Contemporary Liberalism Meaning , Fundamental Principles in Hindi समकालीन उदारवाद के मूल सिद्धांत- हैरोल्ड लास्की , मैकाईवर, जी डी एच , कोल आदि समकालीन उदारवाद के प्रमुख समर्थक हैं। 18वीं शताब्दी के अंत एवं 19वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में आर्थिक क्षेत्र में स्वतंत्र व्यापार एवं खुली प्रतियोगिता की भयानक दुष्परिणाम निकले। श्रमिकों का अत्यधिक शोषण बढ़ गया और आर्थिक परिस्थितियां भी डगमगा गई।
श्रमिक वर्ग ने इन भयंकर परिणामों से तथा पूंजीपतियों के अत्याचारों से बचने के लिए राज्य के आर्थिक क्षेत्र को नियंत्रित करने की मांग को उजागर किया।
समकालीन उदारवादियों का विचार है कि राज्य एक आवश्यक बुराई नहीं है बल्कि राज्य को एक कल्याणकारी संस्था मानते हैं। समकालीन उदारवाद के मुख्य समर्थक बैंथम, मैकाईवर , बार्कर , टी एच ग्रीन आदि हैं ।
समकालीन उदारवाद के मूल सिद्धांत ( Liberalism Fundamental Principles in Hindi )
समकालीन उदारवाद इस विचार का समर्थन करते हैं कि मानवीय जीवन को उच्च कोटि का बनाने के लिए प्रत्येक प्रकार के कल्याणकारी कार्य राज्य के द्वारा किए जाने अनिवार्य है। अतः स्पष्ट है कि समकालीन उदारवाद कल्याणकारी राज्य की विचारधारा का समर्थन करता है समकालीन उदारवाद के मूल सिद्धांत निम्नलिखित हैं –
मानवीय विवेक में विश्वास ( Faith in Human Reason and Rationality )
मनुष्य की बुद्धि और विवेक में विश्वास उदारवाद का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है। 17वीं और 18वीं शताब्दी में उदार वादियों ने इस बात पर विशेष बल दिया कि मनुष्य को किसी भी ऐसे सिद्धांत कानून अथवा परंपरा को स्वीकार नहीं करना चाहिए जो उसकी बुद्धि की कसौटी पर ठीक नहीं उतरती हो। इस प्रकार उदारवाद इस बात में विश्वास करता है कि भावना पर विवेक को प्रधानता दी जानी चाहिए।
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मानव स्वतंत्रता का समर्थक ( Supports Individual Freedom )
उदारवादी विचारधारा के अनुसार मनुष्य जन्म से ही स्वतंत्र होता है। स्वतंत्रता उसका प्राकृतिक एवं जन्म सिद्ध अधिकार है। स्वतंत्रता का अर्थ है मनुष्य को अपने विवेक के अनुसार आचरण करने का अवसर मिलना। यह तभी संभव है जब मनुष्य के जीवन पर किसी स्वेच्छाचारी सत्ता का नियंत्रण नहीं हो। इस प्रकार उदारवाद मानव की राजनीतिक, आर्थिक ,सामाजिक ,बौद्धिक व धार्मिक आदि सभी क्षेत्रों में स्वतंत्रता की अवधारणा का पोषण करता है।
इतिहास तथा परम्परा का विरोध ( Opposition to History and Tradition )
मध्य युग में संस्थाओं या सिद्धांतों को अंधविश्वासों और परंपराओं के आधार पर अपनाया जाता था। रूढ़ियों धार्मिक संस्थाओं और राजतंत्र को पवित्र माना जाता था। उदारवाद इतिहास और परंपरा के खिलाफ एक विद्रोह था। क्योंकि इसका विश्वास माननीय विवेक में था इसलिए उसने उन्हें विचारों सिद्धांतों या संस्थाओं की दलील दी जो बुद्धि संगत हो। इंग्लैंड अमेरिका और फ्रांस में रूढ़ियों और परंपराओं के विरुद्ध क्रांति हुई।
व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकारों का समर्थन ( Supporter of the Natural Rights of Man )
उदारवाद व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकारों की अवधारणा पर आधारित है जिसके अनुसार मनुष्य जन्म से ही अपने साथ कुछ अधिकार लाता है। अधिकार उसके जीवन के अस्तित्व के लिए तथा उसके विकास के लिए नितांत आवश्यक होती है। अतः हम इन अधिकारों की अनुपस्थिति में व्यक्ति की कल्पना नहीं कर सकते।
