Public Administration लोक प्रशासन और निजी प्रशासन- आधुनिक युग में लोक प्रशासन की धारणा प्रसिद्ध विधि शास्त्रियों , राजनीतिज्ञों और लेखकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है। प्रशासन प्रबंध कि वह विधि है जो घर से लेकर बड़े से बड़े संगठन के प्रयोग में लाई जाती है। प्रशासन दो प्रकार का होता है, लोक प्रशासन और निजी प्रशासन।
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में आपसी भेदता और समानताओं के बारे में विद्वानों में मतभेद पाया जाता है। दूसरे शब्दों में सभी विद्वान ना तो इस बात से सहमत हैं कि यह दोनों प्रशासन एक दसरे से बिल्कुल पृथक है और ना ही इस बात के बारे में कि दोनों एक समान है, परंतु एक बात तो बड़े विश्वास से कही जा सकती है कि लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में कई पक्षों से समानताएं भी हैं और कई पक्षों से भिन्नताए भी पाई जाती है।
Table of Contents विषय सूची
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में अंतर ( Difference Between Public Administration and Private Administration in Hindi )
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में अंतर का विस्तार सहित विवरण निम्नलिखित है-
राजनीतिक निर्देशन ( Political Direction )
राजनीतिक निर्देशन ( Meaning of Political Direction in Hindi ) -लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में मुख्य अंतर यह हैं कि लोक प्रशासन को राजनीतिक निर्देशन के अनुसार अपना काम करना पड़ता है, परंतु निजी प्रशासन के लिए राजनीतिक निर्देशन का पालन करना आवश्यक नहीं होता।
सरकार का प्रत्येक विभाग किसी न किसी मंत्री के नियंत्रण में होता है और प्रशासन को मंत्री द्वारा जारी किए गए आदेशों का पालन करना पड़ता है और कोई भी सरकारी कर्मचारी उसके आदेशों का उल्लंघन नहीं कर सकता, परंतु इसके विपरीत निजी प्रशासन का संचालन राजनीतिक निर्देशों के अनुसार नहीं किया जाता अपितु उसका संचालन तो उस प्रशासन के स्वामी के निर्देशों के अनुसार किया जाता है।
इस संबंध में साइमन ने कहा है कि लोक प्रशासन राजनीतिक होता है जबकि निजी प्रशासन का राजनीति से बहुत कम संबंध होता है। इसमें कोई शक नहीं है कि लोकतंत्र राज्यों में निजी प्रशासन को भी देश में प्रचलित कानूनों के अनुसार अपना कार्य करना पड़ता है परंतु फिर भी वह राजनीतिक निर्देशों से मुक्त होता है।
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लाभ का उद्देश्य ( Profit Motive )
लाभ का उद्देश्य ( What is Profit Motive in Hindi ) -लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में एक अन्य महत्वपूर्ण अंतर लाभ का उद्देश्य है निजी प्रशासन का उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना होता है परंतु इसके विपरीत लोक प्रशासन का उद्देश्य धन कमाना ना होकर लोगों की सेवा करना होता है।
इस तरह निजी प्रशासन में उस कार्य को प्राथमिकता दी जाती है जिसमें प्रशासन के सभी स्वामी को अधिक से अधिक लाभ कमाने की संभावना हो। उदाहरण स्वरूप यदि किसी मिल के मालिक को चीनी मिल लगाने की अपेक्षा कपड़ा मिल लगाने में अधिक लाभ होता है तो वह कपड़ा मिल ही लगाएगा चाहे लोगों को चीनी की कितनी भी आवश्यकता क्यों ना हो ।
इसके विपरीत लोक प्रशासन कपड़ा मिल के स्थान पर चीनी मिल ही लगाएगा चाहे ऐसा करने के लिए उसे नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े और यही कारण है कि लोक प्रशासन का बजट हमेशा घाटे वाला होता है क्योंकि लोक प्रशासन का अस्तित्व लोगों की सेवा करना होता है , ना कि मुनाफा कमाना।
सेवा आर मूल्य ( Service and Cost )
सेवा आर मूल्य ( What is Service and Cost in Hindi ) -लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में एक अन्य महत्वपूर्ण अंतर सेवा और मूल्य के पक्ष से है । लोक प्रशासन में आमतौर पर सेवा के बदले में लोगों से उतनी ही राशि वसूली जाती है जितनी की कार्य के प्रबंध करने के लिए आवश्यक हो , परंतु इसके विपरीत निजी प्रशासन में लागत की तरफ अधिक ध्यान नहीं दिया जाता अर्थात कि लोगों के प्रति सेवा को ध्यान में ना रखकर अधिक से अधिक पैसे वसूलने की तरफ ध्यान दिया जाता है । उदाहरण स्वरूप सरकारी अस्पताल और निजी अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए व्यय में बहुत बड़ा अंतर पाया जाता है।
