India-Pakistan Relations From History to Present Hindi-भारत-पाकिस्तान संबंध इतिहास से वर्तमान तक-ऐतिहासिक विश्लेषण

India-Pakistan Relations : भारत-पाकिस्तान संबंध इतिहास से वर्तमान तक

भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध भारत-पाकिस्तान संबंध राजनीति विज्ञान

India-Pakistan Relations in Hindi – पाकिस्तान की स्थापना सन 1947 में भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप हुई। आरंभ से ही भारत तथा पाकिस्तान के आपसी संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। विस्थापित संपत्ति ,लहरी पानी विवाद, देशी रियासतों की समस्या ,सीमा निर्धारण तथा कच्छ आदि विवादों के लिए भारत तथा पाकिस्तान में युद्ध होते रहे हैं जिससे दोनों देशों के संबंध कटुतापूर्ण बने रहे हैं।

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Table of Contents विषय सूची

भारत-पाकिस्तान संबंध इतिहास से वर्तमान तक ( India-Pakistan Relations From History to Present in Hindi )

भारत-पाकिस्तान में संबंध हमेशा से ही ऐतिहासिक और राजनीतिक मुद्दों की वजह से तनावपूर्ण ही रहा है । इन दोनों देशों में विवाद भारत के विभाजन और पाकिस्तान के जन्म से ही चलते आ रहे । भारत-पाकिस्तान में मूल विवाद कश्मीर मुद्दे को भी माना जाता हैं जिसके कारण दोनों देश उलझे हुए हैं । भारत-पाकिस्तान सम्बन्धो की विस्तृत व्याख्या इस प्रकार हैं –

कबाइलियों की कश्मीर पर हमला ,1947 ( Tribal attack on Kashmir ,1947 )

सन 1947 में पाकिस्तान की सहायता से कबायली ( Tribesman ) लोगों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। सब पर कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारत से सहायता मांगी और कश्मीर को भारत में मिलाने की प्रार्थना की। भारत ने इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और पाकिस्तान से कबाइलियों की सहायता न करने को कहा परंतु पाकिस्तान ने इसकी कोई परवाह न की और कश्मीर के एक बड़े भाग पर अधिकार कर लिया।

भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ में शिकायत की परंतु संयुक्त राष्ट्र संघ आज तक इस समस्या का समाधान नहीं कर सका। इसके परिणामस्वरूप भारत तथा पाकिस्तान के आपसी संबंधों में बहुत तनाव उत्पन्न हो गया। जैसा कि ज्योति भूषण दासगुप्ता ने कहा है कि-” भारत व पाकिस्तान के संबंधों में मतभेद रहे हैं कभी अप्रत्यक्ष वह कभी प्रत्यक्ष परंतु सर्वदा मतभेद।”

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पाकिस्तान का भारत पर हमला ,1965 ( Pakistan’s attack on India ,1965 )

सन 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर फिर आक्रमण कर दिया परंतु भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान को बुरी तरह पराजित किया। अंत में सोवियत संघ के माध्यम से दोनों देशों के बीच ताशकंद समझौता हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत ने पाकिस्तान के जीते हुए क्षेत्र उसे वापस लौटा दिए।

भारत -पाकिस्तान में युद्ध ,1971 ( India-Pakistan War, 1971 )

सन 1971 में बांग्लादेश की समस्या को लेकर भारत तथा पाकिस्तान के बीच पुनः युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में पाकिस्तान की फिर पराजय हुई और पाकिस्तान का एक बहुत बड़ा भाग उससे अलग हो गया अर्थात बांग्लादेश नामक एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना हुई।

उसके पश्चात भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के प्रधानमंत्री शिमला में मिले और उन्होंने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अनुसार दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि भविष्य में भी अपनी सभी समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तथा मित्रतापूर्ण ढंग से करेंगे तब से दोनों देशों के आपसी संबंधों में कुछ सुधार होना आरंभ हुआ।

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भारत-पाकिस्तान ,शिमला समझौता 1972 की मुख्य शर्ते ( India-Pakistan, Main Terms of Shimla Agreement 1972 )

  • शिमला समझौता भारत तथा पाकिस्तान के बीच 3 जुलाई 1972 को हुआ। इसकी मुख्य बातें निम्नलिखित है
  • दोनों राष्ट्र एक दूसरे की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता तथा राजनीति स्वतंत्रता का सम्मान करेंगे।
  • दोनों देश अपने पारस्परिक झगड़ों को बातचीत और शांतिपूर्ण उपायों से हल करने के लिए दृढ़ संकल्प है ।
  • दोनों राष्ट्र एक दूसरे की स्वतंत्रता तथा क्षेत्रीय अखंडता के विरोध बल प्रयोग अथवा बल प्रयोग की धमकी का प्रयोग नहीं करेंगे
  • दोनों देश परस्पर सामान्य संबंध स्थापित करने के लिए प्रयत्न करेंगे

भारतीय विदेशमंत्री की पाकिस्तान यात्रा -1978 ( Visit of Indian Foreign Minister to Pakistan -1978 )

सन 1978 में भारत के विदेश मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा की जिससे दोनों देशों के आपसी संबंधों में कुछ और सुधार हुआ । एक समझौते के अनुसार दोनों देशों में रेलगाड़ियों का आना-जाना आरंभ हो गया और दोनों देशों से नागरिक अपने पर्वों को मनाने के लिए एक -दूसरे के देश में जाने लगे । 1981 में पाकिस्तान ने पहली बार भारत में आयोजित व्यापार मेले में भाग लिया ।

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युद्ध वर्जन सन्धि ( War Barring Pact )

सन 1982 के आरम्भ में पाकिस्तान के विदेशमंत्री श्री आगाशाही भारत आए और उन्होंने युद्ध वर्जन सन्धि का प्रस्ताव पेश किया जिस पर तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने भारत तथा पाकिस्तान के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त आयोग की स्थापना का सुझाव दिया ।

