लोक प्रबंध के स्वरूप के बारे में विचारको में काफी मतभेद पाया जाता है। कुछ विचारक ऐसे हैं जो इस विषय को विज्ञान मानते हैं परंतु दूसरी तरफ कुछ ऐसे लेखक भी हैं जो इसे विज्ञान मानने से इनकार करते हैं। एक तरफ साइमन,पिफनर, चार्ल्स बियर्ड आदि जैसे ऐसे विचारक हैं जो लोक प्रशासन को एक विज्ञान मानते हैं दूसरी तरफ फाइनर, जैकब वाइनर आदि विचारक भी है जो लोक प्रशासन को भी विज्ञान नहीं मानते। लोक प्रशासन एक विज्ञान है अथवा कला ,इस संबंधित पूरी जानकारी निम्नलिखित हैं –
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लोक प्रशासन एक विज्ञान नहीं है ( Public Administration is not a Science in Hindi )
जो विचारक लोक प्रशासन को विज्ञान मानने को तैयार नहीं है वह अपने विचारों के पक्ष में निम्नलिखित तर्क देते हैं
विज्ञान की परिभाषा ( Definition of Science )
चैम्बर शब्दकोश -के अनुसार ,’ विज्ञान एक वह ज्ञान है जिसे जांच एवं अनुभव द्वारा निश्चित किया जाता है, आलोचनात्मक ढंग से परखा और सामान्य सिद्धांतों के अधीन क्रमबद्ध किया जाता है।’
लोक प्रशासन विज्ञान की परिभाषा की कसौटी पर पूर्ण नहीं उतरता क्योंकि लोक प्रशासन का ज्ञान पड़ताल और अनुभव द्वारा निश्चित नहीं किया जाता। यही कारण है कि कुछ विचारक लोक प्रशासन को विज्ञान नहीं मानते।
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निश्चित सिद्धांतों का अभाव ( Absence of Fixed Principles )
भौतिक विज्ञान में आम सिद्धांत निश्चित होते हैं परंतु लोक प्रशासन में निश्चित सिद्धांतों का अभाव होता है। लोक प्रशासन के किसी भी सिद्धांत के परिणाम समस्त संसार में एक समान नहीं हो सकते ।
प्रयोग सम्भव नहीं ( Experiments are not possible )
भौतिक विज्ञान में प्रयोग के आधार पर कुछ परिणाम निश्चित किए जाते हैं। भौतिक विज्ञान में प्रयोग के लिए सामग्री निश्चित होती है जिस पर बार-बार प्रयोग करके परिणाम निश्चित किए जा सकते हैं। इस तरह प्राकृतिक विज्ञान में उनके द्वारा तैयार तथ्यों को परीक्षण की कसौटी पर परखा जा सकता है।
परंतु लोक प्रशासन के विषय वस्तु का संबंध निर्जीव वस्तु से नहीं अपितु संजीव मानव से है। इसलिए लोक प्रशासन के सिद्धांत निश्चित करने के लिए प्रयोग नहीं किए जा सकते । इसलिए जिस विषय में प्रयोग नहीं किए जा सकते उसे किसी पक्ष से विज्ञान कहना ठीक नहीं है।
विचारों की एकरूपता का अभाव ( Lack of Uniformity of Views )
भौतिक विज्ञान संबंधी वैज्ञानिकों के विचारों में एकरूपता और एक समानता होती है। उदाहरण स्वरुप यह एक निश्चित सिद्धांत है कि किसी वस्तु को यदि ऊपर की तरफ फेंका जाए तो धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वह वस्तु धरती की तरफ अवश्य आती है। परंतु लोग प्रबं
परंतु लोक प्रबंध के विचारको में इस तरह की एक समानता संभव नहीं है क्योंकि मानवीय स्वभाव में स्वतंत्र इच्छाओं ,मूल्यों और प्रयोजनों आदि अनेकों तत्व शामिल है। इसलिए लोक प्रशासन के तथ्यों का उचित ढंग से वर्गीकरण करना अथवा उनके आधार पर बनाए गए सिद्धांतों को लागू करना संभव नहीं है। इस आधार पर भी लोक प्रशासन को विज्ञान नहीं माना जा सकता।
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लोक प्रशासन में भविष्यवाणी संभव नहीं है ( Prediction is not possible in Public Administration )
निश्चित सिद्धांतों के आधार पर भविष्यवाणी करना प्रत्येक भौतिक वैज्ञानिक की एक प्रमुख विशेषता है। लोक प्रशासन में किसी तरह की निश्चित भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। इसका कारण यह है कि लोक प्रशासन का संबंध मानवीय संस्थाओं से है।
