भारत और श्रीलंका ( India-Sri Lanka ) के बीच तनाव का एक कारण श्रीलंका में बसे लाखों भारतीयों की समस्या रही है।
श्रीलंका की स्वतंत्रता के समय भारतीय मूल के लगभग 10 लाख लोग वहां पर रह रहे थे। सन 1949 में श्रीलंका ने ‘नागरिकता अधिनियम’ पारित कर दिया।
भारतीय मूल के लगभग सभी निवासियों ने इस अधिनियम के अंतर्गत नागरिकता के लिए प्रार्थना की परंतु सन 1964 तक लगभग 1 लाख 34 हज़ार नागरिकों को ही नागरिकता प्राप्त हो सकी ।
श्रीलंका सरकार ने जिन भारतीयों को नागरिकता प्रदान नहीं की उन्हें तुरंत देश छोड़कर भारत चले जाने के लिए कहा।
परंतु भारत सरकार का कहना था कि जो लोग कई पीढ़ियों से वहां रह रहे हैं उनको निकालना गलत है और वह वहीं के नागरिक है ना कि भारत के।