Line Agencies Meaning , Kinds,Types,Forms, in Hindi . Difference Between Staff and Line Agencies सूत्र अभिकरण अर्थ,प्रकार,रूप | स्टाफ तथा सूत्र एजेंसियों में अंतर – प्रत्येक प्रबंध प्रणाली में सूत्र एजेंसियों का विशेष महत्व होता है क्योंकि इनकी स्थापना किसी विशेष प्रकार के कार्य करने के लिए की जाती है।
लोक प्रशासन में सूत्र एजेंसियों से अभिप्राय उन सभी सरकारी विभागों तथा प्रशासनिक इकाइयों से है जिनकी स्थापना उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की जाती है जिसके लिए सरकार अस्तित्व में आई हो।
उदाहरण स्वरूप प्रत्येक देश के सरकार का महत्वपूर्ण कार्य देश को बाहरी हमले से बचाना होता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए रक्षा विभाग की स्थापना की जाती है।
सूत्र अभिकरण का अर्थ ( Meaning of Line Agencies in Hindi )
लोक प्रशासन में स्टाफ शब्द फौजी संगठन से लिये गए हैं । फौजी संगठन में दो तरह की इकाईयां स्टाफ और सूत्र अभिकरण होती हैं । सूत्र से अभिप्राय ऐसी एजेंसी से है जो युद्ध भूमि में लड़ रही फौज की कमांड करते हैं ,आदेश देते हैं तथा युद्ध का संचालन करते हैं ।
अन्य शब्दों में युद्ध में जीत प्राप्त करने के उद्देश्य से जो लड़ाई करते हैं उनको सूत्र एजेंसी कहा जाता है। सूत्र एजेंसी को अपने इस कार्य में तभी सफलता मिल सकती है यदि उन्हें आवश्यक सामग्री जैसे कि भोजन ,हथियार ,गोला, बारूद, दवाइयां आदि समय पर सहायता मिलती रहे।
सूत्र एजेंसियों के अनेकों उदाहरण मिलते हैं जैसे कि स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग ,पुलिस विभाग, कृषि विभाग आदि। इन सभी विभागों की स्थापना सरकार की किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए की गई है।
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सूत्र अभिकरणों के रूप,प्रकार,किस्में ( Line Agencies Types,Kinds,Forms in Hindi )
सूत्र अभिकरण (एजेंसी ) का संबंध लोगों के साथ प्रत्यक्ष रूप से होता है तथा साधारण जनता को भी सूत्र एजेंसियों के साथ प्रत्यक्ष तौर पर संपर्क कायम करना पड़ता है। सूत्र एजेंसी के रूप निम्नलिखित हैं –
विभाग ( Department )
विभागीय व्यवस्था सरकार की सबसे पुरानी तथा महत्वपूर्ण प्रचलित प्रशासकीय इकाई है। यह प्रत्यक्ष तौर पर मुख्य कार्यपालिका के अधीन होता है तथा उसके निर्देशों का पालन करता है। विभाग स्पष्ट तौर पर कमांड की एकात्मक लड़ी में बंधा होता है। लगभग सभी देशों में सरकारी कार्य विभागीय प्रणाली द्वारा किए जाते हैं। भारत में रक्षा, वित्तीय, शिक्षा ,पुलिस, रेलवे, कृषि ,स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण आदि सरकार के मुख्य विभाग माने गए हैं।
लोक निगम ( Public Corporation )
सरकार के आर्थिक तथा व्यापारिक कार्यों के प्रबंध के लिए लोक निगम की स्थापना की जाती है। लोक प्रशासन ने संगठन के इस रूप को निजी प्रशासन से प्राप्त किया है। प्रत्येक लोक निगम किसी मंत्री के नियंत्रण अधीन नहीं होती बल्कि इसका एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर होता है जो निगम की नीतियों का निर्माण करता है तथा इसके दैनिक कार्यों की पूर्ति के लिए जनरल मैनेजर होता है।
इसको वित्तीय तथा प्रशासकीय स्वायत्तता प्राप्त होने के बावजूद भी इस पर कुछ सीमा तक सरकार अपना नियंत्रण रखती है। इसका अपना न्यायिक स्वरूप होने के कारण यह किसी के विरुद्ध मुकदमा चला सकती है तथा कोई इसके विरुद्ध भी मुकदमा चला सकता है। भारत में इस समय अनेकों लोक निगमों के उदाहरण है जैसे कि भारतीय जीवन बीमा निगम ,भारतीय खाद्य निगम ,दामोदर घाटी निगम आदि ।
स्वतंत्र नियामक आयोग ( Independent Regulatory Commission )
