Liberalism Criticism , Arguments and Favour against Liberalism in Hindi उदारवाद की आलोचना ,उदारवाद के पक्ष विपक्ष में तर्क

Liberalism : उदारवाद की आलोचना | उदारवाद के पक्ष-विपक्ष में तर्क

उदारवाद राजनीति विज्ञान

Liberalism Criticism , Arguments and Favour against Liberalism in Hindi उदारवाद की आलोचना ,उदारवाद के पक्ष विपक्ष में तर्क – आधुनिक युग में जिन अनेक विचारधाराओं का विकास हुआ है उनमें से उदारवादी विचारधारा भी अपना स्थान महत्त्व रखती है ।

उदारवाद का इतिहास आधुनिक पश्चिमी दर्शन का इतिहास बन गया है क्योंकि प्राय: सभी पश्चिमी देश इसके दर्शन से प्रभावित हो रहे हैं।

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यह आधुनिक युग की जबरदस्त विचारधारा है जिसने बहुत से महान राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों को प्रेरणा दी, बहुत से राजनीतिक आर्थिक आंदोलनों का विरोध किया। यह एक अत्यंत लचीली तथा गतिशील विचारधारा है।

Table of Contents विषय सूची

उदारवाद के पक्ष में तर्क ( Arguments in Favour of Liberalism )

उदारवादी विचारधारा के अनुसार मनुष्य जन्म से ही स्वतंत्र होता है। स्वतंत्रता उसका प्राकृतिक एवं जन्म सिद्ध अधिकार है। उदारवाद का समर्थन निम्नलिखित बातों के आधार पर किया जाता है-

प्राकृतिक अधिकारों का आधार ( Basis of Natural Rights )

उदारवादी विचारों को क्रमबद्ध रूप में प्रतिपादित करने का श्रेय अंग्रेजी विद्वान जॉन लॉक हो जाता है। उसके अनुसार हर धारणा व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है। उसने प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व की रक्षा की है। उसका कहना है कि जीवन ,संपत्ति तथा स्वतंत्रता व्यक्ति की जन्म सिद्ध अधिकार है। राज्य का कर्तव्य अधिकारों की रक्षा करना है।

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आर्थिक आधार ( Economic Basis )

उदारवादियों का कहना है कि व्यक्ति अपने हितों की रक्षा स्वयं कर सकता है इसलिए व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। उदारवाद के समर्थक विद्वानों का कहना है कि आर्थिक क्षेत्र में व्यक्ति को स्वतंत्रता देने से व्यक्तियों में खुली प्रतियोगिता होगी जिससे ना केवल उसे लाभ पहुंचेगा बल्कि समस्त देश की संपदा में भी वृद्धि होगी । वस्तु के मूल्य नहीं बढ़ेंगे, लाभ उचित होगा और श्रमिकों ठीक मजदूरी मिलेगी।

नैतिक आधार ( Ethical Basis )

जेम्स मिल , कांट , ग्रीन आदि विचारकों ने नैतिक आधार पर उदारवाद का समर्थन किया है। उनके मतानुसार व्यक्ति में बौद्धिक तथा नैतिक गुणों का विकास स्वतंत्रता के वातावरण में ही संभव है।

व्यवहारिक आधार ( Practical Basis )

उदारवादियों का कहना है कि राज्य सभी कार्य करने के अयोग्य है। राज्य सभी कार्यों को कुशलता से नहीं कर सकता। इसके अतिरिक्त राज्य के हाथों में बहुत अधिक कार्य आ जाने से नौकरशाही का प्रभाव पड़ता है और लालफीताशाही जैसी बुराइयां उत्पन्न हो जाती है ,चूंकि सरकारी कर्मचारियों को सार्वजनिक उद्योगों में कोई निजी दिलचस्पी अथवा स्वार्थ नहीं होता इसलिए वह लापरवाही से काम करते हैं।

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ऐतिहासिक आधार ( Historical Basis )

इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब कभी सरकार ने नियम बनाकर वस्तुओं के उत्पादन अथवा उसकी खरीद व बिक्री पर नियंत्रण लगाए तो चोर बाजारी आरंभ हुई। आयात और निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से ही तस्करी शुरू हो जाती है अर्थात वस्तुएं चोरी-चोरी से देश में लाई जाती है जैसे जिन पुस्तकों पर पाबंदी लगाई गई वही बहुत अधिक पढ़ी गई। इतिहास इस बात का भी साक्षी है कि जिन देशों में सरकार ने कम हस्तक्षेप किया है वहां वैज्ञानिक तथा तकनीकी उन्नति अधिक हुई है।

