Globalisation Historical Background , Meaning , Definitions in Hindi वैश्वीकरण -अर्थ-परिभाषाएं-ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

Globalisation : वैश्वीकरण अर्थ | परिभाषाएं | ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

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Globalisation Historical Background , Meaning , Definitions in Hindi वैश्वीकरण अर्थ ,परिभाषाएं , ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – किसी वस्तु, सेवा, विचार ,प्रद्धति अथवा सिद्धांत को विश्वव्यापी बनाना ही उस वस्तु ,सेवा ,विचार ,प्रद्धति अथवा सिद्धांत का वैश्वीकरण कहलाता है।

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Table of Contents विषय सूची

वैश्वीकरण का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ( Globalisation Historical Background )

एक दशक से कुछ अधिक समय पूर्व तक आर्थिक एवं राजनैतिक संबंधों का वैश्वीकरण नहीं हुआ था। संयुक्त राज्य अमेरिका और भूतपूर्व सोवियत संघ विश्व की दो महाशक्तियां थी । कुछ राष्ट्र एक से तो कुछ दूसरी महाशक्ति से संबंधित है। इस तरह से संपूर्ण विश्व दो गुटों में बंटा हुआ था। सभी राष्ट्रों के बीच राजनीतिक एवं आर्थिक संबंध नहीं थे।

संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता तो व्यापक थी किंतु सोवियत संघ ,पूर्वी यूरोप और उनके अनुगामी कुछ अन्य राष्ट्र विश्व बैंक ,अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा मैट जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सदस्य नहीं थे और इन संस्थाओं के निर्देशों का पालन नहीं करते थे। दो गुटों में विश्व के विभाजन की सैद्धांतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि थी।

सोवियत संघ के नेतृत्व में साम्यवादी देश सत्ता की निरंकुशता और राजकीय स्वामित्व वाली केंद्र नियोजित अर्थव्यवस्था में विश्वास करते थे जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में प्रजातांत्रिक और गैर साम्यवादी देश निजी स्वामित्व वाली उन्मुक्त और बाजारोन्मुखी अर्थव्यवस्था में विश्वास करते थे। दोनों विचारधाराओं और प्रद्धतियों के अपने-अपने गुण दोष थे।

साम्यवादी व्यवस्था में गरीबी ,विषमता और शोषण को दूर करने का आकर्षण था लेकिन स्वतंत्रता और प्रेरणा का अभाव था जो मनुष्य के लिए सर्वाधिक प्रिय होता है। दूसरी और प्रजातांत्रिक पद्धति में स्वतंत्रता ,प्रेरणा और समृद्धि का सुनहरा सपना था लेकिन पूंजीवाद और शोषण का बोलबाला होने के कारण गरीबी और विषमता को दूर करने का सार्थक प्रयास नहीं हो रहा था।

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दोनों महाशक्तियां अपने प्रभाव क्षेत्र के विस्तार के लिए अन्य राष्ट्रों को अपनी प्रगति की विषमताओं के प्रति आकर्षित करना चाहती थी। अमेरिका ,पश्चिमी यूरोप और जापान को इस खतरे का आभास हुआ कि जहां जहां गरीबी और विषमता रहेगी वहां वहां साम्यवाद को पनपने के लिए उर्वर भूमि मिल जाएगी।

फलता: इन देशों ने स्वयं एवं अपने प्रभुत्व वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के माध्यम से देश और विदेश में गरीबी और विषमता को कम करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने का अभियान चलाया। सोवियत संघ एवं उसके समर्थक देशों के पास इस अभियान का मुकाबला करने के लिए अपेक्षित आरती की शक्ति नहीं थी।

प्रतिद्वंदी महाशक्ति के साथ हथियारों की होड़ तथा वैज्ञानिक शोध संबंधी प्रतिस्पर्धा के फलस्वरुप उनकी आर्थिक स्थिति दिनो दिन और भी जर्जर होती चली गई। तुलनात्मक दृष्टि से इन देशों के पास प्रचुर प्राकृतिक सम्पदा भी नहीं थी और मानव संसाधन भी अपेक्षाकृत कम विकसित थे।

आर्थिक बदहाली के कारण आंतरिक असंतोष काबू से बाहर होने लगा। सोवियत संघ का विघटन हो गया और महाशक्ति के रूप में इसकी प्रतिष्ठा समाप्त हो गई। पाश्चात्य देशों के साथ आर्थिक संबंध नहीं रहने के कारण और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक एवं वित्तीय संस्थाओं से अलग रहने के कारण यह देश विश्व अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से अलग-थलग पड़ गए और इनके आर्थिक विकास की गति उत्तरोत्तर मंद होती चली गई।

