इसरो क्या है ? इसरो की पूरी जानकारी, फुल फॉर्म, केंद्र कहां हैं, अध्यक्ष, मुख्यालय, इतिहास ISRO Ki Puri Jankari in hindi Full Form, Scientist, Satellite List, Exam, Missions, Mars, Application, Achievements, Rocket, Indian Space Research Organization.
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इसरो क्या है (What is ISRO)
ISRO जिसका संक्षिप्त रूप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (isro) – भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन हैं। इसरो भारत की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी हैं जो कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष संसाधनों की देख रेख का कार्य करती हैं। इसरो ने अपनी नयी नयी खोज के साथ भारत का नाम देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी नाम रोशन किया हैं।
ISRO का मुख्यालय बंगलौर, कर्नाटक में है जिसका पूरा विभाग भारतीय सरकार के निर्देश से कार्य करती है और अपने कार्यों की रिपोर्ट सीधे प्रधानमंत्री को पहुँचाती है।
ISRO का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को विकसित करना और संचालित करना है, जिसमें अंतरिक्ष अनुसंधान, उपग्रह निर्माण, उपग्रह चलाना, और अंतरिक्ष से संबंधित अन्य गतिविधियां शामिल हैं।
ISRO की स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी, और संगठन का पहला उपग्रह, Aryabhata, 19 अप्रैल 1975 को अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था। इसके बाद, ISRO ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को मानविक प्रगति के साथ बढ़ाया है और कई महत्वपूर्ण मिशन्स का सफल आयोजन किया है।
ISRO का एक अद्वितीय पहलू यह है कि वह अपने अंतरिक्ष मिशन्स को बड़े ही सामर्थ्य तथा लोकप्रिय तरीके से प्रस्तुत करता है। उनमें से कुछ मिशन्स, जैसे कि मंगलयान (Mars Orbiter Mission) और चंद्रयान (Chandrayaan) ने विश्व भर के लोगों की आकर्षण और प्रशंसा जीती हैं।
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इसरो की स्थापना कब हुई ? ( When was ISRO established? )
ISRO, जिसका पूरा नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है, भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है। इसकी स्थापना 15 अगस्त, 1969 को हुई थी। इसरो ने भारत को प्रॉउड फील करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। इसरो की स्थापना करने वाले व्यक्ति जिनको इसरो का पिता कहा जाता हैं उनका नाम हैं – विक्रम अंबालाल साराभाई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की नींव रखने वाले पहले व्यक्ति साराभाई ही थे।
आज लगभग 17000 वैज्ञानिक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में कार्य कर रहे हैं और हैरानी की बात ये है कि इसरो के सभी वैज्ञानिक अपने अपने परिवार से दूर रहते हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने अपना पूरा जीवन अनुसंधान को सौंप दिया है और पूरी लगन से कार्य कर रहे हैं जिनकी बदौलत भारत का नाम विश्व भर में बढ़ता जा रहा हैं।
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इसरो का इतिहास (ISRO History in Hindi )
अंतरिक्ष अनुसंधान द्वारा बहुत सारे अंतरिक्ष कार्यक्रम किये गए हैं जिसकी शुरआत 1972 हुई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान द्वारा सबसे अधिक सैटेलाइट छोड़े जाने का रिकॉर्ड इतिहास के पन्नो में दर्ज हैं। इसरो आज जिस मुकाम पर है उसके पीछे बहुत गहरा इतिहास छुपा हैं। इसरो की सफलता का श्रेय के हक़दार वे सभी वैज्ञानिक है जिनकी वजह से आज इसरो का नाम पुरे विश्व भर में हो रहा हैं। वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत और समर्पित होकर इसरो का नाम ऊपर उठाया हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना 15 अगस्त, 1969 को हुई थी। हालांकि, ISRO की शुरुआत 1920 के दशक में ही हो गई थी, जब वैज्ञानिक एस.के. मित्रा ने कोलकाता शहर में भूमि आधारित रेडियो प्रणाली को लागू करने के लिए और आयन मंडल की ध्वनि के लिए कई सारे प्रयोग किए थे।
मित्रा एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कोलकाता में एक रेडियो प्रयोगशाला की स्थापना की और आयन मंडल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। उन्होंने यह भी दिखाया कि भूमि आधारित रेडियो तरंगों का उपयोग आयन मंडल को मापने के लिए किया जा सकता है।
