Parliamentary System संसदीय व्यवस्था -भारत में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना की गई हैं । भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया हैं । प्रस्तावना में यह बात स्पष्ट रूप से कही गयी हैं कि सत्ता का अंतिम स्त्रोत जनता हैं और संविधान का निर्माण करने वाले तथा उसे अपने ऊपर लागू करने वाले भारत के लोग हैं । 11 Main Feature of Parliamentary System in India | संसदीय व्यवस्था – संसदीय प्रणाली की विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानते है –
Table of Contents विषय सूची
संसदीय शासन प्रणाली व्यवस्था ( Parliamentary System in Hindi )
संसदीय शासन प्रणाली व्यवस्था Parliamentary System वह व्यवस्था हैं जिसमें सरकार के दो अंगों – विधानमंडल तथा कार्यपालिका में घनिष्ठ संबंध होता हैं ।
कार्यपालिका ( मंत्री – परिषद ) का निर्माण विधानमंडल में से किया जाता है और वह अपनी नीतियों तथा कार्यों के लिए विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी होता हैं । मंत्री – परिषद के सदस्य उतने समय तक अपने पद पर बने रहते हैं जब तक उन्हें विधानमंडल में बहुमत का समर्थन प्राप्त रहता है ।
भारत में संसदीय शासन प्रणाली की मुख्य विशेषताएं ( Main Feature of Parliamentary System in India )
संसदीय शासन – प्रणाली वह होती हैं जिसमें विधानमंडल तथा कार्यपालिका में घनिष्ठ संबंध रहता है । कार्यपालिका के सभी सदस्य ( मंत्री ) विधानमंडल में से लिये जाते हैं और अपने कार्यों तथा नीतियों के लिए विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी रहते हैं । राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का अध्यक्ष होता हैं चाहे वह राजा / रानी हो , राष्ट्रपति अथवा गवर्नर जनरल संविधान की ओर से उसे अनेक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं ,परन्तु व्यवहार में वह स्वयं उन शक्तियों का प्रयोग नहीं करता । वास्तविक रूप में शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री तथा मंत्री – परिषद के अन्य सदस्यों द्वारा किया जाता हैं ।
भारतीय संसदीय प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में भेद Distinction between Nominal and Real Executive
नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में भेद Distinction between Nominal and Real Executive-भारतीय संसदीय प्रणाली की प्रथम विशेषता यह हैं कि इसमें नाममात्र कार्यपालिका तथा वास्तविक कार्यपालिका अर्थात दो प्रकार की कार्यपालिका की व्यवस्था की गई हैं । भारत में राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका हैं और मंत्री- परिषद वास्तविक कार्यपालिका हैं । संविधान द्वारा सभी कार्यपालिका शक्तियां राष्ट्रपति को दी गई हैं , परंतु वह इन सभी शक्तियों का प्रयोग मंत्री – परिषद ,जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होता हैं के परामर्श के अनुसार ही करता हैं ।
राष्ट्रपति मन्त्रिमण्डल के किसी भी परामर्श को पुनर्विचार के लिए भेज सकता हैं, परंतु विचार करने के पश्चात मन्त्रिमण्डल राष्ट्रपति को जो भी परामर्श देगा राष्ट्रपति उसे मानने के लिये बाध्य होगा । इस प्रकार राष्ट्रपति केवल एक संवैधानिक मुखिया हैं ।
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विधानमंडल तथा कार्यपालिका में घनिष्ठ संबंध Close relationship between the Legislature and the Executive
विधानमंडल तथा कार्यपालिका में घनिष्ठ संबंध Close relationship between the Legislature and the Executive-संसदीय शासन – प्रणाली की एक मुख्य विशेषता विधानमंडल तथा कार्यपालिका में घनिष्ठ संबंध का होना हैं । भारत मे मन्त्रिमण्डल का निर्माण संसद में से किया जाता हैं । संसद में जिस राजनीतिक दल अथवा दलीय गठबंधन को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो जाता हैं उस दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है और फिर प्रधानमंत्री के परामर्श के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति की जाती हैं ।