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दूसरी ओर पाश्चात्य देशों ने यह अनुभव किया कि जिन देशों के साथ उनके आर्थिक संबंध नहीं है यदि उन देशों के साथ भी उनके आर्थिक संबंध स्थापित हो जाए तो वे अपनी समृद्धि को नयी मंजिलों तक पहुंचा सकते हैं। साम्यवाद की कब्र पर प्रजातंत्र का पौधा लगाया गया। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एवं व्यापारिक संस्थाओं की सदस्यता ग्रहण की गई।

अभिप्रेरणा पर आधारित उन्मुक्त अर्थव्यवस्था को अपनाया गया और स्वतंत्र व्यापार एवं विदेशी पूंजी निवेश को प्रोत्साहन देने की नीति का अनुसरण प्रारंभ हुआ। निजीकरण उदारीकरण और पारदर्शिता की विश्वव्यापी धारा में चीन वियतनाम और क्यूबा जैसे कट्टरपंथी साम्यवादी देश भी प्रभावित होने लगे। मिश्रित अर्थव्यवस्था में विश्वास रखने वाला भारत भी इस मुख्यधारा में शामिल हो गया।

कुछ हद तक यह स्वाभाविक था कि जिस वर्ष सोवियत संघ का विघटन हुआ उसी वर्ष भारत में आर्थिक सुधारों का श्रीगणेश किया गया। राजकीय क्षेत्र में प्रतिष्ठानों के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण राष्ट्रीयकरण और सरकारी नियंत्रण के प्रति भारत का मोह भंग हो गया।

व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उन सभी प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया गया जो इस मार्ग में वर्षों से बाधक बने हुए थे। भारत की आर्थिक नीति में होने वाले इन क्रांतिकारी परिवर्तनों को कई लोगों ने सहजता से स्वीकार नहीं किया और यह आशंका प्रकट करने लगे कि देश की आर्थिक संप्रभुता समाप्त हो जाएगी और भारतीय अर्थव्यवस्था बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शिकंजे में फंस जाएगी।

लेकिन विश्व की गति, दिशा और व्यापक स्थिति को देखते हुए विरोधी विचारधारा वाले लोग भी वैश्वीकरण की नीति से धीरे-धीरे समझौता करने लगे। साथ ही कालांतर में उनकी आशंका निर्मूल सिद्ध हुई। आज संपूर्ण विश्व की धारा में प्रवाहित हो रहा है।

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वैश्वीकरण का अर्थ ( Meaning of Globalisation in Hindi )

वैश्वीकरण को अंग्रेजी भाषा में Globalisation कहा जाता है। Globalisation की शब्दावली को Globe ( ग्लोब ) से लिया गया हैं । ग्लोब ( Globe ) शब्द एक विस्तृत एवं व्यापक दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति करता है जिसमें कि राष्ट्रों की सीमाएं गौण हो जाती है। इस तरह ग्लोब शब्द से एक विश्वव्यापी दृष्टिकोण के विचार का अभ्युदय होता है।

वास्तव में यह विश्वव्यापी दृष्टिकोण विश्व के राष्ट्रों के बीच सीमा एवं दूरी रहित सामाजिक ,आर्थिक एवं राजनीतिक संबंधों में खुले पन की नीति को व्यक्त करता है। वैश्वीकरण का दृष्टिकोण विशेष रूप से शीतयुद्ध की समाप्ति ,पूर्व सोवियत संघ के विघटन एवं पूर्वी यूरोप में साम्यवाद के पतन के बाद विशेष रूप से विश्व के समक्ष एक लोकप्रिय दृष्टिकोण के रूप में उभर कर सामने आया है ।

आज दुनिया के सभी देश अपने राष्ट्रीय हित की पूर्ति के रूप में अर्थव्यवस्था पर ध्यान दे रहे हैं । सामरिक सुरक्षा की भावना राष्ट्रों के बीच अब नहीं रही है। ऐसी स्थिति में वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों का राजनीतिक अर्थशास्त्री ही बदल दिया है।

कल तक जो राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभाते थे उनका मुख्य उद्देश्य शक्ति को प्राप्त करना या शक्ति का प्रदर्शन करना था लेकिन अब के वैश्वीकरण के युग में अपने राष्ट्रीय हित को किसी न किसी रूप में सही ढंग से पूरा करना चाहते हैं।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि समसामयिक विश्व में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का राजनीतिक अर्थशास्त्र ,वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण से प्रभावित है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर भूमंडलीकरण का प्रभाव किस रूप में है इसे स्पष्ट करने से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि उदारीकरण और भूमंडलीकरण क्या हैं ?