भारत-पाकिस्तान संबंध में तनाव के मुख्य कारण ( Main causes of tension in India-Pakistan relations )

  • मार्च 1983 में भारत मे हुए गुट-निरपेक्ष सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति भारत आए । सन 1984 में श्री राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने ।
  • 1965 में भारत -पाकिस्तान के कई मंत्रियों और अधिकारियों की एक -दूसरे के देशों में यात्राएं हुई ,जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच व्यापार ,कृषि , विज्ञान तथा तकनीकी के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौते हुए ।
  • श्री राजीव गांधी तथा जनरल जिया ( पाकिस्तान के राष्ट्रपति ) की कई बार मुलाकात हुई परन्तु कोई ठोस परिणाम नही निकला ।
  • सन 1988 में श्रीमती बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी । आशा थी कि पाकिस्तान में लोकतंत्र के बहाल होने से भारत-पाक संबंधों में सुधार होगा परन्तु ऐसा नहीं हुआ ।
  • 1990 में श्री नवाज शरीफ़ वहां के प्रधानमंत्री बने । उन्होंने भारत के प्रति जो रवैया अपनाया उससे दोनों देशों में कटुता बढ़ी ।
  • मार्च 1993 में विस्फोट हुए उसमें भी पाकिस्तान का हाथ बताया जाता है। अक्टूबर 1993 में श्रीमती बेनजीर भुट्टो फिर से पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी जिन्होंने अपना पद संभालते ही भारत सरकार की कड़ी आलोचना करनी आरंभ कर दी ।
  • फिर भी भारत तथा पाकिस्तान के बीच कश्मीर तथा अन्य समस्याओं पर विचार करने के लिए 3 जनवरी 1994 को इस्लामाबाद में दोनों देशों की विदेश सचिव स्तर की बातचीत हुई परन्तु उसका कोई परिणाम नही निकला ।
  • मार्च 1994 ,में पाकिस्तान ने जेनेवा में मानव अधिकार आयोग में भारत सरकार द्वारा कश्मीर में मानवाधिकारों के विरोध संबंधी प्रस्ताव पेश करने का प्रयत्न किया परन्तु वे असफल रहे । उसके बाद पाकिस्तान ने मुंबई में अपना दूतावास बंद कर दिया ।
  • पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के भारत के साथ विलय को स्वीकार ना करना ।
  • पाकिस्तान का भारत विरोधी प्रचार तथा पंजाब के सिख उग्रवादियों एवं जम्मू कश्मीर के आतंकवादियों को न केवल शरण देना बल्कि भारत में तोड़फोड़ तथा आतंकवादी कार्यवाइयाँ करने के लिए प्रशिक्षण तथा अन्य सभी प्रकार की सहायता देना ।
  • पाकिस्तान द्वारा 1998 में अणु बम का परीक्षण किया जाना।
  • पाकिस्तान द्वारा अमेरिका तथा चीन से सैनिक हथियार तथा अन्य सहायता प्राप्त करना जिसका प्रयोग वह में भारत के विरुद्ध ही कर सकता है।
  • पाकिस्तान द्वारा 1998 में अणु बम का परीक्षण किया जाना ।
  • पाकिस्तान बांग्लादेश की स्थापना के लिए भारत को जिम्मेदार मानता हैं ।

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वाजपेयी सरकार और पाकिस्तान से संबंध ( Vajpayee government and relations with Pakistan )

मार्च 1998 में भारत मे श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी सरकार के काल मे भी भारत-पाकिस्तान संबंधों में बहुत उतार-चढ़ाव आया। भारत द्वारा परमाणु परीक्षण किए जाने की पाकिस्तान में बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया हुई और जवाब में पाकिस्तान द्वारा भी परमाणु परीक्षण किए गए।

अमेरिका द्वारा भारत की भांति पाकिस्तान को भी आर्थिक सहायता देनी बंद कर दी गयी और कई अन्य आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए,जिनका पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही गम्भीर असर पड़ा ।

बस कूटनीति ( Bus Diplomacy )

भारत के प्रधानमंत्री ने संबंध सुधारने की दिशा में 20 फरवरी 1999 को भारत-पाकिस्तान के बीच बस सेवा प्रारंभ की जिससे दोनों देशों के मध्य संबंधों में सुधार की आशा किरण दिखाई देने लगी । इस पर दोनों देश के प्रधानमंत्रियों ने आपसी सहमति से कुछ बातों पर लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए जो निम्नलिखित हैं –

  • दोनों देश नि:शस्त्रीकरण तथा अप्रसार सन्धि के प्रति वचनबद्ध हैं ।
  • दोनों देश शिमला समझौता 1972 के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे ।
  • दोनों देश आतंकवाद की समाप्ति एवं मानवाधिकारों का संरक्षण करेंगे ।
  • दोनों देश जम्मू-कश्मीर सहित सभी समस्याओं को आपसी बातचीत द्वारा सुलझाएंगे ।
  • दोनों देश परमाणु परीक्षण के बाद उत्पन्न संघर्ष को टालेंगे ।
  • दोनों देश एक दूसरे की आंतरिक मामलों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेंगे ।

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भारत के जनप्रतिनिधियों की पाकिस्तान यात्रा ( Indian Delegation’s visit to Pakistan )

1 फरवरी ,1999 में भारत के भूतपूर्व स्पीकर श्री बलराम झाखड़ के नेतृत्व में भारत के सभी दलों के 19 संसद सदस्यों के प्रतिनिधि मंडल की पाकिस्तान यात्रा भी इस ओर उठाया गया ऐसा ही कदम कहा जा सकता ।

कारगिल संकट से उत्पन्न तनाव ( Tension arising out of Kargil )

