Marxism Criticism in Hindi , Marxwad ki Alochana , Marxwad ke vipaksh me tark , मार्क्सवाद के विपक्ष में तर्क , मार्क्सवाद की आलोचना -

Marxism Criticism in Hindi | मार्क्सवाद की आलोचना | मार्क्सवाद के विपक्ष में 14 तर्क

मार्क्सवाद राजनीति विज्ञान

Marxism Criticism in Hindi , Marxwad ki Alochana , Marxwad ke vipaksh me tark , मार्क्सवाद के विपक्ष में तर्क , मार्क्सवाद की आलोचना – मार्क्स ने राज्य को वर्ग संघर्ष की उत्पत्ति एवं अभिव्यक्ति बताया है। जब तक सामाज में दो वर्ग रहेंगे तब तक राज्य रहेगा। मार्क्स की इस विचारधारा को मार्क्सवाद का नाम दिया गया है।

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मार्क्सवाद के पक्ष में तर्क देने वाले मार्क्सवाद की विचारधारा का समर्थन करते हैं। मार्क्सवादी विचारधारा को मानते हैं कि उसी के कारण धर्म का राजनीति से पृथक्करण हुआ है। सामाजिक अर्थव्यवस्था के कटु शक्तियों का प्रकाशन हुआ है।

अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत को एक वास्तविकता के रूप में मार्क्सवाद ने प्रस्तुत किया है। लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के विकास में मार्क्सवादी विचारधारा बहुत ही सहायक है।

Table of Contents विषय सूची

मार्क्सवाद की आलोचना ( Marxism Criticism in Hindi )

Marxism Criticism in Hindi -इसमें संदेह नहीं है कि कार्ल मार्क्स और उसके समर्थकों ने साम्यवादी व्यवस्था को एक आदर्शवादी व्यवस्था माना है। इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि यह एक वैज्ञानिक विचारधारा है जिसका आधार तर्क है।

कोई भी ऐसा राज्य नहीं है जहां साम्यवादी विचारधारा के समर्थक ना हो परंतु फिर भी इस सिद्धांत की राजनीति शास्त्रियों, दार्शनिकों और राजनितिज्ञों ने निम्नलिखित आधारों पर आलोचना की है-

इतिहास की भौतिक व्याख्या एकांगी हैं ( Materialistic Interpretation of History is One Sided )

Marxism Criticism in Hindi-कार्ल मार्क्स द्वारा वर्णित इतिहास की भौतिक व्याख्या का सिद्धांत Giddings और Hobbhouse जैसे समाजशास्त्रियों को मान्य नहीं है। उनका कहना है कि इतिहास के निर्माण में किसी एक तत्व ने काम नहीं किया है बल्कि राजनीतिक ,आर्थिक ,सामाजिक ,धार्मिक, भौगोलिक, मनोवैज्ञानिक आदि अनेक तत्वों ने काम किया है।

इसके अतिरिक्त यह तत्व स्वयं भी अन्य तत्वों के अतिरिक्त एक दूसरे से प्रभावित है इसलिए साम्यवादियों के अनुसार इतिहास की आर्थिक व्याख्या अनेक तत्वों के आधार पर की जा सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आर्थिक तत्व बहुत महत्वपूर्ण है किंतु प्रभाव डालने वाला या कोई अकेला तत्व नहीं है।

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मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण ठीक नहीं ( Psychological Attitude is not Proper )

Marxism Criticism in Hindi- मार्क्स का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण भी ठीक नहीं है। मनुष्य केवल धन प्राप्ति की इच्छा से ही सब कार्य नहीं करता। मनुष्य के क्रिया प्रेरक तत्व बहुत से है ,जैसे काम की इच्छा, सत्ता प्राप्ति की इच्छा, सहानुभूति ,आत्म रक्षा इत्यादि । रसैल का कहना है कि सत्ता प्राप्ति की इच्छा मनुष्य की इच्छाओं में सबसे प्रबल है ।

वर्ग संघर्ष का सिद्धांत गलत हैं ( Theory of Class Struggle is Wrong )

Marxism Criticism in Hindi – मार्क्स का कहना है की संपूर्ण इतिहास वर्ग संघर्ष से भरा है और ठीक से दिखाई नहीं देता। उसने वर्गीय भावनाओं को उन भावनाओं से जो राष्ट्र समाज और धर्म के प्रति है प्रबलशाली समझा है जबकि तथ्य यह है कि यह भावनाएं वर्ग की भावना से अधिक मजबूत है। प्रथम और दूसरे महायुद्ध में लोगों ने वर्ग के भावनाओं को त्याग कर राष्ट्रीय भावना पर बड़े से बड़े बलिदान किए हैं।

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अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत पक्षपातपूर्ण ( The Theory of Surplus Value is Partial )