मित्रा के बाद, देश के कुछ और जाने-माने वैज्ञानिक भी वैज्ञानिक सिद्धांतों के निर्माण के लिए आगे आए। इनमें से सीवी रमन और मेघनाद सहाय मुख्य थे। रमन ने रमन प्रभाव की खोज की, जिसके लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। सहाय ने पॉलीमर विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
1945 बाद से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विकास तेजी से होने लगा। इस दशक में दो बड़े वैज्ञानिक होमी भाभा और विक्रम साराभाई जिन्होंने अपनी समझ और सूझबूझ से अंतरिक्ष अनुसंधानों का निर्माण किया जिसमें सबसे पहले उन्होंने कॉस्मिक किरणों का अध्ययन किया।
बाद में उन्होंने वायु परीक्षण, कोलार खानो में गहरे भूमिगत प्रयोग और ऊपरी वायुमंडल का संपूर्ण अध्ययन करके एक मुख्य अध्ययन अनुसंधान प्रयोगशाला और कुछ विद्यालयों एवं स्वतंत्र स्थानों का निर्माण किया। उन दोनों में कुछ ऐसी लगन थी जिन्होंने कई सारी खोज व निर्माण को अंजाम दिया।
1950 में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की, जिसका प्रयोग पूरे भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए धन अर्जित करने के लिए किया गया, कुछ परीक्षण ऐसे थे जो निरंतर वैज्ञानिकों द्वारा जारी रखे गए, जिसमें मौसम विभाग, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के पहलुओं पर परीक्षण आदि था।
भारतीय जनता को अंतरिक्ष से जुड़ी किसी भी बात पर विश्वास दिलाना इतना आसान नहीं था, इसलिए जब 1957 में सोवियत यूनियन ने स्पूतनिक 1 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया, तो बाकी पूरी दुनिया में अंतरिक्ष से जुड़ी सभी बातों पर यकीन किया जाने लगा और अंतरिक्ष से जुड़ी सभी बातों को अहमियत भी दी जाने लगी।
1962 में भारत सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अनुसंधान समिति बनायें जाने का फैसला लिया गया, तत्पश्चात इसरो के जनक विक्रम साराभाई के साथ मिलकर भारतीय राष्ट्रीय अनुसंधान समिति ने ऊपरी वायुमंडल के अध्ययन के लिए एक रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन बनाया जिसकी स्थापना तिरुवंतपुरम के थुम्बा में की गई।
सन 1969 में अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को तत्कालीन रूप से ISRO का नाम दे दिया गया। भारत देश की जनता और सरकार को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका और महत्व समझाते हुए ISRO के विकास में विक्रम साराभाई का अपना महत्वपूर्ण योगदान रहा और अधिक विकास के लिए उन्होंने आवश्यक दिशा-निर्देशों के साथ इसरो को 1 महत्वपूर्ण स्थान दिया।
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इसरो की प्रमुख उपलब्धियां ( Major achievements of ISRO )
ISRO ने अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इनमें शामिल हैं:
- 1975 में, ISRO ने एपल-ए नामक उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा, जो भारत का पहला उपग्रह था।
- 1980 में, ISRO ने रिसेट-1 नामक उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा, जो भारत का पहला उपग्रह था जिसने पृथ्वी की तस्वीरें लीं।
- 2008 में, ISRO ने चंद्रयान-1 नामक अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर भेजा, जो भारत का पहला अंतरिक्ष यान था जिसने चंद्रमा की सतह का पता लगाया।
- 2013 में, ISRO ने मंगलयान नामक अंतरिक्ष यान मंगल पर भेजा, जो भारत का पहला अंतरिक्ष यान था जिसने मंगल की कक्षा में प्रवेश किया।
- 2018 में, ISRO ने गगनयान नामक अंतरिक्ष यान का सफल परीक्षण किया, जो भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष यान होगा।
- 2023 में, ISRO ने गगनयान मिशन ( चंद्रयान 3 )को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन था।
ISRO की इन उपलब्धियों ने भारत को अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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इसरो के कार्य ( ISRO’s work )
इसरो का उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है. इसरो के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
- उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों का विकास और प्रक्षेपण करना.
- अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अनुसंधान करना.
- अंतरिक्ष के उपयोग के लिए अनुप्रयोग विकसित करना.
- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लिए क्षमता निर्माण करना.
- अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास में अंतरराष्ट्रीय सहयोग करना.
ISRO ने भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित किया है. इसरो ने कई सफल अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम दिया है, जिनमें उपग्रह प्रक्षेपण, अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण, अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना, और चंद्रमा पर लैंडिंग शामिल है. इसरो के मिशनों ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण प्रगति करने में मदद की है. इसरो के मिशनों ने भारत के आर्थिक विकास और विकास को भी बढ़ावा दिया है।
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इसरो के प्रमुख केंद्र ( ISRO’s major centers )
भारत में ISRO के छह प्रमुख केंद्र हैं –
- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), तिरुवनंतपुरम
- इसरो उपग्रह केंद्र (आईएसएससी), बेंगलूर
- सतीशधवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी-शार), श्रीहरिकोटा
- द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी), तिरुवनंतपुरम, बेंगलूर और महेंद्रगिरी
- अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), अहमदाबाद
- अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र (एसएससी), तिरुवनंतपुरम
इसरो के प्रमुख कार्यक्रम और मिशन ( Major Programs and Missions of ISRO )
इसरो कई तरह के कार्यक्रम और मिशन चलाता है, जिनमें शामिल हैं:
- उपग्रह कार्यक्रम: इसरो ने विभिन्न प्रकार के उपग्रहों का निर्माण और प्रक्षेपण किया है, जिनमें उपग्रह संचार, उपग्रह मौसम विज्ञान, उपग्रह नेविगेशन और उपग्रह प्रौद्योगिकी विकास शामिल हैं।
- अंतरिक्ष यान कार्यक्रम: इसरो ने चंद्रमा, मंगल और सौर मंडल के अन्य पिंडों के लिए कई अंतरिक्ष यान भेजे हैं।
- अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम: इसरो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कई शोध और विकास कार्य कर रहा है।
- अंतरिक्ष अनुप्रयोग कार्यक्रम: इसरो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग कृषि, दूरसंचार, मौसम विज्ञान और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए कर रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष उद्योग ( Indian space industry )
ISRO के प्रयासों से भारतीय अंतरिक्ष उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। कई भारतीय कंपनियां अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उत्पादों का निर्माण और आपूर्ति करने में लगी हुई हैं। इसरो भारतीय अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रहा है।
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इसरो के योगदान ( ISRO’s contribution )
ISRO ने अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। इनमें शामिल हैं –
- भारत को अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करना
- अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में शोध और विकास को बढ़ावा देना
- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करके लोगों के जीवन को बेहतर बनाना
- भारतीय अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देना
ISRO के योगदान भारत और दुनिया को बेहतर बनाने में मदद कर रहे हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के भविष्य के लिए संभावनाएं ( Prospects for the future of Indian space research )
भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसरो के पास कई महत्वाकांक्षी लक्ष्य हैं, जिनमें शामिल हैं-
- मानवयुक्त अंतरिक्ष यान गगनयान का संचालन
- चंद्रमा और मंगल पर मानव मिशन
- अंतरिक्ष में अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण
- अंतरिक्ष पर्यटन और अंतरिक्ष व्यापार को बढ़ावा देना
ISRO के इन लक्ष्यों को हासिल करने से भारत अंतरिक्ष शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा।
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इसरो द्वारा लांच की गई सैटेलाइट्स की सूची (ISRO Satellite List)