एक तरफ जहां लाहौर घोषणा पत्र व जनप्रतिनिधियों की पाक यात्रा के द्वारा भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से संबंध सुधारने का प्रयास कर रहा था वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान सेना द्वारा पाक घुसपैठियों के साथ भारत की नियंत्रण रेखा में घुसपैठ की गई और जम्मू कश्मीर के द्रास ,कारगिल और बटालिक में पाकिस्तानी सेना ने अपने समर्थक घुसपैठियों के साथ कब्जा कर लिया।

विवशतावश भारतीय वायु सेना ने ऑपरेशन विजय द्वारा पाकिस्तानी सेना एवं उसके समर्थक उग्रवादियों को भारतीय नियंत्रण रेखा से बाहर जाने के लिए बाध्य कर दिया। इस प्रकार पाकिस्तान की ऐसी कार्यवाही ने दोनों देशों के संबंधों में मई-जून 1999 में अत्यधिक कड़वाहट पैदा कर दी।

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पाकिस्तान में सैनिक शासन ( Military Rule in Pakistan )

12 अक्टूबर 1999 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्तापलट और पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा पाकिस्तान में निरंकुश शासन की स्थापना के बाद दो दोनों देशों के बीच संबंध और भी विकट हो गए क्योंकि मुशर्रफ का दृष्टिकोण भारत विरोधी रहा है।

यदि स्थिति पर दृष्टिपात किया जाए तो यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि पाकिस्तान में मुशर्रफ के सैनिक शासन की स्थापना के बाद भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ रही है और कश्मीर को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत विरोधी प्रचार भी तेज हुआ।

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र संघ की एक बैठक में नवंबर ,2000 को जम्मू कश्मीर के लोगों को आत्म निर्णय के अधिकार दिलाने की भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग कर डाली।

पाकिस्तान का राष्ट्रमंडल से निलंबन ( Pakistan Suspension from Membership Commonwealth )

भारत की सक्रियता से नवंबर 1999 में दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में आयोजित राष्ट्रमंडल सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेकर पाकिस्तान को राष्ट्रमंडल की सदस्यता से निलंबित कर दिया। परिणामस्वरूप पाकिस्तान का भारत विरोधी प्रचार और बढ़ गया ।

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आगरा शिखर वार्ता ( Agra Summit )

जुलाई ,2001 में पाकिस्तान के सैनिक शासक परवेज़ मुशर्रफ ने भारत यात्रा की । इस यात्रा से यह आशा लगाई जा रही थी कि कारगिल संकट के बाद दोनों देशों में उत्पन्न कड़वाहट को कम करने का प्रयास किया जाएगा परन्तु दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच आगरा में हुई वार्ता बिना किसी परिणाम के समाप्त हो गयी ।

भारत-पाक शिखर वार्ता असफल रहने के कारण ( Reasons For Debacle of India-Pakistan Summit )

भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुशर्रफ के मध्य 15-16 जुलाई ,2001 को आगरा में सम्पन्न शिखर वार्ता बिना किसी परिणाम के समाप्त हुई थी । इस बहुप्रतीक्षित शिखर वार्ता के असफल रहने के निम्नलिखित कारण केंद्रीय गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने बाद में बताएं जो इस प्रकार हैं –

  • वार्ता में सीमापारीय आतंकवाद के मुद्दे को शामिल न करने की पाकिस्तान की जिद्द ।
  • शिमला समझौते और लाहौर घोषणा-पत्र के अनुपालन की पाकिस्तान की अनिच्छा ।
  • हुर्रियत नेताओं से मिलने का पाकिस्तानी राष्ट्रपति का अशोभनीय प्रदर्शन ।
  • संपादकों और पत्रकारों के साथ पाकिस्तानी राष्ट्रपति की बैठक का प्रसारण ।
  • पाकिस्तान द्वारा केवल कश्मीर के मुद्दे पर ही ध्यान केंद्रित करना ।

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कश्मीर विधानसभा पर आतंकी हमला ( Terrorist Attack on Kashmir Assembly )

अक्टूबर ,2001 को पाकिस्तान समर्थित जैश ए मोहम्मद के तीन सदस्यीय आत्मघाती दस्ते ने कश्मीर विधानसभा पर अंधाधुंध गोलियां चलाई और विस्फोटों से भरी कार को विधानसभा के मुख्य द्वार से टकराकर आतंकवादी कुकृत्य किया , जिसमे लगभग 30 लोग मारे गए और 63 से ज्यादा लोग घायल हो गए ।

एक बार पुनः भारत के संयम को तोडने की कोशिश की गई । फलत: भारत को कड़े शब्दों में पाकिस्तान को चेतावनी देने के लिए बाध्य होना पड़ा । यहां यह उल्लेखनीय हैं कि जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन ने इस आतंकी हमले की जिम्मेवारी ली हैं ।

भारत ने पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद को सौंपने को कहा परन्तु पाकिस्तान की इस संबंध में कोई सकारात्मक पहल का न होना दोनों देशों के बीच संबंधों को और कटु बनाना ही हैं ।

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पाकिस्तान द्वारा भारतीय संसद पर हमला ( Indian Parliament attacked by Pakistan )

भारत माता के विरुद्ध आतंकवादियों का दो दशक पुराना युद्ध जब भारतीय लोकतंत्र के हृदय संसद भवन तक पहुंच गया तो भारत-पाक संबंधों में पुनः गंभीर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। दु:साहस की सारी सीमाएं तोड़ते हुए 5 आतंकवादियों के आत्मघाती दस्ते ने 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन परिसर में प्रवेश करके अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें संसद भवन का एक कर्मचारी व छह सुरक्षाकर्मी तत्काल मारे गए एवं अन्य 22 लोग घायल हो गए हैं।

भारत ने हमले में पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-मोहम्मद का हाथ होने के प्रमाण अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी आदि को उपलब्ध कराए । भारतीय संसद भवन परिसर पर आतंकवादियों के हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी निंदा हुई।