मानव एक संजीव प्राणी है और आशाओं व भावनाओं का बुत है। उसकी भावनाओं को किसी विधि से भी सीमित नहीं किया जा सकता । इसलिए लोक प्रशासन में किसी भी प्रशासकीय प्रयोग के बारे में भविष्यवाणी करना संभव नहीं है।
लोक प्रशासन का विषय गतिशील स्वरूप हैं ( The Subject Matter of Public Administration is of Dynamic Character )
विज्ञान की विषय वस्तु प्राय निश्चित होती है जो प्रत्येक स्थिति में एक समान रहता है। लोक प्रशासन का विषय वस्तु क्योंकि मानवीय संस्था है जो सदैव एक समान एक स्वरूप नहीं रह सकती। दिन प्रतिदिन व्यक्तियों के विचारों और स्वभाव में कुछ न कुछ परिवर्तन आता रहता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि जिस विषय की प्रयोग सामग्री गतिशील स्वरूप की ना हो उस विषय को विज्ञान का नाम देना ठीक नहीं है।
निष्पक्ष खोज संभव नहीं ( Impartial research is not possible )
लोक प्रशासन में निष्पक्ष शोध संभव नहीं है। यदि लोक प्रशासन के किसी सिद्धांत को प्रयोग के तौर पर अमल में लाया जाए तो विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा की गई खोजों के परिणाम एक समान नहीं होंगे। इसके अतिरिक्त उन पड़तालों के परिणाम और शोधकर्ताओं के निजी विचारों का प्रभाव पड़ना बिल्कुल स्वभाविक होगा। लोक प्रशासन के क्षेत्र में निजी विचारों से बिल्कुल स्वतंत्र शोध का होना लगभग असंभव है। इस आधार पर भी लोक प्रशासन को विज्ञान नहीं माना जा सकता।
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लोक प्रशासन एक विज्ञान है ( Public Administration is a Science )
उपरोक्त तर्कों के आधार पर लोक प्रशासन को विज्ञान न मानना उचित हैं ,परंतु गार्नर जैसे कई विद्वान विज्ञान की उपरोक्त विशेषताओं से सहमत नहीं हैं । गार्नर के अनुसार – विज्ञान किसी भी विषय का वह ज्ञान है जो क्रमबद्ध अध्ययन ,निरीक्षण और अनुभव द्वारा किया गया है।
इसका अर्थ यह हुआ कि प्रयोग में भविष्यवाणी करने योग्य होना विज्ञान के लिए आवश्यक नहीं है। विज्ञान की इस परिभाषा के अनुसार लोक प्रशासन को विज्ञान माना जा सकता है क्योंकि विज्ञान इस परिभाषा की कसौटी पर लोक प्रशासन खरा उतरता है। लोक प्रशासन को विज्ञान मानने वाले समर्थक अपने विचार के पक्ष में निम्नलिखित तर्क देते हैं-
लोक प्रशासन में आम सिद्धांत करना संभव ( Fixation of General Principles is possible in Public Administration )
यह ठीक है कि भौतिक विज्ञानों की तरह लोक प्रशासन के सिद्धांत स्पष्ट रूप में निश्चित नहीं किए जा सकते परंतु विश्लेषण, संबंध स्थापन और क्रमबद्ध अध्ययन के बाद कुछ ऐसे सिद्धांत बनाए जा सकते हैं जो प्रबंधकों को मार्गदर्शन करते हैं । इस संबंध में विलोबी का कहना है कि, प्रशासन में अन्य विज्ञानों की तरह सर्वव्यापक रूप में लागू होने वाले कुछ ऐसे मूल सिद्धांत है जो कार्य कुशलता बनाए रखने और प्रशासन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जिनका पालन करना आवश्यक है।
इस सम्बन्धी पिफनर का कहना हैं कि – लोक प्रशासन के विशेषज्ञों ने उन समस्याओं के हल खोजने के बारे में काफी सीमा तक एक मत बना लिया है जो कि किए जाने वाले प्रत्येक तरह की सेवा और कार्य के विषय में पैदा होती है।
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प्रयोग संभव है ( Experimentation is possible )
