President of India: Article 86 (1) President’s Address: राष्ट्रपति का अभिभाषण – India budget session 2021-27 जनवरी 2021 से बजट सत्र शुरू हो गया । राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद बजट सत्र शुरू किया जाता है। संसद सत्र शुरू होते ही यही सवाल उठता है कि भारतीय संविधान में राष्ट्रपति के अभिभाषण का प्रावधान क्या हैं ?
अनुच्छेद 86 (1) राष्ट्रपति का अभिभाषण क्या है ? सामान्य ज्ञान की दृष्टि से जानकारी रखना बहुत आवश्यक है। राजनीति विज्ञान के स्टूडेंट्स के लिए Article 86 (1) President’s Address : राष्ट्रपति अभिभाषणको जानना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि राष्ट्रपति के अधिकार और शक्ति का प्रश्न बहुत महत्पूर्ण है। सभी को इसकी पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। राष्ट्रपति को शक्तियाँ और अधिकार भारतीय संविधान के तहत मिली हुई है। Article 86 (1) President’s Address : राष्ट्रपति अभिभाषण- भारतीय संविधान के आर्टिकल 86 ( 1 )में सदन सत्र से पहले राष्ट्रपति अभिभाषण का प्रावधान हैं ।
Table of Contents विषय सूची
विषय सूची
- अभिभाषण की परंपरा 400 साल पुरानी
- भारतीय संविधान के आर्टिकल 86 ( 1 )
- अभिभाषण की परंपरा की भारत मे शुरुआत
- संसदीय प्रणाली की सरकार
- ब्रिटिश सदन का इतिहास
- भारतीय संविधान में राष्ट्रपति के अभिभाषण का प्रावधान क्या हैं ?
- संविधान द्वारा राष्ट्रपति को अधिकार
- संविधान का आर्टिकल 87 (1)
- क्या राष्ट्रपति के अभिभाषण के बिना सत्र शुरू नहीं कर सकते ?
- राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद
- धन्यवाद प्रस्ताव
- संसद का अधिकार
- राष्ट्रपति अभिभाषण पर कोई सवाल नहीं सकता
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President of India: Article 86 (1) President’s Address: राष्ट्रपति का अभिभाषण
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ संसद का India budget session 2021, 27 जनवरी 2021 से बजट सत्र शुरू हो गया । राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद इस पर चर्चा होती हैं फिर बाद में प्रधानमंत्री इसका जवाब देते हैं ।
लेकिन सवाल यह हैं कि अभिभाषण की जरूरत क्यों पड़ी ? इसका इतिहास क्या है ? राष्ट्रपति के अभिभाषण की परंपरा कैसे शुरू हुई और क्या है इसका इतिहास ? क्या इसके बिना सदन शुरू नही हो सकता। आइये जानते है इन सभी सवालों के जवाब –
अभिभाषण की परंपरा 400 साल पुरानी
अभिभाषण की परंपरा 400 साल पुरानी-राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ संसद का बजट सत्र शुरू करने की परंपरा 400 साल पुरानी हैं । यह कोई भारतीय परंपरा नही हैं बल्कि अंग्रेजों की परंपरा को अपनाया गया है ।
ब्रिटिश पार्लियामेंट के वेबसाइट के अनुसार यह परंपरा 16वीं सदी में शुरू की गयी थी । उस समय वहाँ के राजा या रानी सदन को संबोधित करते थे । लेकिन 1852 के बाद से हर साल ब्रिटेन की क्वीन ही ही संबोधित करती आ रही हैं । यही सिस्टम ब्रिटेन के द्वारा भारत मे आ गया ।
1919 में ब्रिटिश सरकार ने भारत मे भारत सरकार अधिनियम पास किया । और इसी वर्ष भारत मे राज्यसभा का गठन हुआ । उस समय राज्यसभा को ‘ कॉउन्सिल ऑफ स्टेट ‘ कहा जाता था । हालांकि लोकसभा का इतिहास 1853 से शुरू होता हैं । शुरुआत में लोकसभा को ‘लेजिस्लेटिव कॉउन्सिल ‘ कहा जाता था ।
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भारतीय संविधान के आर्टिकल 86 ( 1 )
भारतीय संविधान के आर्टिकल 86 ( 1 )-भारतीय संविधान के आर्टिकल 86 ( 1 ) में सदन सत्र से पहले राष्ट्रपति अभिभाषण का प्रावधान हैं । आजादी के बाद 1950 से सत्र शुरू होने से पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण की परंपरा चलती आ रही हैं ।
भारतीय संविधान के आर्टिकल 86 ( 1 ) के तहत आम चुनावों के बाद के पहले और साल के पहले सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति अभिभाषण के साथ शुरू होती हैं । फिर इसके बाद दोनों सदनों का कार्य शुरू होता हैं ।
