Indian Parliamentary System Problems Issues 6 Ways To Remove The Defects

Parliamentary System : संसदीय प्रणाली के दोषों को दूर करने के सुझाव

भारत में संसदीय प्रणाली को कार्य करते हुए अर्धशताब्दी से अधिक वर्ष हो चुके हैं ,परन्तु यहाँ पर यह प्रणाली इतनी अधिक सफल नहीं हुई जितनी कि इंग्लैंड में हुई हैं । इसका मुख्य कारण यह हैं कि इसमें अनेक त्रुटियां एवं दोष मैजूद हैं और कई बार तो भारत में इस प्रणाली की सफलता के बारे में शंकाएँ प्रकट की जाती हैं । इसके दोषों को दूर करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते है –

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Parliamentary System in India Defects Disadvantages Issues Challenges

Parliamentary System: भारतीय संसदीय प्रणाली के 12 दोष

भारत में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना की गई हैं । भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया हैं । प्रस्तावना में यह बात स्पष्ट रूप से कही गयी हैं कि सत्ता का अंतिम स्त्रोत जनता हैं और संविधान का निर्माण करने वाले तथा उसे अपने ऊपर लागू करने वाले भारत के लोग हैं । इसमें कोई शक नहीं है की भारतीय संसदीय प्रणाली की अनेकों विशेषताएं पाई जाती है परन्तु इसके कुछ दोष भी है जिसके कारण भारत में संसद प्रणाली उतनी सफल नहीं हो पाई जितनी इंग्लैंड में संसदीय प्रणाली सफल है। संसदीय प्रणाली के दोषों को आइये विस्तार से जानते है –

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11 Main Feature of Parliamentary System in India | संसदीय प्रणाली की विशेषताएं

Parliamentary System : संसदीय प्रणाली की 11 विशेषताएं

संसदीय व्यवस्था -भारत में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना की गई हैं । भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया हैं । प्रस्तावना में यह बात स्पष्ट रूप से कही गयी हैं कि सत्ता का अंतिम स्त्रोत जनता हैं और संविधान का निर्माण करने वाले तथा उसे अपने ऊपर लागू करने वाले भारत के लोग हैं । 11 Main Feature of Parliamentary System in India | संसदीय व्यवस्था – संसदीय प्रणाली की विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानते है –

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5 Main Reason For Adopt Parliamentary System In India संसदीय स्वरूप

Parliamentary System :संसदीय प्रणाली अपनाने के मुख्य कारण

भारत में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना की गई हैं । भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया हैं । प्रस्तावना में यह बात स्पष्ट रूप से कही गयी हैं कि सत्ता का अंतिम स्त्रोत जनता हैं और संविधान का निर्माण करने वाले तथा उसे अपने ऊपर लागू करने वाले भारत के लोग हैं ।
भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा के सदस्यों में इस बात पर काफी वाद – विवाद हुआ था कि भारत में संसदीय शासन – प्रणाली अधिक ठीक रहेगी अथवा अध्यक्षात्मक Presidency शासन प्रणाली उचित रहेगी । अन्त में संसदीय शासन के पक्ष में निर्णय लिया गया । इसके लिए मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

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