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 20 दिसंबर 2001 को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की संपत्ति को जब्त करने और इन दोनों स संगठनों के नाम आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल करने के निर्णय किये ।

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सुरक्षा परिषद में भारत-पाकिस्तान टकराव ( Conflicts between India-Pakistan in Security Council )

सुरक्षा परिषद ने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1373 के तहत गठित आतंकवाद विरोधी समिति के कार्यों की समीक्षा करने के लिए 18 फरवरी 2002 को बैठक बुलाई। भारत-पाकिस्तान दोनों को ही सुरक्षा परिषद का सदस्य ना होने के बावजूद इस बैठक में भागीदारी हेतु आमंत्रित किया गया था।

इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत-पाकिस्तान के स्थाई प्रतिनिधि क्रमश:कमलेश शर्मा व शमशाद अहमद ने आतंकवाद के मामले पर एक-दूसरे के प्रति आरोप-प्रत्यारोप लगाए । भारत ने अपने सम्बोधन में भारत को सीमापारीय आतंकवाद का शिकार बताते हुए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को पाकिस्तान का समर्थन देने को सुरक्षा परिषद के संकल्प के विपरीत बताया ।

पाकिस्तान प्रतिनिधि शमशाद अहमद ने भारत पर आतंकवाद को गलत तरीके से परिभाषित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह इस राजनीतिक हित के लिए इस क्षेत्र में संकट भड़का रहा है। इस तरह से दोनों देशों के मध्य कूटनीतिक टकराव का रूप पाया गया।

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भारत-पाकिस्तान के द्वारा उच्चायोग के कर्मचारियों का निष्कासन ( Expulsion of High Commission Employee by India-Pakistan )

भारत एवं पाकिस्तान के द्वारा एक दूसरे देशों पर राजनयिकों को उनके कर्मचारियों पर अवांछनीय आचरण का दोष लगाते हुए 22 जनवरी 2002 भारत द्वारा, 23 जनवरी 2002 पाकिस्तान द्वारा क्रमश: राजनयिकों सहित चार चार कर्मचारियों को देश छोड़ने संबंधी आदेश जारी किए गए । इस तरह से दोनों देशों के बीच फिर राजनीतिक कटुता पैदा हो गई ।

भारत-पाकिस्तान द्वारा उच्चायुक्तों की बहाली ( Re-appointment of high Commissioner’s by India-Pakistan )

17 महीने के अंतराल के बाद भारत-पाकिस्तान में परस्पर उच्चायुक्तों को मई 2003 में बहाल कर दिया। दोनों देशों ने एक बार फिर दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए राजनयिक संबंध स्थापित किए।

भारत ने 13 मई 2003 को वरिष्ठ राजनयिक शिवशंकर मेनन को पाकिस्तान में उच्चायुक्त बनाने की घोषणा की तथा 28 मई 2003 को भारत द्वारा पाकिस्तान द्वारा नियुक्त उच्चायुक्त अजीम अहमद खान की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की । इस प्रकार दोनों देश एक बार फिर राजनयिक संबंध स्थापित करके आपसी रिश्तों को सुधारने की ओर अग्रसर हो हुए ।

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दिल्ली-लाहौर बस सेवा पुनः प्रारंभ ( Re- Start of Delhi -Lahore Bus Service )

13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए हमले के पश्चात दोनों देशों के बीच बस सेवा को बंद कर दिया गया था लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव में कुछ कमी आने के पश्चात 11 जुलाई 2003 को दोनों देशों के बीच दिल्ली लाहौर बस सेवा को पुनः आरंभ कर दिया गया।

लगभग 2 साल के अंतराल के बाद 15 जनवरी 2004 को भारत-पाकिस्तान के बीच रेल यातायात का सिलसिला समझौता एक्सप्रेस के रूप में फिर शुरू हो गया। इस प्रकार दोनों देशों के बीच पुनः मैत्री भाव ने दोनों देशों के नागरिकों के बीच आवागमन को संभव बना दिया।

भारत द्वारा पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने के लिए 12 सूत्रीय नई पेशकश ( New offer by India to improve relations with Pakistan )

भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 22 अक्टूबर 2003 को द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने की प्रक्रिया में पाकिस्तान के समक्ष 12 सूत्रीय नए प्रस्ताव को रखा गया । इन प्रस्तावों का मुख्य उद्देश्य जन-सम्पर्क में वृद्धि करना हैं । भारत की 12 सूत्रीय पेशकश में निम्नलिखित बिंदु हैं –

  1. क्रिकेट व अन्य खेल सम्बन्धो की बहाली ।
  2. श्रीनगर से अधिकृत कश्मीर में मुजफ्फराबाद के बीच बस सेवा का शुभारंभ ।
  3. हवाई संपर्कों तथा ओवर-फ्लाइट बहाली पर दूसरे दौर की वार्ता ।
  4. नई दिल्ली व इस्लामाबाद स्थित एक -दूसरे के उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना ।
  5. उड्डयन वार्ता के बाद रेल संपर्कों की बहाली पर वार्ता तथा दिल्ली-लाहौर बस सेवा के फेरे बढ़ाना ।
  6. दोनों देशों के बीच तटरक्षक बलों व महानिदेशालय के बीच संबंध ।
  7. अरब सागर के कुछ विशेष इलाकों में मछुआरों की गिरफ्तारी पर रोक ।
  8. नई दिल्ली वालों इस्लामाबाद के अलावा अन्य शहरों में भी वीजा की सुविधा।
  9. वृद्ध जो 65 वर्ष से ऊपर नागरिकों को पैदल बाघा सीमा पार करने की इजाजत।
  10. मुंबई और कराची के बीच फेरी सर्विस ( नौका सेवा ) शुरू ।
  11. राजस्थान में खोखरापुर तथा पाकिस्तानी सिंध प्रांत में मुनाबाओं के बीच रेल सेवा की शुरुआत ।
  12. पाकिस्तान के 20 अन्य बीमार बच्चों को भारत में मुफ्त इलाज की सुविधा