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सन 1981 के बाद से सारे विश्व में आर्थिक सुधारों का जो दौर प्रारंभ हुआ वह एल.पी.जी के रूप में माना जाता है। L- Liberalisation ( उदारीकरण ) , P- Privatization ( निजीकरण ) , G- Globalisation ( वैश्वीकरण ) ।

उदारीकरण ( Liberalisation Meaning in Hindi )

उदारीकरण के अंतर्गत व्यापार ,उद्योग एवं निवेश पर लगे ऐसे प्रतिबंधों को समाप्त किया जा रहा है जिनके फलस्वरूप व्यापार ,उद्योग एवं निवेश के स्वतंत्र प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है। प्रतिबंधों को समाप्त करने के अतिरिक्त विभिन्न करों में रियायत, सीमा शुल्क में कटौती तथा मात्रात्मक प्रतिबंध को समाप्त करने जैसे उपाय भी किए जा रहे हैं।

साथ ही विदेशी निवेशकों को उनकी भौतिक एवं बौद्धिक संपदा तथा पेटेंट के अधिकार की सुरक्षा की गारंटी दी जा रही है तथा पूंजी एवं लाभ की पूर्ण वापसी पर लगे प्रतिबंधों को शिथिल किया जा रहा है।

निजीकरण ( Privatization Meaning in Hindi )

निजीकरण का अभिप्राय यह है कि आर्थिक क्रियाओं में सरकारी हस्तक्षेप का उत्तरोत्तर कम किया जाए। प्रेरणा और प्रतिस्पर्धा पर आधारित निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जाए। सरकारी खजाने पर बोझ बन चुके और लाभकारी सरकारी प्रतिष्ठानों को विनिवेश के माध्यम से निजी स्वामित्व एवं नियंत्रण को सौंप दिया जाए।

प्रबंध की कुशलता को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी प्रतिष्ठानों में निजी निवेशकों की सहभागिता बढ़ाई जाए और नए व्यवसायिक एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों की स्थापना करते समय निजी क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाए। निजीकरण राष्ट्रीयकरण का प्रतिलोम भी है।

वैश्वीकरण ( Globalisation Meaning in Hindi )

वैश्वीकरण से अभिप्राय है कि प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा ,पूंजी एवं बौद्धिक संपदा का प्रतिबंधित आदान-प्रदान करना है। वैश्वीकरण तभी संभव है जब ऐसे आदान-प्रदान के मार्ग में किसी देश द्वारा अवरोध उत्पन्न नहीं किया जाए और इन्हें कोई ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्था संस्था संचालित करें जिसमें सभी देशों का विश्वास हो और जो सर्व अनुमति से नीति निर्धारक सिद्धांतों का निरूपण करें।

समान नियम के अनुशासन में रहकर जब सभी देश अपने व्यापार और निवेश का संचालन करते हैं तो स्वाभाविक रूप से वे एक ही धारा में प्रवाहित होते हैं और यही वैश्वीकरण है।

वैश्वीकरण की परिभाषाएं ( Globalisation Definitions in Hindi )

रिचर्ड फॉक के अनुसार – वैश्वीकरण (Globalisation ) एक ऐसी अवधारणा है जो विकसित देशों द्वारा अन्य राष्ट्रों पर थोपी गयी हैं । इस वैश्वीकरण (Globalisation ) की प्रक्रिया के कारण समस्त विश्व एक वैश्विक गांव में परिवर्तित हो गया है। यह सूचना तकनीक के कारण संभव हुआ है।

एडवर्ड एस. हरमन के अनुसार – वैश्वीकरण (Globalisation ) विभिन्न राष्ट्रों की सीमाओं के आर पार प्रबन्धकीय विस्तार एवं क्रियाशील प्रक्रिया भी है एवं साथ ही राष्ट्रीय सीमाओं के पार सुविधाओं तथा आर्थिक संबंधों की एक संरचना भी है जिसका निरंतर विकास हो रहा है और साथ-साथ इसमें परिवर्तन भी हो रहा है।

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FAQ Checklist

उदारीकरण से क्या तात्पर्य हैं ?

उदारीकरण के अंतर्गत व्यापार ,उद्योग एवं निवेश पर लगे ऐसे प्रतिबंधों को समाप्त किया जा रहा है जिनके फलस्वरूप व्यापार ,उद्योग एवं निवेश के स्वतंत्र प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है। प्रतिबंधों को समाप्त करने के अतिरिक्त विभिन्न करों में रियायत, सीमा शुल्क में कटौती तथा मात्रात्मक प्रतिबंध को समाप्त करने जैसे उपाय भी किए जा रहे हैं।

निजीकरण से क्या अभिप्राय हैं ?