सेवा की प्रकृति ( Nature of Service )
सेवा की प्रकृति ( What is Nature of Service in Hindi ) -सेवा की प्रकृति के पक्ष से भी लोक प्रशासन व निजी प्रशासन में अंतर पाया जाता है । लोक प्रशासन समस्त महत्वपूर्ण सेवाओं का संचालन करता है । दूसरे शब्दों में इन सेवाओं में लोक प्रशासन का एकाधिकार होता है जैसे कि रक्षा ,डाक व तार , रेलवे ,पुलिस आदि ।
इन क्षेत्रों में निजी प्रशासन के लिए कोई स्थान नहीं होता,अपितु निजी प्रशासन के अधीन ऐसी सेवाएं रखी जाती हैं जिनका संचालन किसी एक संस्था अथवा व्यक्ति को नहीं, अपितु अनेकों संस्थाओं अथवा व्यक्तियों को दिया जाता है ताकि उनमें परस्पर मुकाबला हो और लोगों को उचित मूल्य पर बढ़िया वस्तुएं मिल सके।
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समान व्यवहार ( Uniform Treatment )
समान व्यवहार ( What is Uniform Treatment in Hindi ) – लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में एक अन्य बड़ा महत्वपूर्ण अंतर समान व्यवहार के पक्ष से है। लोक प्रशासन में सभी लोगों से बिना किसी भेदभाव के समान व्यवहार किया जाता है। उदाहरण स्वरूप यदि किसी व्यक्ति ने डाकघर से टिकट खरीदनी है तो उसे टिकटों के निर्धारित पैसे ही देने पड़ेंगे चाहे डाक काउंटर पर बैठक क्लर्क उसका अपना भाई ही क्यों ना हो ।
इसके विपरीत निजी प्रशासन में सभी लोगों से समान व्यवहार नहीं किया जाता। उदाहरण स्वरूप कपड़े का एक दुकानदार अपने ग्राहक को कपड़ा ना तो उधार देता है और ना ही कोई भी रियायत करता है। इस तरह निजी प्रशासन सभी ग्राहकों से समान व्यवहार नहीं करता।
कार्यकुशलता ( Efficiency )
कार्यकुशलता ( Meaning of Efficiency in Hindi ) -कार्यकुशलता के पक्ष से भी लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में काफी अंतर पाया जाता है। आमतौर पर यह देखने में आता है कि लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन अधिक कुशलता से कार्य करता है।
इसका मुख्य कारण यह है कि लोक प्रशासन में लाल फीताशाही ,फिजूलखर्ची ,भ्रष्टाचार और अयोग्यता जैसी बुराइयां प्रचलित होती है इससे कार्यकुशलता के मार्ग में बहुत बड़ी बाधाएं उत्पन्न हो जाती है यही कारण हैं कि कोई भी कार्य समय पर पूर्ण नहीं हो सकता ।
इसके विपरीत निजी प्रशासन की कार्यविधि लाल फीताशाही ना होकर व्यापारिक स्वरूप की होती है अर्थात उसमें अधिक लाभ कमाने की प्रवृत्ति पाई जाती है इसलिए स्वामी अपने कार्यों को पूरी लगन और दिलचस्पी से करते हैं। कर्मचारी भी अपने काम को पूरी लगन से करते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि अधिक काम करने के लिए अधिक पैसे अथवा पदोन्नति आदि मिल सकती है।
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सार्वजनिक उत्तरदायित्व ( Public Accountability )
सार्वजनिक उत्तरदायित्व ( What is Public Accountability in Hindi ) लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में एक अन्य बड़ा अंतर सार्वजनिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत है। लोक प्रशासन जनता के प्रति उत्तरदाई होते हैं जबकि निजी प्रशासन का लोगों के प्रति कोई उत्तरदायित्व नहीं होता। लोक प्रशासन पर संसद का नियंत्रण होता है और इसलिए वह लोगों की इच्छाओं के अनुसार ही अपना कार्य करता है।
यदि लोक प्रशासन कोई गलत कार्य करता है अथवा लोगों की इच्छाओं के विपरीत कोई कार्य करता है तो जनता अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा विधानमंडल में इसके विरुद्ध अपनी आवाज उठा सकती है। परंतु इसके विपरीत निजी प्रशासन में सार्वजनिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत लागू नहीं होता अर्थात यह लोगों के प्रति उत्तरदाई नहीं होते, सरकार भी ना उस पर अपना कठोर नियंत्रण रख सकती है और ना ही उसके प्रति दिन के कार्यों में हस्तक्षेप कर सकती है।
बाहरी वित्तीय नियंत्रण ( External Financial Control )