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भारतीय प्रस्ताव पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया ( Pakistan’s response to the Indian proposal )

भारत के प्रस्ताव की पेशकश का उत्तर पाकिस्तान इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायुक्त के माध्यम से 29 अक्टूबर 2003 को दिया। 12 प्रस्ताव का मिश्रित जवाब देते हुए पाकिस्तान ने कुछ को तो स्वीकार कर लिया लेकिन कुछ ऐसे नए प्रस्ताव पेश किए हैं जिस पर नई दिल्ली की सहमति मिलना मुश्किल ही है।

पाकिस्तान ने दोनों देशों के बीच खेल संबंध फिर से जोड़ने और बूढों को बाघा सीमा पैदल पार करने की इजाजत देने के प्रस्ताव को बिना किसी शर्त मान लिया। श्रीनगर और मुजफ्फराबाद के बीच बस सेवा शुरू करने की महत्वपूर्ण भारतीय प्रस्ताव का स्वागत किया मगर यह भी कहा है कि नियंत्रण रेखा पर स्थित चेकपॉइंट्स की व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र अधिकारी संभालेंगे और लोग संयुक्त राष्ट्र दस्तावेजों के साथ ही यात्रा करें क्योंकि यह विवादित इलाका है।

भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की पाकिस्तान यात्रा ,2004 ( Indian Primeminister Atal Bihari Visit to Pakistan )

4-6 जनवरी 2004 में भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सार्क शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मीर जमाली तथा राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ अलग-अलग बात की और भारत-पाक संबंधों को सुधारने पर विचार किया।

इससे पहले दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए कुछ आपसी समझौते किए गए थे जिनके अंतर्गत दोनों देशों के बीच हवाई जहाज जो रेल सेवा तथा बस सेवा जो भारतीय संसद पर उग्रवादियों के हमले के बाद बंद कर दी गई थी को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया जा चुका था। दोनों देशों के बीच सुधारते हुए रिश्तो के माहौल में यह बातचीत बहुत ही महत्वपूर्ण रही है।

दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई बातचीत के पश्चात एक संयुक्त बयान जारी किया गया जिससे पाकिस्तान की ओर से विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी और भारत के विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा द्वारा अलग-अलग जारी किया गया। इसके अनुसार प्रधानमंत्री वाजपेयी ने राष्ट्रपति मुशर्रफ से कहा कि दोनों देशों के बीच संवाद प्रक्रिया को चलाने और टिकाऊ बनाने के लिए दोनों देशों के बीच हिंसा, शत्रुता तथा आतंकवाद को हर हाल में रोकना होगा।

इस पर राष्ट्रपति मुशर्रफ ने यह आश्वासन दिया था कि पाकिस्तान नियंत्रित किसी भी इलाके से भारत के विरुद्ध किसी भी प्रकार की आतंकी गतिविधि नहीं होने दी जाएगी। दोनों के बीच इस बात पर भी सहमति हुई कि सभी आपसी मुद्दों पर निरंतर और सकारात्मक बातचीत के अच्छे परिणाम निकल सकते हैं। अतः फरवरी 2004 से व्यापक मुद्दों पर बातचीत की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी।

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भारत-पाकिस्तान वार्ता प्रक्रिया ( India-Pakistan dialogue process )

इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन जनवरी 2004 की सहमति के अनुरूप दोनों देशों के बीच समग्र बातचीत का दौर 18 फरवरी 2004 को विदेश सचिव स्तरीय बैठक के साथ प्रारंभ हुआ। इससे पूर्व 16-17 फरवरी 2004 को संयुक्त स्तरीय वार्ता में दोनों देशों के बीच समग्र बातचीत के लिए कार्यक्रम तैयार किया गया।

इस वार्ता में दोनों देशों के द्वारा जो रोड मैप स्वीकृत हुआ उसमें मई जून 2004 में जम्मू-कश्मीर सहित शांति सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर बातचीत ,मई 2004 में नाभिकीय विषयों ,जून 2004 में नशीले पदार्थों की तस्करी, जुलाई 2004 में विभिन्न मुद्दों पर व्यापक सहमति तथा अगस्त 2004 में समग्र विषयों पर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बादचीत का क्रम जारी रहेगा।

परंतु अप्रैल 2004 में भारत में हुए लोकसभा चुनाव में राजग के स्थान पर केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत-पाकिस्तान की वार्ताएं पूर्व निश्चित कार्यक्रम के अनुसार स्थगित हो गई।

डॉ मनमोहन सिंह की सरकार और उसके पाकिस्तान के साथ संबंध ( Dr. Manmohan Singh’s Government and its Relations with Pakistan )

अप्रैल 2004 में डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गठित केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने पाक के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत के दौरान जून 2004 में पुनः प्रारंभ किया। इस क्रम में 19-20 जून 2004 ,को नाभिकीय मुद्दों पर विश्वास बहाली हेतु सचिव स्तरीय वार्ता हुई तथा 22 जून 2004 को चिनाब नदी पर निर्माणाधीन ‘बगलिहार जल विद्युत परियोजना’ पर बातचीत दिल्ली में हुई।

इसके अतिरिक्त 29-30 जुलाई 2004 को ‘ तुलबुल नौवहन परियोजना ‘मामले में सचिव स्तरीय वार्ता इस्लामाबाद में हुई। इसी क्रम में सार्क विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भारत-पाकिस्तान विदेश मंत्रियों की बैठक 21 जुलाई 2004 को इस्लामाबाद में हुई। जिसमें द्विपक्षीय आपसी बातचीत को जारी रखने पर सहमति हुई।

