Political Culture राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा राजनीतिक समाजशास्त्र की अभूतपूर्व देन है। इसने राजनीति शास्त्र को एक नई दिशा प्रदान की है। राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा को महत्वपूर्ण आधार प्रदान करने का श्रेय अमेरिका के लेखकों को जाता है जिनमें उल्लम, बीयर तथा आलमंड का नाम उल्लेखनीय है।
इन लेखकों ने इस अवधारणा को इतना लोकप्रिय बना दिया है कि राजनीतिक व्यवस्थाओं के अध्ययन के लिए इसका प्रयोग किया जाने लगा तथा इस पद्धति के आधार पर यह निश्चित किया गया कि राजनीतिक व्यवस्थाएं ना केवल संरचना या बनावट के आधार पर एक दूसरे से भिन्न होती है बल्कि राजनीतिक संस्कृति के आधार पर भिन्न होती है।
किसी भी देश की संस्कृति में वहां के लोगों के व्यवहार ,उनकी मान्यताओं, विश्वासों, घृणा ,स्वामी भक्ति ,साहित्य, परंपराओं ,कला और कौशल को सम्मिलित किया जाता है। प्रत्येक समाज में कुछ अंश सांस्कृतिक सामंजस्य अथवा सांस्कृतिक तनाव के पाए जाते हैं।
Table of Contents विषय सूची
राजनीतिक संस्कृति की विशेषताएं ( Political Culture Characteristics,Features in Hindi )
राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा मनोविज्ञान और समाजशास्त्र को मिलाने का एक प्रयास है, जिससे राजनीतिक गतिविधियों की गहराई से छानबीन करके उसकी वास्तविकताओं का पता लगाया जा सके। राजनीतिक संस्कृति की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
एक व्यापक धारणा ( A Comprehensive Concept )
राजनीतिक संस्कृति के बारे में सभी आधुनिक राजनीति शास्त्रियों का कहना है कि वह एक व्यापक धारणा है जो किसी देश में रहने वाले मानव समूह की उसकी अपनी राजनीतिक व्यवस्था के प्रति अपनाई गई अभिवृत्तियों , विश्वासों , मूल्यों और मनोभाव आदि से बनती है।
जिस तरह किसी देश का साहित्य ,संगीत, उसकी परम्पराएं और आस्थाएँ तथा कला एवं कौशल की लगातार चलने वाली धारा उस देश की संस्कृति बन जाती है , उसी तरह एक देश के राजनीतिक चरित्र और आदतें, राजनीतिक सूझबूझ और व्यवहार, राजनीतिक संस्थाएं और उनकी कार्य-प्रद्धति की मिली-जुली धारा उस देश एवं समाज की राजनीतिक संस्कृति कहलाती है।
सामान्य संस्कृति का भाग ( Part of General Culture )
किसी भी देश की राजनीतिक व्यवस्था से संबंधित राजनीतिक संस्कृति आधारभूत रूप में उस समाज की सामान्य संस्कृति का ही एक अंग या भाग होती है क्योंकि वह उस समाज की अभिवृत्तियों, विश्वासों, मूल्यों और मनोभावनाओं आदि से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई होती है। अतः उसे उस समाज की सामान्य संस्कृति का ही एक भाग माना जाता है।
अमूर्त नैतिक अवधारणा ( Abstract Moral Concept )
राजनीतिक संस्कृति को केवल अनुभव किया जा सकता है या उसे समझा जा सकता है, लेकिन उसे देखा नहीं जा सकता। इसलिए उसे एक अमूर्त नैतिक अवधारणा कहकर पुकारा गया है।
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गतिशीलता ( Dynamism )
राजनीतिक संस्कृति ऐतिहासिक विरासत और भौगोलिक परिस्थितियों पर आधारित होती है, फिर भी वह स्थिर ना होकर सदैव गतिशील रहती है। इसका कारण यह है कि राजनीतिक संस्कृति सामाजिक और आर्थिक परिवेश या तत्वों से बराबर प्रभावित होती है।
विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं की राजनीतिक संस्कृतियों में भिन्नता ( Divergence Between the Political Culture of Different Political System )
विद्वानों का यह भी कहना है कि अधिनायकवादी, सैनिक तंत्र, कम्युनिस्ट व्यवस्था , लोकतांत्रिक प्रणाली और विकसित, विकासशील और अविकसित देशों की राजनीतिक संस्कृति में भी इसलिए भिन्नता पाई जाती है क्योंकि उनकी राजनीतिक व्यवस्थाएं अलग-अलग है।
