Political System Approach -Need -Types -Classification -Defects -छोटे -प्रश्न उत्तर वाले नोट्स- राजनीतिक विज्ञानं के स्टूडेंट्स के लिए छोटे -प्रश्न उत्तर वाले नोट्स बहुत जरुरी होते है। इन्हीं छोटे छोटे सवालों के जवाब से बड़े प्रश्न के कई टॉपिक क्लियर हो जाता। है उम्मीद करते है की इस पोस्ट से आपको हेल्प मिले और आप अच्छे से एग्जाम की तैयारी कर सके। नीचे 10 प्रश्न उत्तर है जिसे ध्यान से पढ़ ले आपके लिए फायदेमंद रहेगी। छोटे -प्रश्न उत्तर वाले नोट्स- से आपके एग्जाम में हेल्प जरूर मिलेगी और एग्जाम अच्छा होगा।
Table of Contents विषय सूची
Political Science-Political System Approach -Need -Types -Classification -Defects छोटे -प्रश्न उत्तर
प्रशन 1. राजनीतिक संचार का अर्थ स्पष्ट करो ।
उत्तर – राजनीतिक संचार का अर्थ -राजनीतिक संचार राजनीतिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण कार्य है । राजनीतिक विज्ञान में राजनीतिक संचार का एक विशेष अर्थ है । राजनीतिक संचार वे साधन हैं जिनसे राजनीतिक व्यवस्था को राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर आवश्यक सूचनाएं प्राप्त होती हैं ।
राजनीतिक संचार नागरिकों और राजनीतिक प्रणाली के पदाधिकारियों को राजनीतिक परिस्थितियों से सम्बंधित सूचनाएं प्राप्त कराती हैं । इन सूचनाओं के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं और निर्णय को कार्यवन्तित करवाया जाता है । संचार के साधन भिन्न भिन्न राजनीतिक व्यवस्था में भिन्न भिन्न होते हैं । आधुनिक युग में टेलीविजन , समाचार पत्र , पत्रिकायें , टेलीफोन आदि संचार के मुख्य साधन हैं ।
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प्रशन 2. राजनीतिक औपचारिक और अनौपचारिक ढांचे से क्या अभिप्राय हैं ??
उत्तर – राजनीतिक औपचारिक और अनौपचारिक ढांचे से अभिप्राय हैं -राजनीति के ढांचे को दो भागों – औपचारिक व अनौपचारिक ढांचों में विभक्त किया गया है । राजनीतिक व्यवस्था के औपचारिक ढांचे वे ढांचे हैं जिनकी व्यवस्था देश के संविधान या कानून द्वारा की जाती हैं । विधानमंडल , कार्यपालिका व न्यायपालिका औपचारिक ढांचे की श्रेणी में आते हैं ।
औपचारिक ढांचों की भूमिकाओं को संविधान या कानून द्वारा निर्धारित किया जाता हैं ।
अनौपचारिक ढांचे भी राजनीतिक व्यवस्था की कार्यशीलता को प्रभावित करते हैं । अनौपचारिक ढांचों की व्यवस्था संविधान व कानून द्वारा न होकर ढांचों के अपने व्यक्तिगत प्रयत्नों का परिणाम होती हैं । राजनीतिक दल , दबाव समूह , व्यापारिक संगठन ,श्रमिक संगठन आदि अनौपचारिक ढांचे के उदाहरण हैं ।
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प्रशन 3. राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में तीन अंतर बताओ ।
उत्तर – राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में अंतर – 1. राज्य काल्पनिक और राजनीतिक व्यवस्था सत्य हैं –
राज्य एक काल्पनिक संस्था हैं जिसे देखा नही जा सकता । उसका केवल अनुभव किया जा सकता हैं । राज्य के काल्पनिक होने के कारण उसके सभी कार्य सरकार द्वारा किये जाते है । इसके विपरीत राजनीतिक व्यवस्था एक सच्चाई हैं । यह एक व्याहारिक सत्य है ।
2. राज्य के चार तत्व जबकि राजनीतिक व्यवस्था के अनेक तत्व – राज्य के निर्माण में चार तत्व जनसंख्या , सरकार , निश्चित भू भाग तथा प्रभुसत्ता सहायता करते हैं । इनमें यदि एक भी तत्व नही है तो राज्य की कल्पना नही की जा सकती हैं । इसके विपरीत राजनीतिक व्यवस्था के अनेक तत्व होते हैं ।
3. राज्य के कार्य सीमित और राजनीतिक व्यवस्था के व्यापक – राज्य के कार्य सीमित हैं । आधुनिक राज्य के कार्यों को दो भागों – अनिवार्य कार्य व ऐच्छिक कार्यों में विभाजित किया जाता है । जबकि राजनीतिक व्यवस्था के कार्य मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष को प्रभावित करते हैं ।
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प्रशन 4. हित स्वरूपीकरण क्या है ??