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अंतरराष्ट्रीयता तथा विश्व शांति में विश्वास ( Faith in Internationalism and World Peace )
उदारवाद समर्थक ‘जियो और जीने दो ‘ के सिद्धांत में विश्वास रखते हैं। उनके अनुसार छोटे-बड़े ,गरीब-अमीर ,विकसित तथा विकासशील सभी देशों को अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने तथा अपनी प्रगति करने का अधिकार है। अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन सभी देशों के द्वारा किया जाना चाहिए ताकि विश्व शांति स्थापित रह सके।
संवैधानिक सरकार की अवधारणा में विश्वास ( Faith in Concept of Constitutional Government )
उदारवाद निरंकुश स्वेच्छाचारी शासन का विरोध करता है और संवैधानिक अर्थ सीमित सरकार का समर्थक है। उदारवादियों का विश्वास है कि सरकार की असीमित और निरंकुश शक्ति व्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधक है और संवैधानिक सरकार होने से स्वतंत्रता की रक्षा कर सकती है।
समानता में विश्वास ( Belief in Equality )
उदारवादी स्वतंत्रता के साथ-साथ समानता पर भी बल देते हैं। परंपरागत उदारवादियों ने भले ही स्वतंत्रता पर बल न दिया हो परंतु नए उदारवाद ने समानता के सिद्धांत को काफी महत्व दिया है। उनका विश्वास है कि स्वतंत्रता तथा समानता परस्पर विरोधी ना होकर एक दूसरे के पूरक है।
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धर्म-निरपेक्षता में विश्वास ( Belief in Secularism )
मध्य युग में राज्य व धर्म एक दूसरे के साथ जुड़े हुए थे जिसके परिणाम स्वरूप धर्म के नाम पर जनता पर बहुत अत्याचार किए गए। उदारवादियों ने राज्य के धार्मिक रूप का कड़ा विरोध किया। उनके अनुसार धर्म व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है और राज्य को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। इस प्रकार उदारवादी राज्य की धर्मनिरपेक्षता के समर्थक है।
राज्य एक कृतिम संस्था है ( State is an Artificial Institution )
उदारवादी राज्य की उत्पत्ति के लिए ना तो देवी सिद्धांत में विश्वास करते हैं, ना शक्ति या वर्ग संघर्ष का परिणाम मानते हैं और ना ही उसकी सावयव एकता को स्वीकार करते हैं। उनकी दृष्टि में राज्य व समाज पूर्णता मानव द्वारा बनाए गए हैं। मनुष्य ने राज्य व समाज को अपने कल्याण के लिए बनाया है।
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लोकतांत्रिक पद्धति का समर्थन ( Support to Democracy )
लोकतांत्रिक पद्धति की सरकार उदारवाद का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है। उदारवाद का जन्म ही स्वेच्छाचारिता के विरुद्ध प्रतिक्रिया के रूप में हुआ । यह जनतंत्र के मूल आधार लोकप्रिय संप्रभुता की धारणा में विश्वास करता है।
उदारवादियों के अनुसार सभी मनुष्य स्वतंत्र पैदा होती है इसलिए उन पर शासन उनकी सहमति के बिना नहीं हो सकता। वह इस बात पर भी बल देती है कि व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा तभी हो सकती है जब शासन की शक्ति स्वयं जनता की हाथों में हो।
व्यक्ति एक साध्य हैं और राज्य साधन ( Individual is an end ,State is a Mean )
लॉक , बैंथम ,जेम्स मिल आदि अनेक उदारवादी राज्य को एक कृतिम संस्था मानते हैं जिसका निर्माण व्यक्ति के लिए किया गया है। अतः राज्य एक साधन है और व्यक्ति साध्य है। इसी आधार पर उदारवादी लेखक राज्य का उद्देश्य अधिकतम व्यक्तियों को अधिकतम सुख पहुंचाना मानती है। आज के कल्याणकारी राज्य की धारणा भी इसी दर्शन पर आधारित है।
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FAQ Checklist
आधुनिक उदारवाद या समकालीन उदारवाद से क्या तात्पर्य है ?