वैज्ञानिक आधार ( Scientific Basis )

उदारवाद का वैज्ञानिक अथवा जीव वैज्ञानिक आधार पर भी समर्थन किया गया। मानव संघर्ष में वह जीवन अथवा प्राणी नष्ट हो जाते हैं जो दुर्बल है और शक्तिशाली बचे रहते हैं। केवल योग्य व्यक्ति ही जीवित रहते हैं और केवल उन्हें ही जीवित रहने का अधिकार है।

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उदारवाद की आलोचना ( विपक्ष ) ( Liberalism Criticism in Hindi )

उदारवाद की आलोचना और इसके विरोध में तर्क निम्नलिखित आधार पर दी गई है –

राज्य आवश्यक बुराई नहीं है ( State is not a Necessary Evil )

व्यक्तिवादियों की भांति उदारवादी भी राज्य को एक आवश्यक बुराई मानते हैं जिसकी उत्पत्ति व्यक्ति के अहित करने के लिए हुई है। परंतु यह धारणा ठीक नहीं है। वास्तव में राज्य एक स्वाभाविक संस्था है जिसकी उत्पत्ति मनुष्य के कल्याण के लिए तथा उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हुई है।

मनुष्य प्राकृतिक रूप से स्वार्थी नहीं है ( Man is not Selfish only by Nature )

उदारवाद मनुष्य की प्रकृति को गलत रूप से चिंतित करता है और उसे मूलतः स्वार्थी समझता है। वास्तव में ऐसा नहीं है। मनुष्य में परमार्थ भी होता है। को वह अपने साथ दूसरों की भलाई भी चाहते हैं। इसमें संदेह नहीं है कि मनुष्य में स्वार्थ की भावना अवश्य होती है परंतु वह एक सामाजिक प्राणी है।

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मनुष्य स्वयं अपनी भलाई नहीं समझता ( Man is not the sole judge of his Interests )

उदारवादियों का यह विचार भी ठीक नहीं है क्योंकि प्रत्येक मनुष्य में अधिकांश व्यक्ति अशिक्षित तथा अज्ञानी होते हैं जिनका दृष्टिकोण बहुत सीमित होता है। वे अपनी भलाई को ठीक ढंग से समझने में असमर्थ होते हैं। राज्य को जनहित में व्यक्ति के दुराचरण पर अंकुश लगाने का अधिकार मिलना ही चाहिए।

जीव विज्ञान के नियम मनुष्य समाज पर लागू करना खतरनाक है ( Principles of Biology can’t apply on Man )

उदारवादी व्यक्ति को अकेला छोड़ना चाहते हैं ताकि योग्यतम जीवित रहे परंतु जंगल और प्राणी शास्त्र का यह नियम मनुष्यों पर लागू करना उचित नहीं है। व्यक्ति के पास बुद्धि है जिसका प्रयोग वह अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए करता है। जिसकी लाठी उसकी भैंस या योग्यतम को जीने का अधिकार देने पर तो समाज में चोरों ,डाकूओं का राज हो जाएगा और शांति व्यवस्था समाप्त हो जाएगा।

उदारवाद एक अस्पष्ट धारणा हैं ( Liberalism is an Ambitious Concept )

उदारवाद की आलोचना इस बात पर सबसे अधिक होती है कि यह एक अस्पष्ट धारणा है। यह लचीला सिद्धांत है। यह कई विचारधाराओं का सम्मिश्रण है। लॉक से लेकर लास्की तक प्रत्येक विचारक इसके समर्थक है। बहुत से विचारक तो व्यक्तिवादी भी है और उदारवादी भी है। इसलिए इसकी स्पष्ट व्याख्या करना भी कठिन है।

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आदर्शवादियों द्वारा उदारवाद की आलोचना ( Criticism of Liberalism by Idealists )

