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महात्मा गांधी जी के राजनीतिक विचारों को अनेक संज्ञाएं जैसे की गांधीवादी राजनीतिक दर्शन ,गांधीवादी राजनीतिक विचारधारा तथा गांधीवाद दी गई है। इससे यह प्रतीत होता है कि उन्होंने भी अन्य राजनीतिक चिंतकों की तरह सुसम्बद्ध सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं।
गांधी जी की विचारधारा तथा राजनीतिक कार्यक्रम पर तत्कालीन परिस्थितियों के अलावा अनेक धर्म तथा महान व्यक्तियों का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। गांधी जी के विचारधारा राजनीति के इसी पक्ष पर बल देती है कि मूल्यविहीन राजनीति ,राजनीति नहीं है वह फांसी का फंदा है।
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गांधी जी के राजनीतिक विचारों के विभिन्न आधार | गांधी जी के राजनीतिक दर्शन के मुख्य सिद्धांत ( Various Basis, Principal of Political Ideas of Gandhi )
Political Ideas of Gandhi -गांधी जी जीवन के कलाकार थे । उनका जीवन स्वयं काव्य था। राजनीतिक विचारधारा ( Political Ideas of Gandhi ) के क्षेत्र में यद्यपि उन्होंने किसी वाद को जन्म नहीं दिया क्योंकि वह अपने पीछे किसी वाद को छोड़कर जाने में विश्वास नहीं करते थे तथापि उनका कुछ मौलिक सिद्धांतों में विश्वास था जो उनके जीवन दर्शन के आधार थे। यह सिद्धान्त निम्नलिखित है-
समन्वयवाद में विश्वास ( Belief in Synthesis )
Political Ideas of Gandhi- गांधी जी मानव जीवन की एकता में विश्वास करते थे। उनके अनुसार मानव का जीवन एक पूर्ण इकाई है। इसको अलग-अलग भागों में नहीं बांटा जा सकता। जीवन के धार्मिक ,आर्थिक ,राजनीतिक ,सामाजिक ,वैयक्तिक सभी पहलू एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं और एक ही जीवन के विभिन्न पहलू है।
वे एक दूसरे पर क्रिया और प्रतिक्रिया करते हैं। वास्तव में किसी भी समस्या को केवल आर्थिक ,नैतिक, राजनीतिक ,सामाजिक अथवा वैयक्तिक नहीं कहा जा सकता। वे सब निकट रूप से संबंधित है।
जीवन को समझने के लिए इसके सभी पहलुओं की ओर ध्यान देना होगा। क्योंकि जीवन एक इकाई है। अतः इसका पथ प्रदर्शन करने वाले नियम और मूल्य भी ठीक रूप से एकीकृत तथा समन्वित होने चाहिए। उनकी शिक्षाओं और सुधारो में एकीकरण और तालमेल था।
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ईश्वर में विश्वास ( Belief in God )
Political Ideas of Gandhi-गांधी जी के विचारधारा का मौलिक सिद्धांत ईश्वर में विश्वास है। उन्होंने लिखा है सत्य ईश्वर है। मेरे लिए ईश्वर सत्य है और प्यार है ,ईश्वर नैतिकता और सदाचार है। ईश्वर प्रकाश एवं जीवन का स्रोत है। वह इन सबसे और दूर है। उनके ईश्वर का कोई रूप और नाम नहीं था।
उन्होंने कहा कि ईश्वर की उपस्थिति को विवेक द्वारा सिद्ध नहीं किया जा सकता यद्यपि वह विवेकहीन नहीं है। उसकी अनुभूति की जा सकती है। उन्होंने लिखा कोई ऐसी गुप्त शक्ति है जिसकी परिभाषा नहीं की जा सकती और जो प्रत्येक वस्तु में मौजूद है।
सत्य में आस्था ( Belief in Truth )
Political Ideas of Gandhi-गांधी जी ने सदा सत्य का प्रयोग किया। उनके लिए सत्य से परे कोई धर्म नहीं था। अपने जीवन में उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला। सत्य के बारे में वह लिखते हैं -कहा जाता है कि सत्य अखबार में नहीं चलता, राज कार्यों में नहीं चलता तो फिर वह चलता कहां है ?
