Comparative Politics Utility तुलनात्मक राजनीति की उपयोगिता -तुलनात्मक राजनीति की उपयोगिता सरकारों तथा राजनीति के तुलनात्मक अध्ययन का एक बहुत ही प्राचीन तरीका है । इसका प्रयोग यूनान में भी किया गया था । अरस्तू ने अपने समय के 158 देशों के संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया था और उस अध्ययन पर उसके अनेक विचार तथा सिद्धांत आधारित हैं । उसके बाद भी बहुत से राजनीतिक विचारकों ने राजनीतिक समस्याओं के समाधान के लिए इस तरीके को अपनाया । यह तरीका बड़ा आसान तथा साधारण भी लगता हैं और इसलिए इस तरीके ने मानव के ध्यान को सर्वाधिक आकर्षित किया हैं । तुलनात्मक राजनीति की उपयोगिता को आइये जानते है विस्तार से –
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तुलनात्मक राजनीति का परिचय -Introduction of Comparative Politics
Comparative Politics in Hindi -यह उल्लेखनीय हैं कि सरकारों का तुलनात्मक अध्ययन ऊपर से बड़ा आसान लगता हैं परंतु वास्तव में यह तरीका बहुत ही कठिन तरीका है । इस तरीके को अपनाने में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं । तुलनात्मक अध्ययन करते समय पूर्ण सामग्री का होना आवश्यक है । सभी देशों की सामाजिक ,आर्थिक , ऐतिहासिक अवस्थाओं का अध्ययन तथा तुलना आवश्यक हैं । तुलनात्मक राजनीति की उपयोगिता में राजनीतिक संस्थाओं के यथार्थ व्यवहार का पता लगाना आवश्यक है ।
सरकार और राजनीति का तुलनात्मक अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण तथा उपयोगी है । सामान्य ज्ञान की दृष्टि से यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है । राजनीतिक विज्ञान के विद्यार्थी के लिए तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन और इसका उपयोग पता होना जरूरी है । इससे सभी विद्यार्थी अपने एग्जाम में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं ।
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तुलनात्मक राजनीति की उपयोगिता (Utility of comparative politics )
तुलनात्मक राजनीति की उपयोगिता निम्नलिखित प्रकार से है –
राजनीति में सिद्धान्त निर्माण ( Theory building in politics )
राजनीति में सिद्धान्त निर्माण Theory building in politics-तुलनात्मक राजनीति का महत्व ‘ राजनीति में सिद्धांत निर्माण ‘ की दृष्टि से भी हैं । तुलनात्मक अध्ययन से ही किसी शास्त्र के सिद्धांतों का निर्माण व नियमों का निरूपण सम्भव होता हैं । प्राचीन काल से ही राजनीति शास्त्र में ऐसे सिद्धान्तों और सामान्य नियमों की खोज की जाती रही हैं जो सम्पूर्ण विश्व के राजनीतिक व्यवहार को विशेष रूप में समझने में सहायता करें । राजनीतिक सुद्धान्तों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता हैं – 1) आदर्शात्मक सिद्धान्त 2) आनुभाविक सिद्धान्त ।
आदर्शात्मक सिद्धान्त में राजनीतिक व्यवस्थाओं के बारे में कोई कल्पना कर ली जाती है और बाद में उस कल्पना को रचनात्मक रूप दिया जाता है जबकि आनुभाविक सिद्धान्तों में राजनीतिक व्यवहार के वास्तविक तथ्यों को समझकर सिद्धान्तों के निर्माण का प्रयत्न किया जाता है ।
राजनीतिक संस्थाओं के सुधार में सहायक ( Helpful in the reform of political change )
राजनीतिक संस्थाओं के सुधार में सहायक Helpful in the reform of political change-व्यक्ति आरम्भ से ही अपने राजनीतिक संगठन को सुधारने और उसे कल्याणकारी बनाने के बारे में सोचता आया है । तुलनात्मक अध्ययन प्रद्धति इस संबंध में बड़ी सहायक रही हैं । दूसरे देशों की सफलतापूर्वक कार्य करने वाली संस्थाओं से अपने देश की राजनीति व्यवस्था से तुलना करके अपनी व्यवस्था की कमियों का पता लगाया जा सकता है और उन बातों का ज्ञान होता हैं जिन्हें अपनी व्यवस्था में लागू करके इसे सफल और कल्याणकारी बनाया जा सके । तुलनात्मक शासन के अध्ययन से राजनीतिक संस्थाओं में सुधार करना आसान हो जाता हैं ।