समकालीन उदारवादियों का विचार है कि राज्य एक आवश्यक बुराई नहीं है बल्कि राज्य को एक कल्याणकारी संस्था मानते हैं। समकालीन उदारवाद के मुख्य समर्थक बैंथम, मैकाईवर , बार्कर , टी एच ग्रीन आदि हैं ।
समकालीन उदारवाद की मुख्य विशेषताएं कौन सी है ?
समकालीन उदारवाद की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं –
1) पूंजीवादी व्यवस्था का समर्थन
2 ) हिंसा का विरोध
3 ) मानवीय स्वतंत्रता
4 ) अधिकार प्राकृतिक नहीं हैं
5 ) मानवतावाद में विश्वास
उदारवाद के आधारभूत सिद्धांतों का वर्णन करें ।
उदारवाद के आधारभूत सिद्धांत निम्नलिखित है –
1 ) मानवीय विवेक में विश्वास
2 ) राज एक साधन है
3 ) स्वतंत्रता में विश्वास
4 ) प्राकृतिक अधिकारों में विश्वास
5 ) लोकतंत्रीय व्यवस्था में विश्वास
आरंभिक उदारवाद और नवीन उदारवाद में मुख्य अंतर बताएं ।
आरंभिक उदारवादी राज्य को केवल पुलिसमैन के कार्य सौंपने के पक्ष में थे परंतु नवीन उदारवादी इससे आगे बढ़कर राज्य द्वारा ऐसे कार्य किए जाने के पक्ष में हैं जिनसे लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठ सके और बेरोजगारी से छुटकारा मिल सके।
समकालीन उदार वादियों के अनुसार राज्य के कौन-कौन से कार्य हैं ?
समकालीन उदारवादियों के अनुसार राज्य के निम्नलिखित कार्य हैं – राज्य को कानून और व्यवस्था बनाए रखनी चाहिए। नागरिकों के संतुलित विकास के लिए शिक्षा का प्रसार करना चाहिए। राज्य का यह कर्तव्य है कि यह देखें कि उसके नागरिकों को न्याय मिल रहा है कि नहीं। राज्य का विकास व उन्नति स्वच्छ नागरिकों पर निर्भर करता है।
उदारवाद के सिद्धांत और कल्याणकारी राज्य की विचारधारा में क्या संबंध है ?
नवीन उदारवाद तथा कल्याणकारी राज्य की विचारधारा में बहुत घनिष्ठ संबंध है। कल्याणकारी राज्य के विचार ने नवीन उदारवाद को बहुत प्रभावित किया है। कल्याणकारी राज्य की अवधारणा ने शिक्षा के प्रसार ,श्रमिकों के काम के घंटे तथा काम की शर्तों को नियमित करने, बच्चों को कारखानों में नौकर रखने पर प्रतिबंध लगाने पर जोर दिया है । इसमें आर्थिक स्वतंत्रता पर भी जोर दिया गया है ताकि व्यक्ति अपनी सामाजिक व राजनीतिक स्वतंत्रता का व्यावहारिक लाभ उठा सके।
समकालीन उदारवाद को सकारात्मक उदारवाद क्यों कहा जाता है ?
समकालीन उदारवाद का जन्म परंपरागत उदारवाद की प्रक्रिया के रूप में हुआ । इसके मुख्य समर्थक मिल,ग्रीन तथा लास्की हैं । उदारवाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बजाय सार्वजनिक हित को अधिक महत्व देता है और राज्य को सकारात्मक भूमिका का प्रतीक मानता है। वह राज्य को अधिकारों की बजाय कार्य प्रदान करने के पक्ष में है ताकि जनकल्याण स्थापित हो सके।आशिकी
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