7 Different Types of Pressure Groups: दबाव समूह -दोनों समूह अलग अलग ढंग के साथ कार्य करती हैं । हित समूह और दबाव समूह को आप भी पूर्ण रूप से समझना चाहते होंगे । आइये दोनों समूहों को विस्तार से समझते हैं -

Pressure Groups: 7 विभिन्न प्रकार और वर्गीकरण

राजनीति विज्ञान हित और दबाव समूह

Pressure Groups: 7 विभिन्न प्रकार, वर्गीकरण,प्रकार-दबाव समूह -आधुनिक लोकतंत्रीय शासन प्रणाली ने जहां राजनीतिक दलों के विकास में सहायता की हैं , वहां उसने उनके अनेक दबाव समूहों को भी जन्म दिया है । राजनीतिक दल सभी वर्गों के हितों का पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्व नहीं कर पाते , इसलिए आधुनिक शासन व्यवस्था में राजनीतिक दलों के अतिरिक्त अनेक ऐसे संगठनों अथवा समूहों का विकास हुआ हैं जिनका सार्वजनिक नीति के निर्माण पर विशेष प्रभाव होता हैं ।

दबाव समूह -यह संगठन एक ऐसे व्यवसाय के लोगो का एक गुट होता हैं जो अपने सदस्यों के हितों की रक्षा के लिए सरकार की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयत्न करता रहता हैं ।

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हित समूह और दबाव समूह को समझना सभी के लिये आवश्यक हैं खासकर राजनीति विज्ञान के स्टूडेंट्स के लिए । आप सभी आये दिन  किसी न किसी समूह को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते देखते ही हैं । इन समूहों में हित समूह भी हो सकते हैं और दबाव समूह हो सकता हैं । दबाव समूह -दोनों समूह अलग अलग ढंग के साथ कार्य करती हैं । हित समूह और दबाव समूह को आप भी पूर्ण रूप से समझना चाहते होंगे । आइये दोनों समूहों को विस्तार से समझते हैं –

Table of Contents विषय सूची

हित समूह और दबाव समूह ( Interest Groups and Pressure Groups )

हित समूह Interest groups in Hindi- प्रत्येक समाज में कृषक , पूंजीपति , भूमिपति , शिक्षक , सरकारी कर्मचारी तथा मजदूरों व अन्य व्यवसायियों के विभिन्न प्रकार के हित पाए जाते हैं । जब एक ही प्रकार का हित रखने वाले लोग कोई संगठित रूप धारण कर लेते हैं तो उसे हित – समूह कहा जाता हैं ।

दबाव समूह pressure groups in Hindi- जब कोई हित – समूह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार से सहायता चाहने लगता हैं और विधानमंडल के सदस्यों को इस रूप में प्रभावित करने का प्रयत्न करने लगता हैं कि सामान्य कानूनों का निर्माण अथवा उनमें संशोधन करते समय उनके हितों को ध्यान में रखा जाए ,तो वह दबाव – समूह का रूप धारण कर लेता हैं ।

दबाव समूह  Pressure Groups अपने सदस्यों के हितों को विकसित करने तथा उन्हें सुरक्षित रखने के लिए उन्हें आवश्यक सुविधाएं प्रदान कराने तथा सरकार को उनके हितों के विरुद्ध कार्य करने से रोकने के लिए सरकार पर दवाव डालते रहते हैं । दबाव समूह का मतलब दबाव डालना होता हैं जो अपने हितों की रक्षा के लिए समय समय पर सरकार पर दबाव डालते रहते हैं जिससे सरकार उनकी हितों के विरुद्ध कार्य न करे ।

दबाव समूह अपना काम करवाने के लिए सरकारी अधिकारियों पर उचित अथवा अनुचित साधनों द्वारा प्रभाव डालते रहते हैं । इसी कारण दबाव समूहों को कई बार भ्रष्टाचार का केंद्र भी कहा जाता हैं ।

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दबाव समूह की परिभाषा ( Definition of Pressure Groups )

आमण्ड तथा पावेल Almond and Powell के अनुसार –

आमण्ड तथा पावेल Almond and Powell-हित समूह अथवा दबाव समूह से हमारा तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों के समूह से है जो किसी विशेष हित अथवा लाभ के लिए परस्पर मिलें हों और जिनमें उन हितों के सम्बंध में चेतना हो ।

दबाव समूहों के प्रकार ( kinds of Pressure Groups )