बाहरी वित्तीय नियंत्रण ( What is External Financial Control in Hindi ) बाहरी वित्तीय नियंत्रण संबंधी भी लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में भिन्नता पाई जाती है। लोक प्रशासन संसद की स्वीकृति के बिना ना तो एक पैसा एकत्र कर सकता है और ना ही व्यय कर सकता है। संसद की स्वीकृति मिलने के बाद भी लोग प्रशासन पैसा केवल उन दरों पर ही व्यय कर सकता है जहां उसे खर्च करने के लिए संसद में स्वीकृति दी हो।
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सेवा सुरक्षा ( Social Security )
सेवा सुरक्षा ( What is Social Security In Hindi ) – सेवा सुरक्षा के पक्ष से भी लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में बहुत अंतर पाया जाता है। लोक प्रशासन में आमतौर पर कर्मचारी अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं अर्थात सरकारी कर्मचारियों को पद से हटाने के लिए बहुत लंबी और जटिल प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। परंतु इसके विपरीत निजी प्रशासन में कर्मचारियों की सेवा अधिक सुरक्षित नहीं होती है ,उन्हें प्रायः डर लगा रहता है कि मालिक कहीं उन्हें नौकरी से निकाल ना दे।
चाहे लोकतंत्रीय राज्य में कर्मचारियों के संगठन और सेवा सुरक्षा अधिनियम के अस्तित्व में आने के साथ निजी प्रशासन में भी कर्मचारियों को आसानी से नौकरी से नहीं निकाला जा सकता परंतु फिर भी अधिक सेवा सुरक्षा के कारण लोग, लोक प्रशासन के अधीन सेवा करने को प्राथमिकता देते हैं।
अनामिकता ( Anonymity )
अनामिकता ( Meaning of Anonymity in Hindi ) लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में अनामिकता के पक्ष से भी अंतर पाया जाता है। सरकारी कर्मचारी सरकार के सभी कार्य बिना अपना नाम बताएं गुप्त तौर पर करते हैं। प्रत्येक विभाग का राजनीतिक मुखिया मंत्री होता है इसलिए अपने विभाग से संबंधित प्रत्येक कार्य के लिए वह संसद के प्रति उत्तरदाई होते हैं ।
परंतु इसके विपरीत निजी प्रशासन में अनामिकता का सिद्धांत लागू नहीं होता अपितु समूचा व्यापार मिल मालिक के नाम पर चलता है और उस व्यापार में से होने वाले लाभ और हानि के लिए वह स्वयं उत्तरदाई होता है।
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संगठन ( Organization )
संगठन ( What is Organization in Hindi ) – इसमें कोई संदेह नहीं है कि संगठन के सिद्धांत की महत्ता लोक प्रशासन और निजी प्रशासन दोनों के लिए होती है परंतु फिर भी इस संबंध में दोनों में कुछ अंतर पाया जाता है। लोक प्रशासन का क्षेत्र विशाल होने के कारण इसका नुकसान बहुत व्यापक होता है जबकि निजी प्रशासन में नुकसान की दर कम होती है । लोक प्रशासन तक प्रत्येक व्यक्ति की पहुंच होती है जबकि निजी प्रशासन तक पहुंच कुछ ही लोगों तक सीमित रहती है।
जनसंपर्क ( Public Relations )
जनसंपर्क ( What is Public Relations in Hindi ) -जनसंपर्क के मामले में लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में अंतर होता है। निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की तुलना में जनसंपर्क की अधिक आवश्यकता महसूस की जाती है। निजी प्रशासन अपनी वस्तुओं को लोगों में अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए आकर्षक विधियां अपनाता है अर्थात ग्राहकों को आकर्षक तोहफे देता है परंतु इसके विपरीत लोक प्रशासन में ग्राहकों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किए जाते ।
निष्कर्ष ( Conclusion )
उपरोक्त विवरण से यह पता लगता है कि लोक प्रशासन और निजी प्रशासन एक दूसरे से भिन्न है और इनमें आपस में कोई समन्वय नहीं है, परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है ,अपितु दोनों में अंतर केवल नाममात्र का ही है। आधुनिक युग में इन दोनों में यह अंतर और भी कम हो जाता है। वास्तव में लोक प्रशासन और निजी प्रशासन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं परंतु उनकी अपनी अपनी विशेष तकनीक और मूल्य है जो प्रत्येक को पृथक रूप प्रदान करते हैं।
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FAQ Checklist
पाल.एच. एप्पलबी ने लोक और निजी प्रशासन में क्या अंतर बताया ?
पाल.एच. एप्पलबी ने लोक और निजी प्रशासन में तीन अंतर बताया जो कि है –
1.क्षेत्र में विस्तार 2.राजनीतिक स्वरूप 3.सार्वजनिक उत्तरदायित्व
निजी प्रशासन राजनीतिक निर्देशन से मुक्त क्यों होता हैं ?