आज के समय तक इसरो की कामयाबी के बारे में गिनती की जाए तो एक अनुमानित आंकड़ा कहता है कि आज की स्थिति में ISRO द्वारा लगभग 106 सैटेलाइट अंतरिक्ष की ओर लांच किए जा चुके हैं। ISRO ने केवल भारत के लिए ही यान लांच नहीं किए हैं बल्कि इनमें से अधिकतर यान विदेशों के लिए लांच किए गए हैं , साल 2019 में ही अब तक इसरो द्वारा चार अंतरिक्ष यान लांच किए जा चुके हैं जिनके नाम हैं –
क्र.म. | सैटेलाइट का नाम | लांच का साल | विशेषतायें |
1. | आर्यभट्ट | 19 अप्रैल, 1975 | पहली भारतीय सैटेलाइट |
2. | भास्करा – 1 | 7 जून, 1979 | पहली एक्सपेरीमेंटल रिमोट सेंसिंग अर्थ ऑब्सरवेशन सैटेलाइट |
3. | रोहिणी आरएस – 1 | 18 जुलाई, 1980 | स्वदेशी लांच व्हीकल एसएलवी द्वारा पहली भारतीय सैटेलाइट सफलतापूर्वक लांच की गई. |
4. | एरीयन पैसेंजर पेलोड एक्सपेरीमेंट (एप्पल) | 19 जून, 1981 | पहला भारतीय 3 – एक्सिस स्टाबिलाइज्ड एक्सपेरीमेंटल जियोस्टेशनरी कम्युनिकेशन सैटेलाइट |
5. | भास्करा – 2 | 20 नवम्बर, 1981 | ऑर्बिट से अर्थ ऑब्जरवेशन के लिए पहला भारतीय सैटेलाइट |
6. | इनसैट – 1ए (भारतीय नेशनल सैटेलाइट) | 10 अप्रैल, 1982 | पहला ऑपरेशनल मल्टीपर्पस संचार एवं मौसम विज्ञान सैटेलाइट |
7. | आईआरएस – 1ए (भारतीय रिमोट सेंसिंग – 1ए) | 17 मार्च, 1988 | पहला रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट |
8. | इनसैट – 2ए (भारतीय नेशनल सैटेलाइट) | 10 जुलाई 1992 | पहला भारतीय मल्टीपर्पस सैटेलाइट |
9. | ओसियनसैट – 1 (आईआरएस – पी4) | 26 मई, 1999 | पहला भारतीय सैटेलाइट जो विशेष रूप से ओसियन एप्लीकेशन्स के लिए बनाया गया था. |
10. | कल्पना – 1 (मेटसैट) | 12 सितम्बर, 2002 | पहला भारतीय डेडिकेटेड मीटरोलॉजी सैटेलाइट |
11. | जीसैट – 3 (ग्रामसैट – 3) (इदुसैट) | 20 सितम्बर, 2004 | पहला भारतीय सैटेलाइट जो विशेष रूप से एजुकेशनल सेक्टर की सेवा के लिए बनाया गया था. |
12. | आईएमएस – 1 (तीसरा विश्व सैटेलाइट – टीडब्ल्यूसैट) | 28 अप्रैल, 2008 | पहला भारतीय सैटेलाइट जिसमें इसरो के भारतीय मिनी सैटेलाइट का उपयोग किया गया था. |
13. | आईआरएनएसएस – 1ए (भारतीय रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) | 1 जुलाई, 2013 | आईआरएनएसएस सीरीज में पहला नेविगेशनल सैटेलाइट |
14. | मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) स्पेसक्राफ्ट | 5 नवंबर, 2013 | भारत का पहला मंगल ऑर्बिटर, जिसे मंगलयान भी कहा जाता है. |
15. | एस्ट्रोसैट | 28 सितम्बर, 2015 | मल्टी – वेवलेंथ स्पेस ऑब्जर्वेटरी के साथ पहला भारतीय सैटेलाइट |
16. | जीसैट – 15 (ग्रामसैट – 15) | 11 नवंबर, 2015 | कम्युनिकेशन के लिए उपयोग होने वाली भारतीय सैटेलाइट |
17. | स्वयं – 1 | 22 जून, 2016 | पहला भारतीय सैटेलाइट जोकि पैसिव एटीट्यूड कण्ट्रोल को प्रदर्शित करने के लिए लांच किया गया था. |
18. | माइक्रोसैट – टीडी (माइक्रोसैटेलाइट) | 10 जनवरी, 2018 | यह स्पेस में भारत का 100 वां सैटेलाइट था, जोकि अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट था. |
19. | जीसैट – 31 | 6 फरवरी, 2019 | यह एक हाई थ्रूआउट टेलीकम्यूनिकेशन सैटेलाइट था. |
20. | ईएमआईसैट | 1 अप्रैल, 2019 | यह सैटेलाइट इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम मेज़रमेंट के लिए था, जोकि एक भारतीय रिकोनाइसंस सैटेलाइट है. |
21. | चंद्रयान – 2 | 22 जुलाई, 2019 | यह चंद्रयान – 1 के बाद भारत का दूसरा लूनर एक्सप्लोरेशन मिशन था. |
22. | चंद्रयान – 3 | 14 जुलाई, 2023 | 23 अगस्त को चांद के साउथ पोल में सॉफ्ट लैंडिंग हुई, इससे भारत पहला देश बन गया है जिसने चांद पर दक्षिणी ध्रुव ( साउथ पोल ) में सॉफ्ट लैंडिंग कराई है |
इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन की लांच
ISRO द्वारा 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 लांच किया गया और इसके लगभग 45 दिन बाद 23 अगस्त को सफलतापूर्वक इसके विक्रम लैंडर की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग हुई। इससे भारत पहला देश बन गया है जिसने चांद पर दक्षिणी ध्रुव ( साउथ पोल ) में सॉफ्ट लैंडिंग कराई है ,और चौथा ऐसा देश बन गया है जोकि चांद पर पहुँच गया है। ISRO की मेहनत ने आज विश्व भर में भारत का नाम ऊँचा हो रहा है।
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FAQs ISRO
इसरो क्या है ?
