Political System राजनीतिक व्यवस्था- राजनीतिक -व्यवस्था समाज में कानूनी व्यवस्था रखने और समाज में परिवर्तन लाने वाली व्यवस्था है . अरस्तु ने अपनी पुस्तक ” राजनीती ” में कहा है कि मनुष्य स्वभाव एवं आवश्यकता -वश एक सामाजिक प्राणी है। अपनी प्रारम्भिक और सामान्य आवश्यकताओ की पूर्ति हेतु उसे अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर रहना पड़ता है और एक -दूसरे के काम में सहयोग देना पड़ता है।
सामाजिक जीवन के लिए आवश्यक है कि मनुष्य दुसरो के साथ व्यवहार के नियमो का पालन करे ताकि सभी मनुष्य अपने अपने कार्यों को ठीक प्रकार से पूरा कर सकें। नियम लागू करने के लिये निश्चित व्यवस्था की जरुरत रहती है। इस नियमबद्ध व्यवस्था को राज्य की संज्ञा दी जाती है। अरस्तु महोदय ने राज्य की महत्ता बताते हुए कहा है की राज्य का जन्म मनुष्य के लिए हुआ और राज्य का अस्तित्व मनुष्य के अच्छे जीवन के लिया बना रहेगा।
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Political System Definition, Classification, Functions | राजनीतिक व्यवस्था- 10 Short questions In Hindi
प्रशन 1. राजनीतिक प्रणाली अथवा राजनीतिक व्यवस्था का क्या अर्थ है ?
उत्तर -राजनीतिक प्रणाली अथवा राजनीतिक व्यवस्था का अर्थ- राजनीतिक व्यवस्था राजनीति शास्त्र के अध्ययन में एक महत्त्पूर्ण अवधारणा है और यह दिन प्रतिदिन लोकप्रिय होती जा रही हैं । राजनीतिक व्यवस्था का संबंध उन सभी कार्यों व क्रियाओं से है जो निर्णय करने तथा उन्हें लागू करने में सहायता करते हैं । जिन क्रियाओं , प्रतिक्रियाओं या समस्याओं का निर्णय करने तथा उन्हें लागू करने से कोई संबंध नही होता उन्हें राजनीतिक व्यवस्था में शामिल नही किया जा सकता । राजनीतिक व्यवस्था में औपचारिक व अनौपचारिक संगठन शामिल हैं ।
औपचारिक संगठनो में विधानमंडल ,कार्यपालिका , व न्यापालिका सम्मिलित हैं तथा अनौपचारिक संगठनो में राजनीतिक दल , दबाव समूह ,मतदान , हिंसात्मक तथा उग्रवादी घटनाएं शामिल हैं । राजनीतिक व्यवस्था के पास अपने आदेशो का पालन करवाने के लिए बाध्यकारी शक्ति होती हैं ।
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प्रशन 2 . व्यवस्था शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर – व्यवस्था शब्द का अर्थ -व्यवस्था शब्द का प्रयोग अन्तर्क्रियाओं के समूह का संकेत करने के लिए किया जाता है । व्यवस्था एक इकाई हैं जो कई भागों से मिलकर बनती है । व्यवस्था और प्रणाली एक दूसरे को प्रभावित करते हैं । यदि व्यवस्था के एक भाग में परिवर्तन होता हैं तो यह समूची प्रणाली को प्रभावित करती है ,जैसे मानव शरीर एक पूर्ण व्यवस्था हैं जिसके विभिन्न अंग हैं । सभी अंग एक दूसरे पर निर्भर करते हैं और एक दूसरे को प्रभावित करते हैं ।
आलमंड के अनुसार – व्यवस्था से अभिप्राय इसके विभिन्न भागो की अंतर्निर्भरता से हैं ।
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प्रश्न 3 .राजनीतिक शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर – राजनीतिक शब्द का अर्थ हैं – शक्ति तथा सत्ता । राजनीतिक शब्द स्वयं में एक विशेषता रखता हैं , जिस कारण यह शब्द किसी संस्था को विशेष अर्थ प्रदान करता है । किसी भी संस्था को राजनीतिक तभी कहा जा सकता हैं यदि उसके आदेशों का पालन सभी लोग करे और यदि उसकी आज्ञा का पालन न किया जाए तो शक्ति द्वारा पालन करवाया जा सकता है । राजनीतिक संबंधों में सत्ता ,शासन और शक्ति किसी न किसी प्रकार निहित है ।अंत : स्पष्ट है कि राजनीतिक शब्द सत्ता ,शासन और शक्ति का घोतक है और केवल राजनीतिक प्रणाली द्वारा ही औपचारिक शारीरिक शक्ति का प्रयोग करने का अधिकार प्राप्त है ।