अभिभाषण की परंपरा की भारत मे शुरुआत
अभिभाषण की परंपरा की भारत मे शुरुआत-जब भारत का संविधान बनाया गया तो इसमें 10 देशों से बातें ली गयी और इसी के साथ अभिभाषण की परंपरा भारत मे आ गयी ।
15 अगस्त 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद संविधान सभा का गठन किया गया । जिसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे । 26 नवबंर 1949 को संविधान सभा मे संविधान पारित हुआ जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया । हमारा संविधान 10 देशों की बातों से मिलकर बना है । इसमें 10 देशों की कुछ न कुछ बातें शामिल करके संविधान को बेहतर बनाया गया है ।
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संसदीय प्रणाली की सरकार
संसदीय प्रणाली की सरकार-भारत मे संसदीय लोकतंत्र की स्थापना की गई हैं । संसदीय शासन प्रणाली वह व्यवस्था हैं जिसमे सरकार के दो अंगों – विधानमंडल तथा कार्यपालिका में घनिष्ठ संबंध होता हैं । हमारी संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से ली गयी हैं इसलिए आज भी बहुत सी संसदीय परंपरा जो ब्रिटेन में चलती हैं , वही हमारे यहाँ भी हैं । क्योंकि ब्रिटेन में सत्र की शुरुआत से पहले उसे किंग या क्वीन संबोधित करते थे और ऐसा ही भारत में भी होने लगा । इसके लिए भारत के संविधान में व्यवस्था की गई ।
ब्रिटिश सदन का इतिहास
ब्रिटिश सदन का इतिहास-जब ब्रिटिश राजघराने को पैसों की जरूरत होती थी तो सदन की बैठक बुलाते थे । ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली में राजपरिवार का प्रमुख भारतीय संसदीय प्रणाली के राष्ट्रपति के बराबर होता हैं । ब्रिटेन में वहां का किंग या क्वीन राष्ट्र प्रमुख होता हैं ।
किंग या क्वीन के अभिभाषण को ब्रिटिश सिस्टम में ‘कॉजेस ऑफ समन’ कहा जाता था । इसमें सदन बुलाने का कारण बताया जाता था । पहले जब भी राजघराने को पैसों की जरूरत होती थी तो सदन की बैठक बुलाते थे और सदन बुलाने का कारण बताते थे । लेकिन समय के साथ साथ इसमें बदलाव आते गए । पहले केवल पैसों की जरूरत के लिए बैठक बुलाते थे परंतु धीरे-धीरे सरकार अपनी उपलब्धियों , नीतियों और योजनाओं को भी इस बैठक में बताने लगे । भारत मे भी ऐसा ही होता हैं ।
ब्रिटिश इंडिया के समय जब संवैधानिक संशोधन होने लगे तो उस पर किंग या क्वीन की जगह गवर्नर या वायसराय सदन में भाषण देते थे । यही नियम भारत के संविधान मे भी जोड़ा गया हैं ।
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भारतीय संविधान में राष्ट्रपति के अभिभाषण का प्रावधान क्या हैं ?
भारतीय संविधान में राष्ट्रपति के अभिभाषण का प्रावधान क्या हैं ?-संसद के किसी एक सदन या फिर एक साथ दोनों सदनों के सामने राष्ट्रपति के अभिभाषण का प्रावधान संविधान में किया गया हैं । इसका प्रावधान भारत सरकार अधिनियम , 1919 में किया गया था और 1921 से यह चला आ रहा हैं । राष्ट्रपति जो अभिभाषण देते हैं वह सरकार द्वारा ही तैयार की जाती हैं ।
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संविधान व्दारा राष्ट्रपति को अधिकार
संविधान के आर्टिकल 86 (1) में राष्ट्रपति को अधिकार हैं कि वे जब चाहें तब संसद के किसी एक सदन या फिर संसद के दोनों सदनों में एक साथ अभिभाषण दे सकते हैं और इसके लिए सदस्यों को बुला सकते हैं । हालांकि , यह अधिकार आज तक किसी राष्ट्रपति ने इस्तेमाल नही की हैं और न ही इस आर्टिकल का अभी तक किसी और ने इस्तेमाल किया है ।
संविधान का आर्टिकल 87 (1)
संविधान का आर्टिकल 87 (1) में यह प्रावधान हैं कि आम चुनाव के बाद पहले सत्र और हर साल के पहले सत्र में संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति अभिभाषण देंगे ।
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सवाल यह हैं कि क्या राष्ट्रपति के अभिभाषण के बिना सत्र शुरू नहीं कर सकते ?