स्वतंत्र नियामक आयोग सूत्र एजेंसियों का तीसरा महत्वपूर्ण रूप है जिसमें कुछ विशेषताएं विभागीय प्रणाली की तथा कुछ विशेषताएं लोक निगम प्रणाली की पाई जाती है। इसका स्वरूप शिखर चोटी पर लोक निगम की तरह होता है परंतु आंतरिक कार्य व्यवहार में यह विभाग प्रणाली की तरह होता है। भारत में इनका प्रयोग आज नाम मात्रा ही है परंतु संयुक्त राज्य अमेरिका में इन्हें लोक प्रशासन का अंग माना जाता है तथा इसलिए इन्हें बड़ी सफलता से प्रयोग किया जा रहा है।
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स्टाफ तथा सूत्र एजेंसियों में अंतर ( Difference between Staff and Line Agencies )
स्टाफ तथा सूत्र एजेंसियां सारे संगठनों में योजनाओं को लागू करते हैं। दोनों में अंतर का वर्णन निम्नलिखित है-
- सूत्र एजेंसियां कार्यकारी एजेंसियां होती है जिनकी स्थापना किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए की जाती है यही कारण है कि इनका उद्देश्य की प्राप्ति के साथ सीधा संबंध होता है परंतु दूसरी तरफ स्टाफ एजेंसी की स्थापना सूत्र एजेंसियों को सुझाव देने के लिए की जाती है।
- सूत्र एजेंसियों के पास सत्ता होती है जिसके द्वारा वह आदेश दे सकते हैं तथा उनका पालन भी कर सकते हैं। परंतु इसके विपरीत स्टाफ एजेंसियों के पास कोई सत्ता नहीं होती है तथा इसलिए कोई भी आदेश जारी नहीं कर सकता।
- सूत्र एजेंसियां वास्तव में काम करने वाली प्रशासकीय इकाइयां होती है। सरकार की नीति तथा कार्यक्रमों को लागू करने का दायित्व इन एजेंसियों की होती है। दूसरी तरफ स्टाफ एजेंसियां सुझाव देने का कार्य करती है।
- सूत्र एजेंसियां अपने कार्य करते हुए लोगों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क में आती है जबकि स्टाफ एजेंसियां पर्दे के पीछे रहकर लोगों की सहायता करती है।
- सैद्धांतिक पक्ष से इन दोनों एजेंसियों के ऊपर बताया अंतर पाया जाता है। परंतु वास्तव में इन दोनों के कार्यों में अंतर की लाइन खींचना बड़ा कठिन है। छोटे संगठनों में तो यह दोनों कार्य एक ही व्यक्ति या संस्था में केंद्रित होती है।
- संगठन के पद सोपान में कोई अधिकारी अपने से ऊपर अधिकारियों के साथ संपर्क कायम करता है तो उसका रूप स्टाफ वाला होता है तथा जब वह अपने से अधीन अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ संबंध जोड़ता है तो वह एक सूत्र एजेंसी के तौर पर काम करता है ।
- इसके अतिरिक्त तकनीकी विभाग जैसे कि स्वास्थ्य विभाग एक सूत्र तथा स्टाफ एजेंसी दोनों है।
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स्टाफ तथा सहायक एजेंसियों में अंतर ( Difference between Staff and Auxiliary Agencies in Hindi )
इसमें कोई संदेह नहीं है कि सहायक तथा स्टाफ दोनों एजेंसियों की स्थापना सूत्र एजेंसियों की सहायता के लिए की जाती है परंतु दोनों के कार्यों का स्वरूप एक दूसरे से भिन्न है जिस लिए यह अध्ययन के दो भिन्न-भिन्न विषय है। स्टाफ तथा सहायक एजेंसियों में अंतर निम्नलिखित है –
- स्टाफ एजेंसी की स्थापना सूत्र एजेंसियों को सलाह तथा परामर्श संबंधी कार्यों में सहायता करने के लिए की जाती है जबकि सहायक एजेंसियों की स्थापना सामूहिक सेवाएं प्रदान करने या काम को चलाने में सूत्र एजेंसियों की सहायता करने के लिए की जाती है। उदाहरण स्वरूप कर्मचारियों की भर्ती ,वस्तुओं की खरीद तथा बिक्री स्टोर, वित्तीय लेख आदि।
- स्टाफ एजेंसियां पर्दे के पीछे छिपकर सूत्र एजेंसियों की सहायता करती है जबकि सहायक एजेंसियां सामने आकर सूत्र एजेंसियों की मदद करती है ।
- स्टाफ एजेंसियां नीति निर्माण तथा उसमें आवश्यक परिवर्तन करने के लिए सूत्र एजेंसियों की सहायता करती है। परंतु इसके विपरीत सहायक एजेंसियों का मुख्य नीति के साथ कोई संबंध नहीं होता है।