अगर सत्य जीवन के सभी क्षेत्रों और सभी व्यवहारों में नहीं चल सकता तो वह कौड़ी की कीमत की चीज नहीं है। जीवन में उसका उपयोग ही क्या रहा ? मैं तो जीवन के हर एक व्यवहार में उसकी उपयोग का नित्य नए दर्शन पाता हूं। उन्होंने सत्य को ईश्वर और ईश्वर को सत्य कहा है।
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अहिंसा में विश्वास ( Faith in Non-Voilence )
Political Ideas of Gandhi-गांधी जी सत्य और अहिंसा को एक ही सिक्के के दो पहलू मानते थे। वे अहिंसा के पुजारी थे। उनके सारे आंदोलन अहिंसात्मक थे। उनके लिए अहिंसा से बढ़कर कोई कर्तव्य नहीं था। इस विषय पर वे लिखते हैं मैंने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अहिंसा का प्रयोग किया है।
अहिंसा का प्रचार मेरे जीवन का उद्देश्य है। मैं सत्य और अहिंसा को संगठित रूप देना ही अपने जीवन का परम धर्म मानता हूं। मेरी अहिंसा एक वैज्ञानिक प्रयोग है। वैज्ञानिक प्रयोग में निष्फलता जैसी वस्तु के लिए स्थान नहीं है।
मैं अवश्य ही मरूंगा तब भी मेरी जुबान पर अहिंसा ही होगी। मेरी अहिंसा सारे जगत के प्रति प्रेम मांगती है। मुझ में जो कुछ शक्ति है वह अहिंसा की ही शक्ति है। अहिंसा मेरे लिए जिंदगी का सौदा है। इसके बिना मेरी जिंदगी नहीं चल सकती।
मानव प्रकृति में विश्वास ( Faith in Human Nature )
Political Ideas of Gandhi-गांधी जी का मानव प्रकृति में दृढ़ विश्वास था। वे मनुष्य की आंतरिक श्रेष्ठता में विश्वास रखते थे। उनके अनुसार मनुष्य एक आध्यात्मिक इकाई है। उसमें आत्माचेतन और नैतिकता की भावना है।
प्रत्येक मनुष्य में आध्यात्मिक विकास की संभावना मौजूद है। गांधी जी मनुष्य के हृदय को जीतना चाहते थे। मनुष्य के हृदय में मौजूद आध्यात्मिक तत्व पर बल देते थे। उनका विचार था कि शत्रु के हृदय को भी जीता जा सकता है।
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कर्म में विश्वास ( Faith in Action )
Political Ideas of Gandhi-गांधी जी एक कर्मयोगी व्यक्ति थे। गीता उनके जीवन की मार्गदर्शन थी। वह एक दार्शनिक अथवा बौद्धिक विचारक नहीं थे। वे मात्र सैद्धांतिक नहीं थे। वे प्रमुख रूप से कर्मशील व्यक्ति थे। जो कुछ उन्होंने लिखा है वह ज्ञान की वृद्धि के उद्देश्य से नहीं अपितु कर्म के लिए मार्गदर्शन के रूप में लिखा है। उनके लेख वास्तविक समस्याओं को सुलझाने के बारे में लिखे गए हैं।
गांधी जी का उद्देश्य किसी सिद्धांत का प्रतिपादन करना नहीं था। उनके लेखों में अन्य लेखकों और विचारको का हवाला बहुत कम मिलता है। वे एक कर्तव्यनिष्ठ ऋषि थे। उन्होंने लिखा है कर्म के अटल सिद्धांतों को मैं मानता हूं ,मैं बहुत सी वस्तुओं के लिए प्रयत्न करता हूं।
विकेन्द्रीयकरण ( Decentralization )
Political Ideas of Gandhi-गांधी जी एक व्यवहारिक आदर्शवादी थे। उन्होंने राजनीति एवं आर्थिक सत्ता के विकेंद्रीकरण का समर्थन किया है। वे वर्तमान राज्य के विरोधी थे क्योंकि उसका आधार हिंसा एवं बाल है। हिंसा तथा बल प्रयोग पर टिका होने के कारण वर्तमान राज्य अन्याय एवं शोषण का यंत्र बन गया हैं ।