सवाल यह हैं कि क्या राष्ट्रपति के अभिभाषण के बिना सत्र शुरू नहीं कर सकते ?-इस सवाल का जवाब हां हैं क्योंकि राष्ट्रपति का अभिभाषण एक संवैधानिक जरूरत है और उनके अभिभाषण के बिना सदन का सत्र शुरू नहीं हो सकता । संसद के दोनों सदनों में सालभर में केवल तीन सत्र होते है ।
पहला -बजट सत्र , दूसरा-मानसून सत्र और तीसरा – शीतकालीन सत्र ।
साल के शुरुआत में सबसे पहले बजट सत्र होता हैं । इसलिए राष्ट्रपति इसी सत्र में दोनों सदनों को संबोधित करते हैं । जब 1950 में संविधान लागू हुआ तो राष्ट्रपति को हर सत्र को संबोधित करना होता था फिर बाद में इसमें संसोधन किया गया ।
संवैधानिक संसोधन के बाद राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद के पहले सत्र और साल के पहले सत्र को ही संबोधित करने लगे ।
लोकसभा चुनावों के बाद हर सांसद की शपथ के बाद और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही राष्ट्रपति का अभिभाषण होता हैं । जब तक राष्ट्रपति दोनों सदनों में अभिभाषण नहीं दे देते तब तक कोई अन्य कार्य नही किया जा सकता । हर साल के पहले सत्र के पहले दिन ही राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण देते हैं ।
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राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद-राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद इस पर चर्चा होती हैं । इस चर्चा के लिए समय संसद के दोनों सदन के अध्यक्ष तय करते हैं । लोकसभा के नियम 16 और राज्यसभा के नियम 14 के अनुसार ,अध्यक्ष सदन नेता या प्रधानमंत्री से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का समय तय करेगा ।
धन्यवाद प्रस्ताव
धन्यवाद प्रस्ताव Dhanyawad Prastav in Hindi -लोकसभा के नियम 16 के बाद लोकसभा के नियम 17 के तहत सदन का कोई सदस्य धन्यवाद प्रस्ताव पेश करता है जिसका अनुमोदन कोई दूसरा सदस्य करता है । इसके बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होती हैं । सांसद धन्यवाद प्रस्ताव में संशोधन की मांग भी कर सकते हैं । ये संसोधन उन विषयों के बारे में दिए जाते हैं जिनका जिक्र राष्ट्रपति के अभिभाषण में किया गया हो । इसमें ऐसे विषयों पर भी दे सकते है जिसका जिक्र राष्ट्रपति अभिभाषण में किया जाना चाहिए था ।
लोकसभा के नियम 20 (1) और राज्यसभा के नियम 18 के तहत धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देने का अधिकार सरकार के पास होता हैं । प्रधानमंत्री खुद या फिर सरकार की तरफ से कोई मंत्री चर्चा के बाद जवाब दे सकते है ।प्रधानमंत्री या फिर अन्य मंत्री के द्वारा जवाब देने के बाद सदन के अन्य सदस्य को उत्तर देने का अधिकार नहीं होता हैं ।
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संसद का अधिकार
संसद का अधिकार-संसद को यह अधिकार है कि वह जाने की सरकार में क्या हो रहा है और सरकार क्या कर रही हैं और क्या होने वाला है । राष्ट्रपति भी संसद का ही एक हिस्सा है इसलिए राष्ट्रपति संसद को संबोधित करते हैं और उसे सरकार की नीतियों और कामकाज के बारे में बताते हैं ।
राष्ट्रपति द्वारा दिया जाने वाला अभिभाषण सरकार ही तैयार करती हैं । इसमें सरकार के पूरे साल के कामकाज का ब्यौरा होता हैं ।
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राष्ट्रपति अभिभाषण पर कोई सवाल नहीं सकता
राष्ट्रपति अभिभाषण पर कोई सवाल नहीं सकता-संसद के सदस्य राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कभी सवाल नहीं कर सकते । संसद के दोनों सदनों को ये अधिकार नहीं है कि वे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सवाल उठा सके । परंतु धन्यवाद प्रस्ताव के चर्चा के दौरान सदस्य बहस कर सकते हैं ।
हमने इस लेख Article 86 (1) President’s Address में पूरी कोशिश की कि आपको राष्ट्रपति अभिभाषण , Article 86 (1) , धन्यवाद प्रस्ताव के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने की। उम्मीद है इस लेख से आपके ज्ञान को बढ़ाने में पूरी सहायता मिलेगी। ऐसे ही रोचक और अच्छी जानकारियां रोजाना प्राप्त करने के लिए ज्ञान फॉरएवर पर बने रहें।