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सामान्य सिद्धान्तों के निर्माण में सहायक ( Assisted in formulation of general principles )
सामान्य सिद्धान्तों के निर्माण में सहायक Assisted in formulation of general principles-तुलनात्मक अध्ययन प्रद्धति का एक मुख्य लाभ यह हैं कि इसके प्रयोग से सामान्य निष्कर्ष निकालना सम्भव है , सामान्य सिद्धान्तों का निर्माण किया जा सकता है और किया गया हैं । इस प्रद्धति के माध्यम से अरस्तू द्वारा निर्धारित बहुत से सिद्धान्त आज भी मान्य हैं जैसे कि आर्थिक असमानता क्रांति को जन्म देती हैं । इसी प्रकार आजकल सभी संसदीय प्रणालियों की विधानपालिकाओं की तुलना करके यह निष्कर्ष निकला है कि इससे संसद की प्रभुसत्ता तथा प्रतिष्ठा घटी है और कार्यपालिका की स्थिति अधिक शक्तिशाली हुई हैं ।
Utility and Importance of comparative politics के अध्ययन से पता लगता कि सत्ता का विशिष्ट वर्गीय सिद्धान्त ( Elitist Theory Of Power ) तुलनात्मक अध्ययन से निश्चित हुआ है । यह भी तुलनात्मक अध्ययन से ही पता चला हैं कि राजनीतिक अस्थिरता सैनिक हस्तक्षेप या सैनिक शासन को प्रोत्साहन देती हैं ।
राजनीतिक व्यवहार को समझना ( Understanding political behavior )
राजनीतिक व्यवहार को समझना Understanding political behavior-शासन और राजनीति के तुलनात्मक अध्ययन की उपयोगिता यह हैं कि इससे राजनीतिक व्यवहार को समझने में सहायता मिलती हैं । तुलनात्मक अध्ययन द्वारा हम राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय राजनीति एवं राजनीतिक व्यवहार को अच्छी तरह समझ सकते हैं । तुलनात्मक अध्ययन के द्वारा ही हमें यह पता चलता है कि विभिन्न समाजों के लोगों का राजनीतिक व्यवहार परस्पर ,भिन्न क्यों होता हैं । यह सम्भव है कि दो देशों की परिस्थितियां एक जैसी होने के बावजूद भी राजनीतिक क्रिया अलग अलग हो । प्राचीन काल में आम जनता राजनीति में कोई रुचि नही रखती थी परंतु आधुनिक युग में जनता इसमें रुचि लेने लग गयी है । अब राजनीति कुछ लोगों तथा विशेष वर्गों तक ही सीमित नहीं रह गयी बल्कि इसमें लाखों करोड़ों लोग भाग लेते हैं । तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन आम जनता को विभिन्न स्तरों पर होने वाले राजनीतिक घटनाचक्रों का ज्ञान कराता है ।
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आधुनिक राज्यों के घनिष्ठ संबंधों के कारण तुलनात्मक अध्ययन का महत्व( Importance of comparative study due to the close relationship of modern states )
आधुनिक राज्यों के घनिष्ठ संबंधों के कारण तुलनात्मक अध्ययन का महत्व Importance of comparative study due to the close relationship of modern states.-आधुनिक युग अन्तर्राष्ट्रवाद का युग हैं और सभी राज्य अन्य देशों से घनिष्ठ तथा मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखते हैं । प्रत्येक राज्य कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का सदस्य होता है और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में हुए निर्णयों को अनदेखा नहीं कर सकता । आज प्रत्येक राष्ट्र अपने समाजिक , आर्थिक और राजनीतिक लाभ के लिए दूसरे देशों से और विशेषकर अपने पड़ोसी देशों से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाये रखने का इच्छुक रहता है ।
संचार साधनों के विकास ने समय और स्थान की दूरी को प्रायः समाप्त कर दिया है और इसलिए एक देश में घटने वाली घटनाओं का दूसरे देशों में तत्काल प्रभाव पड़ जाता है । ऐसी स्थिति में देशों का एक दूसरे की शासन व्यवस्थाओं को जानना और उनमें होने वाली समानताओं तथा असमानताओं का पता लगाना यह काम तुलनात्मक अध्ययन द्वारा ही किया जा सकता है ।