लोक प्रशासन राजनीतिक होता है जबकि निजी प्रशासन का राजनीति से बहुत कम संबंध होता है। इसमें कोई शक नहीं है कि लोकतंत्र राज्यों में निजी प्रशासन को भी देश में प्रचलित कानूनों के अनुसार अपना कार्य करना पड़ता है परंतु फिर भी वह राजनीतिक निर्देशों से मुक्त होता है।
लोक और निजी प्रशासन में अंतर क्या हैं ?
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में मुख्य अंतर यह हैं कि लोक प्रशासन को राजनीतिक निर्देशन के अनुसार अपना काम करना पड़ता है, परंतु निजी प्रशासन के लिए राजनीतिक निर्देशन का पालन करना आवश्यक नहीं होता।
लोक और निजी प्रशासन के उद्देश्यों में कितना अंतर हैं ?
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में एक अन्य महत्वपूर्ण अंतर लाभ का उद्देश्य है निजी प्रशासन का उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना होता है परंतु इसके विपरीत लोक प्रशासन का उद्देश्य धन कमाना ना होकर लोगों की सेवा करना होता है।
लोक और निजी प्रशासन के सेवा और मूल्यों में कितना अंतर हैं ?
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में अंतर सेवा और मूल्य के पक्ष से है । लोक प्रशासन में आमतौर पर सेवा के बदले में लोगों से उतनी ही राशि वसूली जाती है जितनी की कार्य के प्रबंध करने के लिए आवश्यक हो , परंतु इसके विपरीत निजी प्रशासन में लोगों के प्रति सेवा को ध्यान में ना रखकर अधिक से अधिक पैसे वसूलने की तरफ ध्यान दिया जाता है ।
लोक प्रशासन का किन क्षेत्रों में एकाधिकार होता हैं ?
लोक प्रशासन समस्त महत्वपूर्ण सेवाओं का संचालन करता है । दूसरे शब्दों में इन सेवाओं में लोक प्रशासन का एकाधिकार होता है जैसे कि रक्षा ,डाक व तार , रेलवे ,पुलिस आदि ।
लोक और निजी प्रशासन के व्यवहार में कितना अंतर हैं ?
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में एक बड़ा महत्वपूर्ण अंतर समान व्यवहार के पक्ष से है। लोक प्रशासन में सभी लोगों से बिना किसी भेदभाव के समान व्यवहार किया जाता है। इसके विपरीत निजी प्रशासन में सभी लोगों से समान व्यवहार नहीं किया जाता बल्कि लाभ को देख कर व्यवहार किया जाता हैं ।
कार्यकुशलता के पक्ष से लोक और निजी प्रशासन में अंतर बताएं
कार्यकुशलता के पक्ष से भी लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में काफी अंतर पाया जाता है। आमतौर पर यह देखने में आता है कि लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन अधिक कुशलता से कार्य करता है।
लोक और निजी प्रशासन के सार्वजनिक उत्तरदायित्व से तात्पर्य ?
लोक प्रशासन जनता के प्रति उत्तरदाई होते हैं जबकि निजी प्रशासन का लोगों के प्रति कोई उत्तरदायित्व नहीं होता। लोक प्रशासन पर संसद का नियंत्रण होता है और इसलिए वह लोगों की इच्छाओं के अनुसार ही अपना कार्य करता है।
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में अनामिकता से तात्पर्य ?
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में अनामिकता के पक्ष से भी अंतर पाया जाता है। सरकारी कर्मचारी सरकार के सभी कार्य बिना अपना नाम बताएं गुप्त तौर पर करते हैं। प्रत्येक विभाग का राजनीतिक मुखिया मंत्री होता है इसलिए अपने विभाग से संबंधित प्रत्येक कार्य के लिए वह संसद के प्रति उत्तरदाई होते हैं ।
निजी प्रशासन से क्या तात्पर्य हैं?
निजी प्रशासन का अर्थ प्राइवेट कंपनी हैं,जैसे प्राइवेट हॉस्पिटल , प्राइवेट स्कूल। निजी प्रशासन का राजनीति से बहुत कम संबंध होता है। इसमें कोई शक नहीं है कि लोकतंत्र राज्यों में निजी प्रशासन को भी देश में प्रचलित कानूनों के अनुसार अपना कार्य करना पड़ता है परंतु फिर भी वह राजनीतिक निर्देशों से मुक्त होता है।
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन से क्या तात्पर्य हैं ?
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन एक दूसरे से भिन्न है और इनमें आपस में कोई समन्वय नहीं है, परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है ,अपितु दोनों में अंतर केवल नाममात्र का ही है। आधुनिक युग में इन दोनों में यह अंतर और भी कम हो जाता है। वास्तव में लोक प्रशासन और निजी प्रशासन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं परंतु उनकी अपनी अपनी विशेष तकनीक और मूल्य है जो प्रत्येक को पृथक रूप प्रदान करते हैं।