निजीकरण का अभिप्राय यह है कि आर्थिक क्रियाओं में सरकारी हस्तक्षेप का उत्तरोत्तर कम किया जाए। प्रेरणा और प्रतिस्पर्धा पर आधारित निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जाए। सरकारी खजाने पर बोझ बन चुके और लाभकारी सरकारी प्रतिष्ठानों को विनिवेश के माध्यम से निजी स्वामित्व एवं नियंत्रण को सौंप दिया जाए।

वैश्वीकरण से क्या अभिप्राय है ?

वैश्वीकरण से अभिप्राय है कि प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा ,पूंजी एवं बौद्धिक संपदा का प्रतिबंधित आदान-प्रदान करना है। वैश्वीकरण तभी संभव है जब ऐसे आदान-प्रदान के मार्ग में किसी देश द्वारा अवरोध उत्पन्न नहीं किया जाए और इन्हें कोई ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्था संस्था संचालित करें जिसमें सभी देशों का विश्वास हो और जो सर्व अनुमति से नीति निर्धारक सिद्धांतों का निरूपण करें।

वैश्वीकरण की कोई एक परिभाषा बताओं।

रिचर्ड फॉक के अनुसार – वैश्वीकरण (Globalisation ) एक ऐसी अवधारणा है जो विकसित देशों द्वारा अन्य राष्ट्रों पर थोपी गयी हैं । इस वैश्वीकरण (Globalisation ) की प्रक्रिया के कारण समस्त विश्व एक वैश्विक गांव में परिवर्तित हो गया है। यह सूचना तकनीक के कारण संभव हुआ है।

एडवर्ड एस. हरमन के अनुसार वैश्वीकरण क्या हैं ?

एडवर्ड एस. हरमन के अनुसार – वैश्वीकरण (Globalisation ) विभिन्न राष्ट्रों की सीमाओं के आर पार प्रबन्धकीय विस्तार एवं क्रियाशील प्रक्रिया भी है एवं साथ ही राष्ट्रीय सीमाओं के पार सुविधाओं तथा आर्थिक संबंधों की एक संरचना भी है जिसका निरंतर विकास हो रहा है और साथ-साथ इसमें परिवर्तन भी हो रहा है।

वैश्वीकरण का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या करें।

एक दशक से कुछ अधिक समय पूर्व तक आर्थिक एवं राजनैतिक संबंधों का वैश्वीकरण नहीं हुआ था। संयुक्त राज्य अमेरिका और भूतपूर्व सोवियत संघ विश्व की दो महाशक्तियां थी । कुछ राष्ट्र एक से तो कुछ दूसरी महाशक्ति से संबंधित है। इस तरह से संपूर्ण विश्व दो गुटों में बंटा हुआ था। सभी राष्ट्रों के बीच राजनीतिक एवं आर्थिक संबंध नहीं थे।

वैश्वीकरण से पहले विश्व की दो महाशक्तियां राष्ट्र कौन सी थी

संयुक्त राज्य अमेरिका और भूतपूर्व सोवियत संघ विश्व की दो महाशक्तियां थी ।

वैश्वीकरण से पहले साम्यवादी व्यवस्था कैसी थी ?

साम्यवादी व्यवस्था में गरीबी ,विषमता और शोषण को दूर करने का आकर्षण था लेकिन स्वतंत्रता और प्रेरणा का अभाव था जो मनुष्य के लिए सर्वाधिक प्रिय होता है।

वैश्वीकरण से पहले प्रजातांत्रिक पद्धति कैसी थी ?

प्रजातांत्रिक पद्धति में स्वतंत्रता ,प्रेरणा और समृद्धि का सुनहरा सपना था लेकिन पूंजीवाद और शोषण का बोलबाला होने के कारण गरीबी और विषमता को दूर करने का सार्थक प्रयास नहीं हो रहा था।

वैश्वीकरण का अर्थ क्या हैं ?

वैश्वीकरण को अंग्रेजी भाषा में Globalisation कहा जाता है। Globalisation की शब्दावली को Globe ( ग्लोब ) से लिया गया हैं । ग्लोब ( Globe ) शब्द एक विस्तृत एवं व्यापक दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति करता है जिसमें कि राष्ट्रों की सीमाएं गौण हो जाती है। इस तरह ग्लोब शब्द से एक विश्वव्यापी दृष्टिकोण के विचार का अभ्युदय होता है।

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