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न्यूयॉर्क में भारत-पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की बातचीत ( Talks between the Prime Ministers of India and Pakistan in New York )

24 सितंबर 2004 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 59 वें वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए गए दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता सकारात्मक रूप से हुई और दोनों देश बातचीत की प्रक्रिया को आगे जारी रखने पर सहमत हुए।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा,नंवबर 2004 ( Visit of Pakistani Prime Minister to India, November 2004 )

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शौकत अजीज 23- 24 नवंबर 2004 को भारत की दो दिवसीय यात्रा पर अपने सहयोगी मंत्रियों के साथ आए। इस यात्रा का महत्व इस कारण भी था कि किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की 13 वर्षों के अंतराल के बाद यह भारत की पहली यात्रा थी।

यहां यह उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व 1991 में नवाज शरीफ पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी के अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए आए थे । इस यात्रा के दौरान दक्षेस संबंधी मुद्दों के साथ-साथ कश्मीर व द्विपक्षीय महत्त्व के विभिन्न मुद्दों जैसे श्रीनगर मुजफ्फराबाद के मध्य बस सेवा प्रारंभ करने, बैंकिंग क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग, ईरान से पाकिस्तान के रास्ते से गैस पाइप लाइन बिछाने आदि पर बातचीत हुई।

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भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा ,फरवरी 2005 ( Visit of Indian External Affairs Minister to Pakistan, February 2005 )

भारतीय विदेश मंत्री नटवर सिंह ने 15-17 फरवरी 2005 को 3 दिन की पाक यात्रा पर गए। केवल द्विपक्षीय मुद्दों के सिलसिले में किसी भारतीय विदेश मंत्री 16 वर्ष के अंतराल के पश्चात पाकिस्तान की यात्रा पर गए । इस यात्रा के दौरान अप्रैल 2005 से श्रीनगर एवं मुजफ्फराबाद के बीच बस सेवा प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया ।

परंतु यह बसे कभी भी अपने नियंत्रण रेखा को पार नहीं करेंगे बल्कि दोनों देश अपनी अपनी बसों को नियंत्रण रेखा से पहले ही रोक देंगे और दोनों देशों की यात्री पैदल एक दूसरे देश की सीमा को पार करके दूसरे देश की ही बस में बैठेंगे लेकिन इस ऐतिहासिक समझौते से दोनों देशों के परिवार आपस में आसानी से मिल सकेंगे। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच अमृतसर-लाहौर बस सेवा प्रारंभ करने , खोखरा पार मुनावाओ रेल सम्पर्क बहाल करने पर भी सहमति हुई ।

क्रिकेट कूटनीति एवं भारत-पाकिस्तान संबंध ,अप्रैल 2005 ( Cricket Diplomacy and India-Pakistan Relations, April 2005 )

क्रिकेट कूटनीति के तहत 16-18 अप्रैल 2005 को पाक के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने भारत की यात्रा की । उनकी यह यात्रा दोनों देशों के बीच बातचीत व द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद 17 सूत्रीय संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया जिनमें प्रमुख बातें निम्नलिखित है-

  • दोनों देश इस बात पर सहमत है कि शांति प्रक्रिया के तहत अब पीछे मुड़ना संभव नहीं है।
  • जम्मू कश्मीर पर दोनों पक्ष बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए ।
  • श्रीनगर-मुजफ्फराबाद बस सेवा की फ्रीक्वेंसी बढ़ाने के साथ-साथ व्यापार संवर्धन के लिए इसी मार्ग पर ट्रकों के आवागमन पर सहमति ।
  • भारत-पाकिस्तान के बीच नई बस सेवा की संभावना जिसमें पूंछ-रावलकोट ,अमृतसर-लाहौर व अमृतसर से ननकाना साहिब तथा अन्य तीर्थ स्थानों पर बस सेवा प्रारंभ करने के कार्य पर सहमति ।
  • खोकरापार-मुनावाओं के बीच 1 जनवरी 2006 तक रेल संपर्क पुनः स्थापित करने पर सहमति।
  • गैस पाइपलाइन के क्षेत्र में सहयोग के अवसर तलाशने पर सहमति
  • मुंबई और कराची में दोनों देशों के कन्सुलेट जनरल आरंभ करने पर सहमति ।
  • संयुक्त आर्थिक आयोग को पुनः सक्रिय करने पर सहमति एवं संयुक्त व्यापार परिषद की बैठक शीघ्र आयोजित करने पर सहमति।

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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भूकंप एवं भारतीय सहायता अक्टूबर 2005 ( Earthquake in Pakistan Occupied Kashmir and Indian aid October 2005 )

8 अक्टूबर 2005 को भारत-पाकिस्तान में कश्मीर घाटी के सीमावर्ती क्षेत्र में भूकंप के भीषण झटको ने भारी तबाही मचाई। पाकिस्तान क्षेत्र में भारी जान-माल की हानि हुई। भारतीय सरकार ने मानवता के आधार पर पाकिस्तान को इस संकट की घड़ी में हर सम्भव सहायता देने की पेशकश की औरत राहत सामग्री भेजी ।

यद्दपि इस संकट की घड़ी में भारत ने पाकिस्तान को संयुक्त राहत कार्यों की पेशकश भी भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के लिए की थी जिसे पाकिस्तान के द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था । लेकिन यह उल्लेखनीय है कि भारत द्वारा भेजी राहत सामग्री को पाक द्वारा स्वीकार कर लिया गया था। इस प्रकार भारत द्वारा इस संकट की घड़ी में की गई सहायता से दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की प्रक्रिया को और भी बल मिला।

उरी आतंकी हमला और उसके परिणाम ( Uri terror attack and its Conclusion )