भारतीय संविधान में यह व्यवस्था की गयी हैं कि किसी भी व्यक्ति को मंत्री बनने के लिए उसे संसद के एक अथवा दूसरे सदन का सदस्य होना अनिवार्य हैं । इस प्रकार विधानमंडल तथा कार्यपालिका में सम्बंध बना रहता ह जो शासन को कुशलतापूर्वक चलाने में काफी सहायक सिद्ध होता हैं ।
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व्यक्तिगत उत्तरदायित्व Individual Responsibility
व्यक्तिगत उत्तरदायित्व Individual Responsibility-संसदीय शासन – प्रणाली में मंत्रियों के संसद के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व के साथ – साथ उनका व्यक्तिगत उत्तरदायित्व भी होता हैं । प्रत्येक व्यक्ति अपने विभाग के कुशल संचालन के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेवार होता हैं । संसद के सदस्य प्रत्येक मंत्री से उसके विभाग के कार्यों संबंधी प्रश्न पूछ सकते हैं जिसका उत्तर देना संबंधित मंत्री का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होता हैं । वह मन्त्री अपने विभाग के अनुचित कार्यों अथवा त्रुटियों के लिए अन्य विभागों को जिम्मेवार नहीं ठहरा सकता ।
कार्यपालिका का अनिश्चित कार्यकाल Indefinite Tenure of the Executive
कार्यपालिका का अनिश्चित कार्यकाल Indefinite Tenure of the Executive-संसदीय शासन – प्रणाली की एक अन्य विशेषता यह हैं कि इस व्यवस्था में कार्यपालिका का कार्यकाल निश्चित नहीं होता । मन्त्रि- परिषद केवल उतने समय तक अपने पद पर बना रहता है जब तक उसे संसद के लोकप्रिय सदन ( भारत में लोकसभा ) में बहुमत का समर्थन प्राप्त रहता हैं । यदि संसद मन्त्रि – परिषद के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास कर दे , तो मन्त्रि – परिषद को अपना त्याग – पत्र देना पड़ता हैं । उदाहरण -स्वरूप भारत में सन 1996 में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार को लोकसभा में बहुमत न रहने के कारण अपना त्याग – पत्र देना पड़ा था ।
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5. मंत्रि परिषद का संसद के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व Collective Responsibility of Council of Ministers
मंत्रि परिषद का संसद के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व Collective Responsibility of Council of Ministers-विधानमंडल के प्रति मन्त्रिमण्डल का सामूहिक उत्तरदायित्व संसदीय शासन – प्रणाली की एक महत्वपूर्ण विशेषता हैं । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 में कहा गया हैं , ” मन्त्रि – परिषद सामूहिक रूप में लोकसभा के सामने उत्तरदायी हैं । ” इसका अर्थ है कि मन्त्रिमण्डल जो भी निर्णय संसद तथा देश के सामने रखता हैं प्रत्येक मन्त्री उसके लिए उत्तरदायी होता हैं ।
प्रधानमंत्री का नेतृत्व Leadership of the Prime Minister
प्रधानमंत्री का नेतृत्व Leadership of the Prime Minister-संसदीय शासन – प्रणाली में मन्त्रिमण्डल प्रधानमंत्री के नेतृत्व तथा नियंत्रण में कार्य करता है । भारत में मन्त्रिमण्डल का नेता प्रधानमंत्री होता हैं । प्रधानमंत्री की मन्त्रिमण्डल का निर्माण करता हैं , उनमें विभागों का विभाजन करता हैं तथा उनमें फेर – बदल कर सकता हैं । राष्ट्रपति द्वारा उन्ही व्यक्तियों को मन्त्री नियुक्त किया जाता हैं जिनकी सिफारिश प्रधानमंत्री करता हैं ।
प्रधानमंत्री ही मन्त्रिमण्डल की बैठकें बुलाता हैं तथा अध्यक्षता करता हैं । प्रधानमंत्री द्वारा ही इन बैठकों के लिए एजेंडा तैयार किया जाता हैं । प्रधानमंत्री राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता हैं और राष्ट्रपति तथा मन्त्रिमण्डल के बीच कड़ी का काम करता हैं ।
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राजनीतिक एकरुपता Political Homogeneity
राजनीतिक एकरुपता Political Homogeneity-संसदीय शासन – प्रणाली की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह हैं कि इसमें मन्त्रिमण्डल के सभी सदस्य प्रायः एक ही राजनीतिक दल ( जिसे संसद में बहुमत का समर्थन प्राप्त होता हैं ) में से लिये जाते है । मन्त्रिमण्डल के सदस्यों में राजनीतिक एकरूपता होने से सरकार की नीतियों तथा प्रशासन में एकरूपता सम्भव हो सकती है । राजनीतिक एकरूपता के अभाव में मन्त्रिमण्डल के सदस्यों में एकता नहीं होगी और उनमें परस्पर मतभेद बना रहेगा ।