यह एक वैज्ञानिक प्रद्धति हैं ( It is a scientific system )
यह एक वैज्ञानिक प्रद्धति हैं It is a scientific system-आज बहुत से विचारक राजनीति को एक विज्ञान मानते हैं और तुलनात्मक अध्ययन इस शास्त्र को वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान करता है । तुलनात्मक अध्ययन में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग होता है । इसमें अनियन्त्रित रूप से अध्ययन नहीं किया जाता बल्कि बड़े वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन किया जाता है । सबसे पहले तथ्य इकठे किये जाते हैं फिर उनका विश्लेषण तथा तुलना द्वारा परीक्षण होता है । तथ्यों की समानताओं और असमानताओं को ध्यान में रखकर ही निष्कर्ष निकाले जाते हैं जो सिद्धान्त का रूप ले लेते हैं ।
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राजनीतिक संस्थाओं की विभिन्न संदर्भो को समझने में आसानी ( Ease of understanding the various contexts of political institutions )
राजनीतिक संस्थाओं की विभिन्न संदर्भो को समझने में आसानी Ease of understanding the various contexts of political institutions-तुलनात्मक अध्ययन प्रद्धति का एक लाभ यह भी हैं कि इसका प्रयोग करते हुए हमें राजनीतिक संस्थाओं तथा राजनीतिक व्यवस्थाओं के विभिन्न संदर्भों को समझने में आसानी हो जाती हैं । राजनीतिक संस्थाओं की तुलना करते समय उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का अध्ययन और तुलना भी करनी पड़ती हैं और इससे यह पता चल जाता है कि किसी देश में कोई संस्था किन परिस्थितियों में आरम्भ हुई और किस प्रकार उसका विकास हुआ । इंग्लैंड में संसदीय प्रणाली प्रथाओं के आधार पर आरम्भ हुई और आज भी इसी प्रथाओं के आधार पर कार्यरत हैं। राजनीतिक संस्थाओं के संदर्भ को जाने बिना उनके वास्तविक स्वरूप और उनकी कार्यविधि के बारे में पूर्ण तथा सही जानकारी नही मिल सकती ।
विभिन्न देशों की सामाजिक ,आर्थिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का ज्ञान ( Knowledge of social, economic and historical background of various countries )
विभिन्न देशों की सामाजिक ,आर्थिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का ज्ञान Knowledge of social, economic and historical background of various countries-राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन के लिए संबंधित देशों की सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अवस्थाओं को ध्यान में रखना पड़ता हैं ।
उनकी समानताओं तथा असमानताओं का विश्लेषण किया जाता है । उनके राजनीतिक संस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्गीकरण किया जाता हैं । उन देशों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि विद्यार्थी के ध्यान में रहती है । तुलनात्मक अध्ययन से इस बात का ज्ञान होता रहता है कि विभिन्न देशों में परिस्थितियां कैसे बदलती हैं ।
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शासन व्यवस्थाओं की समानताओं और असमानताओं को स्पष्ट करता है ( Explains similarities and inequalities in governance )
शासन व्यवस्थाओं की समानताओं और असमानताओं को स्पष्ट करता है Explains similarities and inequalities in governance – यह विभिन्न देशों की शासन व्यवस्थाओं की समानताओं और असमानताओं को स्पष्ट करता है । मनुष्य का स्वभाव है कि वह यह जानना चाहता हैं कि दूसरे व्यक्तियों में कौन सी बातें उसके समान हैं । तुलनात्मक प्रद्धति व्यक्ति की इस स्वाभाविक इच्छा को पूरा करती हैं । इस तरीके के माध्यम से संसार की विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं में विधमान समानताओं और असमानताओं का बड़ी आसानी से पता चल जाता है ।
FAQ Checklist
तुलनात्मक राजनीति से क्या तात्पर्य हैं ?