Marxism Criticism in Hindi – मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत पक्षपातपूर्ण और अन्याय पूर्ण है। जहां तक श्रमिक को शोषण से बचाने और उसे अधिक वेतन देने का सवाल है यह बिल्कुल ठीक बात है परंतु उद्योग आदि के लाभ में पूंजीपति का कोई अधिकार नहीं है यह बात गलत है क्योंकि पूंजीपति ने अपने प्रयत्नों तथा अपनी मेहनत से पूंजी को बढ़ाया है।

वह उसे उद्योग में लगता है और साथ-साथ में उसका प्रबंध भी करता है इसलिए उसके अधिकार से पूरी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता।

राज्य को समाप्त नहीं किया जा सकता ( State Can not be Ended )

Marxism Criticism in Hindi-राज्य रहित समाज की स्थापना बिल्कुल असंभव है। सरकार का स्वरूप बदला जा सकता है या उसकी शक्तियां कम की जा सकती है परंतु शासन को पूरी तरह से समाप्त करना असंभव है ।

इसलिए Rocco लिखते हैं यदि कभी साम्यवाद आया तो समाज के पास उत्पत्ति के स्रोत होंगे और वह उनका प्रबंधन चलाएगा ,वह शक्ति का कार्यों के आधार पर विकेंद्रीकरण कर सकता है ,शक्ति का प्रयोग कम कर सकता है ,परंतु समाज को संगठन के रूप में राज्य अवश्य रखना पड़ेगा हम इसे कुछ भी नाम दे सकते हैं।

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राज्य अन्यायपूर्ण शक्ति का प्रयोग नहीं करता ( State does not use Force for justice )

Marxism Criticism in Hindi-यह कहना भी गलत है कि राज्य केवल शक्ति पर आधारित है और वह शक्ति केवल अन्याय के लिए प्रयोग में लाई जाती है। राज्य शक्ति पर नहीं बल्कि लोगों की इच्छा पर आधारित होता है। इसके अलावा आधुनिक राज्य समाजिक भलाई का राज्य है उसका ध्येय हमेशा सभी लोगों की भलाई करना है।

मजदूरी समाप्त करना असंभव ( It is Not Possible to Abolish Wages )

Marxism Criticism in Hindi-जैसा की साम्यवादी कहते हैं कि सभी लोग समाज के लिए कमाएंगे और समाज से उनकी आवश्यकताएं पूरी की जाएगी ऐसा संभव नहीं है। इससे उत्तरदायित्व की भावना और कठोर काम करने की आदत कम हो जाएगी। लोग उतना काम नहीं करेंगे जितना कि वह मजदूरी प्राप्त करने तथा व्यक्तिगत संपत्ति बनाने के लिए करते हैं।

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स्वतंत्रता तथा समानता नहीं रहती ( There is no Liberty and Equality )

Marxism Criticism in Hindi-साम्यवादी राज्य में व्यक्तियों की स्वतंत्रता पर खुला आक्षेप किया गया है। वे कोई भी ऐसा विचार लिखकर या बोलकर प्रकट नहीं कर सकते जो साम्यवादी विचारधारा के विरुद्ध हो। इसी प्रकार समानता भी नहीं रहती क्योंकि ऐसे राज्य में साम्यवादी दल के सदस्यों को विशेष अधिकार दिए जाते हैं। दूसरे नागरिकों के मुकाबले में उनकी स्थिति बहुत अच्छी होती है।

गांधीवाद के विरुद्ध ( Against Gandhism )

Marxism Criticism in Hindi-साधन और साध्य के दृष्टिकोण से साम्यवाद पूर्णतः गांधीवाद के विरुद्ध है। साम्यवादी साधन और साध्य का कोई संबंध नहीं मानते हैं। वे प्रत्येक उस कार्य को करने के लिए तैयार है जिससे उनके ध्येय की प्राप्ति होती है। दूसरी ओर गांधी जी इन दोनों में गहरा संबंध मानते थे और कहते थे कि जैसे साधन जुटाए जाएंगे वैसे ही लक्ष्यों की प्राप्ति होगी।

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अप्रजातांत्रिक ( Undemocratic )

Marxism Criticism in Hindi-साम्यवाद पूर्णतः अप्रजातांत्रिक है क्योंकि इसमें सरकार कुछ लोगों की इच्छा के अनुसार चलती है जनसाधारण की इच्छा के अनुसार नहीं। साम्यवादी राज्य में ना कोई विरोधी दल संगठित किया जा सकता है और ना ही निर्वाचन में कोई और असाम्यवादी खड़ा हो सकता है।

नैतिक चरित्र का कोई महत्व नहीं ( It Gives no Importance to Moral Character )

Marxism Criticism in Hindi-मार्क्सवाद व्यक्ति की नैतिक शक्ति का कोई महत्व नहीं देता परंतु नैतिक सिद्धांतों में मौलिकता और स्थायित्व होता है और उनके आगे आर्थिक आवश्यकताओं का भी कोई महत्व नहीं होता।

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राज्य की समाप्ति केवल कल्पना ( State Shall wither Away is an Imagination )