Political Ideas of Gandhi- गांधी जी को टॉलस्टॉय की भांति दार्शनिक अराजकतावादी कहा जा सकता है। गांधी जी का विचार था की शक्ति का केन्द्रीयकरण स्वतंत्रता और प्रजातंत्र के लिए घातक हैं । अतः वे इसका विकेन्द्रीयकरण करना चाहते थे।
ग्राम पंचायत उनके भावी राजनीतिक संगठन का आधार होती थी। उनके आदर्श राम राज्य था जिसमें प्रत्येक व्यक्ति स्वयं अपना शासक हो। गांधी की आर्थिक समानता ,व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा अंतरराष्ट्रीय बंधुता के समर्थक थे।
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साध्य और साधन ( Ends and Means )
Political Ideas of Gandhi-गांधी जी ने इस बात पर भी बोल दिया है कि साध्य और साधन दोनों ही पवित्र होने चाहिए। अच्छे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बुरे उपाय का अवलंबन उन्हें कभी स्वीकार नहीं हुआ। वे सदैव इसी बात पर बल देते रहे कि गलत साधन हमें ठीक साध्य की ओर नहीं ले जा सकता।
अनैतिक साधन प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला को जन्म देते हैं जो अंततः हमारी दृष्टि को अवरुद्ध कर देती है। वह कहते थे साधनों को बीज ,साध्य को वृक्ष की संज्ञा दी जा सकती है। जिस प्रकार का संबंध बीज और पेड़ में रहता है वैसा ही संबंध साधन और साध्य में है।
सत्याग्रह ( Satyagrah )
Political Ideas of Gandhi-सत्याग्रह गांधी जी के जीवन में प्रमुख अस्त्र रहा है। इसका सर्वप्रथम सफल प्रयोग उन्होंने दक्षिणी अफ्रीका में भारतीयों के विरुद्ध अंग्रेजों की रंगभेद नीति के विरुद्ध किया था। भारत आकर उन्होंने इसी को स्वतंत्रता की लड़ाई का मुख्य अस्त्र बनाया।
गांधी जी इसे प्रेम शक्ति या आत्मा शक्ति भी कहते थे। सत्याग्रह आत्मपीड़न अथवा प्रेम द्वारा सत्य की रक्षा है। सत्याग्रही प्रेम द्वारा बुराई का प्रतिरोध करता है। वह अपने विरोधी को नहीं अपितु स्वयं को पीड़ा देता है। वह उसके हृदय को अपने बलिदान से जीता है। सत्याग्रह वीर का अस्त्र है।
सत्याग्रह असहयोग ,सविनय अवज्ञा, हजरत ,उपवास ,हड़ताल के माध्यम से किया जा सकता है ।
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विश्व शांति के समर्थक ( Supporter of World Peace )
Political Ideas of Gandhi-अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में गांधी जी विश्व शांति के प्रबल समर्थक थे। अन्याय और शोषण का प्रत्येक स्थान पर विरोध होना चाहिए। प्रत्येक राष्ट्र को स्वतंत्र रहने का अधिकार है। उन्होंने भारत को स्वतंत्र करने में अपना सारा जीवन लगा दिया। को
उनका कहना था इंसान सिर्फ मौत से बचने के लिए ही नहीं जीता । अगर जिंदगी वही तक जीने लायक होती जहां तक मौत को दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त माना जाता है।
संक्षेप में गांधी जी के विचारों पर रस्किन, थोरो, टॉलस्टॉय तथा भारतीय धर्म ग्रंथो का प्रभाव पड़ा है। उनकी राजनीतिक गतिविधि उनके सामाजिक कार्यों का ही विस्तृत रूप है। उनका कहना था कि जीवन के सामान्य कार्यों द्वारा ही धर्म और आध्यात्मिक अभिव्यक्ति होती रहती है।
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FAQs Various Basis, Principal of Political Ideas of Gandhiji
गांधी जी का समन्वयवाद में विश्वास क्यों था ?