यह ठीक है कि भौतिक विज्ञानों के खोजकर्ता विशेष परिस्थितियों में अपनी इच्छा अनुसार प्रयोग कर सकते हैं। चाहे लोक प्रशासन के विचारक अपनी इच्छा अनुसार प्रयोग तो नहीं कर सकते लेकिन इस शास्त्र में प्रयोग करना कुछ सीमा तक संभव है।
लोक प्रशासन के प्रयोग भौतिक विज्ञान के प्रयोग से पृथक होती हैं। वास्तव में लोक प्रशासन के प्रयोग ,प्रयोगशालों के बाद दरवाजों के पीछे नहीं किए जाते अपितु खुले समाज की प्रयोगशालाओं में किए जाते हैं।
लोक प्रशासन में भविष्यवाणी संभव है ( Prediction is possible in Public Administration )
यह कहना ठीक नहीं है कि लोक प्रशासन में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। इस विषय संबंधी भविष्यवाणी तो की जाती है परंतु कई बारी सत्य सिद्ध नहीं होती। इसका कारण यह है कि लोक प्रशासन का विषय वस्तु मानवीय संस्थाएं हैं। मानव की प्रवृत्ति प्रत्येक समय एक समान रहना संभव नहीं है।
इसी कारण भविष्यवाणी करने वाले शोधकर्ता का मानव पर कोई नियंत्रण नहीं होता इसलिए यह भविष्यवाणी कई बार ठीक से नहीं होती। इस आधार पर भी लोक प्रशासन को विज्ञान न मानना उचित नहीं है।
निष्पक्ष शोध सम्भव हैं ( Impartial Research is Possible )
यह कहना ठीक नहीं है कि लोक प्रशासन के विषय वस्तु संबंधी निष्पक्ष शोध संभव नहीं है। निष्पक्ष शोध हो सकती है यदि शोध विवेकशील और ज्ञानवान हो। यदि सूझवान शोधकर्ता अपने निजी विचारों और भावनाओं को एक तरफ रख कर किसी तथ्य की खोज करेगा तो वह अवश्य ही निष्पक्ष परिणाम निकालने के योग्य होगा।
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निरीक्षण किया जा सकता है ( Observation can be made )
यह कहना गलत है कि लोक प्रशासन की सामग्री संबंधी निरीक्षण नहीं किया जा सकता। लोक प्रशासन के आधुनिक विचारक लोक प्रशासन की अनेकों संस्थाओं के बारे में आवश्यक सामग्री एकत्र करके उनकी कार्य क्षमता का निरीक्षण कर सकते हैं।
संसार के विकसित देशों में लोक प्रशासन का विकास करने और प्रशासन की नवीन तकनीक और सिद्धांतों की खोज करने के लिए विशेष संस्थाएं स्थापित की गई है। जैसे कि –
- लोक प्रशासन संस्थान इंग्लैंड
- लोक प्रशासन का मैक्सवेल ग्रैजुएट स्कूल अमेरिका
- भारतीय लोक प्रशासन संस्थान नई दिल्ली
लोक प्रशासन कला के रूप में ( Public Administration as an Art )
यह कहना गलत नहीं होगा कि लोग प्रशासन एक कला है क्योंकि इसका संबंध केवल सामान्य नियमों के निर्धारण से नहीं अपितु प्रशासन के व्यवहारिक पक्ष से भी है। समाज में प्रचलित समस्याओं और परिस्थितियों में लोक प्रशासन के ज्ञान का प्रयोग किया जाता है और किसी भी समस्या का सामना करने से पूर्व प्रशासन को बड़ी सूझबूझ से निर्णय लेना पड़ता है।
प्रशासन के सामान्य सिद्धांतों और नियमों के बारे में सामान्य जानकारी प्राप्त कर लेने से ही कोई सफल प्रबंधक नहीं बन सकता। प्रत्येक संस्था के कुछ उद्देश्य होते हैं और उन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्य करना पड़ता है और सही ढंग से किया गया कार्य एक कला कहलाता है।
इस तरह हम कह सकते हैं कि प्रबंधक एक कलाकार होता है। जिस तरह कलाकार का कार्य आसान नहीं होता उसी तरह प्रशासन को भी अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अभ्यास और सच्ची लगन की आवश्यकता होती है जो उसे निरंतर रूप में करनी पड़ती है। प्रशासन को इस आधार पर भी कला कहा जा सकता है कि यह समाज के विकास के साथ-साथ विकसित होता है।
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FAQ Checklist
लोक प्रशासन को कुछ विचारक विज्ञानं क्यों नहीं मानते ?
