लिए सत्तावादी निर्णय लिए जाते हैं।
4 )आमंड तथा कोलमैन: राजनीतिक व्यवस्था समाज में कानूनी व्यवस्था रखने और समाज में परिवर्तन लाने वाली व्यवस्था है।
राजनीतिक -व्यवस्था की कोई पांच विशेषताएं बताये ।
1 ) राजनीतिक व्यवस्था की सम्पूर्णता ( Completeness of political system ) – राजनीतिक प्रणाली में वे सारी क्रियाएं परस्पर सम्बंधित है जो कि शारीरिक दण्ड देने की शक्ति को किसी भी रूप में प्रभावित करती है।
2 ) मानवीय सम्बन्ध ( Human relations )- राज्य के लिए जनसंख्या जरुरी तत्व होता है। इसी प्रकार राजनीतिक व्यवस्था बिना जनसंख्या अर्थात मानवीय सम्बन्धो के बिना नहीं की सकती लेकिन इसमें सभी प्रकार के मानवीय सम्बन्धो को शामिल नहीं किया जा सकता।
3 ) पारस्परिक निर्भरता ( Interdependence ) – इसमें सभी अंत : क्रियाएँ और सभी भाग एक दूसरे पर निर्भर करते है। जैसे यदि किसी राजनीतिक दल के ढांचे में परिवर्तन आता तो उसका प्रभाव दूसरे दलों के ढांचे पर भी पड़ता है।
4 ) वैधता की प्राप्ति ( Acquisition of legitimacy )- वैधता इसकी एक अन्य विशेषता है। यह गुण राजनीतिक व्यवस्था को स्थिरता प्रदान करता है। वैधता प्राप्त करने से शक्ति सत्ता का रूप धारण कर लेता है।
5 ) अनुकूलता ( Adaptability )- राजनीतिक व्यवस्था में अनुकूलता का गुण होता है। इसका अर्थ है की राजनीतिक व्यवस्था में समय और परिस्तिथि के अनुसार ढल जाने की योग्यता होती है।
राजनीतिक संरचनाओं की सर्वव्यापकता का क्या अर्थ हैं ?
राजनीतिक संरचनाओं की सर्वव्यापकता ( Universality of political structures ) – प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक संरचनाएँ होती हैं और इन्ही के व्दारा राजनीतिक क्रियाओं को संपन्न किया जाता है। राजनीतिक संस्था का प्रत्येक अंग एक ही कार्य नहीं करता अपितु एक से अधिक कार्य करता हैं ; जैसे की विधानपालिका कानून निर्माण कार्य के साथ -साथ प्रशासनिक और न्यायिक कार्य भी करती हैं। इसी तरह कार्यपालिका कानून के लागू करने के अतिरिक्त विधि – निर्माण में भी सहायता करती हैं। न्यायपालिका भी कार्यपालिका व विधानपालिका सम्बन्धी कार्य सम्पन्न करती हैं।
राजनीतिक व्यवस्था के कार्यों का संक्षिप्त वर्णन करो।
राजनीतिक व्यवस्था के कार्यों को मुख्य रूप से दो भागो में बांटा गया है – निवेश कार्य और निकास कार्य
निवेश कार्य – समाज में कई प्रकार की मांगे उत्पन्न होती रहती है। इन्हीं माँगों को निवेश कहा जाता हैं। ये मांगे व्यक्तियों , राजनीतिक दलों एवं दबाव समूहों व्दारा प्रस्तुत की जाती हैं।
निकास कार्य – समाज व्दारा प्रस्तुत मांगों को निवेश कहा जाता हैं और उन मांगों को पूरा किये जाने के लिए किए गए प्रयत्नों को निकास कहा जाता हैं। इस प्रकार निकास कार्य राजनीतिक व्यवस्था की विभिन्न गतिविधियों का परिणाम होतें हैं।
राजनीतिक व्यवस्था के तीन निवेश कार्य बताओं।
1 ) राजनीतिक समाजीकरण और भर्ती ( Political Socialization and recruitment )- निवेश कार्य में पहला कार्य राजनीतिक समाजीकरण व भर्ती है। Political System / राजनीतिक -व्यवस्था की सफलता के लिए राजनीतिक समाजीकरण आवश्यक है। जैसे की प्रत्येक समाज की अपनी अलग अलग संस्कृति होती है जो उसे सेष मानव समूहों से अलग करती है और इसमें मानव समूह के व्यवहार करने के तरीके ,मान्यताएं , विश्वास , कर्तव्य , भौतिक उन्नति आदि सभी बातें आती है। राजीनीतिक संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य राजनीतिक समाजीकरण व्दारा किया जाता है। यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।
2 ) हित स्पष्टीकरण – ( Interest Clarification ) यह Political System / राजनीतिक -व्यवस्था का दूसरा बड़ा कार्य है। प्रत्येक समाज के लोगो में विभिन्न उदेश्य ,हित व मांगे होती है और लोगो की यह इच्छा भी होती है कि राजनीतिक व्यवस्था व्दारा नियम भी उनकी मांगो ,उदेश्यों व हितों के अनुकूल बनाया जाएँ।
3 ) राजनीतिक संचार ( Political Communication ) – ये संचार वे साधन है जिनसे Political System / राजनीतिक -व्यवस्था राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर आवश्यक सूचनाएं प्राप्त करती है तथा बाद में निर्णय लेने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। जन संचार के साधनो में रेडियो , टेलीविजन , समाचार पत्र , तथा पत्रिकाएँ शामिल है।
राजनीतिक व्यवस्था के तीन निकास कार्य बताओं।
1 ) नियम निर्माण का कार्य ( Function of rule making ) – आधुनिक समाज में कानून निर्माण करने वाली संस्था है जिसे विधानपालिका का नाम दिया गया है। नियम निर्माण का सम्बन्ध प्रशासन की विधानमण्डलीय शाखा से है।
2 ) नियम लागू करने का कार्य ( Function of rule application ) – नियमो को प्रभावशाली ढंग से लागू किया जाना राजनीतिक व्यवस्था की क्षमता को बढ़ाता है और निश्चित उदेश्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।
3 ) नियमो के निपटारे का कार्य ( Function of rule adjudication )- प्रत्येक समाज में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते है जो नियमो की अवहेलना करते है। इस प्रकार राजनीतिक -व्यवस्था व्दारा नियम निर्माण करते समय कुछ प्रतिबंधों को भी निश्चित किया जाता है ताकि नियमो की अवहेलना को रोका जा सके।