दबाव – समूह के विभिन्न रूप तथा किस्में होती है । दबाव समूहों का वर्गीकरण भिन्न भिन्न राजनीतिक व्यक्तियों ने भिन्न भिन्न आधारों पर किया है । परन्तु ब्लोण्डेल तथा आमण्ड द्वारा किया गया वर्गीकरण काफी मान्य हैं । दबाव समूहों के प्रकार का विस्तृत अध्ययन नीचे करेंगे –

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ब्लोण्डेल का वर्गीकरण ( Blondel’s Classification )

ब्लोण्डेल का वर्गीकरण Blondel’s Classification-दबाव – समूह के विभिन्न रूप तथा किस्में बताई गई है । दबाव – समूहों का वर्गीकरण भिन्न भिन्न राजनीतिक व्यक्तियों में भिन्न भिन्न आधारों पर किया हैं , जैसे कि समूहों के लक्ष्य ,इनके संगठनों का स्वरूप , इनके संगठनों का स्वरूप , इनके अस्तित्व की अवधि । परंतु सभी राजनीतिक शक्तियों ने सभी आधारों पर इनका वर्गीकरण किया है ऐसी बात नही है । इसमें ब्लोण्डेल तथा आमण्ड द्वारा किया गया वर्गीकरण काफी मान्य हैं । आइये जानते हैं विस्तार से –

ब्लोण्डेल का वर्गीकरण Blondel’s Classification

ब्लोण्डेल ने दबाव समूहों के वर्गीकरण का आधार उनके निर्माण के प्रेरक तत्वों को बताया हैं । उनके अनुसार दबाव समूह के निम्नलिखित   प्रकार के होते है –

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1) सामुदायिक समूह -Communal Groups

सामुदायिक समूह -Communal Groups-इन समूहों के निर्माण का आधार लोगों के सामाजिक संबंध होते हैं । लोगों के साथ साथ रहने से उनमें कुछ सामाजिक संबंधों तथा साधारण दृष्टिकोणों की उत्पत्ति होती हैं ,जिनके आधार पर इनमें सामुदायिक एकता की भावना विकसित होती है ।

समय बीतने के साथ साथ यही सामुदायिक एकता लोगों को समूहों के बंधन में बांधती हैं जिनके सदस्य एक दूसरे के सुख – दुख में साझीदार बन जाते हैं । इन समूहों में से कुछ का संगठन रस्मी तथा कुछ का गैर रस्मी भी हो सकता है । जातियाँ , प्रजातियां , पड़ोस , बिरादरी आदि के समूह इसी श्रेणी में आते हैं । सामुदायिक समूह के आगे भी दो रूप हो सकते हैं जो निम्नलिखित हैं –

रूढ़ या परम्परागत समूह Customary Groups

रूढ़ या परम्परागत समूह Customary Groups-सामुदायिक समूहों में रूढ़िवादी या परम्परागत समूह उन्हें कहते हैं जो अपनी कार्यप्रणाली तथा अपने सदस्यों के परस्पर व्यवहार में सामाजिक परम्पराओं , रूढ़ियों तथा रीति रिवाजों को मुख्य स्थान देते हैं । जातियों ,प्रजातियों के सामुदायिक समूह इसी तरह के समूह होतें हैं । भारत में ब्राह्मण सभा , खुखरैन बिरादरी , जैन सभा आदि ऐसे ही समूह हैं ।

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संस्थागत समूह Institutional Groups

संस्थागत समूह Institutional Groups-कुछ संस्थाओं  के सदस्यों में लगातार इक्कठे काम करने तथा रहने से सामाजिक सम्बंधो के अतिरिक्त रागात्मक संबंध भी विकसित हो जाते हैं तथा ऐसे समूह खास उद्देश्यों के होतें हुए भी अपने सदस्यों के साधारण हितों को पूरा करने की कोशिश करते हैं । समाज में वृद्धों के लिए कल्याण समितियां , सैनिक कल्याण परिषद , कर्मचारी सुरक्षा परिषदें आदि इसी तरह के समूह हैं ।

2) संघात्मक समूह Associational Groups

संघात्मक समूह Associational Groups-ये वे समूह हैं जिनका अपना एक विशेष उद्देश्य होता है तथा एक विशेष उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ही ये स्थापित  किये जाते हैं । समाज में लोग विभिन्न उद्देश्यों तथा मांगो की पूर्ति के लिए संघ तथा संगठन बनाते हैं ।