तुलनात्मक राजनीति में दो या अधिक देशों की राजनीति की तुलना की जाती है या एक ही देश की अलग-अलग समय की राजनीति की तुलना की जाती है और देखा जाता है कि इनमें समानता क्या है और अन्तर क्या है। एडवर्ड फ्रीमैन के अनुसार, तुलनात्मक राजनीति राजनीतिक संस्थाओं एवं सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन एवं विश्लेषण है।
सरकार और राजनीति का तुलनात्मक अध्ययन क्यों जरुरी हैं ?
सरकार और राजनीति का तुलनात्मक अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण तथा उपयोगी है । सामान्य ज्ञान की दृष्टि से यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है ।
तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन का क्या उद्देश्य है?
तुलनात्मक शोध का मूल उद्देश्य एक विस्तृत परिपेक्ष्य में विभिन्न भाषाओं, साहित्यों, कलाओं, विज्ञानों आदि का अध्ययन मनन है जिससे कि उसका उचित अभिज्ञान या रसास्वादन हो सके तथा उन भाषाओं, साहित्यों, कलाओं, विज्ञानों आदि के बारे में एक समुचित विचारधारा का विकास हो सके।
तुलनात्मक राजनीति ‘राजनीति में सिद्धान्त निर्माण का कार्य ‘कैसे होता हैं ?
तुलनात्मक राजनीति का महत्व ‘ राजनीति में सिद्धांत निर्माण ‘ की दृष्टि से भी हैं । तुलनात्मक अध्ययन से ही किसी शास्त्र के सिद्धांतों का निर्माण व नियमों का निरूपण सम्भव होता हैं । प्राचीन काल से ही राजनीति शास्त्र में ऐसे सिद्धान्तों और सामान्य नियमों की खोज की जाती रही हैं जो सम्पूर्ण विश्व के राजनीतिक व्यवहार को विशेष रूप में समझने में सहायता करें । राजनीतिक सुद्धान्तों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता हैं – 1) आदर्शात्मक सिद्धान्त 2) आनुभाविक सिद्धान्त ।
तुलनात्मक राजनीति की उपयोगिता क्या हैं ?
व्यक्ति आरम्भ से ही अपने राजनीतिक संगठन को सुधारने और उसे कल्याणकारी बनाने के बारे में सोचता आया है । तुलनात्मक अध्ययन प्रद्धति इस संबंध में बड़ी सहायक रही हैं । दूसरे देशों की सफलतापूर्वक कार्य करने वाली संस्थाओं से अपने देश की राजनीति व्यवस्था से तुलना करके अपनी व्यवस्था की कमियों का पता लगाया जा सकता है और उन बातों का ज्ञान होता हैं जिन्हें अपनी व्यवस्था में लागू करके इसे सफल और कल्याणकारी बनाया जा सके । तुलनात्मक शासन के अध्ययन से राजनीतिक संस्थाओं में सुधार करना आसान हो जाता हैं ।
राजनीतिक व्यवहार को समझने के लिए तुलनात्मक अध्ययन क्यों जरुरी हैं ?
शासन और राजनीति के तुलनात्मक अध्ययन की उपयोगिता यह हैं कि इससे राजनीतिक व्यवहार को समझने में सहायता मिलती हैं । तुलनात्मक अध्ययन द्वारा हम राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय राजनीति एवं राजनीतिक व्यवहार को अच्छी तरह समझ सकते हैं । तुलनात्मक अध्ययन के द्वारा ही हमें यह पता चलता है कि विभिन्न समाजों के लोगों का राजनीतिक व्यवहार परस्पर ,भिन्न क्यों होता हैं ।
तुलनात्मक राजनीति के जनक किसे कहा जाता है?
तुलनात्मक राजनीति को प्राचीन उत्पत्ति माना जाता है, जो कम से कम अरस्तू तक जाती है। अरस्तू को कभी-कभी राजनीति विज्ञान के “पिता” होने का श्रेय दिया जाता है।
तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन करना आवश्यक क्यों हैं ?
यह विभिन्न देशों की शासन व्यवस्थाओं की समानताओं और असमानताओं को स्पष्ट करता है । मनुष्य का स्वभाव है कि वह यह जानना चाहता हैं कि दूसरे व्यक्तियों में कौन सी बातें उसके समान हैं । तुलनात्मक प्रद्धति व्यक्ति की इस स्वाभाविक इच्छा को पूरा करती हैं ।