गोपनीयता Secrecy
गोपनीयता Secrecy-संसदीय शासन – प्रणाली की अन्य विशेषता गोपनीयता हैं । मन्त्रिमण्डल की बैठकें गुप्त रूप से होती हैं और उनकी कार्यवाई को गुप्त रखा जाता हैं । सभी मन्त्रियों से यह आशा की जाती हैं कि वे मन्त्रिमण्डल में हुए वाद – विवाद तथा निर्णय को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं करें और न ही किसी को उसके बारे में बताए । संविधान के अनुच्छेद 75 के अधीन प्रत्येक मन्त्री को अपना पद ग्रहण करने से पहले मन्त्रिमण्डल के कार्यों को गुप्त रखने की शपथ लेनी पड़ती हैं । यदि कोई मन्त्री मन्त्रिमण्डल की गोपनीयता को कायम नहीं रखता तो प्रधानमंत्री द्वारा उससे त्याग – पत्र माँग लिया जाता हैं ।
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विरोधी दल के नेता को कानूनी मान्यता Legal Recognition to the Leader of Opposition
Legal Recognition to the Leader of Opposition-शासन – प्रणाली के संचालन में विरोधी दल का बहुत महत्व होता हैं । सन 1977 से पूर्व भारत में संगठित विरोधी दल का अभाव था । सन 1977 के संसदीय चुनावों के पश्चात बनी जनता पार्टी की सरकार द्वारा कानून पास करके संसद के दोनों सदनों में विरोधी दल के नेताओं को कानूनी मान्यता प्रदान की गई और उनके लिए वही वेतन तथा अन्य सुविधाएं निश्चित की गई जो कि कैबिनेट स्तर के मंत्री को प्राप्त होती हैं ।
प्रधानमंत्री का निचले सदन को भंग करने का अधिकार Power of the Prime Minister to get the Lower House Dissolved
Power of the Prime Minister to get the Lower House Dissolved-भारतीय संसदीय प्रणाली की अन्य विशेषता यह हैं कि प्रधानमंत्री को निचले सदन ( लोकसभा ) को भंग करने का अधिकार प्राप्त है । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 के अंतर्गत राष्ट्रपति को लोकसभा को उसका निश्चित कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही भंग करने का अधिकार हैं। राष्ट्रपति द्वारा ऐसा उसी समय किया जाता हैं जब प्रधानमंत्री उसे ऐसा करने का परामर्श दे ।
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मंत्री – परिषद का आकार सीमित Limited Size of the Council of Ministers
Limited Size of the Council of Ministers -साधारणतः संसदीय शासन – प्रणाली में मन्त्री- परिषद का आकार निश्चित नहीं होता और यह प्रधानमंत्री की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह अपने मन्त्री- परिषद में कितने मन्त्रियों को शामिल करें , परंतु केंद्र तथा विभिन्न राज्यों में मन्त्री- परिषद के लगातार बढ़ते हुए आकार को रोकने के लिए सन 2003 में संविधान का 91वां संशोधन पारित किया गया जिसके अनुसार मन्त्री – परिषद का आकार निश्चित किया गया हैं ।
FAQ Checklist
मंत्री-परिषद का आकार सीमित क्यों होता हैं ?
साधारणतः संसदीय शासन – प्रणाली में मन्त्री- परिषद का आकार निश्चित नहीं होता और यह प्रधानमंत्री की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह अपने मन्त्री- परिषद में कितने मन्त्रियों को शामिल करें , परंतु केंद्र तथा विभिन्न राज्यों में मन्त्री- परिषद के लगातार बढ़ते हुए आकार को रोकने के लिए सन 2003 में संविधान का 91वां संशोधन पारित किया गया जिसके अनुसार मन्त्री – परिषद का आकार निश्चित किया गया हैं ।
प्रधानमंत्री का निचले सदन को भंग करने का अधिकार से क्या तात्पर्य हैं ?
भारतीय संसदीय प्रणाली की अन्य विशेषता यह हैं कि प्रधानमंत्री को निचले सदन ( लोकसभा ) को भंग करने का अधिकार प्राप्त है । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 के अंतर्गत राष्ट्रपति को लोकसभा को उसका निश्चित कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही भंग करने का अधिकार हैं। राष्ट्रपति द्वारा ऐसा उसी समय किया जाता हैं जब प्रधानमंत्री उसे ऐसा करने का परामर्श दे ।
भारत में विरोधी दल के नेता की क्या स्थिति हैं ?