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प्रश्न 4 – राजनीतिक व्यवस्था की तीन परिभाषाएं ।
उत्तर – राजनीतिक व्यवस्था एक व्यापक अवधारणा हैं । विभिन्न विद्वानों ने इसकी भिन्न भिन्न परिभाषाएं दी हैं जिनमें से तीन मुख्य परिभाषाए हैं –
1. प्लैनो के शब्दों में – राजनीतिक व्यवस्था का अर्थ मानवीय संबंधों के उस स्थायी नमूने से है जिसके द्वारा समाज के लिए सत्तावादी निर्णय लिए जाते है तथा उन्हें लागू किया जाता है ।
2. आमण्ड तथा कोलमैन के शब्दों में – राजनीतिक व्यवस्था समाज मे कानूनी व्यवस्था स्थिर रखने हेतु अथवा समाज मे परिवर्तन लाने वाली व्यवस्था हैं ।
3. रॉबर्ट डहल के शब्दों में – राजनीतिक व्यवस्था मानवीय संबंधों का एक ऐसा स्थिर नमूना हैं जिसमें पर्याप्त मात्रा में शक्ति , शासन व सत्ता सम्मिलित हैं ।
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प्रश्न 5 राजनीतिक व्यवस्था का वर्गीकरण
उत्तर – उदारवादी लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएं– यह स्वरुप उदारवाद व लोकतंत्र की धारणा पर आधारित है। लोकतंत्र का अर्थ है जनता की शासन में भागीदारी और उदारवाद का अर्थ है कि राज्य का हस्तक्षेप। इसमें जनता को व्यस्क मताधिकार प्राप्त होता है। एक निश्चित अवधि के बाद चुनाव करवाएं जाते हैं। नागरिको के अधिकारों व संविधान की सुरक्षा के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना की जाती है। जन – संपर्क के साधनो पर सरकार का एकाधिकार नहीं होता है।
सर्व सत्ताधारी व्यवस्थाएं– यह इस प्रकार की व्यवस्था है जिसमे सभी प्रकार की शक्तियां कुछ व्यक्तियों के हाथो में होती है। उसे तानाशाह या निरंकुश कहा जाता है। जनता को किसी भी प्रकार के अधिकार प्राप्त नहीं होते। इस प्रकार की व्यवस्था का उदाहरण रूस , चीन , और जर्मनी आदि है। इसमें एक दल का एकाधिकार होता है।
स्वेच्छाचारी व्यवस्थाएं– यह ऐसी व्यवस्था है जिसमे शासन की सभी शक्तियां एक ही व्यक्ति के हाथ में होती है। यह व्यवस्था सर्व सत्ताधारी व्यवस्था की निकट होती है। इसमें राजनीतिक दल पर प्रतिबन्ध होते है। इसमें बल के प्रयोग पर जोर दिया जाता है। निष्पक्ष रूप से चुनाव नहीं करवाएं जाते है।
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प्रश्न 6 राजनीतिक संरचना की विविधता का क्या अर्थ है ?
उत्तर – प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में अनेक संस्थाएं होती हैं । इन संस्थाओं द्वारा विभिन्न कार्य सम्पन्न किये जाते हैं । राजनीतिक संस्था का प्रत्येक अंग एक ही कार्य नही करता बल्कि एक से अधिक कार्य करता है ,जैसे कि विधानपालिका कानून निर्माण के कार्य के साथ साथ प्रशासनिक और न्यायिक कार्य भी करती हैं । इसी तरह कार्यपालिका कानून के लागू करने के अतिरिक्त विधि निर्माण में भी सहायता करती हैं ।
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प्रश्न 7 राजनीतिक व्यवस्था के कार्यों का संक्षिप्त वर्णन करो ।
उत्तर – राजनीतिक व्यवस्था के कार्यों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है –
1. निवेश कार्य – समाज मे कई प्रकार की मांगे उत्पन्न होती रहती है । इन्ही मांगों को निवेश कहा जाता है । ये मांगे व्यक्तियों , राजनीतिक दलों एवं दबाव समूहों द्वारा प्रस्तुत की जाती हैं । निवेश के चार कार्य होते हैं – राजनीतिक समाजीकरण , हित स्पष्टीकरण , हित समूहीकरण और राजनीतिक संचार ।
2. निकास कार्य – समाज द्वारा प्रस्तुत मांगों को निवेश कहा जाता हैं और उन मांगो को पूरा किये जाने के लिए किए गए प्रयत्नों को निकास कहा जाता है । इस प्रकार निकास कार्य राजनीतिक व्यवस्था की विभिन्न गतिविधियों का परिणाम होते हैं । इन गतिविधियों में राजनीतिक व्यवस्था द्वारा लिए गए निर्णयों एवं निर्धारित नीतियों को शामिल किया जाता है । ध्यान रहे ये निर्णय प्रस्तुत की गई मांगो के अनुकूल व प्रतिकूल हो सकते है । इसके तीन कार्य होते हैं – नियम निर्माण करना , नियमो को लागू करना तथा नियम निर्धारण ।