18 सितंबर 2016 को जम्मू और कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ। जिसमें भारत के 18 जवान शहीद हो गए। सैन्य बलों की कार्यवाही में सभी 4 आतंकी मारे गए । यह भारतीय सेना पर किया गया लगभग 20 सालों में सबसे बड़ा हमला था।

भारत सरकार ने इस आतंकी हमले को बहुत ही गंभीरता से लिया। पहले हुए कई हमलों की तरह इस हमले में भी आतंकवादियों के पाकिस्तान से संबंध होने के प्रमाण मिले जिसके कारण भारत भर में पाकिस्तान के प्रति रोष प्रकट हुआ। इस हमले के संबंध में भारत सरकार ने कई अप्रत्याशित कदम उठाएं जो कि निम्नलिखित है-

  • भारत सरकार ने कूटनीतिक स्तर पर विश्व भर में पाकिस्तान को अलग-थलग करने की मुहिम छेड़ दी।
  • संयुक्त राष्ट्र में भारत की विदेश मंत्री ने आतंक का पोषण करने वाले देशों की निंदा की और पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में कहा कि कश्मीर छीनने का सपना पूरा नहीं होगा।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान ‘खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते ‘के साथ ही भारत ने सिंधु जल नदी की समीक्षा शुरू कर दी। पाकिस्तानी ने इसे युद्ध की कार्यवाही बताया और भारत के विरुद्ध परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी दी।
  • 29 सितंबर 2016 को भारत के डीजीएमओ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारतीय सेना ने आतंकवादियों के ठिकानों पर सर्जिकल हमले किए हैं।

भारत-पाकिस्तान संबंधों की वर्तमान स्थिति ( Current status of India-Pakistan relations )

  • विश्व बैंक का अनुमान है कि वर्ष 2018 के दौरान भारत-पाकिस्तान व्यापार क्षमता 37 अरब डॉलर की तुलना में वास्तविक व्यापार 2 पॉइंट 4 अरब डॉलर ही हुआ था जो कि वर्तमान में घटकर केवल 400 मिलियन डॉलर का रह गया है।
  • वर्तमान में विश्व के विभिन्न देशों विभिन्न क्षेत्रों की एकीकृत करने के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार सौदों पर चर्चा कर रहे हैं इसके विपरीत भारत और पाकिस्तान ने एक वाणिज्य खाई बना रखी है जो दक्षिण एशिया के समग्र आर्थिक विकास में एक प्रमुख बाधा बनी हुई है।
  • भारत-पाकिस्तान संबंधों में कटुता ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन ( सार्क )को अव्यावहारिक बना दिया है ,जिससे मोटर वाहन कनेक्टिविटी और संयुक्त उपग्रह जैसी परियोजनाएं क्रियान्वित नहीं हो सकी।
  • आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत को पाकिस्तानी वस्तुओं पर आयात शुल्क को कम करने की आवश्यकता है। विदित है कि पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया तथा मूल सीमा शुल्क को 200% तक बढ़ा दिया।

निष्कर्ष ( conclusion )

भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार के लिए कई प्रयत्न हुए हैं और उनमें कुछ हद तक सफलता भी मिली है परंतु जब तक कश्मीर समस्या का कोई ऐसा हल नहीं निकलता जो दोनों देशों को मान्य हो तथा जब तक पाकिस्तान भारत के विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देना बंद नहीं करता तब तक दोनों देशों के बीच संबंधों में स्थाई सुधार की आशा नहीं की जा सकती।

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FAQ Checklist

पाकिस्तान ने पहली बार कब भारत में आयोजित व्यापार मेले में भाग लिया ?

दोनों देशों में रेलगाड़ियों का आना-जाना आरंभ हो गया और दोनों देशों से नागरिक अपने पर्वों को मनाने के लिए एक -दूसरे के देश में जाने लगे । 1981 में पाकिस्तान ने पहली बार भारत में आयोजित व्यापार मेले में भाग लिया ।

भारत-पाकिस्तान शिमला समझौता 1972 की मुख्य शर्ते क्या थी ?

शिमला समझौता भारत तथा पाकिस्तान के बीच 3 जुलाई 1972 को हुआ। इसकी मुख्य बातें निम्नलिखित है-दोनों देश परस्पर सामान्य संबंध स्थापित करने के लिए प्रयत्न करेंगे । दोनों राष्ट्र एक दूसरे की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता तथा राजनीति स्वतंत्रता का सम्मान करेंगे।

भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध के क्या कारण थे ?

सन 1971 में बांग्लादेश की समस्या को लेकर भारत तथा पाकिस्तान के बीच पुनः युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में पाकिस्तान की फिर पराजय हुई और पाकिस्तान का एक बहुत बड़ा भाग उससे अलग हो गया अर्थात बांग्लादेश नामक एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना हुई।

पाकिस्तान ने 1965 में भारत पर हमला क्यों किया ?

सन 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर फिर आक्रमण कर दिया परंतु भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान को बुरी तरह पराजित किया।

ताशकंद समझौता किन देशों के मध्य हुआ ?

1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था । सोवियत संघ के माध्यम से दोनों देशों के बीच ताशकंद समझौता हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत ने पाकिस्तान के जीते हुए क्षेत्र उसे वापस लौटा दिए।

कबाइलियों ने कश्मीर पर हमला कब किया था ?

सन 1947 में पाकिस्तान की सहायता से कबायली ( Tribesman ) लोगों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया।

भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों में तनाव के क्या कारण हैं ?

1947 में पाकिस्तान की सहायता से कबायली ( Tribesman ) लोगों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ में शिकायत की परंतु संयुक्त राष्ट्र संघ आज तक इस समस्या का समाधान नहीं कर सका। इसके परिणामस्वरूप भारत तथा पाकिस्तान के आपसी संबंधों में बहुत तनाव उत्पन्न हो गया।

भारत-पाकिस्तान में मूल विवाद के क्या कारण है ?