लोक प्रशासन विज्ञान की परिभाषा की कसौटी पर पूर्ण नहीं उतरता क्योंकि लोक प्रशासन का ज्ञान पड़ताल और अनुभव द्वारा निश्चित नहीं किया जाता। यही कारण है कि कुछ विचारक लोक प्रशासन को विज्ञान नहीं मानते।
लोक प्रशासन में निश्चित सिद्धांतों के अभाव क्या कारण हैं ?
भौतिक विज्ञान में आम सिद्धांत निश्चित होते हैं परंतु लोक प्रशासन में निश्चित सिद्धांतों का अभाव होता है। लोक प्रशासन के किसी भी सिद्धांत के परिणाम समस्त संसार में एक समान नहीं हो सकते ।
लोक प्रशासन में भविष्यवाणी संभव नहीं है,कैसे ?
निश्चित सिद्धांतों के आधार पर भविष्यवाणी करना प्रत्येक भौतिक वैज्ञानिक की एक प्रमुख विशेषता है। लोक प्रशासन में किसी तरह की निश्चित भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। इसका कारण यह है कि लोक प्रशासन का संबंध मानवीय संस्थाओं से है।
लोक प्रशासन के विषय का स्वरूप कैसा हैं ?
लोक प्रशासन का विषय वस्तु क्योंकि मानवीय संस्था है जो सदैव एक समान एक स्वरूप नहीं रह सकती। दिन प्रतिदिन व्यक्तियों के विचारों और स्वभाव में कुछ न कुछ परिवर्तन आता रहता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि जिस विषय की प्रयोग सामग्री गतिशील स्वरूप की ना हो उस विषय को विज्ञान का नाम देना ठीक नहीं है।
लोक प्रशासन एक विज्ञान नहीं है,कैसे ?
लोक प्रशासन विज्ञान की परिभाषा की कसौटी पर पूर्ण नहीं उतरता क्योंकि लोक प्रशासन का ज्ञान पड़ताल और अनुभव द्वारा निश्चित नहीं किया जाता। लोक प्रशासन में किसी तरह की निश्चित भविष्यवाणी करना संभव नहीं है।
लोक प्रशासन एक विज्ञान है,कैसे ?
लोक प्रशासन की सामग्री संबंधी निरीक्षण नहीं किया जा सकता। लोक प्रशासन के आधुनिक विचारक लोक प्रशासन की अनेकों संस्थाओं के बारे में आवश्यक सामग्री एकत्र करके उनकी कार्य क्षमता का निरीक्षण कर सकते हैं। विज्ञान की इस परिभाषा के अनुसार लोक प्रशासन को विज्ञान माना जा सकता है क्योंकि विज्ञान इस परिभाषा की कसौटी पर लोक प्रशासन खरा उतरता है।
लोक प्रशासन को कला कैसे कह सकते हैं ?
यह कहना गलत नहीं होगा कि लोग प्रशासन एक कला है क्योंकि इसका संबंध केवल सामान्य नियमों के निर्धारण से नहीं अपितु प्रशासन के व्यवहारिक पक्ष से भी है। प्रशासन को इस आधार पर भी कला कहा जा सकता है कि यह समाज के विकास के साथ-साथ विकसित होता है।
लोक प्रशासन में निष्पक्ष शोध संभव क्यों नहीं है ?
लोक प्रशासन में निष्पक्ष शोध संभव नहीं है। यदि लोक प्रशासन के किसी सिद्धांत को प्रयोग के तौर पर अमल में लाया जाए तो विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा की गई खोजों के परिणाम एक समान नहीं होंगे। लोक प्रशासन के क्षेत्र में निजी विचारों से बिल्कुल स्वतंत्र शोध का होना लगभग असंभव है। इस आधार पर भी लोक प्रशासन को विज्ञान नहीं माना जा सकता।