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प्रश्न 8 राजनीतिक प्रणाली के तीन निवेश कार्य बताओ ।
उत्तर – 1. राजनीतिक समाजीकरण व भर्ती –
राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया हैं जिसके द्वारा लोगों को प्रशासन में विभिन्न कार्यों व भूमिकाएं निभाने के लिए तैयार किया जाता है । परिवार , स्कूल , राजनीतिक दल , साहित्य व समुदाय आदि राजनीतिक समाजीकरण के मुख्य साधन हैं ।
2. हित स्पष्टीकरण – यह वह प्रक्रिया हैं जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी मांगों को राजनीतिक व्यवस्था के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह कार्य राजनीतिक दलों , समुदायों तथा दबाव समूहों द्वारा किया जाता है ।
3. हित समूहीकरण – यह भिन्न भिन्न प्रकार के हितों को एकत्रित करने तथा उनमें तालमेल करने और उनके आधार पर सामान्य नीतियों का निर्माण करने की प्रक्रिया है । मुख्य रूप से यह कार्य राजनीतिक दलों द्वारा किया जाता हैं परंतु विधानमंडल ,अधिकारी वर्ग , कार्यपालिका एवं सरकारी संस्थाएं भी हित समूहीकरण में योगदान देती है ।
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प्रश्न 9 फीडबैक अथवा पुनर्निवेश की व्यवस्था से क्या अभिप्राय हैं ।
उत्तर – पुनर्निवेश अथवा फीडबैक वह प्रक्रिया है जिसमे निर्गत के परिणाम स्वरूप वातावरण में प्रभाव व परिवर्तन संभव होता है तथा वातावरण के परिवर्तन पुनः राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित करते हैं अर्थात निर्गतों के परिणाम स्वरूप नई मांगे उत्पन्न होती है और फिर नई मांगे निवेश के रूप में कार्य करती हैं । अतः पुनर्निवेश राजनीतिक व्यवस्था को निरंतर गतिशील बनाये रखती हैं ।यह व्यवस्था निवेशों एवं निर्गतों की परिवर्तन प्रक्रिया को बनाये रखने के लिए जरुरी है ।
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प्रश्न 10 राजनीतिक व्यवस्था के तीन निर्गत कार्य लिखो ।
उत्तर – निर्गत कार्य को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता हैं –
1. नियम निर्माण कार्य – समाज मे व्यक्तियों की मांगों को पूरा करने के लिए राजनीतिक व्यवस्था द्वारा कानून बनाये जाते हैं ।कानून निर्माण की यह प्रक्रिया राजनीतिक
व्यवस्था का प्रथम कार्य है । यह कार्य विधानमंडल द्वारा किया जाता हैं ।
2.नियम लागू – नियम निर्माण के बाद उन्हें लागू किया जाना अति आवश्यक है । नियमो को प्रभावशाली ढंग से लागू करना राजनीतिक
व्यवस्था की क्षमता को बढ़ाता है और बढ़ी हुई क्षमता से राजनीतिक व्यवस्था पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल होती हैं । वर्तमान समय मे यह कार्य कार्यपालिका द्वारा किया जाता हैं ।
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3. नियम निर्धारण कार्य – नियम निर्धारण ऐसी प्रक्रिया है जिसमे यह निश्चित किया जाता हैं कि नियम की अवहेलना हुई है या नही । यदि अवहेलना हुई हैं तो दंड की क्या व्यवस्था हैं । अर्थात लोगों के झगड़ो को नियम अनुसार सुलझाने का कार्य न्यापालिका द्वारा किया जाता हैं ।
दोस्तों इस पोस्ट में आपको 10 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर की जानकारी दी है। इस जानकारी आपके लिए खासकर राजनीति विज्ञान के स्टूडेंट्स के लिए अत्यंत आवश्यक है। इससे एग्जाम्स में सहायता मिलेगी। ऐसे ही रोजाना जानकारी प्राप्त करने के लिए ज्ञान फॉरएवर पर बने रहे।
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