Impact of Globalisation Hindi ,Arguments in Favour and Against of Globalisation – वैश्वीकरण के प्रभाव , वैश्वीकरण के पक्ष और विपक्ष में तर्क – एक दशक से कुछ अधिक समय पूर्व तक आर्थिक एवं राजनैतिक संबंधों का वैश्वीकरण नहीं हुआ था। संयुक्त राज्य अमेरिका और भूतपूर्व सोवियत संघ विश्व की दो महाशक्तियां थी ।
कुछ राष्ट्र एक से तो कुछ दूसरी महाशक्ति से संबंधित है। इस तरह से संपूर्ण विश्व दो गुटों में बंटा हुआ था। सभी राष्ट्रों के बीच राजनीतिक एवं आर्थिक संबंध नहीं थे।
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता तो व्यापक थी किंतु सोवियत संघ ,पूर्वी यूरोप और उनके अनुगामी कुछ अन्य राष्ट्र विश्व बैंक ,अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा मैट जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सदस्य नहीं थे और इन संस्थाओं के निर्देशों का पालन नहीं करते थे। दो गुटों में विश्व के विभाजन की सैद्धांतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि थी।
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वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क ( Arguments in Favour of Globalisation )
वैश्वीकरण आज के युग की आवश्यकता मानी जाती है। कुछ अमेरिकी विचारक सैम्यूल हंटिंगटन , पॉल कैनेडी और फ्रांसिस फुकुयामा वैश्वीकरण के मुख्य समर्थक माने जाते हैं। ऐसे समर्थक वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क देते हैं-
- वैश्वीकरण के द्वारा विभिन्न राष्ट्रों के बीच असमानता और विशेषकर आर्थिक असमानताओं को दूर किया जा सकता है।
- वैश्वीकरण की अवधारणा राष्ट्रों को राष्ट्रवादी संकीर्ण भावनाओं से निकालकर अंतरराष्ट्रीयवाद की भावना की ओर अग्रसर करती है।
- वैश्वीकरण की अवधारणा शक्ति एवं संघर्ष की जगह शांति एवं सहयोग की ओर राष्ट्रों को अग्रसर करती है।
- वैश्वीकरण के द्वारा विभिन्न राष्ट्रों में व्याप्त समस्याओं जैसे कि गरीबी भुखमरी को दूर करके शांति और संपन्नता लाने का प्रयास किया जाता है।
- वैश्वीकरण के द्वारा विभिन्न राष्ट्र अपने आपसी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम होंगे ।
- वैश्वीकरण के माध्यम से विकासशील एवं पिछड़े राष्ट्र भी तकनीकी सहयोग प्राप्त करके अपनी क्षमता का अधिकतम प्रयोग करके उत्पादकता बढ़ा सकते हैं। परिणामस्वरूप राष्ट्रों का सकल घरेलू उत्पादन एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो सकती है।
- वैश्वीकरण का दृष्टिकोण अच्छे जीवन के आदर्श को स्थापित करने की प्रेरणा देता है।
- वैश्वीकरण का विचार जहां विकसित राष्ट्रों को महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करता है वहां पिछड़े राष्ट्रों के लिए कृषि ,विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में विकास करने के लिए सहायता उपलब्ध करवाने के पक्ष में भी है।
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वैश्वीकरण के विपक्ष में तर्क ( Arguments Against Globalisation )
वैश्वीकरण के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क देकर इसकी आलोचना की जाती है-
- वैश्वीकरण को विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों के लिए अनिवार्यता बताकर इसे थोपने का प्रयास किया गया जिससे विकसित देशों के द्वारा उनके शोषण करने के रास्ते खुल गए।
- वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप अमीर अधिक अमीर एवं गरीब अधिक गरीब होंगे। अतः वैश्वीकरण राष्ट्रों के माध्यम आर्थिक असमानता को जन्म देती है।
- वैश्वीकरण के माध्यम से पाश्चात्य देश पाश्चात्य संस्कृति की सर्वोच्चता को स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं।
- वैश्वीकरण के द्वारा विकासशील एवं अल्प विकसित देशों को स्वयं निर्मित तकनीक को महंगी एवं निम्न स्तर की बतलाकर विकसित देश अपनी पुरानी पड़ चुकी तकनीक को श्रेष्ठ कहकर उन्हें खरीदने के लिए बाध्य करते हैं अतः यह एक तरह से पिछड़े राष्ट्रों का शोषण है।