जब ये संघ सरकार पर अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए    दबाव डालते हैं तो ये संघ दबाव समूह कहलाते हैं । इन समूहों को मांगो के अनुसार चलना पड़ता हैं । ये समूह औधोगिक विकास के साथ साथ बनते चले गए हैं । इनमें आमतौर पर विरोध तथा कभी कभी सहयोग की प्रवृत्ति भी पाई जाति हैं । इन समूहों के दो रूप इस प्रकार है –

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सुरक्षात्मक समूह Protective Groups

इन समूहों का उद्देश्य विशेष होते हुए भी साधारण तौर पर व्यापक तथा साधारण होता हैं । क्योंकि वे अपने सदस्यों के साधारण हितों की रक्षा करते हैं । विभिन्न प्रकार के मजदूर संघ , व्यापारिक संगठन , व्यापार संघ , विद्यार्थी यूनियन आदि इसी प्रकार के समूह हैं ।

उत्थानात्मक समूह Promotional Groups

किसी विशेष विचार या दृष्टिकोण के प्रचार तथा इस इस दृष्टि से समाज को विकसित बनाने के उद्देश्य को लेकर जिन समूहों का निर्माण होता है , उन्हें हम संघात्मक समूहों के उत्थानात्मक promotional प्रकार के अंतर्गत रख सकते हैं । हथियारबद्ध , संसार – शान्ति , सर्व-व्यापक मताधिकार ,नारी स्वतंत्रता , गौ रक्षा , आदि के लिए बनाए गए संघो को उत्थानात्मक समूह  कहा जाता हैं ।

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आलमंड का वर्गीकरण ( Almond’s Classification)

आलमंड ने इन समूहों को हित समूहों के नाम से पुकारा हैं तथा उनकी चारित्रिक विशेषताओं को उनके वर्गीकरण का आधार बनाया है ।  आलमंड का वर्गीकरण इस प्रकार है –

संस्थात्मक ( Institutional )  , गैर संघात्मक (Non-Association) , प्रदर्शनात्मक ( Anomic )  तथा संघात्मक ( Associational ) ।

इस प्रकार आलमंड के वर्गीकरण में दो नए नाम गैर संघात्मक तथा प्रदर्शनात्मक हैं । आलमंड के वर्गीकरण में गैर संघात्मक का वही अर्थ है जो ब्लोण्डेल ने सामुदायिक रूढ़ि समूह का लिया है । इसके बाद प्रदर्शनात्मक समूहों की किस्में ऐसी हैं जो आलमंड के वर्गीकरण में नई हैं । जिसकी व्याख्या निम्नलिखित हैं-

प्रदर्शनात्मक समूह ( Anomic Groups )

प्रदर्शनात्मक समूह ( Anomic Groups ) – आलमंड के अनुसार प्रदर्शन समूह वे समूह होते हैं जो भीड़ तथा प्रदर्शन आदि के रूप में अचानक प्रकट होते हैं । अपने उग्र रूप में यह समूह अक्सर मर्यादा से बाहर हो जाते हैं तथा कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करते हैं । उद्देश्य पूरा होने पर उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है ।

हित समूह और दबाव समूह क्या होता है और इसके कितने प्रकार है इसकी जानकारी दी है। उम्मीद है यह 7 Different Types of Pressure Groups: Classification-kinds: दबाव समूह लेख आपको पसंद आएगी। दबाव समूह के प्रकार -वर्गीकरण परीक्षा के हिसाब से अत्यंत जरुरी प्रश्न है।

FAQ Checklist

दबाव समूहों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता हैं ?

दबाव – समूह के विभिन्न रूप तथा किस्में होती है । दबाव समूहों का वर्गीकरण भिन्न भिन्न राजनीतिक व्यक्तियों ने भिन्न भिन्न आधारों पर किया है । परन्तु ब्लोण्डेल तथा आमण्ड द्वारा किया गया वर्गीकरण काफी मान्य हैं । दबाव समूहों के प्रकार का विस्तृत अध्ययन नीचे करेंगे –

दबाव समूहों की दो किस्में बताओं।

1 .संघात्मक समूह Associational Groups
2 . सामुदायिक समूह Communal Groups

प्रदर्शनात्मक समूह से क्या तात्पर्य हैं ?