गाँधी जी के राजनीतिक विचारों ( Political Ideas of Gandhi ) में गांधी जी मानव जीवन की एकता में विश्वास करते थे। उनके अनुसार मानव का जीवन एक पूर्ण इकाई है। इसको अलग-अलग भागों में नहीं बांटा जा सकता। जीवन के धार्मिक ,आर्थिक ,राजनीतिक ,सामाजिक ,वैयक्तिक सभी पहलू एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं और एक ही जीवन के विभिन्न पहलू है।
गांधी जी का ईश्वर के बारे में क्या विचार हैं ?
गाँधी जी के राजनीतिक विचारों ( Political Ideas of Gandhi ) में गांधी जी को मौलिक सिद्धांत ईश्वर में विश्वास है। उन्होंने लिखा है सत्य ईश्वर है। मेरे लिए ईश्वर सत्य है और प्यार है ,ईश्वर नैतिकता और सदाचार है। ईश्वर प्रकाश एवं जीवन का स्रोत है। वह इन सबसे और दूर है। उनके ईश्वर का कोई रूप और नाम नहीं था।
गांधी जी के सत्य और अहिंसा के बारे में क्या विचार हैं ?
गाँधी जी के राजनीतिक विचारों ( Political Ideas of Gandhi ) -गांधी जी सत्य और अहिंसा को एक ही सिक्के के दो पहलू मानते थे। वे अहिंसा के पुजारी थे। उनके सारे आंदोलन अहिंसात्मक थे। उनके लिए अहिंसा से बढ़कर कोई कर्तव्य नहीं था। इस विषय पर वे लिखते हैं मैंने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अहिंसा का प्रयोग किया है।
गांधी जी का मानव प्रकृति में विश्वास क्यों था ?
गाँधी जी के राजनीतिक विचारों ( Political Ideas of Gandhi ) -गांधी जी का मानव प्रकृति में दृढ़ विश्वास था। वे मनुष्य की आंतरिक श्रेष्ठता में विश्वास रखते थे। उनके अनुसार मनुष्य एक आध्यात्मिक इकाई है। उसमें आत्माचेतन और नैतिकता की भावना है।
गांधी जी के राजनीतिक दर्शन के मुख्य सिद्धांत क्या हैं ?
1 ) गांधी जी मानव जीवन की एकता में विश्वास करते थे।
2 ) गांधी जी के विचारधारा का मौलिक सिद्धांत ईश्वर में विश्वास है।
3 ) गांधी जी सत्य और अहिंसा को एक ही सिक्के के दो पहलू मानते थे।
गांधी जी के राजनीतिक विचारों के विभिन्न आधार कौन से हैं ?
गाँधी जी के राजनीतिक विचारों ( Political Ideas of Gandhi ) –
1. समन्वयवाद में विश्वास ( Belief in Synthesis )
2. ईश्वर में विश्वास ( Belief in God )
3. अहिंसा में विश्वास ( Faith in Non-Voilence )
4. मानव प्रकृति में विश्वास ( Faith in Human Nature )
5. कर्म में विश्वास ( Faith in Action )
विकेंद्रीकरण क्या हैं ?
गांधी जी एक व्यवहारिक आदर्शवादी थे। उन्होंने राजनीति एवं आर्थिक सत्ता के विकेंद्रीकरण का समर्थन किया है। वे वर्तमान राज्य के विरोधी थे क्योंकि उसका आधार हिंसा एवं बाल है। हिंसा तथा बल प्रयोग पर टिका होने के कारण वर्तमान राज्य अन्याय एवं शोषण का यंत्र बन गया हैं ।
सत्याग्रह का प्रयोग सबसे पहले गाँधी जी ने कब किया था ?
सत्याग्रह गांधी जी के जीवन में प्रमुख अस्त्र रहा है। इसका सर्वप्रथम सफल प्रयोग उन्होंने दक्षिणी अफ्रीका में भारतीयों के विरुद्ध अंग्रेजों की रंगभेद नीति के विरुद्ध किया था। भारत आकर उन्होंने इसी को स्वतंत्रता की लड़ाई का मुख्य अस्त्र बनाया।
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