- स्टाफ एजेंसियां सूत्र एजेंसियों के विकास के लिए काफी सीमा तक उत्तरदाई होता है। यही कारण है कि वह सूत्र एजेंसियों में आवश्यक सुधार लाने के लिए अपने उचित सुझाव देते हैं। परंतु सहायक एजेंसियों की स्थापना सूत्र एजेंसियों को केवल कायम रखने या संभालने के लिए आवश्यक सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए की जाती है।
- सूत्र एजेंसियों की सहायता काफी सीमा तक सहायक एजेंसियों के काम पर निर्भर करती है। उदाहरण स्वरूप यदि लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती के लिए कर्मचारी उचित ना हो तो इसका बुरा प्रभाव समूचे प्रशासन पर पड़ेगा।
- सूत्र एजेंसियां स्वयं में ही उद्देश्य होते हैं इसलिए उस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उनकी तरफ खर्चे का कोई ध्यान नहीं दिया जाता। परंतु इसके विपरीत सहायक एजेंसियां अपने कार्यों को करते हुए खर्च की बचत की तरफ विशेष ध्यान देती है।
- साधारण तौर पर सूत्र एजेंसियों की गतिविधियां प्रत्येक विभाग में समान रूप में होती है। परंतु सभी सूत्र एजेंसियों के कार्य एक समान ना होकर भी भिन्न भिन्न होते हैं।
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FAQ Checklist
सूत्र अभिकरण की विशेषताएं ।
सूत्र एजेंसियों का संबंध सरकार के मूलभूत उद्देश्यों की प्राप्ति से होता है। सूत्र एजेंसियां आदेश जारी करती है तथा सौंपे गए कार्यों को समय पर करने के लिए उत्तरदाई होती है।
स्टाफ तथा सहायक एजेंसियों में क्या अंतर है ?
स्टाफ एजेंसी की स्थापना सूत्र एजेंसियों को सलाह तथा परामर्श संबंधी कार्यों में सहायता करने के लिए की जाती है जबकि सहायक एजेंसियों की स्थापना सामूहिक सेवाएं प्रदान करने या काम को चलाने में सूत्र एजेंसियों की सहायता करने के लिए की जाती है। उदाहरण स्वरूप कर्मचारियों की भर्ती ,वस्तुओं की खरीद तथा बिक्री स्टोर, वित्तीय लेख आदि।
स्टाफ तथा सूत्र एजेंसियों में क्या अंतर है ?
सूत्र एजेंसियां कार्यकारी एजेंसियां होती है जिनकी स्थापना किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए की जाती है यही कारण है कि इनका उद्देश्य की प्राप्ति के साथ सीधा संबंध होता है परंतु दूसरी तरफ स्टाफ एजेंसी की स्थापना सूत्र एजेंसियों को सुझाव देने के लिए की जाती है।
सूत्र एजेंसियों में स्वतंत्र नियामक आयोग क्या भूमिका है ?
स्वतंत्र नियामक आयोग सूत्र एजेंसियों का तीसरा महत्वपूर्ण रूप है जिसमें कुछ विशेषताएं विभागीय प्रणाली की तथा कुछ विशेषताएं लोक निगम प्रणाली की पाई जाती है। इसका स्वरूप शिखर चोटी पर लोक निगम की तरह होता है परंतु आंतरिक कार्य व्यवहार में यह विभाग प्रणाली की तरह होता है।
लोक निगम से क्या अभिप्राय है ?
सरकार के आर्थिक तथा व्यापारिक कार्यों के प्रबंध के लिए लोक निगम की स्थापना की जाती है। लोक प्रशासन ने संगठन के इस रूप को निजी प्रशासन से प्राप्त किया है। प्रत्येक लोक निगम किसी मंत्री के नियंत्रण अधीन नहीं होती बल्कि इसका एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर होता है जो निगम की नीतियों का निर्माण करता है तथा इसके दैनिक कार्यों की पूर्ति के लिए जनरल मैनेजर होता है
सूत्र और सहायक एजेंसियों में क्या अंतर है ?
सूत्र एजेंसियां स्वयं में ही उद्देश्य होते हैं इसलिए उस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उनकी तरफ खर्चे का कोई ध्यान नहीं दिया जाता। परंतु इसके विपरीत सहायक एजेंसियां अपने कार्यों को करते हुए खर्च की बचत की तरफ विशेष ध्यान देती है।
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