ISRO – भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन हैं।
इसरो की स्थापना कब हुई ?
इसरो, जिसका पूरा नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है, भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है। इसकी स्थापना 15 अगस्त, 1969 को हुई थी।
इसरो का मुख्यालय कहाँ हैं ?
इसरो का मुख्यालय बंगलौर, कर्नाटक में है जिसका पूरा विभाग भारतीय सरकार के निर्देश से कार्य करती है और अपने कार्यों की रिपोर्ट सीधे प्रधानमंत्री को पहुँचाती है।
इसरो का इतिहास क्या हैं ?
इसरो का इतिहास 1920 से अब तक का रहा है। 1945 बाद से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विकास तेजी से होने लगा। 1950 में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की गयी। 1962 में भारत सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अनुसंधान समिति बनायें जाने का फैसला लिया गया। 1969 में अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को तत्कालीन रूप से ISRO का नाम दे दिया गया।
इसरो की प्रमुख उपलब्धियां क्या हैं ?
1.2013 में, इसरो ने मंगलयान नामक अंतरिक्ष यान मंगल पर भेजा, जो भारत का पहला अंतरिक्ष यान था जिसने मंगल की कक्षा में प्रवेश किया।
2.2018 में, इसरो ने गगनयान नामक अंतरिक्ष यान का सफल परीक्षण किया, जो भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष यान होगा।
3.2023 में, इसरो ने गगनयान मिशन ( चंद्रयान 3 )को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन था।
इसरो के मुख्य कार्य क्या हैं ?
इसरो का उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है. इसरो के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों का विकास और प्रक्षेपण करना.
अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अनुसंधान करना.
अंतरिक्ष के उपयोग के लिए अनुप्रयोग विकसित करना.
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लिए क्षमता निर्माण करना.
इसरो के प्रमुख केंद्र कौन से हैं ?
भारत में इसरो के छह प्रमुख केंद्र हैं –
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), तिरुवनंतपुरम
इसरो उपग्रह केंद्र (आईएसएससी), बेंगलूर
सतीशधवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी-शार), श्रीहरिकोटा
द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी), तिरुवनंतपुरम, बेंगलूर और महेंद्रगिरी
अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), अहमदाबाद
अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र (एसएससी), तिरुवनंतपुरम
इसरो का योगदान क्या हैं ?
इसरो ने अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। इनमें शामिल हैं –
भारत को अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करना
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में शोध और विकास को बढ़ावा देना
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करके लोगों के जीवन को बेहतर बनाना
भारतीय अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देना
इसरो की भविष्य के लिए संभावनाएं बताएं।
भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसरो के पास कई महत्वाकांक्षी लक्ष्य हैं, जिनमें शामिल हैं-
मानवयुक्त अंतरिक्ष यान गगनयान का संचालन
चंद्रमा और मंगल पर मानव मिशन
अंतरिक्ष में अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण
अंतरिक्ष पर्यटन और अंतरिक्ष व्यापार को बढ़ावा देना
इसरो का अब तक के सबसे सफल मिशन कौन सा है?
रोहिणीआरएस-1, मिशन मंगल एवं चंद्रयान-3
इसरो ने अब तक कितने रैकेट लांच किये हैं?
लगभग 22 से 23
इसरो का पूरा नाम क्या है?
इंडियन साइंटिस्ट रिसर्च आर्गेनाइजेशन ( Indian Scientific Research Organization )
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