Indian Democracy -7 Big Challenges - Problems - Issues -Social Factors

Indian Democracy:लोकतंत्र को प्रभावित करने वाले सामाजिक तत्व

भारत में लोकतंत्र की स्थापना हुए लगभग 71 वर्ष ( संविधान जसके द्वारा भारत में लोकतंत्र की स्थापना हुई सन 1950 में लागू हुआ था ) हो चुके हैं , परंतु व्यवहार में इसे उतनी सफलता नहीं मिली है जो इंग्लैंड ,अमेरिका तथा कुछ अन्य देशों में प्राप्त हुई है । इसका मुख्य कारण भारत की सामाजिक तथा आर्थिक परिस्थितियां हैं जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को प्रभावित किया है । ये परिस्थितियां या तत्व इस प्रकार हैं –

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Parliamentary System in India Defects Disadvantages Issues Challenges

Parliamentary System: भारतीय संसदीय प्रणाली के 12 दोष

भारत में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना की गई हैं । भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया हैं । प्रस्तावना में यह बात स्पष्ट रूप से कही गयी हैं कि सत्ता का अंतिम स्त्रोत जनता हैं और संविधान का निर्माण करने वाले तथा उसे अपने ऊपर लागू करने वाले भारत के लोग हैं । इसमें कोई शक नहीं है की भारतीय संसदीय प्रणाली की अनेकों विशेषताएं पाई जाती है परन्तु इसके कुछ दोष भी है जिसके कारण भारत में संसद प्रणाली उतनी सफल नहीं हो पाई जितनी इंग्लैंड में संसदीय प्रणाली सफल है। संसदीय प्रणाली के दोषों को आइये विस्तार से जानते है –

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Various Pressure Groups in India | 12 Dabav Samuhon Ke Name

Pressure Groups in India -12 विभिन्न दबाव -समूहों के नाम

Various Pressure Groups in India | 12 विभिन्न दबाव -समूहों के नाम -आधुनिक लोकतंत्रीय शासन -प्रणाली ने जहां राजनीतिक दलों के विकास में सहायता की है वही वहाँ उसने अनेक दबाव -समूहों को भी जन्म दिया है । आज लगभग सभी देशों में हित-समूह और दबाव -समूह पाया जाता हैं । यह संगठन प्रायः एक व्यवसाय के लोगों का एक गुट होता हैं जो अपने सदस्यों के हितों की रक्षा के लिए सरकार की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयत्न करता रहता है । आइये विभिन्न दबाव -समूहों के नाम विस्तार से जानते है –

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Political Science-Political System Approach -Need-Meaning In Hindi

Political System : राजनीतिक -व्यवस्था उपागम की आवश्यकता

राजनीतिक -व्यवस्था समाज में कानूनी व्यवस्था रखने और समाज में परिवर्तन लाने वाली व्यवस्था है . अरस्तु ने अपनी पुस्तक ” राजनीति ” में कहा है कि मनुष्य स्वभाव एवं आवश्यकता -वश एक सामाजिक प्राणी है। अपनी प्रारम्भिक और सामान्य आवश्यकताओ की पूर्ति हेतु उसे अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर रहना पड़ता है और एक -दूसरे के काम में सहयोग देना पड़ता है। राजनीतिक व्यवस्था के उपागम क्या है और इसकी जरुरत क्यों पड़ी आइये जानते है विस्तार से –

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Political System: Types | Classification |वर्गीकरण -राजनीतिक -व्यवस्था

Political System: राजनीतिक व्यवस्था के प्रकार -वर्गीकरण

Political System -राजनीतिक -व्यवस्था समाज में कानूनी व्यवस्था रखने और समाज में परिवर्तन लाने वाली व्यवस्था है . सामाजिक जीवन के लिए आवश्यक है कि मनुष्य दुसरो के साथ व्यवहार के नियमो का पालन करे ताकि सभी मनुष्य अपने अपने कार्यों को ठीक प्रकार से पूरा कर सकें। रॉबर्ट डहल के अनुसार राजनीतिक व्यवस्था मानवीय सम्बन्धों का एक ऐसा स्थिर नमूना है जिसमे पर्याप्त मात्रा में शक्ति, शासन व सत्ता सम्मिलित है।

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Latest Current Affairs डेली करेंट अफेयर्स 2022

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President of India Article 86 (1) President's Address राष्ट्रपति का अभिभाषण

President of India: Article 86 (1) President’s Address: राष्ट्रपति का अभिभाषण

President of India: Article 86 (1) President’s Address: राष्ट्रपति का अभिभाषण – India budget session 2021-27 जनवरी 2021 से बजट सत्र शुरू हो गया । राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद बजट सत्र शुरू किया जाता है। संसद सत्र शुरू होते ही यही सवाल उठता है कि भारतीय संविधान में राष्ट्रपति के अभिभाषण का प्रावधान क्या हैं ?

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राजनीतिक व्यवस्था की अवधारणा की त्रुटियां दोष - Defects of Political System

Political System: राजनीतिक व्यवस्था की त्रुटियां-दोष

राजनीतिक व्यवस्था की अवधारणा एक नवीन अवधारणा हैं । यह व्यवहारवादी क्रांति की देन है । अमेरिकी विचारकों ने ‘ राज्य ‘ के स्थान पर ‘ राजनीतिक व्यवस्था ‘ शब्द का प्रयोग करने की सलाह दी है । यह सलाह सराहनीय है , क्योंकि इस अवधारणा में राज्य के कानूनी पक्ष के स्थान पर समाज की अन्य क्रियाओं व प्रक्रियाओं के अध्ययन पर बल दिया गया है ।आधुनिक कल्याणकारी राज्य में तो इस अवधारणा का महत्वपूर्ण स्थान हैं । परन्तु इतना होते हुए भी राजनीतिक व्यवस्था में Defects of Concept of Political System अनेक त्रुटियां पाई जाती है , जिनका विवरण निम्नलिखित हैं –

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राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर -Difference between state and political system in Hindi

Political System : राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर

राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर कितना है ये जानने से पहले राज्य और राजनीतिक व्यवस्था क्या है ये जानना ज्यादा जरुरी है तभी आप इन दोनों का अंतर ठीक से समझ पाएंगे। राज्य और राजनीतिक व्यवस्था ( Political System ) में अन्तर तो बहुत पाया जाता है। राज्य को काल्पनिक और राजनीतिक व्यवस्था को सत्यता माना जाता है। राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अन्तर-

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14 Important Scope of Comparative Politics Hindi Medium

14 Important Scope of Comparative Politics Hindi

14 Important Scope of Comparative Politics Hindi Medium -तुलनात्मक राजनीति का विषय क्षेत्र बहुत विशाल है। तुलनात्मक राजनीति विभिन्न देशो की सरकार -विधानमंडलों , कार्यपालिका और न्यापालिका का तुलनात्मक अध्ययन करता है। तुलनात्मक राजनीति का विषय क्षेत्र इन संस्थाओं की रचना और उनके कार्यों पर बल देता हैं। तुलनात्मक राजनीति के विषय क्षेत्र को विस्तार से समझना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि तुलनात्मक राजनीति का क्षेत्र बहुत विशाल है। आइये जानते है तुलनात्मक राजनीति को विस्तार से –

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