उत्तर – हित स्वरूपीकरण राजनीतिक व्यवस्था का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य हैं । प्रत्येक समाज मे लोगो के विभिन्न उद्देश्य ,हित व मांगे होती हैं और लोगों की यह इच्छा भी होती है कि राजनीतिक व्यवस्था ( सरकार ) द्वारा नियम भी उनकी माँगों ,उद्देश्यों व हितों के अनुकूल बनाएं जाए।
अतः यह जरूरी है कि राजनीतिक व्यवस्था को नियम बनाने , नीतियां निर्धारित करने और निर्णय लेने से पहले लोगो की इच्छाओं ,हितों और उद्देश्यों की जानकारी हो । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए लोग अपने हितों और इच्छाओं को राजनीतिक प्रणाली के समक्ष रखते हैं । इसी को हित स्वरूपीकरण कहा जाता है । इस प्रकार कह सकते हैं कि हित स्वरूपीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्तियों की मांगों को स्पष्ट किया जाता हैं और उन्हें सरकार के सामने प्रस्तुत किया जाता हैं ताकि निर्णय लिया जा सके ।
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5. कानून की बाध्यकारी शक्ति से क्या अभी हैं ?
उत्तर – कानून की बाध्यकारी शक्ति का अर्थ है कि राजनीतिक व्यवस्था की शक्ति कानून द्वारा मान्यता प्राप्त होती हैं जिससे वह अपने निर्णय व नीतियां दुसरो पर कानून की शक्ति द्वारा मनवा सकती हैं । यह राजनीतिक व्यवस्था की एक विशेषता हैं । मैक्स वैबर के अनुसार – कानून की बाध्यकारी शक्ति राजनीतिक व्यवस्था का विशेष गुण हैं जो इस व्यवस्था को एकरूपता प्रदान करती हैं ।
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प्रशन 6 . राजनीतिक संरचना की सर्वव्यापकता का क्या अर्थ है ?
उत्तर – राजनीतिक संरचना की सर्वव्यापकता का क्या अर्थ है – प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक सरंचनाओं का होना स्वाभाविक हैं । इन सरंचनाओं को पहचाना जा सकता है । इन सरंचनाओं के अंग व तत्व होते हैं जो राजनीतिक व्यवस्था के अंदर कार्य करते हैं । परम्परागत राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक संरचनाएं सरल होती थी , परंतु आधुनिक व्यवस्थाएं जटिल हैं ,जिनमें औपचारिक व अनौपचारिक दोनों प्रकार की संरचनाएं पाई जाती हैं । अतः राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक संरचनाएं होती हैं और इन्ही के द्वारा राजनीतिक क्रियाओं को सम्पन्न किया जाता हैं ।
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प्रश्न 7. राजनीतिक संरचना की विविधता का क्या अर्थ है ?