उदाहरण के लिए लोकतांत्रिक और कम्युनिस्ट , सैनिक तंत्र या अधिनायकवादी राजनीतिक व्यवस्थाओं में आधारभूत भिन्नता के कारण हैं उनकी राजनीतिक संस्कृतियां भी अलग-अलग होती है।
इसी तरह भारत और ब्रिटेन की राजनीतिक व्यवस्था या संसदीय शासन प्रणालियों में ऊपरी समानता होने के बावजूद उनमें आधारभूत भिन्नता इस अर्थ में मौजूद है कि ब्रिटेन एक विकसित देश है जबकि भारत एक विकासशील देश है। इसी कारण दोनों देशों की राजनीतिक संस्कृतियां भी अलग-अलग है।
परंपराओं की भूमिका ( Role of Traditions )
राजनीतिक संस्कृतियां अपने देश की ऐतिहासिक एवं राजनीतिक परंपराओं , जीवन मूल्यों , आदर्शों और प्रथाओं आदि से बहुत अधिक प्रभावित रहती हैं और इस कारण से राजनीतिक व्यवस्था के विकसित और अविकसित स्वरूप की वजह से कोई बड़ा अंतर नहीं आता।
राजनीतिक संस्कृति सार्वभौमिक अवधारणा है ( Political Culture is a Universal Concept )
राजनीतिक संस्कृति की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है -उसका सार्वभौमिक होना । इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक देश की अपनी राजनीतिक संस्कृति होती है। जैसा कि उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट हो गया है कि राजनीतिक संस्कृति वहां के लोगों के मूल्यों , विश्वासों व भावनाओं का संग्रह है। प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था की अलग से राजनीतिक संस्कृति होती है, चाहे लोग अशिक्षित हैं या फिर राजनीतिक रूप से सजग नहीं है। यही कारण है कि राजनीतिक संस्कृति सार्वभौमिक है।
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राजनीतिक संस्कृति की उप संस्कृति होती है ( Political Culture has its own Sub-Culture)
प्रत्येक राजनीतिक संस्कृति की अपनी उप-संस्कृति होती है। यहां तक कि विकसित राजनीतिक संस्कृति में भी उप-संस्कृतियां पाई जाती है। उदाहरणतया प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में दो वर्ग -शासक व शासित वर्ग होते हैं। शासक वर्ग को अभिजन वर्ग ( Elite ) कहा जाता है। अभिजन वर्ग की संस्कृति शासित वर्ग से भिन्न होती है क्योंकि शासक वर्ग के लोग शासित वर्ग से भिन्न होते हैं।
राजनीतिक संस्कृति और राजनीतिक विकास की घनिष्ठता ( Close Relationship between Political Culture and Political Development )
राजनीतिक संस्कृति और राजनीतिक विकास एक दूसरे को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं और वह एक दूसरे से अभिन्न रूप से बहुत गहरे जुड़े हुए हैं।
राजनीतिक संस्कृति का स्वरूप व्यक्तिपरक है ( Political Culture is Subjective in Nature )
राजनीतिक संस्कृति मुख्यतः व्यक्तिपरक स्वरूप की धारणा है क्योंकि राजनीतिक संस्कृति में लोगों के विचारों ,विश्वासों, मूल्यों व धारणाओं का विश्लेषण किया जाता है। लोगों के राजनीतिक व्यवस्था के बारे में विचार भिन्न-भिन्न होते हैं।
राजनीतिक संस्कृति के आधार ( Basis of Political Culture )
ल्युसियन पाई ने राजनीतिक संस्कृति के आधारभूत तत्वों के रूप में ऐतिहासिक विकास , भूगोल, सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं नामक तीन तत्वों का ही उल्लेख किया हैं । किंतु कुछ विद्वान उनके अलावा राजनीतिक व्यवस्था के प्रति आम जनता की अभिवृत्तियों और निर्णय लेने की प्रक्रिया में उसकी भागीदारी नामक दो और तत्वों का उल्लेख भी करते हैं।
निर्माणकारी तत्व ( Formative Factors )
किसी भी देश की राजनीतिक संस्कृति के निर्माण और विकास में अनेक तत्व सहायक होते हैं। आमतौर पर इसके अंतर्गत उस राष्ट्र का ऐतिहासिक विकास उसकी परंपराएं जीवन मूल्य आदर्श भौगोलिक स्थिति जलवायु सामाजिक और आर्थिक संरचनाएं राष्ट्रगान राष्ट्रध्वज आदि अनेक तत्वों को शामिल किया जाता है।
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FAQ Checklist
राजनीतिक संस्कृति में निर्माणकारी तत्व क्यों जरुरी हैं ?