- वैश्वीकरण के बिना भी विकास करना संभव है। जापान, मलेशिया ,सिंगापुर जैसे देशों ने वैश्वीकरण से पूर्व ही अपना विकास करके एक तरह से वैश्वीकरण की अनिवार्यता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
- वैश्वीकरण के द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से विकसित देश ही अधिक प्रभावी होंगे क्योंकि तृतीय विश्व के देश उनका मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। अतः तृतीय विश्व के देशों की आर्थिक प्रभुसत्ता ख़तरे में पड़ सकती हैं ।
- अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ( विश्व बैंक ,अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ) पर विकसित देशों का आधिपत्य होने के कारण पिछड़े एवं विकासशील देशों को यथोचित सहायता नहीं मिल पाएगी जिससे वैश्वीकरण के लक्ष्य अधूरे रह सकते हैं ।
- वैश्वीकरण विकासशील व पिछड़े देशों में विकसित देशों की निर्भरता को बढ़ाएगा क्योंकि विकासशील देशों के पास उच्च और श्रेष्ठ तकनीकी क्षमता को हासिल करने व विकास करने के लिए विकसित देशों पर निर्भर बने रहेंगे ।
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वैश्वीकरण के प्रभाव ( Impact of Globalisation in Hindi )
विश्व समुदाय या अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर वैश्वीकरण के प्रभाव को निम्नलिखित प्रकार से देखा जा सकता है –
- वैश्वीकरण ने राष्ट्रों के बीच होने वाले अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं समझौतों का आधार आर्थिक लाभ बना दिया है ।
- वैश्वीकरण ने सैनिक गुटबन्दी को बहुत हद तक कम कर दिया हैं ।
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति में वैश्वीकरण के कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन प्रभावशाली हुए हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद जैसे अंग की भूमिका में थोड़ी कमी आई है।
- वैश्वीकरण ने विचारधाराओं के टकराव व संघर्ष को समाप्त करके विश्व को उदारवादी लोकतांत्रिक विचारधारा की सर्वोच्चता को स्वीकार करने के लिए सहमत किया है।
- वैश्वीकरण ने विभिन्न राष्ट्रों के नीति निर्माताओं द्वारा बनाई जाने वाली विदेश नीति के लक्ष्य एवं सिद्धांतों को सार्वभौमिक मानदंडों के अनुरूप बनाने के लिए बाध्य किया है। जैसे भारतीय विदेश नीति निर्माताओं ने भी आर्थिक क्षेत्र में उदारीकरण की नीति को स्वीकार कर लिया है। यह वास्तव में वैश्वीकरण का ही प्रभाव है।
- वैश्वीकरण की अवधारणा ने विकासशील एवं पिछड़े देशों के लोगों की सोच में विकसित देशों की संस्कृति में महत्वपूर्ण मूल्यों को स्थान दिलाया है।
- वैश्वीकरण ने तृतीय विश्व के देशों को उत्पादन वृद्धि के लिए प्रेरित किया है क्योंकि वैश्वीकरण की अवधारणा अन्य देशों के बीच अप्रतिबंध निर्यात को स्वीकार करती है। तृतीय विश्व के देश निर्यात में वृद्धि करके अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना सकते हैं।
- वैश्वीकरण ने विकसित देशों के महत्व को बढ़ाया है क्योंकि विकसित देश विशेषकर विकासशील व पिछड़े देशों में व्याप्त विभिन्न चुनौतियां जैसे गरीबी ,शिक्षा ,चिकित्सा, व्यापार ,रोजगार आदि क्षेत्रों में आर्थिक व तकनीकी सहयोग देकर विशेष सहायता कर सकते हैं।
- वैश्वीकरण ने विभिन्न राष्ट्रों के बीच वस्तुओं एवं व्यक्तियों के आवागमन में वृद्धि की है।
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निष्कर्ष ( Conclusion )
वैश्वीकरण को विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों के लिए अनिवार्यता बताकर इसे थोपने का प्रयास किया गया जिससे विकसित देशों के द्वारा उनके शोषण करने के रास्ते खुल गए।परन्तु वैश्वीकरण के माध्यम से विकासशील एवं पिछड़े राष्ट्र भी तकनीकी सहयोग प्राप्त करके अपनी क्षमता का अधिकतम प्रयोग करके उत्पादकता बढ़ा सकते हैं। परिणामस्वरूप राष्ट्रों का सकल घरेलू उत्पादन एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो सकती है।
FAQ Checklist
वैश्वीकरण क्यों जरुरी हैं ?