भारत-पाकिस्तान में संबंध हमेशा से ही ऐतिहासिक और राजनीतिक मुद्दों की वजह से तनावपूर्ण ही रहा है । इन दोनों देशों में विवाद भारत के विभाजन और पाकिस्तान के जन्म से ही चलते आ रहे । भारत-पाकिस्तान में मूल विवाद कश्मीर मुद्दे को भी माना जाता हैं

युद्ध वर्जन सन्धि प्रस्ताव क्या है ?

सन 1982 के आरम्भ में पाकिस्तान के विदेशमंत्री श्री आगाशाही भारत आए और उन्होंने युद्ध वर्जन सन्धि का प्रस्ताव पेश किया जिस पर तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने भारत तथा पाकिस्तान के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त आयोग की स्थापना का सुझाव दिया ।

श्री राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री कब बने ?

सन 1984 में श्री राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने ।

भारत-पाकिस्तान संबंधों के मध्य समस्याएँ कौन सी हैं ?

1.पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के भारत के साथ विलय को स्वीकार ना करना ।
2. पाकिस्तान द्वारा अमेरिका तथा चीन से सैनिक हथियार तथा अन्य सहायता प्राप्त करना जिसका प्रयोग वह में भारत के विरुद्ध ही कर सकता है।
3. पाकिस्तान द्वारा 1998 में अणु बम का परीक्षण किया जाना ।

पाकिस्तान में सैनिक शासन की स्थापना से भारत को क्या नुकसान हुआ ?

पाकिस्तान में मुशर्रफ के सैनिक शासन की स्थापना के बाद भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ रही है और कश्मीर को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत विरोधी प्रचार भी तेज हुआ।

पाकिस्तान को कब राष्ट्रमंडल से निलंबित किया गया था ?

नवंबर, 1999 में दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में आयोजित राष्ट्रमंडल सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेकर पाकिस्तान को राष्ट्रमंडल की सदस्यता से निलंबित कर दिया।

पाकिस्तान द्वारा कश्मीर विधानसभा पर आतंकी हमला कब किया था ?

अक्टूबर ,2001 को पाकिस्तान समर्थित जैश ए मोहम्मद के तीन सदस्यीय आत्मघाती दस्ते ने कश्मीर विधानसभा पर अंधाधुंध गोलियां चलाई और विस्फोटों से भरी कार को विधानसभा के मुख्य द्वार से टकराकर आतंकवादी कुकृत्य किया , जिसमे लगभग 30 लोग मारे गए और 63 से ज्यादा लोग घायल हो गए ।

पाकिस्तान ने भारतीय संसद पर आतंकी हमला कब किया था ?

5 आतंकवादियों के आत्मघाती दस्ते ने 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन परिसर में प्रवेश करके अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें संसद भवन का एक कर्मचारी व छह सुरक्षाकर्मी तत्काल मारे गए एवं अन्य 22 लोग घायल हो गए हैं।

भारत-पाकिस्तान के द्वारा उच्चायोग के कर्मचारियों का निष्कासन क्यों हुआ ?

भारत एवं पाकिस्तान के द्वारा एक दूसरे देशों पर राजनयिकों को उनके कर्मचारियों पर अवांछनीय आचरण का दोष लगाते हुए 22 जनवरी 2002 भारत द्वारा, 23 जनवरी 2002 पाकिस्तान द्वारा क्रमश: राजनयिकों सहित चार चार कर्मचारियों को देश छोड़ने संबंधी आदेश जारी किए गए । इस तरह से दोनों देशों के बीच फिर राजनीतिक कटुता पैदा हो गई ।

दिल्ली-लाहौर बस सेवा पुनः प्रारंभ क्यों किया गया ?

13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए हमले के पश्चात दोनों देशों के बीच बस सेवा को बंद कर दिया गया था लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव में कुछ कमी आने के पश्चात 11 जुलाई 2003 को दोनों देशों के बीच दिल्ली लाहौर बस सेवा को पुनः आरंभ कर दिया गया।

भारत द्वारा पाकिस्तान से रिश्ते ठीक करने के लिए क्या प्रयास किया गया ?

भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 22 अक्टूबर 2003 को द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने की प्रक्रिया में पाकिस्तान के समक्ष 12 सूत्रीय नए प्रस्ताव को रखा गया । इन प्रस्तावों का मुख्य उद्देश्य जन-सम्पर्क में वृद्धि करना हैं ।

डॉ मनमोहन सिंह की सरकार और उसके पाकिस्तान के साथ संबंध बताएं ?

अप्रैल 2004 में डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गठित केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने पाक के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत के दौरान जून 2004 में पुनः प्रारंभ किया। इस क्रम में 19-20 जून 2004 ,को नाभिकीय मुद्दों पर विश्वास बहाली हेतु सचिव स्तरीय वार्ता हुई तथा 22 जून 2004 को चिनाब नदी पर निर्माणाधीन ‘बगलिहार जल विद्युत परियोजना’ पर बातचीत दिल्ली में हुई।

क्रिकेट कूटनीति एवं भारत-पाकिस्तान संबंध कैसे हैं ?

क्रिकेट कूटनीति के तहत 16-18 अप्रैल 2005 को पाक के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने भारत की यात्रा की । उनकी यह यात्रा दोनों देशों के बीच बातचीत व द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद 17 सूत्रीय संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भूकंप पर भारतीय सहायता क्या रही ?

8 अक्टूबर 2005 को भारत-पाकिस्तान में कश्मीर घाटी के सीमावर्ती क्षेत्र में भूकंप के भीषण झटको ने भारी तबाही मचाई। पाकिस्तान क्षेत्र में भारी जान-माल की हानि हुई। भारतीय सरकार ने मानवता के आधार पर पाकिस्तान को इस संकट की घड़ी में हर सम्भव सहायता देने की पेशकश की औरत राहत सामग्री भेजी ।

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