किसी भी देश की राजनीतिक संस्कृति के निर्माण और विकास में अनेक तत्व सहायक होते हैं। आमतौर पर इसके अंतर्गत उस राष्ट्र का ऐतिहासिक विकास उसकी परंपराएं जीवन मूल्य आदर्श भौगोलिक स्थिति जलवायु सामाजिक और आर्थिक संरचनाएं राष्ट्रगान राष्ट्रध्वज आदि अनेक तत्वों को शामिल किया जाता है।
राजनीतिक संस्कृति के आधार कौन से हैं ?
ल्युसियन पाई ने राजनीतिक संस्कृति के आधारभूत तत्वों के रूप में ऐतिहासिक विकास , भूगोल, सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं नामक तीन तत्वों का ही उल्लेख किया हैं । किंतु कुछ विद्वान उनके अलावा राजनीतिक व्यवस्था के प्रति आम जनता की अभिवृत्तियों और निर्णय लेने की प्रक्रिया में उसकी भागीदारी नामक दो और तत्वों का उल्लेख भी करते हैं।
राजनीतिक संस्कृति का स्वरूप व्यक्तिपरक है,कैसे ?
राजनीतिक संस्कृति मुख्यतः व्यक्तिपरक स्वरूप की धारणा है क्योंकि राजनीतिक संस्कृति में लोगों के विचारों ,विश्वासों, मूल्यों व धारणाओं का विश्लेषण किया जाता है। लोगों के राजनीतिक व्यवस्था के बारे में विचार भिन्न-भिन्न होते हैं।
राजनीतिक संस्कृति की उप-संस्कृति बताएं।
प्रत्येक राजनीतिक संस्कृति की अपनी उप-संस्कृति होती है। यहां तक कि विकसित राजनीतिक संस्कृति में भी उप-संस्कृतियां पाई जाती है। उदाहरणतया प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में दो वर्ग -शासक व शासित वर्ग होते हैं। शासक वर्ग को अभिजन वर्ग ( Elite ) कहा जाता है। अभिजन वर्ग की संस्कृति शासित वर्ग से भिन्न होती है क्योंकि शासक वर्ग के लोग शासित वर्ग से भिन्न होते हैं।
राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा सार्वभौमिक क्यों हैं ?
राजनीतिक संस्कृति की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है -उसका सार्वभौमिक होना । इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक देश की अपनी राजनीतिक संस्कृति होती है। जैसा कि उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट हो गया है कि राजनीतिक संस्कृति वहां के लोगों के मूल्यों , विश्वासों व भावनाओं का संग्रह है। राजनीतिक रूप से सजग नहीं है।
राजनीतिक संस्कृति में परम्पराओं की क्या भूमिका हैं ?
राजनीतिक संस्कृतियां अपने देश की ऐतिहासिक एवं राजनीतिक परंपराओं , जीवन मूल्यों , आदर्शों और प्रथाओं आदि से बहुत अधिक प्रभावित रहती हैं और इस कारण से राजनीतिक व्यवस्था के विकसित और अविकसित स्वरूप की वजह से कोई बड़ा अंतर नहीं आता।
राजनीतिक संस्कृति एक व्यापक धारणा क्यों हैं ?
राजनीतिक संस्कृति के बारे में सभी आधुनिक राजनीति शास्त्रियों का कहना है कि वह एक व्यापक धारणा है जो किसी देश में रहने वाले मानव समूह की उसकी अपनी राजनीतिक व्यवस्था के प्रति अपनाई गई अभिवृत्तियों , विश्वासों , मूल्यों और मनोभाव आदि से बनती है।
राजनीतिक संस्कृति की तीन विशेषताएं बताएं।
1 .एक व्यापक धारणा 2.राजनीतिक संस्कृति का स्वरूप व्यक्तिपरक है 3. राजनीतिक संस्कृति की उप संस्कृति होती है
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