उत्तर – राजनीतिक संरचना की विविधता का अर्थ है – प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में अनेक संस्थाएं होती हैं । इन संस्थाओं द्वारा विभिन्न कार्य सम्पन्न किये जाते हैं । राजनीतिक संस्था का प्रत्येक अंग एक ही कार्य नही करता बल्कि एक से अधिक कार्य करता है ,जैसे कि विधानपालिका कानून निर्माण के कार्य के साथ साथ प्रशासनिक और न्यायिक कार्य भी करती हैं । इसी तरह कार्यपालिका कानून के लागू करने के अतिरिक्त विधि निर्माण में भी सहायता करती हैं ।
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प्रश्न 8. राजनीतिक व्यवस्था के कार्यों का संक्षिप्त वर्णन करो ।
उत्तर – राजनीतिक व्यवस्था के कार्यों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है –
1. निवेश कार्य – समाज मे कई प्रकार की मांगे उत्पन्न होती रहती है । इन्ही मांगों को निवेश कहा जाता है । ये मांगे व्यक्तियों , राजनीतिक दलों एवं दबाव समूहों द्वारा प्रस्तुत की जाती हैं । निवेश के चार कार्य होते हैं – राजनीतिक समाजीकरण , हित स्पष्टीकरण , हित समूहीकरण और राजनीतिक संचार ।
2. निकास कार्य – समाज द्वारा प्रस्तुत मांगों को निवेश कहा जाता हैं और उन मांगो को पूरा किये जाने के लिए किए गए प्रयत्नों को निकास कहा जाता है । इस प्रकार निकास कार्य राजनीतिक व्यवस्था की विभिन्न गतिविधियों का परिणाम होते हैं । इन गतिविधियों में राजनीतिक व्यवस्था द्वारा लिए गए निर्णयों एवं निर्धारित नीतियों को शामिल किया जाता है । ध्यान रहे ये निर्णय प्रस्तुत की गई मांगो के अनुकूल व प्रतिकूल हो सकते है । इसके तीन कार्य होते हैं – नियम निर्माण करना , नियमो को लागू करना तथा नियम निर्धारण ।
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प्रश्न 9. राजनीतिक प्रणाली के तीन निवेश कार्य बताओ ।
उत्तर – 1. राजनीतिक समाजीकरण व भर्ती -राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया हैं जिसके द्वारा लोगों को प्रशासन में विभिन्न कार्यों व भूमिकाएं निभाने के लिए तैयार किया जाता है । परिवार , स्कूल , राजनीतिक दल , साहित्य व समुदाय आदि राजनीतिक समाजीकरण के मुख्य साधन हैं ।
2. हित स्पष्टीकरण – यह वह प्रक्रिया हैं जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी मांगों को राजनीतिक व्यवस्था के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह कार्य राजनीतिक दलों , समुदायों तथा दबाव समूहों द्वारा किया जाता है ।
3. हित समूहीकरण – यह भिन्न भिन्न प्रकार के हितों को एकत्रित करने तथा उनमें तालमेल करने और उनके आधार पर सामान्य नीतियों का निर्माण करने की प्रक्रिया है । मुख्य रूप से यह कार्य राजनीतिक दलों द्वारा किया जाता हैं परंतु विधानमंडल ,अधिकारी वर्ग , कार्यपालिका एवं सरकारी संस्थाएं भी हित समूहीकरण में योगदान देती है ।
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प्रश्न 10. फीडबैक अथवा पुनर्निवेश की व्यवस्था से क्या अभिप्राय हैं ।
उत्तर – पुनर्निवेश अथवा फीडबैक वह प्रक्रिया है जिसमे निर्गत के परिणाम स्वरूप वातावरण में प्रभाव व परिवर्तन संभव होता है तथा वातावरण के परिवर्तन पुनः राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित करते हैं अर्थात निर्गतों के परिणाम स्वरूप नई मांगे उत्पन्न होती है और फिर नई मांगे निवेश के रूप में कार्य करती हैं । अतः पुनर्निवेश राजनीतिक व्यवस्था को निरंतर गतिशील बनाये रखती हैं ।यह व्यवस्था निवेशों एवं निर्गतों की परिवर्तन प्रक्रिया को बनाये रखने के लिए जरुरी है ।
दोस्तों इस पोस्ट में आपको 10 छोटे प्रश्नों के जवाब बताये है। ये सभी बहुत ही महत्पूर्ण सवाल – जवाब हर बार एग्जाम्स में पूछे जाते है। आप सभी स्टूडेंट्स के लिए लाभ दायक होगा। इसमें सारे जरुरी प्रश्नों को चुना गया है जो बार बार एग्जाम में आते है। उम्मीद है Political System -4 Marks छोटे -प्रश्न उत्तर वाले नोट्स-यह जानकारी आपको पसंद आएगी। ऐसे जानकारी प्राप्त करने के लिए ज्ञान फॉरएवर पर बने रहे।
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