प्रदर्शनात्मक समूह – आलमंड के अनुसार प्रदर्शन समूह वे समूह होते हैं जो भीड़ तथा प्रदर्शन आदि के रूप में अचानक प्रकट होते हैं । अपने उग्र रूप में यह समूह अक्सर मर्यादा से बाहर हो जाते हैं तथा कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करते हैं । उद्देश्य पूरा होने पर उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है ।

आलमंड के अनुसार दबाव समूह का वर्गीकरण बताएं।

आलमंड का वर्गीकरण इस प्रकार है –
संस्थात्मक ( Institutional )  , गैर संघात्मक (Non-Association) , प्रदर्शनात्मक ( Anomic )  तथा संघात्मक ( Associational ) ।

ब्लोण्डेल ने किन आधारों पर दबाव-समूह का वर्गीकरण किया हैं ?

ब्लोण्डेल ने दबाव – समूह के विभिन्न रूप तथा किस्में बताई गई है । दबाव – समूहों का वर्गीकरण भिन्न भिन्न राजनीतिक व्यक्तियों में भिन्न भिन्न आधारों पर किया हैं , जैसे कि समूहों के लक्ष्य ,इनके संगठनों का स्वरूप , इनके संगठनों का स्वरूप , इनके अस्तित्व की अवधि ।

सामुदायिक समूह का अर्थ क्या हैं ?

सामुदायिक समूह -इन समूहों के निर्माण का आधार लोगों के सामाजिक संबंध होते हैं । लोगों के साथ साथ रहने से उनमें कुछ सामाजिक संबंधों तथा साधारण दृष्टिकोणों की उत्पत्ति होती हैं ,जिनके आधार पर इनमें सामुदायिक एकता की भावना विकसित होती है ।

रूढ़ या परम्परागत समूह क्या होती हैं ?

रूढ़ या परम्परागत समूह Customary Groups-सामुदायिक समूहों में रूढ़िवादी या परम्परागत समूह उन्हें कहते हैं जो अपनी कार्यप्रणाली तथा अपने सदस्यों के परस्पर व्यवहार में सामाजिक परम्पराओं , रूढ़ियों तथा रीति रिवाजों को मुख्य स्थान देते हैं । जातियों ,प्रजातियों के सामुदायिक समूह इसी तरह के समूह होतें हैं । भारत में ब्राह्मण सभा , खुखरैन बिरादरी , जैन सभा आदि ऐसे ही समूह हैं ।

संस्थागत समूह से क्या तात्पर्य हैं ?

संस्थागत समूह -कुछ संस्थाओं  के सदस्यों में लगातार इक्कठे काम करने तथा रहने से सामाजिक सम्बंधो के अतिरिक्त रागात्मक संबंध भी विकसित हो जाते हैं तथा ऐसे समूह खास उद्देश्यों के होतें हुए भी अपने सदस्यों के साधारण हितों को पूरा करने की कोशिश करते हैं । समाज में वृद्धों के लिए कल्याण समितियां , सैनिक कल्याण परिषद , कर्मचारी सुरक्षा परिषदें आदि इसी तरह के समूह हैं ।

संघात्मक समूह क्या हैं ?

संघात्मक समूह -ये वे समूह हैं जिनका अपना एक विशेष उद्देश्य होता है तथा एक विशेष उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ही ये स्थापित  किये जाते हैं । समाज में लोग विभिन्न उद्देश्यों तथा मांगो की पूर्ति के लिए संघ तथा संगठन बनाते हैं ।

सुरक्षात्मक समूह का उद्देश्य क्या होता हैं ?

इन समूहों का उद्देश्य विशेष होते हुए भी साधारण तौर पर व्यापक तथा साधारण होता हैं । क्योंकि वे अपने सदस्यों के साधारण हितों की रक्षा करते हैं । विभिन्न प्रकार के मजदूर संघ , व्यापारिक संगठन , व्यापार संघ , विद्यार्थी यूनियन आदि इसी प्रकार के समूह हैं ।

उत्थानात्मक समूह का निर्माण किन उदेश्यों के आधार पर होता हैं ?

किसी विशेष विचार या दृष्टिकोण के प्रचार तथा इस इस दृष्टि से समाज को विकसित बनाने के उद्देश्य को लेकर जिन समूहों का निर्माण होता है , उन्हें हम संघात्मक समूहों के उत्थानात्मक promotional प्रकार के अंतर्गत रख सकते हैं । हथियारबद्ध , संसार – शान्ति , सर्व-व्यापक मताधिकार ,नारी स्वतंत्रता , गौ रक्षा , आदि के लिए बनाए गए संघो को उत्थानात्मक समूह  कहा जाता हैं ।

दबाव समूहों के तीन प्रकार बताओं।

1.प्रदर्शनात्मक समूह 2.संस्थागत समूह 3.सामुदायिक समूह

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