1 .वैश्वीकरण ने विकसित देशों के महत्व को बढ़ाया है क्योंकि विकसित देश विशेषकर विकासशील व पिछड़े देशों में व्याप्त विभिन्न चुनौतियां जैसे गरीबी ,शिक्षा ,चिकित्सा ,व्यापार, रोजगार आदि क्षेत्रों में आर्थिक व तकनीकी सहयोग देकर विशेष सहायता कर सकते हैं।
2 .वैश्वीकरण ने विभिन्न राष्ट्रों के बीच वस्तुओं एवं व्यक्तियों के आवागमन में वृद्धि की है।
आर्थिक क्षेत्र में वैश्वीकरण की क्या भूमिका हैं ?
वैश्वीकरण ने तृतीय विश्व के देशों को उत्पादन वृद्धि के लिए प्रेरित किया है क्योंकि वैश्वीकरण की अवधारणा अन्य देशों के बीच अप्रतिबंध निर्यात को स्वीकार करती है। तृतीय विश्व के देश निर्यात में वृद्धि करके अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना सकते हैं।
वैश्वीकरण विकासशील एवं पिछड़े देशों के लिए जरुरी क्यों हैं ?
वैश्वीकरण की अवधारणा ने विकासशील एवं पिछड़े देशों के लोगों की सोच में विकसित देशों की संस्कृति में महत्वपूर्ण मूल्यों को स्थान दिलाया है।
भारतीय विदेश नीति पर वैश्वीकरण के क्या प्रभाव पड़ा ?
वैश्वीकरण ने विभिन्न राष्ट्रों के नीति निर्माताओं द्वारा बनाई जाने वाली विदेश नीति के लक्ष्य एवं सिद्धांतों को सार्वभौमिक मानदंडों के अनुरूप बनाने के लिए बाध्य किया है। जैसे भारतीय विदेश नीति निर्माताओं ने भी आर्थिक क्षेत्र में उदारीकरण की नीति को स्वीकार कर लिया है। यह वास्तव में वैश्वीकरण का ही प्रभाव है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में वैश्वीकरण की क्या भूमिका हैं ?
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में वैश्वीकरण के कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन प्रभावशाली हुए हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद जैसे अंग की भूमिका में थोड़ी कमी आई है।
वैश्वीकरण के पक्ष में तीन तर्क बताओं।
1 .वैश्वीकरण के द्वारा विभिन्न राष्ट्रों के बीच असमानता और विशेषकर आर्थिक असमानताओं को दूर किया जा सकता है।
2 .वैश्वीकरण की अवधारणा राष्ट्रों को राष्ट्रवादी संकीर्ण भावनाओं से निकालकर अंतरराष्ट्रीयवाद की भावना की ओर अग्रसर करती है।
3 .वैश्वीकरण की अवधारणा शक्ति एवं संघर्ष की जगह शांति एवं सहयोग की ओर राष्ट्रों को अग्रसर करती है।
वैश्वीकरण के विपक्ष में तीन तर्क बताओं।
1 ) वैश्वीकरण के द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से विकसित देश ही अधिक प्रभावी होंगे क्योंकि तृतीय विश्व के देश उनका मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। अतः तृतीय विश्व के देशों की आर्थिक प्रभुसत्ता ख़तरे में पड़ सकती हैं ।
2 ) अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ( विश्व बैंक ,अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ) पर विकसित देशों का आधिपत्य होने के कारण पिछड़े एवं विकासशील देशों को यथोचित सहायता नहीं मिल पाएगी जिससे वैश्वीकरण के लक्ष्य अधूरे रह सकते हैं ।
3 ) वैश्वीकरण विकासशील व पिछड़े देशों में विकसित देशों की निर्भरता को बढ़ाएगा क्योंकि विकासशील देशों के पास उच्च और श्रेष्ठ तकनीकी क्षमता को हासिल करने व विकास करने के लिए विकसित देशों पर निर्भर बने रहेंगे ।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर वैश्वीकरण का कितना प्रभाव पड़ा ?
1 )वैश्वीकरण ने राष्ट्रों के बीच होने वाले अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं समझौतों का आधार आर्थिक लाभ बना दिया है ।
2 )वैश्वीकरण ने सैनिक गुटबन्दी को बहुत हद तक कम कर दिया हैं ।
3 ) अंतरराष्ट्रीय राजनीति में वैश्वीकरण के कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन प्रभावशाली हुए हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद जैसे अंग की भूमिका में थोड़ी कमी आई है।