Marxism Criticism in Hindi-मार्क्स का यह कहना है कि राज्य भी अन्य समुदायों की तरह एक अस्थाई संस्था है तथा यह तभी तक अस्तित्व में है जब तक समाज में भिन्न-भिन्न वर्ग उपस्थित है, गलत है। रूस में वर्गहीन समाज होने पर भी राज्य उपस्थित है जिसके समाप्त होने की कोई संभावना दृष्टिगत नहीं होती।

मार्क्स द्वारा की गई भविष्यवाणीयां गलत सिद्ध हुई ( Forecasts made by Marx Proved Incorrect )

Marxism Criticism in Hindi-मार्क्स ने भविष्यवाणी की थी कि औद्योगिक रूप से विकसित राज्यों इंग्लैंड जर्मनी आदि में क्रांति पहले होगी और कृषि प्रधान देश में बाद में परंतु रूस में क्रांति पहले हुई और औद्योगिक रूप से विकसित देशों में क्रांति अभी तक नहीं हुई है।

इसके अतिरिक्त मार्क्स किया भविष्यवाणी की सभी साम्यवादी देश एक ही विचारधारा का अनुसरण करेंगे गलत सिद्ध हुई है। चीन और रूस एक दूसरे के जितने विरोधी है उतने अन्य कोई राज्य नहीं है।

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मार्क्सवाद में मौलिकता का अभाव ( Marxism lacks both in Originally and Clear Concept of Suture Society )

Marxism Criticism in Hindi-मार्क्सवाद में केवल मौलिकता की ही कमी नहीं अपितु इसमें भावी समाज का चित्र भी स्पष्ट नहीं है। मार्क्स ने द्वंद्ववादी सिद्धांत हीगल से लिया। अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत में रिकॉर्डो के विचारों का स्पष्ट प्रतिबिंब मिलता है। मार्क्सवाद की आलोचना इसलिए भी की गई कि इसके अंतर्गत भावी समाज के विषय में व्यापक रूप से कुछ भी नहीं मिलता है।

FAQs Marxism

कार्ल मार्क्स द्वारा वर्णित इतिहास की भौतिक व्याख्या क्यों मान्य नहीं है ?

Marxism Criticism in Hindi-कार्ल मार्क्स द्वारा वर्णित इतिहास की भौतिक व्याख्या का सिद्धांत Giddings और Hobbhouse जैसे समाजशास्त्रियों को मान्य नहीं है। उनका कहना है कि इतिहास के निर्माण में किसी एक तत्व ने काम नहीं किया है बल्कि राजनीतिक ,आर्थिक ,सामाजिक ,धार्मिक, भौगोलिक, मनोवैज्ञानिक आदि अनेक तत्वों ने काम किया है।

मार्क्स के मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण की आलोचना क्यों की जाती हैं ?

Marxism Criticism in Hindi-मार्क्स का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण भी ठीक नहीं है। मनुष्य केवल धन प्राप्ति की इच्छा से ही सब कार्य नहीं करता। मनुष्य के क्रिया प्रेरक तत्व बहुत से है ,जैसे काम की इच्छा, सत्ता प्राप्ति की इच्छा, सहानुभूति ,आत्म रक्षा इत्यादि । रसैल का कहना है कि सत्ता प्राप्ति की इच्छा मनुष्य की इच्छाओं में सबसे प्रबल है ।

मार्क्स के वर्ग संघर्ष के सिद्धांत की आलोचना क्यों की जाती हैं ?

Marxism Criticism in Hindi-मार्क्स का कहना है की संपूर्ण इतिहास वर्ग संघर्ष से भरा है और ठीक से दिखाई नहीं देता। उसने वर्गीय भावनाओं को उन भावनाओं से जो राष्ट्र समाज और धर्म के प्रति है प्रबलशाली समझा है जबकि तथ्य यह है कि यह भावनाएं वर्ग की भावना से अधिक मजबूत है। प्रथम और दूसरे महायुद्ध में लोगों ने वर्ग के भावनाओं को त्याग कर राष्ट्रीय भावना पर बड़े से बड़े बलिदान किए हैं।

अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत की आलोचना क्यों की जाती हैं ?

Marxism Criticism in Hindi-मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत पक्षपातपूर्ण और अन्याय पूर्ण है। जहां तक श्रमिक को शोषण से बचाने और उसे अधिक वेतन देने का सवाल है यह बिल्कुल ठीक बात है परंतु उद्योग आदि के लाभ में पूंजीपति का कोई अधिकार नहीं है यह बात गलत है क्योंकि पूंजीपति ने अपने प्रयत्नों तथा अपनी मेहनत से पूंजी को बढ़ाया है।

मार्क्सवाद की तीन आलोचना बताओं।

Marxism Criticism in Hindi – 1 ) इतिहास की भौतिक व्याख्या एकांगी हैं 2 ) मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण ठीक नहीं 3 ) अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत पक्षपातपूर्ण।

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