आदर्शवादी तथा फासिस्टवादी उदारवाद की इस धारणा पर आलोचना करते हैं कि वह व्यक्ति को यथोचित स्वतंत्रता देना चाहता है। उनका कहना है कि ऐसी स्वतंत्रता मनुष्य जीवन को पूर्ण स्वतंत्रता में बदल देगी। सामान्य जीवन के लिए व्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करना आवश्यक है।

राज्य स्वतंत्रता को नष्ट नहीं करता ( State does not destroy Liberty )

उदारवादियों का यह विचार भी गलत है कि राज्य के कार्य क्षेत्र का विस्तार कर दिया जाए तो वह व्यक्ति की स्वतंत्रता को नष्ट कर देगा। वास्तव में राज्य तथा कानून ही ऐसे वातावरण की स्थापना करते हैं जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपनी स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना संभव है।

आर्थिक क्षेत्र में खुली प्रतियोगिता दुर्बल वर्ग के लिए ठीक नहीं ( Open Competition in Economic field is not good for weaker sections )

उदारवादी आर्थिक क्षेत्र में पूर्ण स्वतंत्रता व खुली प्रतियोगिता का समर्थन करते हैं। उसी स्थिति के कारण ही भूखमरी ,अस्वस्थता तथा बेकारी उत्पन्न हुई है। वास्तव में नियोजित अर्थव्यवस्था में ही दुर्बल वर्ग को भी सम्मान पुरस्कार मिलता है।

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FAQ Checklist

उदारवाद की तीन आलोचना बताइए।

१ ) राज्य आवश्यक बुराई नहीं है।
२ ) मनुष्य प्राकृतिक रूप से स्वार्थी नहीं है
३ ) आर्थिक क्षेत्र में खुली प्रतियोगिता दुर्बल वर्ग के लिए ठीक नहीं

उदारवाद के पक्ष में तर्क दीजिए।

उदारवादियों का कहना है कि व्यक्ति अपने हितों की रक्षा स्वयं कर सकता है इसलिए व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। उदारवाद के समर्थक विद्वानों का कहना है कि आर्थिक क्षेत्र में व्यक्ति को स्वतंत्रता देने से व्यक्तियों में खुली प्रतियोगिता होगी जिससे ना केवल उसे लाभ पहुंचेगा बल्कि समस्त देश की संपदा में भी वृद्धि होगी ।

उदारवाद के विपक्ष में तर्क दीजिए।

उदारवादियों का यह विचार भी गलत है कि राज्य के कार्य क्षेत्र का विस्तार कर दिया जाए तो वह व्यक्ति की स्वतंत्रता को नष्ट कर देगा। वास्तव में राज्य तथा कानून ही ऐसे वातावरण की स्थापना करते हैं जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपनी स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना संभव है।

उदारवाद के जनक कौन है?

जॉन लॉक को उदारवाद का जनक माना जाता है। आरंभिक उन्नायकों में एडम स्मिथ और जेरमी बेंथम के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं

भारत में उदारवादी कौन हैं?

उदारवादी उदारवादी राष्ट्रवादी थे जिन्होंने खुले तौर पर ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का समर्थन किया और ब्रिटिश साम्राज्यवाद की ज्यादतियों का विरोध किया।

उदारवाद की शुरुआत कहां से हुई?

कट्टरपंथी उदारवादी आंदोलन 1790 के दशक में इंग्लैंड में शुरू हुआ और प्राकृतिक अधिकारों और लोकप्रिय संप्रभुता पर जोर देते हुए संसदीय और चुनावी सुधार पर केंद्रित था।

आधुनिक उदारवाद क्या है?

आधुनिक या सकारात्मक उदारवाद एक ऐसी विचारधारा है जो पूर्णतः स्वतंत्रता पर आधारित है। इसके अंतर्गत निम्न वर्गीय लोगों को औपचारिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त होती है जिसके कारण सामान्य व्यक्तियों के आदर्शों को बढ़ाया जा सकता है।


राजनीति में उदारवादी का क्या अर्थ है?

उदारवाद एक राजनीतिक और नैतिक दर्शन है जो व्यक्ति के अधिकारों, स्वतंत्रता, शासित की सहमति, राजनीतिक समानता और कानून के समक्ष समानता पर आधारित है। उदारवादी इन सिद्धांतों की अपनी समझ के आधार पर विभिन्न विचार रखते हैं।

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