शासन – प्रणाली के संचालन में विरोधी दल का बहुत महत्व होता हैं । सन 1977 से पूर्व भारत में संगठित विरोधी दल का अभाव था । सन 1977 के संसदीय चुनावों के पश्चात बनी जनता पार्टी की सरकार द्वारा कानून पास करके संसद के दोनों सदनों में विरोधी दल के नेताओं को कानूनी मान्यता प्रदान की गई और उनके लिए वही वेतन तथा अन्य सुविधाएं निश्चित की गई जो कि कैबिनेट स्तर के मंत्री को प्राप्त होती हैं ।
संसदीय शासन-प्रणाली की विशेषता बताओं।
गोपनीयता Secrecy-संसदीय शासन – प्रणाली की अन्य विशेषता गोपनीयता हैं । मन्त्रिमण्डल की बैठकें गुप्त रूप से होती हैं और उनकी कार्यवाई को गुप्त रखा जाता हैं । सभी मन्त्रियों से यह आशा की जाती हैं कि वे मन्त्रिमण्डल में हुए वाद – विवाद तथा निर्णय को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं करें और न ही किसी को उसके बारे में बताए । संविधान के अनुच्छेद 75 के अधीन प्रत्येक मन्त्री को अपना पद ग्रहण करने से पहले मन्त्रिमण्डल के कार्यों को गुप्त रखने की शपथ लेनी पड़ती हैं । यदि कोई मन्त्री मन्त्रिमण्डल की गोपनीयता को कायम नहीं रखता तो प्रधानमंत्री द्वारा उससे त्याग – पत्र माँग लिया जाता हैं ।
राजनीतिक एकरुपता से क्या तात्पर्य हैं ?
राजनीतिक एकरुपता Political Homogeneity-संसदीय शासन – प्रणाली की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह हैं कि इसमें मन्त्रिमण्डल के सभी सदस्य प्रायः एक ही राजनीतिक दल ( जिसे संसद में बहुमत का समर्थन प्राप्त होता हैं ) में से लिये जाते है । मन्त्रिमण्डल के सदस्यों में राजनीतिक एकरूपता होने से सरकार की नीतियों तथा प्रशासन में एकरूपता सम्भव हो सकती है । राजनीतिक एकरूपता के अभाव में मन्त्रिमण्डल के सदस्यों में एकता नहीं होगी और उनमें परस्पर मतभेद बना रहेगा ।
मंत्रि परिषद का संसद के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व क्यों होता हैं ?
मंत्रि परिषद का संसद के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व Collective Responsibility of Council of Ministers-विधानमंडल के प्रति मन्त्रिमण्डल का सामूहिक उत्तरदायित्व संसदीय शासन – प्रणाली की एक महत्वपूर्ण विशेषता हैं । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 में कहा गया हैं , ” मन्त्रि – परिषद सामूहिक रूप में लोकसभा के सामने उत्तरदायी हैं । ” इसका अर्थ है कि मन्त्रिमण्डल जो भी निर्णय संसद तथा देश के सामने रखता हैं प्रत्येक मन्त्री उसके लिए उत्तरदायी होता हैं ।
नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका से क्या तात्पर्य हैं ?
नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में भेद Distinction between Nominal and Real Executive-भारतीय संसदीय प्रणाली की प्रथम विशेषता यह हैं कि इसमें नाममात्र कार्यपालिका तथा वास्तविक कार्यपालिका अर्थात दो प्रकार की कार्यपालिका की व्यवस्था की गई हैं । भारत में राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका हैं और मंत्री- परिषद वास्तविक कार्यपालिका हैं । संविधान द्वारा सभी कार्यपालिका शक्तियां राष्ट्रपति को दी गई हैं , परंतु वह इन सभी शक्तियों का प्रयोग मंत्री – परिषद ,जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होता हैं के परामर्श के अनुसार ही करता हैं ।
संसदीय-प्रणाली में व्यक्तिगत उत्तरदायित्व से क्या तात्पर्य हैं ?
व्यक्तिगत उत्तरदायित्व Individual Responsibility-संसदीय शासन – प्रणाली में मंत्रियों के संसद के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व के साथ – साथ उनका व्यक्तिगत उत्तरदायित्व भी होता हैं । प्रत्येक व्यक्ति अपने विभाग के कुशल संचालन के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेवार होता हैं । संसद के सदस्य प्रत्येक मंत्री से उसके विभाग के कार्यों संबंधी प्रश्न पूछ सकते हैं जिसका उत्तर देना संबंधित मंत्री का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होता हैं । वह मन्त्री अपने विभाग के अनुचित कार्यों अथवा त्रुटियों के लिए अन्य विभागों को जिम्मेवार नहीं ठहरा सकता ।